शेयर मार्केट Intraday trading का सम्पूर्ण कोर्स हिंदी में।

इंट्राडे ट्रेडिंग शेयरों के प्राइस स्पेक्युलेशन का एक रूप है। जिसमे ट्रेडर्स एक की दिन के भीतर शेयरों को खरीदकर उसी दिन बेच भी देते हैं। इसमें ट्रेडर्स ट्रेडिंग सेशन खत्म होने से पहले अपनी पोजीशन को बंद कर देते हैं। फिर इसमें उन्हें प्रॉफिट हो या नुकसान। यदि आप इंट्राडे ट्रेडिंग से बड़ी वेल्थ क्रिएट करना चाहते हैं। तो आपको इसे गंभीरतापूर्वक और डिटेल में सीखना चाहिए। 

अतः केवल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सीखने से काम नहीं चलेगा बल्कि आपको सम्पूर्ण Stock market कैसे काम करता है, यह भी जानना चाहिए। जिससे आप यह समझ पाए कि स्टॉक्स के प्राइस मूवमेंट को क्या-क्या चीजें प्रभावित करती हैं। आप इतने सक्षम हो जाये कि किसी भी सूचना के बारे में पता चलते ही। आप यह समझ जाएँ कि इसका मार्केट पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। 

जिससे आप स्टॉक्स के प्राइस मूवमेंट का बड़ी आसानी से अनुमान लगा सकें। चलिए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट से Intraday trading, Day trading का सम्पूर्ण कोर्स हिंदी में। Intraday Trading or day trading in Stock market full course in Hindi. 
                                                                                   
Intraday trading




यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना सीखना चाहते हैं तो आप बफे & ग्राहम से सीखें शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना बुक पढ़ सकते हैं।

Intraday Trading का परिचय 

इंट्राडे ट्रेडिंग को डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है, यह एक ही दिन के भीतर शेयरों को खरीदने और बेचने की प्रथा को दर्शाता है। इस तरह की ट्रेडिंग में मार्केट बंद होने से पहले सभी पोजीशन को क्लोज कर दिया जाता है। किसी भी ट्रेड को रातभर के लिए होल्ड नहीं किया जाता है। जो ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं, उन्हें इंट्राडे ट्रेडर्स कहा जाता है। Intraday trading अत्यधिक प्रॉफिटेबल भी हो सकती है लेकिन इसमें रिस्क भी बहुत अधिक होता है। 

इंट्राडे ट्रेडर्स किसी भी शेयर मार्केट, फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस, कमोडिटी मार्केट और फोरेक्स मार्केट, क्रिप्टोकरेंसी आदि। फाइनेंशियल मार्केट में शार्ट टर्म में प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव से फायदा कमाने की कोशिश करते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य एक दिन के ट्रेडिंग सेशन के दौरान प्राइस में छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना होता है। 

इंट्राडे ट्रेडर्स मार्केट में संभावना दिखने पर जल्दी ट्रेड लेने का निर्णय करते हैं और जल्दी ही ट्रेड एक्जिक्यूट भी करते हैं। इसके लिए वह बहुत सी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और टेक्निकल टूल्स का उपयोग करते हैं। 

फाइनेंसियल मार्केट और उसके उपकरण 

Intraday trading full course करने के लिए आपको फाइनेंसियल मार्केट को भी जानना चाहिए। फाइनेंसियल मार्केट स्टॉक्स, डेरिवेटिव, बांड्स, करेंसी आदि बहुत सारे इंस्ट्रूमेंट को खरीदने और बेचने से बनता हैं। मार्केट कुशल और उचित प्राइस निर्धारित करे। यह सुनिश्चित करने के लिये सूचनाओं की पारदर्शिता पर बहुत अधिक निभर करता हैं। शेयर मार्केट भी इसके अंतर्गत आता है। अतः फाइनेंसियल मार्केट के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप फाइनेंसियल मार्केट की संरचना आर्टिकल को पढ़ सकते हैं क्योंकि यदि में इस आर्टिकल में इसके बारे में लिखूंगी तो यह आर्टिकल बहुत अधिक लम्बा हो जायेगा। 

टेक्निकल एनालिसिस सीखें 

टेक्निकल एनालिसिस अपने आप में बहुत बड़ा विषय है क्योंकि इसमें बहुत सारे टेक्निकल इंडीकेटर्स, कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न आदि का यूज किया जाता है। इसलिए इस आर्टिकल में इनके बारे में मैं संक्षिप्त जानकारी दूंगी। बाकी जानकारी आप उनसे सम्बन्धित मेरे अन्य आर्टिकल पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं। 

कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न 

कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न्स भी टेक्निकल एनालिसिस टूल है, जिसका उपयोग विभिन्न टाइम फ्रेम के डाटा को एक कैंडल में समायोजित कर देता है। यह स्टॉक्स के ओपन प्राइस, क्लोज प्राइस, हाई प्राइस और लो प्राइस ( OHCL ) को एक ही कैंडल के द्वारा बता देता है। साथ ही कैंडलस्टिक पैटर्न्स के पूरा बनने पर आप उनका विश्लेषण करके Stocks के प्राइस का अनुमान लगा सकते हैं। कि आगे प्राइस किधर जायेंगे। प्रॉपर कलर कोडिंग इस टेक्निकल टूल में गहराई जोड़ती है। कैंडल्स के रंग से ही पता चल जाता है कि शेयर का प्राइस गिरा या चढ़ा। कैंडलस्टिक पैटर्न्स के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप निम्नलिखित आर्टिकल लिंक पर क्लिक करके इन्हे पढ़ सकते हैं-  

Technical Indicators 

Intraday traders के द्वारा टेक्निकल इंडीकेटर्स का उपयोग, स्टॉक्स के टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए किया जाता है। इनके द्वारा स्टॉक्स के प्राइस का वॉल्यूम, ओपन इंट्रेस्ट और कई अन्य चीजों का  मैथमेटिकल केलकुलेशन किया जाता है। जिसके आधार पर उनके प्राइस का पूर्वानुमान लगाया जाता है। टेक्निकल एनालिस्ट और चार्टिस्ट ( चार्ट देखने वाले ) चार्ट पर स्टॉक्स के हिस्टोरिकल डाटा का विश्लेषण करके ट्रेड के एंट्री और एग्जिट पॉइंट तलाश करते हैं। 

साथ ही उनके द्वारा चयनित स्टॉक्स में ट्रेड लेना चाहिए अथवा नहीं इसका भी विश्लेषण किया जाता है। टेक्निकल इंडीकेटर्स के बारे में मैं कई आर्टिकल लिख चुकी हूँ अतः आप इसके बारे में अधिक जानने के लिए उन्हें पढ़ सकते हैं। जिनका लिंक नीचे दिया गया है - 

Intraday trading Strategies 

इंट्राडे ट्रेडिंग की कुछ मुख्य ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी निम्नलिखित हैं। 

Scalping strategies

स्कैल्पिंग, आर्बिट्राज की तरह की ट्रेडिंग है। जिसमे ट्रेडर्स बहुत ही छोटे समय के लिए ट्रेडिंग पोजीशन में एंट्री करते हैं और छोटे से प्रॉफिट पर ही एग्जिट होते हैं। ज्यादातर बड़े-बड़े इंस्टीयूशन मार्केट में स्कैल्पिंग ट्रेडिंग करते हैं। इन्हें मार्केट मेकर भी कहा जाता है। स्केल्पिंग के बारे में ज्यादा विस्तार से लिखने पर यह आर्टिकल बहुत लम्बा हो जायेगा इसलिए आप इसके ऊपर लिखे इस स्केल्पिंग  आर्टिकल को पढ़ सकते हैं। स्केल्पिंग में एक ट्रेडिंग सेशन के दौरान कई छोटे-छोटे ट्रेड्स से प्रॉफिट कमाया जाता है।  

Momentum trading

मोमेंटम ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमे स्टॉक्स के प्राइस में तेज गति से परिवर्तन दिखायी देता है। इसी को Momentum trading कहते हैं। जिसमे किसी शेयर के प्राइस के मोमेंटम ( गति ) का लाभ उठाकर  trend के अनुसार ट्रेड में लिया जाता है। ट्रेड इसलिए लिया जाता है क्योंकि मोमेंटम गति पकड़ रहा होता है। 

सरल शब्दों में कहें तो किसी शेयर के प्राइस में मोमेंटम यानि तेज उतार-चढ़ाव तब होता है। जब उसके बारे में कोई न्यूज होती है, न्यूज नेगेटिव या पॉजिटिव किसी भी तरह की हो सकती है। शेयर से सम्बन्धित कंपनी का कोई इवेंट भी हो सकता है। जिसके कारण प्राइस एक विशेष समय तक हाई वॉल्यूम के साथ घटते या बढ़ते हैं। जैसे ही ट्रेडर्स को बड़े प्राइस मोमेंटम की पहचान होती है, तो उन्हें जल्दी उसमें पोजीशन बना लेनी चाहिए। इसी को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते हैं।  

Breakout trading 

जब Stocks का प्राइस हाई वॉल्यूम के साथ सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को तोड़ देता है, उसे ब्रेकआउट कहते हैं। ब्रेकआउट ट्रेडर्स तब लॉन्ग पोजीशन बनाते हैं, जब शेयर का प्राइस हाई वॉल्यूम के साथ रेजिस्टेंस लेवल को तोड़कर उसके ऊपर ट्रेड करने लगता है। इसी तरह जब शेयर का प्राइस सपोर्ट लेवल को हाई लेवल के साथ तोड़कर उसके नीचे ट्रेड करने लगता है। तब उस शेयर में शार्ट सेलिंग की पोजीशन बनानी चाहिए। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप इस ब्रेकआउट ट्रेडिंग आर्टिकल को पढ़ सकते हैं।

Reversal trading 

रिवर्सल तब होता है, जब शेयर के प्राइस ट्रेंड की दिशा बदल जाती है। यानि कि यदि स्टॉक का प्राइस अपट्रेंड में है और फिर वह डाउनट्रेंड में चला जाता है। या प्राइस डाउनट्रेंड में है और फिर वह अपट्रेंड में चलने लगता है। यानि शेयर के प्राइस की दिशा ( trend ) में इस उलट-फेर को ट्रेंड रिवर्सल कहा जाता है। ट्रेंड रिवर्सल होने पर ट्रेडर्स अपनी वर्तमान पोजिशंस से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। मार्केट में अगली पोजीशन न्यू ट्रेंड के अनुसार बनाते हैं। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप ट्रेंड रिवर्सल आर्टिकल को पढ़ सकते हैं। 

Pairs trading 

पेयर्स ट्रेड या पेअर ट्रेडिंग, यानि जोड़ी ट्रेडिंग एक तथस्ट मार्केट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। जिसमे कोरिलेशन वाले स्टॉक्स या इंडेक्स पेयर्स में एक लॉन्ग और एक शार्ट की पोजीशन बनायीं जाती हैं। जो ट्रेडर्स को सभी प्रकार के मार्केट ( अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, साइडवेज मूवमेंट ) में प्रॉफिट कमाने में मदद करती है। इस स्ट्रेटेजी को स्टैटिकल आर्बिट्राज और कन्वर्जेन्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के रूप में बाँटा गया है। 

पेयर्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी दो स्टॉक्स या सिक्युरिटीज के कोरिलेशन पर आधारित है। पेयर्स ट्रेडिंग के लिए सिक्युरिटीज में उच्च सकारात्मक सम्बन्ध होना चाहिए। जिसकी वजह से इस स्ट्रेटेजी में मुनाफ होता है। मार्केट में दो ऑफसेटिंग पोजीशन हेजिंग का आधार बनती हैं। जोकि मार्केट के दोनों ट्रेंड ( पॉजिटिव और नेगेटिव ) से प्रत्येक परिस्थिति में प्रॉफिट कमाना चाहती हैं। 

जैसे कोई ट्रेडर फ्यूचर्स मार्केट में किसी शेयर को लॉन्ग करता है। तो उस पोजीशन में नुकसान से बचने के लिए उसका ऑप्शन सेल कर देता है यानि पुट ऑप्शन खरीद लेता है। इस तरह एक पोजीशन में नुकसान होने पर दूसरी में प्रॉफिट हो जाता है जिससे नुकसान की भरपाई हो जाती है। इसे हेजिंग भी कहा जाता है। बड़े-बड़े ट्रेडर्स ( जिनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता है ) ऐसा ही करते हैं। 

इंट्राडे ट्रेडिंग करना इतना भी आसान नहीं है, जितना लगता है। इसे करने के लिए बहुत ज्यादा फोकस, डिसिप्लिन और रिस्क मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है। इंट्राडे ट्रेडिंग से आप बहुत ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं। लेकिन यह बहुत जोखिम वाला काम है। इसमें ट्रेड लेने के बाद जल्दी ही उससे बाहर निकलना होता है। इसलिए हाई वोलेटिलिटी और स्टॉक्स के प्राइस में ज्यादा उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण ट्रेडर्स को मुनाफा और नुकसान दोनों  के एक चांस एक समान होते हैं।  

ट्रेड की प्लानिंग करें 

जैसा की एक प्रसिद्ध सैनिक जर्नल ने कहा है कि प्रत्येक लड़ाई लड़ने से पहले ही जीती जाती है। इसका मतलब है कि युद्ध लड़कर नहीं जीते जाते बल्कि योजना और रणनीति से जीते जाते हैं। इसी तरह सफल ट्रेडर्स भी अक्सर यह कहते हैं कि  Plan the trade and trade the plan यानि की ट्रेड की योजना बनायें और योजना बनाकर ट्रेड करें। पहले योजना बनाने और नहीं बनाने से ही day trading में मुनाफा और नुकसान तय होता है। 

पहले यह सुनिश्चित करें कि आपका स्टॉक ब्रोकर डे ट्रेडिंग के लिए सही है। कुछ ब्रोकर उन ग्राहकों को तवज्जो देते हैं। जो कभी कभार ही ट्रेड करते हैं क्योंकि इनसे ब्रोकर उच्च ब्रोकरेज लेते हैं। ऐसे ब्रोकर्स को फूलसर्विस ब्रोकर कहा जाता है। ऐसे stock broker इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सही नहीं होते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए डिस्काउंट ब्रोकर सही होते हैं।  

जब ट्रेडर्स ट्रेड लेने की योजना बनाते है तो वे स्टॉपलॉस ( S/L ) और टेक प्रॉफिट ( T/P ) इन दोनों को पहले ही तय करके ट्रेड प्लान करते हैं। इसके लिए वे रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो के नियमों का ध्यान रखते हैं। अनुभवी ट्रेडर्स 1: 3 का रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो रखते हैं। यानि वे प्रत्येक ट्रेड में एक प्रतिशत का जोखिम उठाते हैं और तीन प्रतिशत का प्रॉफिट टार्गेट रखते हैं। जब उन्हें इसके अनुकूल ट्रेड मिलता है, तभी वे मार्केट में पोजीशन बनाते हैं। अन्यथा धैर्य के साथ इंतजार करते हैं। 

इसके विपरीत असफल ट्रेडर्स बिना स्टॉपलॉस और बिना प्रॉफिट टार्गेट के ही मार्केट में पोजीशन बनाते हैं। एक जुआरी की तरह, जिसकी वजह से उन्हें बार-बार Intraday trading में नुकसान होता है। उनका अपनी भावनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं होता। और ऐसे ट्रेडर्स अपने नुकसान की भरपाई के लिए बार-बार बदले की भावना से रिवेंज ट्रेडिंग करते हैं। 

Intraday trading के फायदे 

इंट्राडे ट्रेडिंग के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं- 

1. इंट्राडे ट्रेडिंग ने मार्जिन का फायदा मिलता है, मार्जिन का मतलब यह है कि आपके डीमैट अकाउंट में यदि 1000 रूपये का बैलेंस है। तो आप उससे 4000 या 5000 रूपये की इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं। स्टॉक्स की कैटेगरी के अनुसार मार्जिन घट या बढ़ सकता है। मार्जिन की सुविधा ब्रोकर्स के द्वारा दी जाती  है। जिससे उनके ग्राहक Intraday trading में आप बड़ी पोजीशन ले सके। जिससे कि आपको ज्यादा प्रॉफिट हो पाए और ब्रोकर को ज्यादा ब्रोकरेज मिलती है। साथ ही ब्रोकर इस पर ब्याज भी लेता है। इसलिए मार्जिन दिया जाता है। margin trading

2. इंट्राडे ट्रेडिंग का दूसरा फायदा यह है कि आप एक ही दिन में प्रॉफिट कमा सकते हैं। इसके लिए लंबे समय की जरूरत नहीं होती है, जैसा कि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट में होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में आप जिस दिन पैसा मार्केट में लगाते हैं, उसी दिन उससे मुनाफा भी कमा सकते हैं। 

Intraday trading से कभी-कभी तो मिनटों में भी शेयर ट्रेडिंग करके पैसे कमा लेते हैं। जैसे कि स्केल्पिंग ट्रेडिंग बहुत कम समय के लिए पोजीशन बनायीं जाती है और प्रॉफिट बुक किया जाता है। इस तरह आप शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग करके मिनटों में प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

3. Intraday trading का तीसरा फायदा यह है कि आप इसमें शॉर्ट सेलिंग करके भी पैसा कमा सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आज फलां शेयर का प्राइस गिरने वाला है। तो आप उस शेयर को शार्ट सेल कर सकते हैं। और उसका प्राइस गिरने पर उसे खरीदकर प्रॉफिट बुक कर सकते हैं। शॉर्ट सेलिंग में यदि आपको लगता है कि इस शेयर का प्राइस आज गिरेगा। तो अपने पास उस शेयर के न होते हुए भी आप उन शेयरों को बेच देते हैं। इसी को शॉर्ट सेलिंग कहते हैं।

मान लो आपने किसी शेयर को 100 रुपए के प्राइस पर शेयर को बेच दिया और उसका प्राइस 95 तक गिरने पर आपने उसे वापस खरीद कर इस पोजीशन को बंद कर दिया। तो इस केस में आपको 5 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट हुआ। 

4. Day trading का फायदा यह है यदि आप चाहे तो इंट्राडे ट्रेडिंग को, इनकम का रेगुलर स्रोत बना सकते हैं। आजकल बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनकी इनकम का अन्य कोई स्रोत नहीं है। वह रेगुलर इंट्राडे ट्रेडिंग से लाखों रुपए महीने के कमा रहे हैं। 

यदि आप कोई जॉब नहीं करना चाहते और शेयर मार्केट से ही रेगुलर इनकम जेनरेट करना चाहते हैं तो आपको पहले शेयर मार्केट के बारे में सीखना चाहिए। अगर आप बिना सीखे ही शेयर ट्रेडिंग स्टार्ट कर देंगे तो पैसे कमाना तो दूर की बात है। आप अपने सारे पैसे शेयर मार्केट में डुबो देंगे। 

5. intraday trading का पांचवा फायदा यह है कि इसके लिए आपको कंपनी के फंडामेंटल जानने की कोई जरूरत नहीं है। आपको केवल यह पता होना चाहिए कि आज फलां शेयर कैसा प्रदर्शन करेगा। साथ ही आपको टेक्निकल एनालिसिस का भी ज्ञान होना चाहिए।

Intraday trading के नुकसान

 इंट्राडे ट्रेडिंग के निम्नलिखित नुकसान हैं। 

1. इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे आप एक दिन में पैसा कमा सकते हैं तो एक ही दिन में पैसा गंवा भी सकते हैं। ऐसा कभी नहीं होगा कि आप रोज-रोज share market पैसा कमा पाओगे। अक्सर आपको नुकसान भी होगा। इसके लिए आपको पहले से तैयार रहना होगाचाहिए,आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है। कि आप ज्यादातर दिन प्रॉफिट कमाए और नुकसान वाले दिन कम होने चाहिए। जिससे अंतोगत्वा आप प्रॉफिट में ही रहे। 

2. Intraday trading बहुत ज्यादा रिस्की होता है क्योंकि इंट्राडे में शेयर बहुत ज्यादा वोलेटाइल होते हैं और आपका अनुमान गलत भी साबित हो सकता है। इसमें ज्यादा रिस्क इसलिए भी है कि आपने आज ही शेयर खरीदा है और आपको हर हाल में आज ही इसे बेचना पड़ेगा। अगर आप रिस्क लेने से डरते हैं तो इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए नहीं है। 'यदि आपको भी रिस्क है तो इश्क है' वाली कहावत पसंद है तो आप भी इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं। ट्रेडिंग सेटअप

Risk Management का महत्व 

रिस्क मैनेजमेंट ट्रेडिंग के दौरान होने वाले नुकसान को कम करता है और आपके अकाउंट को खाली होने से भी बचाता है। यदि ट्रेडर्स ट्रेडिंग रिस्क को मैनेज कर लेते हैं तो वे प्रॉफिट कमाने में सफल हो सकते हैं। क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर्स जिन्होंने ट्रेडिंग से बहुत अधिक धन कमाया है। वह एक.दो गलत ट्रेड की वजह से अपना सब कुछ खो सकते हैं। इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान रिस्क मैनेजमेंट रूल्स का पालन करना बहुत जरूरी है। एक्टिव ट्रेडिंग

Intraday trading से कमाये प्रॉफिट को सुरक्षित करने और ट्रेडिंग रिस्क को कम करने के लिए कुछ सबसे अच्छी रिस्क मैनेजमेंट तकनीक निम्नलिखित है-
  
यदि आप फोकस रहें, उचित परिश्रम करें और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। तो इंट्राडे ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल और रोमांचक हो सकती है। ट्रेडिंग के दौरान होने वाले नुकसान को रोकने के लिए रिस्क मैनेजमेंट रूल्स का सख्ती से पालन करना जरूरी होता है। साथ ही स्टॉपलॉस लगाना भी बेहद जरूरी होता है।

एक प्रतिशत के नियम का पालन करें 

पोजीशन साइज में बहुत से ट्रेडर्स एक प्रतिशत के नियम का पालन करते हैं, क्योंकि थंबरूल यह कहता है। कि आपको कभी भी अपने ट्रेडिंग अकाउंट का एक प्रतिशत से ज्यादा एक ट्रेड में नहीं लगाना चाहिए। अधिक नुकसान से बचने के लिए आपको ट्रेडिंग डिसिप्लिन का जरूर पालन करना चाहिए। इसलिए यदि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 10,0000 रूपये हैं। तो इंट्राडे ट्रेडिंग के किसी भी एक ट्रेड में आपको एक हजार हजार से ज्यादा रूपये नहीं लगाने चाहिए। कुछ ट्रेड्स में अपने ट्रेडिंग अमाउंट का दो प्रतिशत तक भी लगा सकते हैं लेकिन केवल वे जो इसे आसानी से वहन कर सकते हैं। 

ऐसे ट्रेडर्स जिनके ट्रेडिंग अकाउंट में ज्यादा धनराशि है, उन्हें  एक ट्रेड में कम प्रतिशत रूपये लगाने चाहिए। Intraday trading के प्रॉफिट के पैसों से जैसे-जैसे आपके ट्रेडिंग अकाउंट में धनराशि बढ़ती है। वैसे-वैसे आप प्रत्येक ट्रेड में अमाउंट बढ़ा सकते हैं, यानि पोजीशन का साइज बढ़ा सकते हैं। ट्रेडिंग से होने वाले नुकसान को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा नियम पोजीशन साइज को दो प्रतिशत से कम रखना है। यदि इससे ज्यादा पैसा आप एक ट्रेड में लगाते हैं तो आप एक बड़ी धनराशि को जोखिम में डालेंगे। बुल और बेयर

स्टॉपलॉस का प्रभावी ढंग से उपयोग करना 

स्टॉपलॉस को किसी शेयर के विशेष बिंदु पहुँचने पर बेचने के लिए अग्रिम ऑर्डर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसका उपयोग किसी ट्रेड में संभावित नुकसान को कम करने के लिए किया जाता है। स्टॉपलॉस का उपयोग शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म ट्रेड दोनों में किया जाता है। स्टॉपलॉस के बारे में अधिक जानने के लिए आप इस आर्टिकल को पढ़ सकते हैं।  

मार्केट पार्टिसिपेंट्स ( सहभागी ) को जानें 

इंडिया में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज BSE ( बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ) और NSE ( नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ) हैं। जिन पर कंपनियाँ अपने स्टॉक्स लिस्ट करती हैं। जिन्हें ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स खरीदते और बेचते हैं। दो तरह के इन्वेस्टर और ट्रेडर होते हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स, दूसरे संस्थागत इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स। शेयर बाजार के मध्यस्थों में डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स ( DP ) ट्रेडिंग सदस्य, क्लियरिंग बैंक एंड क्लियरिंग हाउस। 

रिटेल इन्वेस्टर रिटेल इन्वेस्टर एक व्यक्तिगत इन्वेस्टर होता है। जो किसी कम्पनी के शेयर खरीदकर stock market, म्यूच्यूअल फंड्स, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स ( ETF ) में निवेश करता है। जिसे स्टॉक ब्रोकर द्वारा मार्केट में भाग लेने की सुविधा दी जाती है। 

रिटेल ट्रेडर्स इसी तरह रिटेल ट्रेडर्स को भी व्यक्तिगत ट्रेडर्स कहा जाता है। वे अपने पर्सनल डीमैट अकाउंट से stocks को खरीदते और बेचते हैं। इसके विपरीत संस्थागत ट्रेडर्स किसी समूह या संस्था के लिए मैनेज किये गए डीमैट अकाउंट से ट्रेडिंग करते हैं। 

इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स यानि संस्थागत निवेशक वे इन्वेस्टर्स होते हैं जो किसी अन्य की तरफ से मार्केट में निवेश करते हैं। इनमे म्यूच्यूअल फंड्स, सॉवरेन वेल्थ फंड्स, पेंशन फंड्स और बीमा कंपनियाँ शामिल होती हैं। 

इंस्टीटूशनल ट्रेडर्स भी इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की तरह संस्थागत ट्रेडर्स होते हैं। जो कि अपने निजी उद्देश्यों के लिए Share market में निवेश करते हैं और मुनाफा कमाते हैं। 

डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स ( DP ) डिपोजिटरी का एजेंट या पंजीकृत स्टॉकब्रोकर होता है। डिपोजिटरी एक संस्था या ऑर्गेनाइजेशन होता है, जो डिपोजिटरी भागीदार के माध्यम से इन्वेस्टर्स के स्टॉक्स को होल्ड करके रखता है। साथ ही स्टॉक्स के सम्बन्ध में सेवाएँ भी देता है। 

क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस Stock market में शेयर खरीदने-बेचने की पुष्टि करता है, सेटलमेंट करता है। और ट्रांजेक्शन की डिलीवरी करता है। क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन यह सुनिश्चित करता है कि Stocks का लेनदेन त्वरित और कुशल तरीके से हो। 

उम्मीद है, आपको यह शेयर मार्केट से Intraday trading, day trading का सम्पूर्ण कोर्स हिंदी में आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Intraday Trading or day trading in Stock market full course in Hindi. आर्टिकल पसंद आये। तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो प्लीज कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे फेसबुक पर भो फॉलो कर सकते हैं। 
 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.