भारतीय फाइनेंसियल मार्केट की सम्पूर्ण कला। Indian financial markets |
यह यह व्यवसायों के लिए पूंजी जुटाने और धन जुटाने का मंच है जिसके परिणामस्वरूप देश की ओवरऑल प्रगति होती है। भारत के प्रमुख फाइनेंशियल मार्केटों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) और नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव एक्सचेंज (NCDEX) शामिल हैं।
Indian financial market भी अन्य किसी मार्केट की तरह ही है। जहाँ पर securities की ट्रेडिंग होती है। जिसमें stock market, bond market, forex market, और derivative market शामिल है। वर्तमान समय में पूँजीवादी अर्थव्यवस्थाओं के संचालन में financial market का महत्वपूर्ण योगदान है। आइए विस्तार से जानते हैं- भारतीय फाइनेंशियल मार्केटस की सम्पूर्ण जानकारी। What is Indian financial market in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग सीखना आपको पीटर लिंच द्वारा लिखित वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट बुक जरूर पढ़नी चाहिए। जिससे आप रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली चीजों से की कंपनियों मल्टीबैगर ढूँढ सकते हैं।
Financial market क्या है?
भारतीय फाइनेंसियल मार्केट में तरह-तरह के निवेश, लोन और फाइनेंसियल सर्विस खरीदी और बेचीं जाती हैं। डिमांड और सप्लाई के हिसाब से financial instrument की कीमत तय होती है। इसलिए कीमत काफी-ऊपर नीचे होती रहती है।
Indian Financial market निवेशक और कर्जधारक के बीच में पुल का काम करता है। यह उन व्यक्तियों और संस्थाओं को एक साथ लाता है, जिनके पास एक्स्ट्रा पैसा है तथा जिन्हे पैसे की जरूरत है। जिससे उनके बीच पैसे को ट्राँसफर किया जा सके। पैसे का ट्रांसफर तरह-तरह के financial instrument के माध्यम से किया जाता है। जिन्हे फाइनेंशियल मार्केट के द्वारा संचालित किया जाता है। स्कैम 1992 कैसे किया?
Indian Financial market निवेशक और कर्जधारक के बीच में पुल का काम करता है। यह उन व्यक्तियों और संस्थाओं को एक साथ लाता है, जिनके पास एक्स्ट्रा पैसा है तथा जिन्हे पैसे की जरूरत है। जिससे उनके बीच पैसे को ट्राँसफर किया जा सके। पैसे का ट्रांसफर तरह-तरह के financial instrument के माध्यम से किया जाता है। जिन्हे फाइनेंशियल मार्केट के द्वारा संचालित किया जाता है। स्कैम 1992 कैसे किया?
Indian financial markets के प्रकार
फाइनेंशियल मार्केट मुख्य रूप से दो भागों में डिवाइड है। इसका पहला भाग है- Money market तथा दुसरा भाग है- Capital market, कैपिटल मार्केट कई भागों में सब-डिवाइड है।Money Market
Money market कम समय के लिए कर्ज देने वाला मार्केट है। एक साल से कम समय वाली securities की money market में ट्रेडिंग की जाती है। इसमें ट्रेड की जाने वाली एसेट ज्यादातर रिस्क फ्री तथा बहुत ही लिक्विड होती हैं। इनकी परिपक्वता की अवधि कम होने के कारण, इनमें volatility का जोखिम कम होता है।
Money market में निवेश पर रिटर्न भी कम मिलता है। इसके इंस्ट्रूमेंट ब्याज पर आधारित होते है इसलिए इनमें फिक्स रिटर्न मिलता है। मनी मार्केट भी दो भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग Organized money market तथा दुसरा है- Unorganized money market.
Regulators of Indian Financial market
Money market में निवेश पर रिटर्न भी कम मिलता है। इसके इंस्ट्रूमेंट ब्याज पर आधारित होते है इसलिए इनमें फिक्स रिटर्न मिलता है। मनी मार्केट भी दो भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग Organized money market तथा दुसरा है- Unorganized money market.
Organized Money Market
ऑर्गनाइज़्ड मनी मार्केट को RBI (रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया) रेग्युलेट करता है। यह प्रॉपरली प्रोसीजर फॉलो करने वाली मार्केट है। इसके कई इंस्ट्रूमेंट हैं जैसे- T-Bills, Call money, Certificates of deposit (CDs), commercial papers, cash management bills आदि। नीचे इनके बारे में विस्तार से बताया गया है।
T- Bills इनका पूरा नाम ट्रेज़री बिल्स है, इन्हे केंद्र सरकार जारी करती है। इनकी परिपक्वता अवधि तीन प्रकार 91 दिन, 182 दिन, तथा 164 दिन की होती है। T- bills पर जो ब्याज लगता है, उसे मार्केट डिसाइड करता है।
इनका मिनिमम अमाउंट 25000 रूपये है तथा इसे 25000 के मल्टीपल में जारी किया जाता है। प्रत्येक बृहस्पतिवार को आरबीआई इनका ऑप्शन कंडक्ट करता है, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में। Financial Market
Call money जब बैंक को फंड की इमीडिएट जरूरत होती है। वह भी केवल एक दिन के लिए तब बैंक के लिए कॉल मनी जारी की जाती है। Call money की अवधि 1 दिन ही होती है। जब बैंक की ऐसेट लायबिलिटी का मिसमैच हो जाता है। यानी अचानक से डिमांड आ जाती है। तब बैंक कॉल मनी के द्वारा money market से फंड उठाते हैं।
कॉल मनी का इंटरेस्ट रेट बहुत ज्यादा हाई होता है। इस वजह से बैंक इससे बहुत कम पैसे लेते हैं। इसके बजाय दूसरे विकल्पों जैसे रेपो और रिवर्स रेपो के इंस्ट्रूमेंट के द्वारा पैसा लिया जाता है। जिनका ब्याज कॉल मनी से कम होता है इसीलिए अब कॉल मनी का यूज़ बहुत कम होने लगा है।
Certificate of Deposit (CDs) फिक्स डिपाजिट (FD) की तरह होता है शॉर्ट फॉर्म में CP भी कहा जाता है। इसे डीमेटलाइज्ड फॉर्म में जारी किया जाता है। जिस बैंक को आरबीआई ने परमिट दिया होता है। वही बैंक सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट जारी करने का काम कर सकते हैं।
सर्टिफिकेट आफ डिपॉजिट इंडिविजुअल, कंपनियों, कॉरपोरेशन, एसोसिएशन, ट्रस्ट को जारी किया जा सकता है। यह एनआरआई को भी जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि वे इसे दूसरे देश में ट्रांसफर ना करें।इसमें मिनिमम अमाउंट 100000 रूपये होता है तथा इसे 100000 रूपये के मल्टीपल में जारी किया जा सकता है।
इसकी मैच्योरिटी 7 दिन से लेकर 1 साल तक के लिए कमर्शियल बैंक के लिए होती है। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के लिए कम से कम 1 साल और ज्यादा से ज्यादा 3 साल के लिए सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट को जारी कर सकते हैं। इसमें तीन तरह के रिटर्न होते हैं, पहला डिस्काउंट दूसरा मार्केट बेस्ट और तीसरा फिक्स्ड रिटर्न है।
Commercial papers कमर्शियल पेपर्स एक शोर्ट-टर्म अनसिक्योर कर्ज है। जो कंपनियों की अल्पकालिक देनदारियों के भुगतान के लिए जारी किया जाता है। इनका भुगतान बिना किसी छूट के किया जाता है और ये अपने अंकित मूल्य पर ही मेच्योर होते हैं। डायवर्सिफिकेशन क्या है
Cash management bills (CMB) जब सरकार के cash flow में टेम्परेरी मिसमैच हो जाता है। तब सरकार CMB के माध्यम से फंड जुटती है। केंद्र सरकार ने RBI की अनुशंषा पर 2010 में इसकी शुरुआत की थी। इसे 91 दिन परिपक्वता के लिए जारी किया जाता है, CMB ट्रेडेबल हैं।
Unorganized Money Market
Money market का अनऑर्गनाइज़्ड सेक्टर indigenous bankers, money lenders, traders, commission agents आदि से मिलकर बना है।
Capital Market
कैपिटल मार्किट, मनी मार्केट के विपरीत होता है। इसमें लॉन्ग-टर्म सिक्योरिटीज में डील होती हैं। जिन सिक्योरिटीज की मेच्योरिटी की समय सीमा एक साल से ज्यादा होती है। उन्हें capital market में ट्रेड किया जाता है।
इसमें डेब्ट सिक्योरिटीज और इक्विटी ओरिएंटेड सिक्योरिटीज दोनों में ट्रेड होता है। कैपिटल मार्केट में कंपनियां, व्यक्ति, NRIs, फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स, फॉरेन इंस्टीटूशन इन्वेस्टर्स participant होते हैं। Capital market भी दो सब-कैटेगरी में डिवाइड है। एक- Primary market, दो- Secondary market.
Primary Market
प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है। यह कैपिटल मार्केट का वह हिस्सा है। जो नई सिक्योरिटीज जारी करने में लगा हुआ है। इस मार्केट में Stock exchange के माध्यम से initial public offering (IPO) के द्वारा नई securities जारी की जाती हैं।IPO से पैसे कैसे कमायें?
जिसकी वजह से सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी पूँजी जुटाने में मदद मिलती है। इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) नियंत्रित करता है। यदि कोई कंपनी आईपीओ की पेशकश करती है और अपने शेयर जनता को बेचती है। तो यह प्राइमरी मार्केट का हिस्सा है।
इसमें निवेशक सीधे कंपनी से शेयर खरीदते हैं। इनके बीच में कोई बिचौलिया नहीं होता है। इसी तरह, यदि कोई कंपनी पहले से Share market में सूचीबद्ध कंपनी और अधिक शेयर जारी करती है। जिसे follow on public offerings (FPO) कहा जाता है। FPO में भी निवेशक सीधे कंपनी से ही खरीदते हैं। ये सभी primary market के अंतर्गत आते हैं। जो की Indian financial market का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Secondary Market
सेकेंडरी मार्केट वह जगह है, जहाँ पर प्राइमरी मार्केट से खरीदी गई सिक्योरिटीज (stocks, share) बायर्स और सेलर्स के द्वारा खरीदी और बेचीं जाती हैं, यानी ट्रेडिंग की जाती है। Stock trading सेकेंडरी कैपिटल मार्केट का एक बहुत ही सामान्य उदाहरण है। शेयर बाजार से पैसे कैसे कमायें?
जिसमे निवेशक अपने स्वामित्व वाले स्टॉक्स को प्रॉफिट कमाने के लिए, दूसरे निवेशकों को बेचते हैं। इसमें सेकंडरी मार्केट एक बिचौलिये का काम करता है। इसमें सिक्योरिटीज को बार-बार ख़रीदा और बेचा जा सकता है। जबकि प्राइमरी मार्केट में सिक्योरिटीज को केवल एक बार ही खरीदा और बेचा जा सकता है।
स्टॉक एक्सचेंज secondary market का ही पार्ट होते हैं। जहाँ पर आप विभिन्न कंपनियों के स्टॉक्स में बार-बार ट्रेडिंग सकते हैं। जोकि कंपनियों के द्वारा पहले ही IPO के द्वारा primary market में बेचे जा चुके हैं। सिक्योरिटीज को प्राइमरी मार्केट में केवल एक बार ही खरीदा और बेचा जा सकता है। जबकि सेकेंडरी मार्केट में सिक्योरिटीज को अनगिनत बार खरीदा और बेचा जा सकता है।
Indian financial market के अन्य प्रकार
T- Bills इनका पूरा नाम ट्रेज़री बिल्स है, इन्हे केंद्र सरकार जारी करती है। इनकी परिपक्वता अवधि तीन प्रकार 91 दिन, 182 दिन, तथा 164 दिन की होती है। T- bills पर जो ब्याज लगता है, उसे मार्केट डिसाइड करता है।
इनका मिनिमम अमाउंट 25000 रूपये है तथा इसे 25000 के मल्टीपल में जारी किया जाता है। प्रत्येक बृहस्पतिवार को आरबीआई इनका ऑप्शन कंडक्ट करता है, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में। Financial Market
Call money जब बैंक को फंड की इमीडिएट जरूरत होती है। वह भी केवल एक दिन के लिए तब बैंक के लिए कॉल मनी जारी की जाती है। Call money की अवधि 1 दिन ही होती है। जब बैंक की ऐसेट लायबिलिटी का मिसमैच हो जाता है। यानी अचानक से डिमांड आ जाती है। तब बैंक कॉल मनी के द्वारा money market से फंड उठाते हैं।
कॉल मनी का इंटरेस्ट रेट बहुत ज्यादा हाई होता है। इस वजह से बैंक इससे बहुत कम पैसे लेते हैं। इसके बजाय दूसरे विकल्पों जैसे रेपो और रिवर्स रेपो के इंस्ट्रूमेंट के द्वारा पैसा लिया जाता है। जिनका ब्याज कॉल मनी से कम होता है इसीलिए अब कॉल मनी का यूज़ बहुत कम होने लगा है।
Certificate of Deposit (CDs) फिक्स डिपाजिट (FD) की तरह होता है शॉर्ट फॉर्म में CP भी कहा जाता है। इसे डीमेटलाइज्ड फॉर्म में जारी किया जाता है। जिस बैंक को आरबीआई ने परमिट दिया होता है। वही बैंक सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट जारी करने का काम कर सकते हैं।
सर्टिफिकेट आफ डिपॉजिट इंडिविजुअल, कंपनियों, कॉरपोरेशन, एसोसिएशन, ट्रस्ट को जारी किया जा सकता है। यह एनआरआई को भी जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि वे इसे दूसरे देश में ट्रांसफर ना करें।इसमें मिनिमम अमाउंट 100000 रूपये होता है तथा इसे 100000 रूपये के मल्टीपल में जारी किया जा सकता है।
इसकी मैच्योरिटी 7 दिन से लेकर 1 साल तक के लिए कमर्शियल बैंक के लिए होती है। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के लिए कम से कम 1 साल और ज्यादा से ज्यादा 3 साल के लिए सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट को जारी कर सकते हैं। इसमें तीन तरह के रिटर्न होते हैं, पहला डिस्काउंट दूसरा मार्केट बेस्ट और तीसरा फिक्स्ड रिटर्न है।
Commercial papers कमर्शियल पेपर्स एक शोर्ट-टर्म अनसिक्योर कर्ज है। जो कंपनियों की अल्पकालिक देनदारियों के भुगतान के लिए जारी किया जाता है। इनका भुगतान बिना किसी छूट के किया जाता है और ये अपने अंकित मूल्य पर ही मेच्योर होते हैं। डायवर्सिफिकेशन क्या है
Unorganized Money Market
Money market का अनऑर्गनाइज़्ड सेक्टर indigenous bankers, money lenders, traders, commission agents आदि से मिलकर बना है।Capital Market
कैपिटल मार्किट, मनी मार्केट के विपरीत होता है। इसमें लॉन्ग-टर्म सिक्योरिटीज में डील होती हैं। जिन सिक्योरिटीज की मेच्योरिटी की समय सीमा एक साल से ज्यादा होती है। उन्हें capital market में ट्रेड किया जाता है।इसमें डेब्ट सिक्योरिटीज और इक्विटी ओरिएंटेड सिक्योरिटीज दोनों में ट्रेड होता है। कैपिटल मार्केट में कंपनियां, व्यक्ति, NRIs, फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स, फॉरेन इंस्टीटूशन इन्वेस्टर्स participant होते हैं। Capital market भी दो सब-कैटेगरी में डिवाइड है। एक- Primary market, दो- Secondary market.
Primary Market
प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है। यह कैपिटल मार्केट का वह हिस्सा है। जो नई सिक्योरिटीज जारी करने में लगा हुआ है। इस मार्केट में Stock exchange के माध्यम से initial public offering (IPO) के द्वारा नई securities जारी की जाती हैं।IPO से पैसे कैसे कमायें?जिसकी वजह से सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी पूँजी जुटाने में मदद मिलती है। इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) नियंत्रित करता है। यदि कोई कंपनी आईपीओ की पेशकश करती है और अपने शेयर जनता को बेचती है। तो यह प्राइमरी मार्केट का हिस्सा है।
इसमें निवेशक सीधे कंपनी से शेयर खरीदते हैं। इनके बीच में कोई बिचौलिया नहीं होता है। इसी तरह, यदि कोई कंपनी पहले से Share market में सूचीबद्ध कंपनी और अधिक शेयर जारी करती है। जिसे follow on public offerings (FPO) कहा जाता है। FPO में भी निवेशक सीधे कंपनी से ही खरीदते हैं। ये सभी primary market के अंतर्गत आते हैं। जो की Indian financial market का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Secondary Market
सेकेंडरी मार्केट वह जगह है, जहाँ पर प्राइमरी मार्केट से खरीदी गई सिक्योरिटीज (stocks, share) बायर्स और सेलर्स के द्वारा खरीदी और बेचीं जाती हैं, यानी ट्रेडिंग की जाती है। Stock trading सेकेंडरी कैपिटल मार्केट का एक बहुत ही सामान्य उदाहरण है। शेयर बाजार से पैसे कैसे कमायें?जिसमे निवेशक अपने स्वामित्व वाले स्टॉक्स को प्रॉफिट कमाने के लिए, दूसरे निवेशकों को बेचते हैं। इसमें सेकंडरी मार्केट एक बिचौलिये का काम करता है। इसमें सिक्योरिटीज को बार-बार ख़रीदा और बेचा जा सकता है। जबकि प्राइमरी मार्केट में सिक्योरिटीज को केवल एक बार ही खरीदा और बेचा जा सकता है।
स्टॉक एक्सचेंज secondary market का ही पार्ट होते हैं। जहाँ पर आप विभिन्न कंपनियों के स्टॉक्स में बार-बार ट्रेडिंग सकते हैं। जोकि कंपनियों के द्वारा पहले ही IPO के द्वारा primary market में बेचे जा चुके हैं। सिक्योरिटीज को प्राइमरी मार्केट में केवल एक बार ही खरीदा और बेचा जा सकता है। जबकि सेकेंडरी मार्केट में सिक्योरिटीज को अनगिनत बार खरीदा और बेचा जा सकता है।
उपर्युक्त प्रकार के फाइनेंसियल मार्केट के अलावा, इंडिया में अन्य प्रकार के फाइनेंसियल मार्केट भी चल रहे हैं। जो कि निम्नलिखित हैं।
Commodity Market
कमोडिटी मार्केट में row प्रोडक्ट खरीदे और बेचे जाते हैं। यानी इनकी ट्रेडिंग की जाती है। जैसे क्रूड ऑइल, सोना, चाँदी, ज़िंक, कॉपर, गैस, सरसों,चना, सोयाबीन आदि। ये आमतौर पर कठोर वस्तुएँ हैं, जो प्राकृतिक संसाधन हैं। इसमें डेरिवेटिव मार्केट में सौदे होते हैं।
Forex Market (विदेशी मुद्रा बाजार)
इसे फोरेक्स या FX मार्केट भी कहा जाता है। यह मार्केट अपने देश की करेंसी को दूसरे देशों की करेंसी के साथ लेनदेन करने के लिए बनाया गया है। इसमें विभिन्न देशों की करेंसी की ट्रेडिंग होती है। जैसे यूरो और यूएस डॉलर में ट्रेडिंग आदि।
यह बहुत ही लिक्विड मार्किट है, यहाँ पर currencies को बहुत ही आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। currencies के भाव में उतार-चढ़ाव के कारण ट्रेडर इनकी ट्रेडिंग करके प्रॉफिट कमाते हैं।
Bond Market
इसे ऋण बाजार या क्रेडिट मार्केट भी कहा जाता है। यह भी financial market के अंतर्गत ही आता है। बॉन्ड बाजार में सरकारी और निजी कंपनियों के द्वारा फंड जुटाने के बॉन्ड जारी किये जाते हैं। Stock Market and its Working system -in Hindi
इनकी परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित एक निश्चित रकम मिलती है। इनमें ज्यादा तरलता नहीं होने के कारण, आम लोग ट्रेडिंग नहीं कर पाते। बॉन्ड और बैंक ऋण को क्रेडिट बाजार के रूप में जाना जाता है।
Banking Market
बैंकिंग बाजार में बैंक और नॉन बैंकिंग कम्पनियाँ (NBFC) आती हैं। जो लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, जैसे डिपॉज़िट, बैंक खाते खोलना, लोन देना आदि।
फाइनेंसियल मार्केट के कार्य
Financial market के द्वारा दी जाने वाली सेवाएँ निम्नलिखित हैं।
- यह लोगों के फाइनेंसियल प्रोडक्ट खरीदने और बेचने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाते हैं।
- यह मार्केट इन्वेस्टर्स को तरलता प्रदान करते हैं जिसकी वजह से इन्वेस्टर्स अपने इंस्ट्रूमेंट खरीद और बेच पाते हैं, जब उन्हें पैसों की जरूरत होती है।
- फाइनेंसियल मार्केट उस पर ट्रेड किये जाने वाले इंस्ट्रूमेंट की कीमत तय करता है। कीमत डिमांड और सप्लाई के हिसाब से तय होती है और यह बार-बार ऊपर नीचे होती रहती है।
- Indian financial market का इंडिया के आर्थिक विकास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान है। यह बिजनेस के लिए पैसे जुटाने में मदद करता है।
- फाइनेंसियल मार्केट और इसकी सेवाएँ कानून सम्मत हैं, यह भारतीय अर्थववस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है।
Commodity Market
कमोडिटी मार्केट में row प्रोडक्ट खरीदे और बेचे जाते हैं। यानी इनकी ट्रेडिंग की जाती है। जैसे क्रूड ऑइल, सोना, चाँदी, ज़िंक, कॉपर, गैस, सरसों,चना, सोयाबीन आदि। ये आमतौर पर कठोर वस्तुएँ हैं, जो प्राकृतिक संसाधन हैं। इसमें डेरिवेटिव मार्केट में सौदे होते हैं।
Forex Market (विदेशी मुद्रा बाजार)
इसे फोरेक्स या FX मार्केट भी कहा जाता है। यह मार्केट अपने देश की करेंसी को दूसरे देशों की करेंसी के साथ लेनदेन करने के लिए बनाया गया है। इसमें विभिन्न देशों की करेंसी की ट्रेडिंग होती है। जैसे यूरो और यूएस डॉलर में ट्रेडिंग आदि।
यह बहुत ही लिक्विड मार्किट है, यहाँ पर currencies को बहुत ही आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। currencies के भाव में उतार-चढ़ाव के कारण ट्रेडर इनकी ट्रेडिंग करके प्रॉफिट कमाते हैं।
Bond Market
इसे ऋण बाजार या क्रेडिट मार्केट भी कहा जाता है। यह भी financial market के अंतर्गत ही आता है। बॉन्ड बाजार में सरकारी और निजी कंपनियों के द्वारा फंड जुटाने के बॉन्ड जारी किये जाते हैं। Stock Market and its Working system -in Hindi
इनकी परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित एक निश्चित रकम मिलती है। इनमें ज्यादा तरलता नहीं होने के कारण, आम लोग ट्रेडिंग नहीं कर पाते। बॉन्ड और बैंक ऋण को क्रेडिट बाजार के रूप में जाना जाता है।
Banking Market
बैंकिंग बाजार में बैंक और नॉन बैंकिंग कम्पनियाँ (NBFC) आती हैं। जो लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, जैसे डिपॉज़िट, बैंक खाते खोलना, लोन देना आदि।
फाइनेंसियल मार्केट के कार्य
Financial market के द्वारा दी जाने वाली सेवाएँ निम्नलिखित हैं।
- यह लोगों के फाइनेंसियल प्रोडक्ट खरीदने और बेचने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाते हैं।
- यह मार्केट इन्वेस्टर्स को तरलता प्रदान करते हैं जिसकी वजह से इन्वेस्टर्स अपने इंस्ट्रूमेंट खरीद और बेच पाते हैं, जब उन्हें पैसों की जरूरत होती है।
- फाइनेंसियल मार्केट उस पर ट्रेड किये जाने वाले इंस्ट्रूमेंट की कीमत तय करता है। कीमत डिमांड और सप्लाई के हिसाब से तय होती है और यह बार-बार ऊपर नीचे होती रहती है।
- Indian financial market का इंडिया के आर्थिक विकास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान है। यह बिजनेस के लिए पैसे जुटाने में मदद करता है।
- फाइनेंसियल मार्केट और इसकी सेवाएँ कानून सम्मत हैं, यह भारतीय अर्थववस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है।
Regulators of Indian Financial market
फाइनेंसियल मार्केट और उसके द्वारा दी जाने वाली सेवायें रेग्युलेटर्स के द्वारा रेग्युलेटेड हैं। इसे रेग्युलेट करने वाले नियामक निम्नलिखित हैं-
SEBI (securities and exchange board of India)
सेबी primary capital market और secondary capital market दोनों का नियामक है। stock market में की जाने वाली इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग दोनों को सेबी के नियम और कानूनों के तहत होतीं हैं।
RBI (Reserve bank of India)
Money market का रेगुलेटर RBI है, यानी की इसके लिए नियम कानून RBI बनाता है। यह बैंकों तथा नॉन बैंकिंग कंपनियों (NBFC) का भी रेगुलेटर है। यह भारत का सेन्ट्रल बैंक है, यही देश की मौद्रिक नीति तय करता है। Indian financial market में काम करने के लिए, बैंकों और NBFCs को आरबीआई के बनाये नियम कानूनों को अनिवार्य रूप से मानना पड़ता है।
IRDA (Insurance regulatory and development authority)
IRDA बीमा कंपनियों का नियामक है, यह इनके लिए रूल्स और रेगुलेशन बनता है। जिनका बीमा कंपनियों तथा उनके मध्यस्थों द्वारा पालन करना अनिवार्य होता है। इस तरह इरडा, जीवन बीमा तथा सामान्य बीमा दोनों का नियामक है। Financial market आज काफी डवलप हो गए हैं तथा इसमें बहुत कंपनियों के आ जाने से ये काफी प्रतिस्पर्धी हो गए है। आजकल ये भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। IPO कैसे काम करता है?
उम्मीद है, आपकों यह भारतीय फाइनेंसियल मार्केट (Indian financial markets) की सम्पूर्ण जानकारी आर्टिकल काफी पसंद आया होगा। अगर आपको यह Indian financial market kya hai के बारे अच्छे से जान गए होंगे।
साथ ही इसके घटक money market और capital market कैसे काम करते है। समझ गए होंगे। यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। यदि आप हमसे कोई सवाल करना चाहते हैं तो आप कमेंट कर सकते हैं। आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं।
SEBI (securities and exchange board of India)
सेबी primary capital market और secondary capital market दोनों का नियामक है। stock market में की जाने वाली इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग दोनों को सेबी के नियम और कानूनों के तहत होतीं हैं।
RBI (Reserve bank of India)
Money market का रेगुलेटर RBI है, यानी की इसके लिए नियम कानून RBI बनाता है। यह बैंकों तथा नॉन बैंकिंग कंपनियों (NBFC) का भी रेगुलेटर है। यह भारत का सेन्ट्रल बैंक है, यही देश की मौद्रिक नीति तय करता है। Indian financial market में काम करने के लिए, बैंकों और NBFCs को आरबीआई के बनाये नियम कानूनों को अनिवार्य रूप से मानना पड़ता है।
IRDA (Insurance regulatory and development authority)
IRDA बीमा कंपनियों का नियामक है, यह इनके लिए रूल्स और रेगुलेशन बनता है। जिनका बीमा कंपनियों तथा उनके मध्यस्थों द्वारा पालन करना अनिवार्य होता है। इस तरह इरडा, जीवन बीमा तथा सामान्य बीमा दोनों का नियामक है। Financial market आज काफी डवलप हो गए हैं तथा इसमें बहुत कंपनियों के आ जाने से ये काफी प्रतिस्पर्धी हो गए है। आजकल ये भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। IPO कैसे काम करता है?
उम्मीद है, आपकों यह भारतीय फाइनेंसियल मार्केट (Indian financial markets) की सम्पूर्ण जानकारी आर्टिकल काफी पसंद आया होगा। अगर आपको यह Indian financial market kya hai के बारे अच्छे से जान गए होंगे।
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