शेयर मार्केट स्कैम 1992 करने वाले Hashad Mehta की कहानी |

जब भी हर्षद मेहता का नाम सुनते हैं, तो दिमाग में एक ही शब्द आता है। वह है scam 1992, हर्षद मेहता एक स्टॉक ब्रोकर और फ्रॉड व्यक्ति था। उस पर भारतीय शेयर मार्केट के अब तक के सबसे बड़े घोटाले स्कैम 1992 को करने का आरोप कोर्ट में सिद्ध हुआ था। मेहता पर लगे 27 आरोपों में से उसे चार में दोषी सिद्ध किया गया था।

2001 में अचानक हार्ट अटैक हर्षद मेहता की मौत हो गयी थी। आइये जानते हैं- शेयर मार्केट स्कैम 1992 करने वाले हर्षद मेहता की कहानी। Harshad Mehta and Share market scam 1992 |

                                                                  
Share market scam 1992 karne wale Big Bull Harshad Mehta


अगर आप शेयर मार्केट से अपार धन कमाना चाहते हैं तो आपको Werren Buffett के गुरु बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर जरूर पढ़नी चाहिए। 

 Harshad Mehta कौन था?

अपने कैरियर की शुरुआत हर्षद मेहता  स्टॉक ब्रोकर के यहाँ  करता। था उसने अपनी B.COM की शिक्षा मुंबई के लाला लाजपतराय कॉलेज से पूरी की थी। उसने कई सालों तक अलग-अलग कंपनियों में जॉब किया। इस दौरान Harshad Mehta को शेयर मार्केट में रुचि हो गई। इसलिए उसने बी.अंबालाल नाम के ब्रोकर के यहां नौकरी कर ली। (IPO) से पैसे कैसे कमायें?

बाद में वह Stock brokar जे.एल शाह तथा नंद लाल का सब ब्रोकर बना। 1984 में हर्षद मेहता ने अपने भाई के साथ मिलकर Grow More Research Asset Management कंपनी खोली। Harshad Mehta ने BSE का ब्रोकर बनकर अपना ब्रोकिंग का बिजनेस स्टार्ट किया।

R F Deal

हर्षद मेहता ने इस स्कैम को करने में R. F यानी Ready Forward  Deal का उपयोग किया। R. F के अन्तर्गत सरकार अपने प्रोजेक्ट के खर्चे चलाने के लिए security जारी करती है। इन्हे गवर्नमेंट सिक्युरिटी कहते हैं, जैसे कि Bonds आदि।

इनके द्वारा सरकार अपने खर्चों के लिए पैसा जुटती है। इन पैसों के बदले में सरकार इन्वेस्टर्स को कुछ ब्याज देती है। उस समय सभी बैंकों को गवर्नमेंट सिक्युरिटी में इन्वेस्ट करना अनिवार्य था। शॉर्ट टर्म के लिए जब भी किसी बैंक को पैसों की जरूरत होती थी।

तब बैंक उन सिक्योरिटीज को दूसरे बैंकों को गिरवी रख कर दिया करते थे और तय समय पर ब्याज सहित रकम बैंक को वापस कर देते थे। सिक्योरिटीज को गिरवी रखने वाले बैंक भी अपने तय समय पर ब्याज और मूल रकम वापस लेकर सिक्योरिटीज को वापस कर दिया करते थे। IPO क्या है

इसे आप आसान शब्दों में इस तरह समझ सकते हैं। जैसे कि कुछ लोग जरूरत होने पर बैंक में सोने को गिरवी रख कर, ब्याज पर ऋण ले लेते हैं। कुछ समय बाद ब्याज सहित रकम चुका कर अपना सोना वापस ले लेते हैं। इसी तरह रेडी फॉरवर्ड डील में बैंक एक दूसरे बैंक को सिक्योरिटीज के बदले में लोन देती थीं।

रेडी फॉरवर्ड डील में ब्रोकर मिडियेटर का काम किया करते थे। यानी कि जिन बैंकों को गवर्नमेंट सिक्युरिटी बेचनी हैं, उनके लिए खरीदार ढूंढना। जिन्हें डिक्योरिटीज खरीदनी हैं, उनके लिए सेलर ढूढना। Big Bull Harshad Mehata भी एक स्टॉक ब्रोकर था।

वह भी बैंकों के बीच मिडियेटर का काम करता था। R. F deal में कुछ लूप होल्स थे, जिनकी वजह से धोखाधड़ी करके पैसा बनाया जा सकता था। उनके बारे में हर्षद मेहता को जानकारी थी। उन्ही लूप होल्स का फायदा उठाकर उसने Stock market scam 1992 को अंजाम दिया।

स्कैम 1992 को आप इस तरह समझ सकते हैं, मान लो A, B, C, D नामक चार बैंक हैं। जिनके लिए हर्षद मेहता ब्रोकर का काम करता था। अब जैसे बैंक A को सिक्योरिटीज गिरवी रखकर, किसी दूसरे बैंक से लोन लेना है। शेयर मार्केट निवेश के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

तब Harshad Mehata, बैंक से गिरवी रखने के लिए सिक्योरिटीज ले लेता था और खरीदार ढूंढने के लिए वक्त भी मांग लेता था। इसी तरह जैसे बैंक B को सिक्योरिटीज खरीदनी हैं, तो बैंक B से पैसे ले लेता था। इस तरह हर्षद मेहता बैंक A से ली हुई डिक्योरिटीज़ तथा बैंक B से लिए हुए पैसे दोनों ही कुछ दिनों के लिए अपने पास रख लेता था।

RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की गाइडलाइंस के अनुसार कोई भी बैंक ब्रोकर के नाम चैक जारी नहीं कर सकता। गवर्नमेंट securities खरीदने वाले बैंक को चैक सिक्योरिटीज बेचने वाले बैंक को जारी करना होता है, ना कि ब्रोकर के नाम। इस केस में चैक, सिक्योरिटी बेचने वाले बैंक को जारी करने के बजाय सीधा हर्षद मेहता के नाम जारी किया जाता था।

बहुत से बैकों को यह पता ही नही होता था कि वो किस बैंक के साथ ट्रांजेक्शन कर रहे हैं क्योंकि बैंक सीधे Harshad Mehata के साथ डील करते थे। इसलिए हर्षद मेहता गवर्नमेंट सिक्युरिटी खरीदने वाले बैंक को अपने नाम चैक जारी करने के लिए कहता था। इस तरह वह कई सालों तक बैंकों से के साथ मिडियेटर का काम करता रहा। फांग शेयर

Harshad Mehata ने Stock market scam कैसे किया?

उन दिनों हर्षद का बाजार में काफी नाम था। उसने इसी भरोसे का गलत फायदा उठाया। उसने बैंकों से मिले हुए पैसे को Share market में शेयरों की प्राइस को मेनुपुलेट करने के लिए लगाया। 

कुछ दिन इंतजार करने के बाद बैंक जब  Harshad Mehata से अपनी सिक्योरिटीज का पैसा मांगता था। तब हर्षद कोई और बैंक ढूढ़ लेता था, जिसे गवर्नमेंट सिक्योरिटीज खरीदनी होती थी / मान लीजिए कि बैंक C को भी securities खरीदनी हैं। तब हर्षद बैंक C के पास जाकर उससे पैसे ले लेता था, और बैंक C से भी सिक्योरिटीज लाकर देने के लिए समय मांग लेता था।

फिर इन पैसों को वह बैंक A को लाकर दे देता था। इस तरह Hsrshad Mehata बैंक B और बैंक C से की हुई डील पूरी करने के लिए हर्षद और बैंकों से भी ऐसे ही डील कर लेता था। जब ये बैंक भी पैसा और सिक्योरिटीज मांगती थी, तब वह और बैंको के साथ डील करके सेटलमेंट कर देता था।  शेयर बाजार से पैसे कमाने के दस सबसे अच्छे तरीके क्या हैं?

हर्षद ने R.F deal का उपयोग एक चैन की तरह किया और इस तरह Hsrshad Mehata ने बहुत सारे बैंकों के साथ डील करके, अपने पास बहुत सारा पैसा एकत्र कर लेता था। इस पैसे का उपयोग उसने Share market में शेयरों की कीमतों को जानबूझकर बढ़ाने  (manipulate) के लिए करता था।

 इस तरह Share market scam 1992 karne wale Big Bull Harshad Mehta ने इस स्कैम को अंजाम दिया। आपने देखा कि कैसे Ready Forward Deal के द्वारा एक बैंक से दूसरे बैंक को शॉर्ट टर्म लोन दिया जाता था। शेयर मार्केट स्कैम 1992 करने वाले बिगबुल हर्षद मेहता की कहानी बड़ी ही रोमांचक है। 

लेकिन जब कोई बैंक किसी दूसरे बैंक को गवर्नमेंट सिक्योरिटी पर लोन देता था। तब वह बैंक वास्तव में खरीददार बैंक को सिक्योरिटीज नहीं देता था। बल्कि उसके बदले में बैंक रिसिप्ट देती था। जिसे B. R  कहा जाता था। उस बैंक को रिसीप्ट से यह कंफर्म होता था कि बैंक सिक्योरिटी सेल हो गईं है। बैंक सिक्योरिटीज पर लोन देने वाले बैंक को उसके पैसे मिल गए हैं। मनीकंट्रोल 

अब  Harshad Mehta को शेयरों की प्राइस और ज्यादा बढ़ाने के लिए और अधिक पैसों की जरूरत पड़ने लगी। तब उसने अपना यह स्कैम एक स्टेप और आगे बढ़ा दिया। इस प्रकार उसने धोखाधड़ी की सारी हद है पार कर दी । हर्षद ने कुछ बैंकों के साथ मिलीभगत करके नकली बैंक रिसिप्ट बनवा लेता था। 

नकली रिसिप्टओं को इस्तेमाल करके वह अपने नाम और ज्यादा चेक जारी करवाने लगा था। जिन बैंकों को सिक्योरिटीज खरीदनी होती थी। उन बैंकों को हर्षद मेहता नकली बैंक रिसिप्ट देता था। बैंक उस पर भरोसे के कारण रिसिप्ट को असली मान लेते थे कि उन्हें सिक्योरिटी मिल गई है। इसके बाद बैंक उसके नाम चेक जारी कर देते थे।

हर्षद मेहता इन पैसों का उपयोग Share market को manipulate   करने के लिए करता था। वह उन पैसों की मदद से कुछ शेयरों का प्राइस बहुत ज्यादा ऊंचा पहुंचा दिया था। जैसे कि एसीसी सीमेंट के शेयर का प्राइस उसने कुछ ही दिनों में 200 रूपये से लेकर 9000 रूपये पर पहुंचा दिया था।

इससे आप समझ गए होंगे की उसने जिन शेयरों के प्राइस को मेनूप्लेट किया उनके भाव कहां से कहां पहुंच गए। इससे स्टॉक मार्केट में तेजी आ गई। जिसे देखकर और भी लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने लगे जिससे शेयर मार्केट में बुलरन शुरू हो गया। शेयर बाजार से पैसे कैसे कमायें ?

शेयरों का प्राइस जब पीक पर आ जाता था यानी अच्छा खासा बढ़ जाता था। तब Harshad Mehta अपने शेयर बेच दिया करता था और बैकौ का पैसा वापस कर दिया करता था। साथ ही अपनी नकली रिसिप्ट वापस ले लिया करता था। ये सिलसिला लगातार चल रहा था और यह सिलसिला तब तक चला, जब तक शेयरों की कीमत बढ़ रही थी।

इस तरह उसने शेयर मार्केट में बहुत ज्यादा पैसा कमा रहा था। परंतु जब शेयर मार्केट में बीयर रन (गिरावट का दौर) आया तो उसके शेरों के प्राइस गिरने लगे। उसके बाद हर्षद मेहता को काफी नुकसान हुआ और वह बैंकों से लिया हुआ पैसा वापस नहीं लौटा सका। कुछ इस तरह हर्षद ने Share market scam 1992 को अंजाम दिया था। 

23 अप्रैल 1992 को खोजी पत्रकार Sucheta Dalal ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में इसके ऊपर एक आर्टिकल लिखकर Harshad Mehta का पर्दाफाश कर दिया था। जिससे शेयर बाजार धड़ाम से गिर गया शेयरों के प्राइस बहुत ज्यादा टूट गए। अब बैंकों को पता चल चुका था की हर्षद की दी हुई बैंक रिसिप्ट नकली है। जिनकी कोई कीमत नहीं है, इन रिसीप्ट के बदले में हर्षद मेहता को बैंकों ने करोड़ों रुपए दिए थे।

ऐसा कहा जाता है कि इस घोटाले से बैंकों को 4000 करोड़ के से भी ज्यादा का नुकसान हुआ था। 4000 करोड़ रुपए आज भी बहुत बड़ी रकम होती है। आज से करीब 30 साल पहले आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितनी बड़ी रकम थी। इस स्कैम  की वजह से शेयर मार्केट में निवेशकों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था। Stock Market Working system 

जिन बैंकों ने हर्षद मेहता के माध्यम से अपनी गवर्नमेंट सिक्योरिटी गिरवी रखी थी। उन्हें भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। इन बैंकों में विजया बैंक भी शामिल था, जैसे ही यह खबर फैली कि हर्षद मेहता की दी हुई रिसिप्ट नकली है। विजया बैंक के चेयरमैन ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उन्होंने भी हर्षद मेहता के नाम पर चेक जारी किए थे।

इसके बाद बैंक हर्षद मेहता से अपना पैसा वापस मांगने लगे, किंतु शेयर मार्केट के गिरने के कारण हर्षद मेहता को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ  था। जिसकी वजह से वह बैंकों का पैसा वापस नहीं लौटा पाया था। सीबीआई ने 9 नवंबर 1992 को हर्षद मेहता को गिरफ्तार कर लिया।

हर्षद मेहता पर 600 सिविल एक्शन सूट तथा 76 के क्रिमिनल केसों के चार्ज लगे। इसके बाद सीबीआई ने हर्षद मेहता को शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से हमेशा के लिए बैन कर दिया था। हर्षद मेहता को ठाणे जेल में रखा गया था, 31 दिसंबर 20001 को जेल में हर्षद मेहता की तबीयत खराब हो गई तथा इसी दिन रात में उसका देहांत भी हो गया था। How to Buy and Sell Stocks Online

उस वक्त भी Big Bull Harshad Mehta के खिलाफ 27 केस पेंडिंग थे। उस समय हर्षद को शेयर मार्केट का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था। उसकी लाइफ स्टाइल फिल्म स्टार से कम नहीं थी। हर्षद के पास मुंबई में एक सी फेसिंग बंगला भी था। जिसमें एक स्विमिंग पूल तथा एक मिनी गोल गोल्फ कोर्स भी था। उसे बड़ी-बड़ी गाड़ियां रखने का भी शौक था

हर्षद मेहता उस समय इंडिया का सबसे बड़ा इनकम टैक्स पेयर भी था। ऐसा कहा जाता है कि 1991 के बुल रन की शुरुआत हर्षद मेहता ने ही की थी। वह जिस stock पर हाथ रख देता था, वह stock नई ऊचाइयाँ छूने लगता तथा था, इसलिए उसे बिग बुल भी कहा जाता था। केतन पारेख भी हर्षद मेहता की ही फर्म का ट्रेनी था, उसने भी आगे चलकर शेयर मार्केट स्कैम किया। आपने जाना किHarshad Mehata ne Stock market scam 1992 kaise kiya? 

Harshad Mehata क्या निर्दोष था? 

पिछले साल हर्षद मेहता पर एक
web series Scam 1992 आयी थी। जिसमें उसे हीरो दिखाया गया है। हर्षद को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बड़ा शौक था। उसको मुंबई के लाला लाजपत राय कॉलेज में एडमिशन लेना था। 

कॉलेज में उसके एकेडेमिक के साथ ही क्रिकेट की वजह से भी उसे एडमिशन मिला था। हर्षद हमेशा से ही जीतना चाहता था, हार उसके लिए कोई ऑप्शन ही नहीं था। जब वह कॉलेज में क्रिकेट खेलता था, तब भी उसने अपनी विनिंग मेंटालिटी को बरकरार रखा था।

हर्षद की पारिवारिक आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसीलिए उसे पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी करना पड़ता था। इस तरह उसने अपनी एजुकेशन के साथ-साथ कई तरह के जॉब भी किए। एजुकेशन के बाद भी उसने कई तरह के जॉब किए। Warren Buffet biography in Hindi

हर्षद ने ज्यादातर काम सेल्स से रिलेटेड किए उनमें से एक काम था इंश्योरेंस को बेचना यहीं से उसमें अच्छी कम्युनिकेशन स्किल डेवलप हो गई तथा उसने बेचना सीखा। जब
Harshad Mehta ने शेयर मार्केट मैं और मनी मार्केट में काम किया, तब उसके यही सेल्स स्किल तथा विनिंग मेंटालिटी काम आई।

हर्षद ने इसी स्किल की वजह से स्टॉक ब्रोकर के यहां जॉब ले लिया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस लेकर मनी मार्केट में बड़ी-बड़ी डील्स करने लगा। तब उसने देखा की लोग शेयर मार्केट मैं निवेश भी कर रहे हैं, और पैसा भी कमा रहे हैं।  इसे देखकर उसको लगा कि यहां से मैं भी बहुत सारा पैसा कमा सकता हूँ।

दरअसल शेयर मार्केट में
 Big Bull Harshad Mehta बाहरी व्यक्ति था। जबकि कई लोग अपना फैमिली बिजनेस चला रहे हैं थे। कई लोग यह काम बहुत सालों से कर रहे थे। वह नया था, फिर भी उसने कुछ सालों में बहुत ज्यादा ग्रोथ कर ली थी।

स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस लेना कोई आसान काम नहीं है। आज भी नहीं है, उसने जैसे-तैसे पैसों की व्यवस्था करके स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस ले लिया था। हर्षद ने देखा कि स्टॉक मार्केट को लोग मेनूप्लेट करके पैसा कमा रहे हैं। उस समय शेयर मार्केट में दो कार्टल  बने हुए थे। पहला बुल कार्टल  तथा दूसरा बियर कार्टल। 

दोनों ही कार्टल  शेयर मार्केट को मैनिपुलेट करके पैसा कमा रहे थे। बुल कार्टल स्टॉक की प्राइस को बढ़ाकर पैसे कमा रहा था। बियर कार्टल Stocks की प्राइस को गिरा कर पैसे कमा रहा था। इसमें हर्षद को भी पैसा कमाने की संभावना दिखी। वह भी शेयरों की प्राइस manipulate  करके पैसा कमाने लगा। Rakesh Jhunjhunwala' biogaraphy in Hindi

Harshad Mehta
 ने पहले कुछ शेयर ढूंढे, जिन्हें वह मैनीपुलेट करने लगा। इसके लिए उसने अपनी कन्वेंशन पावर और सेल्स स्किल का इस्तेमाल करकेअपने क्लाइंटो को मना लिया। मैं आपको बहुत ज्यादा पैसे कमा कर दूंगा, आने वाले कुछ महीनों के अंदर और कुछ सालों के लिए मैं जिन शेयरों के बारे में मैं बोलूं उनमें पैसा लगाइए।

हर्षद कॉल करके लोगों को बताता था कि किस स्टॉक में पैसा डालना है।  लोग भी उसकी बातों को मान लेते थे क्योंकि वह जो बोलता था, वैसा ही होता था। हालांकि लोगों को यह नहीं पता था कि हर्षद शेयरों के प्राइस को मैनिपुलेट कर रहा है।

परंतु लोग देख रहे थे, कि वह जैसे बोल रहा है वैसा ही हो रहा है। इसलिए लोग उसका अंधानुकरण करने लगे।हर्षद इसी तरह शेयर बाजार में स्टॉक्स की कीमतें बढ़ाता चला गया। इस तरह हर्षद ने और उसके क्लाइंटो ने बाजार से खूब पैसा कमाया था।

जब तक हर्षद के काम का स्तर छोटा था, तब तक तो ठीक था। लेकिन जब उसके काम का स्तर बढ़ता चला गया तो उसे ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ने लगी।  हर्षद के काम का स्तर इसलिए बढ़ता चला गया क्योंकि उसकी विनिंग मेंटालिटी थी।

वह हमेशा जीतना ही चाहता था, अब उसे B.R यानी बैंक रिसिप्ट का ऑप्शन मिल गया। अब उसका काम अच्छी तरह चलने लगा। लेकिन यहां पर दिक्कत आई क्योंकि हर्षद जिस तेजी से आगे बढ़ रहा था। उससे बेयर कार्टल  बहुत परेशान था क्योंकि उन्हें इससे बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था। Stock Analysis kya hai

इस वजह से बीयर कार्टल हर्षद के खिलाफ काम करने लगा ,जैसे कि उसकी डील्स ब्रेक करना। हर्षद को एक्सपोज करना आदि। उस समय शेयर मार्केट में कई चीजें गैर कानूनी तथा रूल्स के खिलाफ हो रहीं थी। फिर भी नॉर्मल तरीके से काम चल रहा था।

जब हर्षद की ग्रोथ बहुत ज्यादा होने लगी। तब उसके विरोधियों को लगने लगा कि इसकी वजह से उनका स्टॉक ब्रोकिंग और मनी मार्केट का बिजनेस खतरे में आ जाएगा।  इसके साथ ही बीयर कार्टल के लोग भी डरे हुए थे। वो सोच रहे थे कि इसकी वजह से हमारा पैसा कभी नहीं बनेगा तथा इस वक्त हमारे पास जो पैसे हैं, वह भी इसकी वजह से डूब जाएंगे।

Harshad Mehta सही था?

Harshad Mehta ने उस समय पूरे Share market पर कब्जा कर रखा था। जिस तरह की गैर कानूनी चीजें वे लोग कर रहे थे। वहीं गैर कानूनी चीजें हर्षद मेहता भी करने लगा था। उस समय  बेयर कार्टल के लोग, स्टॉक ब्रोकर तथा फंड मैनेजर भी उसी तरह की गैर कानूनी गतिविधियॉ कर रहे थे।

Sucheta Dalal ने scam  1992 नाम की बुक में उन सभी लोगों के नाम दिए गए हैं। जो उस समय गैरकानूनी चीजें कर रहे थे। वह लोग आज भी बड़े-बड़े स्टॉक ब्रोकर हैं या फंड मैनेजर है। कहने का मतलब यह है, कि उस समय
Harshad Mehta की ही तरह, बाकी के लोग सभी गैर कानूनी काम कर रहे थे। 

सभी बड़े प्लेयर शेयर मार्केट को मैनिपुलट कर रहे थे
। सभी बैंक एक ही प्रक्रिया को अपना का एक दूसरे को उधार दे रहे थे। चेक भी सीधा ब्रोकर के नाम ही जारी कर रहे थे, जो कि आरबीआई के रूल्स के अनुसार नहीं था। गैर कानून चीजें तो सभी लोग कर रहे थे लेकिन  फंस गया हर्षद मेहता। बाकी लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई। हर्षद मेहता

हर्षद मेहता के फंसने के कई कारण थे जैसे कि वह बहुत बड़े स्तर पर मार्केट को मेनूप्लेट कर रहा था। जिससे और लोगों को परेशानी हो रही थी। इन सभी लोगों ने मिलकर उसको को एक्सपोज करने के बारे में सोचा। इस तरह
हर्षद मेहता तो एक्सपोज हो गया और बाकी लोग बच गए।

अगर उसने भी बाकी लोगों की तरह यह काम छोटे स्तर पर करता तो शायद scam 1992 कभी एक्सपोज नहीं होता। उसका एक तकिया कलाम
"इश्क है तो रिस्क है" भी था, जो कि अब वेब सीरीज के बाद काफी प्रसिद्ध हो गया है। हर्षद मेहता यह चाहता था कि बुलरन हमेशा बरकरार रहे, लेकिन यह अर्थशास्त्र के नियमों के विरुद्ध है।

बुल और बीयर शेयर मार्केट की दो बाजूऔ की तरह हैं। आप इन में से किसी एक को भी हटा नहीं सकते ना ही किसी एक को रख सकते हैं। क्योंकि ये दोनों एक दूसरे  पूरक हैं, हमेशा बुलरन चालू नहीं रह सकता। हालांकि हर्षद मेहता ने बुलरन जारी रखने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी थी।

उसने इसके लिए कई  थ्योरी भी बनाई थीं। जैसे कि रिप्लेसमेंट थ्योरी आदि। जब
हर्षद मेहता के विरोधी ब्रोकर, उसे एक्सपोज करने की कोशिश कर रहे थे। तब भी वह एक ही जिद पर बैठा था, कि मुझे बुलरन लगातार जारी रखना है।

बुलरन जारी रखने के लिए
Share market में पैसा लगातार डालना पड़ेगा। ताकि कंपनी के शेयरों की प्राइस लगातार बढ़ती चली जाएं। लगातार बुलरन को जारी रखना व्यवहारिक रूप से सही नहीं था, फिर भी हर्षद ने अपनी सेल्स स्किल की वजह से बैंकों का पैसा शेयर मार्केट में डालकर इसे जारी रखने की कोशिश की। Opening and closing time of stock market in India

हर्षद के बहुत बड़े स्तर पर स्टॉक मार्केट को मैनिपुलेट करने के कारण उसके विरोधियों के लिए उसे एक्सपोज़ करना आसान हो गया। इन्हीं कुछ बातों की वजह से उसके विरोधी उसे एक्सपोज कर पाए और इस स्कैम में अकेला हर्षद ही फंसा। 
 
Big Bull Harshad Mehta ne share market scam 1992 kaise kiya 
 
स्कैम एक्सपोज हो जाने के बाद, बाकी लोगों के नाम नहीं आए। परंतु हर्षद मेहता का नाम सबसे ऊपर था। उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही हुई, शुरुआत में
हर्षद मेहता को कुछ ही सालों की जेल हुई। उसके बाद वह जेल से बाहर भी आया था, परंतु जब उसको दोबारा जेल हुई तब उसकी जेल में ही मौत हो गई।

हर्षद की जेल में हुई मौत के ऊपर कई अफवाहें भी फैली कि उसे जेल में जहर देकर मार दिया गया। उस जमाने में कई लोगों को जेल में मार भी दिया जाता था। अगर वह किन्ही  बड़े राजनीतिक लोगों के खिलाफ बोलते थे हर्षद ने भी यही गलती की थी। उसने भी एक बड़े नेता पर उससे रुपए लेने का आरोप लगाया था।

इसीलिए ऐसी आशंका व्यक्त की जाती है, कि उसे शायद जेल में मार दिया गया। लेकिन इसके बारे में कोई सुबूत नहीं मिले हैं। इस केस में यह भी पाया गया कि शायद, इसमें स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी भी शामिल थे। Money mantra for stock market

इस स्कीम के बाद यह महसूस किया गया कि एक और स्टॉक एक्सचेंज भी होना चाहिए। उसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की स्थापना की गई। यह था
Share market  scam 1992 इसमें
बहुत सारे बड़े प्लेयर शामिल थे लेकिन केवल Harshad Mehta को फसाया गया। इसीलिए शायद लोग उसके प्रति सहानुभूति रखते हैं, कुछ भी हो इस स्कैम में नुकसान तो जनता का ही हुआ। 

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