शेयर बाजार से पैसे कैसे कमायें? How to make money Share market?

शेयर मार्केट या Stock Market एक ऐसा मार्केट है, जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे तथा बेचे जाते हैं। हमारे देश में बहुत ही कम लोग शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके बारे में काफी मिथक प्रचलित हैं। जैसे  इसे ज्यादातर लोग जुआ समझते हैं। 

आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट क्या है और इससे पैसे कैसे कमाएँ? आप Stock market में कैसे invest कर सकते हैं। Share market kya hai aur share market se paise kaise kamaye in Hindi.                                                                                                                                                   
stock market kya hai in hindi


अगर आप भी शेयर मार्केट से अथाह कमाना चाहते हैं तो आपको वॉरेन बफे के मेनेजमेंट सूत्र बफे के मेनेजमेंट सूत्र बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Share bazar क्या होता है?

शेयर मार्केट, इक्विटी मार्केट तथा स्टॉक मार्केट इन तीनों का मतलब एक ही है। शेयर बाजार वह बाजार है, जहाँ आप कंपनियों के शेयर खरीद-बेच सकते हैं। शेयर खरीदने का मतलब है कि आप कंपनी में कुछ हिस्सेदारी खरीद रहे हैं। यानि कि आप कंपनी कुछ प्रतिशत हिस्से के मालिक बन रहें हैं। 

जिस कंपनी में आपने invest किया है, यदि वह कंपनी मुनाफा कमाती है। तो  उसका कुछ प्रतिशत मुनाफा आपको भी मिलेगा। यदि कंपनी को नुकसान होता है तो कुछ प्रतिशत नुकसान आपको भी सहना पड़ेगा। 

Share kya hain? छोटे स्केल पर इसे ऐसे भी समझ सकते हैं। मान लो आप कोई स्टार्टअप शुरू कर  रहें हैं और आपके पास एक लाख रूपये हैं। लेकिन एक लाख रूपये आपके स्टार्टअप के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शेयर मार्केट


अब आप अपने किसी जानकार को भी उसमें शामिल कर लेते हैं। और उससे कहते हैं कि तुम भी एक लाख रूपये इसमें लगाओ, दोनों पचास-पचास प्रतिशत पार्टनरशिप करते हैं। 

 इसका मतलब भविष्य में कंपनी जितना प्रॉफिट कमाएगी। उसका पचास प्रतिशत आपको तथा पचास प्रतिशत आपके दोस्त को मिलेगा। इसका मतलब आपने अपनी कंपनी के पचास प्रतिशत शेयर अपने दोस्त को दे दिए।

यही चीज बड़े पैमाने पर Share bazar में होती है। बस इसमें इतना अंतर है, कि आप अपने जानकार के पास न जाकर पूरी दुनिया के पास जाते हैं। और कहते हैं कि मेरी कंपनी के शेयर खरीदो। लॉन्ग & शार्ट पोजीशन

Share bazar का इतिहास और उद्देश्य 

Stock market की शुरूआत आज से करीब चार सौ साल पहले हुई थी। सोलह सौ वी शताब्दी में एक डच ईस्ट इंडिया नाम की कंपनी थी (ईस्ट इंडिया कंपनी की ही तरह) जिसका हेडक्वार्टर नीदरलैंड के एम्स्टर्डम में था। यह एक बहुत बड़ी कंपनी थी।

उस समय लोग समुंद्री जहाजों के द्वारा ही ज्यादातर यात्राएँ किया करते थे। यह कंपनी समुद्री यात्रा के लिए शिप भेजती थी। डच ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य कार्य trade, exploration, तथा colonization था। इसलिए इस कंपनी के शिप दूर-दूर दूसरे देशों में हजारों किलोमीटर का सफर करके  जाते थे।  

शिप बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत होती है। उस समय किसी एक व्यक्ति के पास इतना पैसा नहीं था। डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने खुलेआम सब लोगों को ऑफर दिया कि हमारी कंपनी में पैसा लगाओ, यानि हमारे जहाजों में पैसा लगाओ। 

जब ये जहाज लम्बा सफर करके दूसरे देशों में जायगे तथा वहाँ से जो भी पैसे या खजाना कमाकर लाएगें। उसका कुछ हिस्सा आपको भी दिया जायेगा। उस समय यह काम बहुत ही जोखिम भरा होता था। तब ज्यादातर जहाज लौटकर वापस ही नहीं आ पाते थे। कुछ जहाज तो समुद्र में डूब जाते थे तथा कुछ को समुद्री डाकुओं के द्वारा लूट लिया जाता था। बुल कॉल स्प्रेड 

Investor ने जब यह देखा तो उन्होंने सोचा कि एक जहाज में पैसा लगाने के बजाय पांच या छः जहाजों में पैसा लगाया जाय। क्योंकि इनमें से एक या दो तो वापस आ ही जायगें।


क्योंकि एक जहाज में बहुत सारे लोग पैसा लगते थे, तो कहीं ना कहीं एक प्रकार का Share bazar ओपन हो गया। वहाँ के बंदरगाहों पर जहाजों की खुलेआम बोलियाँ लगती थी। इसे आप पहला Share market कह सकते हैं।  

देखते ही देखते यह व्यवस्था बहुत ही सफल हो गयी क्योंकि कंपनियों के पैसे की जरूरत आम लोग पूरी कर देते थे। और इस तरह आम लोगों को भी पैसे कमाने का अवसर मिलने  लगा। 

आज के समय में प्रत्येक देश का अपना एक शेयर बाजार है। और प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक शेयर बाजार पर निर्भर भी है। शेयर मार्केट दो तरह के मार्केट होते हैं-
  1. Primary market  
  2. Secondary market 

Primary market

प्राइमरी मार्केट वह स्थान है जहाँ पर कंपनी पहली बार अपने अपने शेयर Share bazar में बेचती है। ये कंपनी के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने शेयर का क्या प्राइस रखती हैं। हालांकि इसमें कुछ रेग्युलेशन भी होते हैं। सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग

कंपनी अपने प्राइस को ज्यादा ऊपर नीचे नहीं सकती क्योंकि यह डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। जिस stock की ज्यादा डिमांड होती है उसका प्राइस ज्यादा होता है तथा जिसकी डिमांड कम होती है उस stock का प्राइस कम होता है।

आजकल कंपनिया IPO में शेयर का प्राइस तय करने के लिए उसकी एक रेंज तय कर देती हैं। एक कम प्राइस होता है एक ज्यादा प्राइस होता है। उस रेंज के अंदर अपने शेयर बेचती हैं। 

कंपनी के प्रत्येक शेयर की वैल्यू बराबर होती है। ये कंपनी के ऊपर निर्भर करता है कि वह कितने शेयर बनाकर जारी करती है। मान लीजिये किसी कंपनी की वैल्यू दो लाख रूपये है तो वह एक रुपया प्रति शेयर के हिसाब से दो लाख stocks भी बना सकती है या दस रूपये प्रति शेयर के हिसाब से बीस हजार शेयर भी जारी कर सकती है। 

कंपनी जब  Stock market में शेयर बेचती है तो वह अपनी कंपनी के सभी शेयर नहीं बेचती, वह अपने पास ज्यादा Stocks रखती है। Company के प्रमोटर हमेशा अपने पास ज्यादा हिस्सेदारी रखते हैं ताकि उनके पास निर्णय लेने की क्षमता रहे। 

कंपनी के बारे में निर्णय वही ले सकता है जिसके पास सबसे ज्यादा हिस्सेदारी होती है। जैसे कि रिलांयस इंडस्ट्री में प्रमोटर की हिस्सेदारी 50% से अधिक है इसलिए वह अपनी कंपनी के महत्वपूर्ण खुद ले सकते है।   


Secondary Market

जब लोग कंपनी के शेयर खरीदकर दूसरों को बेच देते हैं, उसे सेकेंडरी मार्केट कहते हैं। Secondary market में लोग कंपनियों के शेयर खरीदते बेचते रहते हैं। यानि share trading करते हैं, यहाँ शेयर का प्राइस ऊपर-नीचे होता रहता है। 

इस पर कंपनी के प्रमोटर का कोई नियंत्रण नहीं रहता। सेकेंडरी मार्केट में stocks का प्राइस उसकी डिमांड सप्लाई के हिसाब से तय आता है। शेयर के प्राइस को के फेक्टर्स प्रभावित करते हैं। अगर कोई कंपनी अच्छी ग्रोथ कर रही है तो उसका प्राइस भी बढ़ता रहता है। इसके विपरीत कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती तो उसका शेयर प्राइस भी कम रहता है। 


Stock Exchange 

सभी देशों के अपने-अपने स्टॉक एक्सचेंज होते हैं। इंडिया के भी दो महत्वपूर्ण स्टॉक एक्सचेंज हैं-
  1. NSE (National Stock Exchange of India) BSE (Bombay Stock Eschange of India)  हैं।
  2. BSE में 5400 के करीब कंपनियां रजिस्टर्ड हैं और NSE में 1700 के करीब कंपनियां रजिस्टर्ड हैं।
स्टॉक एक्सचेंज में बहुत सारी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। यह देखने के लिए कि ओवरऑल स्टॉक एक्सचेंज में कंपनियों के प्राइस  ऊपर जा रहे हैं या नीचे आ रहे हैं। इसी को मापने के लिए पैमाना बनाया गया SENSEX और NIFTY इंडेक्स। मनीकंट्रोल से जानें शेयर मार्केट के रहस्य?

SENSEX
सेंसेक्स BSE की टॉप 30 कंपनियों का एक एवरेज प्राइस दर्शाता है तथा इसके प्राइस के आधार पर पता लगाया जाता है कि आज Share bazar चढ़ा या गिरा। इसकी फुलफोर्म  Stock Exchange Sensitive Index भी यही दर्शाता है। 

आज सेंसेक्स की वैल्यू 2090180.12 के करीब है। इसकी वैल्यू को समझने के लिए आप इसकी पिछली वैल्यू से तुलना करके देखिये। तब आपको इसकी वैल्यू समझ आएगी। क्योंकि इससे पता चल जायेगा कि पिछले पचास सालों में Sensex में शामिल कंपनियों के प्राइस कितने ऊपर गये हैं। 

NIFTY, 
सेंसेक्स की ही तरह NSE का निफ़्टी 50 इंडेक्स है। यह निफ़्टी 50 की टॉप पचास कंपनियों के Stocks का एवरेज प्राइस दर्शाता हैं। NSE की टॉप पचास कंपनियों के प्राइस में क्या उता र-चढ़ाव हो  रहा है। यह NSE Index दर्शाता है। इसके प्राइस के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि आज Share bazar गिरा अथवा ऊपर गया। 

कंपनियों की Public Listing

यदि कोई कंपनी अपने शेयर Stock Exchange पर बेचती हैं, तो उसे कंपनी की पब्लिक लिस्टिंग करना कहते हैं। यदि कंपनी पहली बार लिस्टिंग करा रही है तो उसे IPO (Initial Public Offer) लाना कहते हैं। 

IPO का प्रोसीजर बहुत लम्बा और कठिन है (जिससे की कोई scam न कर सके) भारतीय share bazar में पहले कई scam हो चुके हैं। जैसे हर्षद मेहता तथा सत्यम कम्प्यूटर्स स्कैम आदि। इन्हीं को रोकने के लिए Sebi द्वारा नये कड़े रूल्स बनाये गए हैं। 
  

SEBI Share bazar के लिए रूल्स बनाने का काम सेबी करता है। इसका पूरा नाम Securities and Exchange Board of India है। यह एक रेग्युलेटरी बॉडी है। जो Stock market में लिस्ट होने के लिए कंपनियों को मंजूरी देती है तथा यह भी देखती है कि कंपनियां रूल्स फॉलो कर रही है या नहीं। 

शेयर बाजार में कम्पनी को लिस्ट करने के लिए SEBI के मानदंडों को मानना पड़ता है। सेबी के मानदंड निम्नलिखित हैं-
  1. कंपनी के अकाउंट को कम से कम दो ऑडिटर के द्वारा चेक किया हुआ होना चाहिए, इस काम में कम से कम तीन वर्ष का समय लगता है। 
  2. कंपनी  के कम से कम पचास शेयरहोल्डर पहले से होने चाहिए। सेबी अधिनियम 1992 
  3. जब कंपनी शेयर बाजार में अपने शेयर बेचने जाती है। यदि वहाँ उसके  खरीददार नहीं मिले तो सेबी उस कंपनी को हटा भी सकती है। 

शेयर कैसे खरीदे? (How to buy stocks)

आम लोग भी कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं। इन्हें रिटेल इन्वेस्टर कहा जाता है। पहले BSE की बिल्डिंग में शेयर खरीदने और बेचने का काम होता था। लोगों को वहीं शेयर खरीदने-बेचने के लिए जाना पड़ता था। 

आजकल ऐसा नहीं है क्योंकि कि अब इंटरनेट और मोबाइल के युग में लोग घर बैठे
Stocks खरीद और बेच सकते हैं।   शेयर खरीदने और बेचने के लिए तीन तरह के अकाउंट की जरूरत होती है- 
  1. Bank account 
  2. Demat account 
  3. Trading account.
  4. Bank account की जरूरत पैसों के लेनदेन के लिए होती है। 
  5. Demat account की जरूरत शेयरों को डिजिटल फॉर्म में होल्ड (स्टोर) के लिए किया जाता है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को डिजिटल फॉर्म में रखा जाता है। 
  6. Trading account द्वारा शेयरों को ख़रीदा और बेचा जाता है। शेयर कैसे खरीदे और बेचें
  7. आजकल ज्यादातर बैंक थ्री इन वन अकाउंट ऑफर करते हैं। हम और आप जैसे छोटे इन्वेस्टर  और ट्रेडर्स को रिटेल इन्वेस्टर और ट्रेडर्स कहा जाता है। 

Stock Broker  

लोगों को Share bazar में शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक Stock broker की जरूरत पड़ती है। बहुत से बैंक भी स्टॉक ब्रोकर का काम करते हैं तथा स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां भी होती है। जो स्टॉक ब्रोकिंग का काम करती हैं। आजकल बहुत सारे एप आ गए है जिनके द्वारा बैठे शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। जैसे ग्रो एप 

जब लोग Stock market में शेयर खरीदते और बेचते है तो ब्रोकर उस पर कमीशन चार्ज करते हैं। जिसे ब्रोकरेज रेट कहा  जाता है। अलग-अलग ब्रोकर अलग-अलग कमीशन चार्ज करते हैं। कुछ ब्रोकर कम ब्रोकरेज लेते हैं तथा कुछ ज्यादा, कुछ ब्रोकर एक प्रतिशत तक ब्रोकरेज लेते हैं। कुछ 0.05 % या इससे भी कम।

ब्रोकर दो तरह के होते हैं- फुल सर्विस ब्रोकर तथा डिस्काउंट ब्रोकर। फुल सर्विस ब्रोकर ज्यादा ब्रोकरेज चार्ज करते हैं और डिस्काउंट stockbrokers कम ब्रोकरेज लेते हैं।
  जैसे डिस्काउंट ब्रोकर्स 20 रूपये प्रति ट्रेड ब्रोकरेज लेते हैं। 

जो लोग इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं उनके लिए ब्रोकरेज रेट की बहुत ज्यादा अहमियत होती है। क्योंकि उनकी बहुत बड़ी राशि ब्रोकरेज में ही चली है। जो लोग Share bazar में लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट करते हैं। उन्हें ज्यादा ब्रोकरेज से कोई खास फर्क नहीं पड़ता।
 

Investing VS Trading

शेयर बाजार में पैसे कमाने के दो मुख्य तरीके हैं, एक Investing तथा दूसरा तरीक़ा Trading है।Investing में stocks को खरीदकर लम्बे समय तक होल्ड किया जाता है। Trading में stocks को जल्दी-जल्दी खरीदा और बेचा जाता है यानि कि कम समय के लिए होल्ड किया जाता है। 

शेयर ट्रेडिंग करना खुद में ही एक जॉब है क्योंकि इसमें शेयर बाजार की प्रत्येक हलचल पर नज़र रखना पड़ता है। दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो दिनभर कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर शेयर खरीदने और बेचने का कार्य करते हैं। Share market ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग से मार्केट जुड़ा होता है। अतः Share ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करते समय रिस्क मैनेजमेंट रूल्स का ध्यान जरूर करना चाहिए। 

क्या Share market एक जुआ है?

बहुत से लोग शेयर बाजार की जुए से तुलना करते हैं क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है। शेयर बाजार का एक प्रसिद्ध डायलॉग भी है- रिस्क है तो इश्क है। शेयर बाजार हो या अन्य कोई काम जिस के बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है फिर भी आप उसमे पैसा लगते हैं तो वह Gambling ही है। 

यदि आप किसी कंपनी में पैसा लगाने से पहले रिसर्च नहीं करते हैं। लोगों की सुनी सुनाई बातों में आकर किसी कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई invest करते हैं, तो यह जुआ ही है। कभी भी Share bazar में लोगों की देखा देखी पैसा नहीं लगाना चाहिए। सबका इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग का अपना एक अलग तरीका होता है जो सभी पर एक समान लागु नहीं हो सकता। 

यदि आपको शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो कोई बात नहीं है।आप Mutual funds के द्वारा भी  में इन्वेस्ट कर सकते है क्योंकि म्यूच्यूअल फंड्स के मैनेजर शेयर बाजार के एक्सपर्ट होते हैं तथा उनका काम ही लोगों के पैसे मैनेज करना होता है।

प्रिय पाठकों, उम्मीद है अब आप
Share bazar kya hota hai? के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। यदि आपको शेयर बाजार क्या होता है और शेयर बाजार से पैसे कैसे कमायें? आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

ऐसे ही इन्फॉर्मेशनल आर्टिकल पड़ने के लिए इस साइट को जरूर सब्सक्राइब करें। यदि आप Share bazar के बारे में कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट जरूर करें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
 

 

  

   

  
                                                                                      

        

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.