Bull Call Spreads Trading Strategy: बुल कॉल स्प्रेड ऑप्शंस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से होगी पैसों की बारिश?

बुल कॉल स्प्रेड ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में ट्रेडर्स एक निश्चित स्ट्राइक प्राइस पर कॉल ऑप्शन खरीदते हैं और उसी एक्सपायरी डेट का हायर स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन बेचते हैं। यदि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस, स्ट्राइक प्राइस से ऊपर क्लोज होता है। तब ट्रेडर्स को इस पोजीशन में प्रॉफिट होता है।  

अगर ऐसा नहीं होता है तो ट्रेडर्स को ऑप्शंस की कुल लागत के एक निश्चित प्राइस का लॉस होता है। यानि इस पोजीशन में लॉस सीमित होता है। आइए विस्तार से जानते हैं- बुल कॉल स्प्रेड ऑप्शंस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? Bull Call Spreads options trading strategy in Hindi. 

                                                                                      
Bull Call options spread strategy


अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको रवि पटेल और अंकित गाला द्वारा लिखित ऑप्शन ट्रेडिंग की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Options Buying के बारे में 

इस आर्टिकल में आपको ऑप्शन में ट्रेड करने का सही तरीका बताया जायेगा। Options में करीब 90% ट्रेडर्स कैसे ट्रेड करते हैं? और उनसे क्या गलतियाँ होती हैं? यही सब जानने के बाद ही आप इस स्ट्रेटेजी का यूज और महत्व जान पाएंगे और प्रॉफिट कमा पाएंगे। 

जब मैं यह आर्टिकल लिख रही हूँ, तब बैंक निफ्टी 49700 पर ट्रेड कर रहा है। 12-06-2024 का वीकली कॉन्ट्रेक्ट ट्रेड हो रहा है। अगर बैंक निफ्टी पर आपका व्यू है कि 12 जून (एक्सपायरी डेट) तक बैंक निफ्टी 50500 तक जा सकता है। तो इस स्थिती में 90% ट्रेडर्स Call option बाय करते हैं। ओपन इंट्रेस्ट

यदि आप भी इस पोजीशन में बैंक निफ्टी की 350 की कॉल ऑप्शन बाय करते जो आपको 5300 रूपये के करीब पड़ता है। इस पोजीशन में आपके साथ क्या हो सकता है? अगर इस पोजीशन में बैंक निफ्टी का प्राइस आपकी पोजीशन के विपरीत दिशा में चलता है। तो आपको इस पोजीशन में ज्यादा से ज्यादा 5300 रूपये का लॉस हो सकता है। अगर बैंक निफ्टी आपके अनुमान के अनुसार 50500 तक पहुँच जाता है तो आपको इस पोजीशन में अनलिमिटेड प्रॉफिट हो सकता है।  

जबकि रियल ट्रेडिंग में ऐसा नहीं होता है। यही options buying की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है जिसकी वजह से 90% ट्रेडर्स लॉस करते हैं। रिटेल ट्रेडर्स को पता ही नहीं होता कि पोजीशन से कब एग्जिट करना है? कहाँ स्टॉप लॉस लगाना है और कब खरीदना या बेचना है? कब प्रॉफिट बुक करना है? 

Options traders को बस इतना पता होता है कि ऑप्शन बाइंग में लिमिटेड रिस्क है और इसमें अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है। शेयर मार्केट ऊपर जाने पर कॉल ऑप्शन बाय करते हैं और मार्केट गिरने पर पुट ऑप्शन बाय करते हैं। बस इतना ही सीखकर ऑप्शन ट्रेडर्स, ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं। इसी वजह से 90% ऑप्शन ट्रेडर्स लॉस करते हैं। 

लिमिटेड लॉस होने के बावजूद भी ट्रेडर्स कब लॉस का पहाड़ खड़ा कर लेते हैं? उन्हें पता ही नहीं चलता है, लेकिन किसी तरह ट्रेडर्स इन सभी समस्याओं को सुलझाकर स्टॉपलॉस लगाना, प्रॉफिट बुक करना आदि सीख भी जाते हैं। तो इसके बाद इम्प्लाइड वोलैटिलिटी उनके सामने एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो जाती है। 

जब कभी आप मार्केट का एनालिसिस करके कॉल ऑप्शन बाय करते हैं और स्टॉप लॉस लगाते हैं। अचानक मार्केट आपकी पोजीशन के विपरीत दिशा में मूव आता है और आपका स्टॉपलॉस हिट हो जाता है। Stoploss हिट होने के बाद मार्केट आपके ट्रेड की दिशा में चला जाता है। आप बस मार्केट को देखते रह जाते हैं।
 
वोलैटिलिटी की वजह से ट्रेडर्स अक्सर लॉस करते हैं। इस वोलैटिलिटी से लड़ने के लिए प्रॉफिट कमाने वाले बड़े ट्रेडर्स इस स्ट्रेटेजी जा उपयोग करते हैं। स्ट्रेटेजी का मतलब आप एक सिस्टेमेटिक तरीके से ट्रेडिंग करते हैं। जिसमें आपको पता होता है कि आपको trade में कितना प्रॉफिट हो सकता है और ज्यादा से ज्यादा कितना लॉस हो सकता है? इससे आपके ट्रेड, आपके कंट्रोल में रहते हैं। इस स्ट्रेटेजी में आप सिर्फ कॉल और पुट बाय नहीं करते हैं। 

बल्कि बाइंग और सेलिंग को मिलाकर अपने ट्रेड को हैज करते हैं। इसी को Bull Call Spread option स्ट्रेटेजी कहते हैं। उम्मीद है, अब आप समझ गए होने कि ऑप्शन बाइंग में आप क्या गलती करते हैं? आपको अपने ट्रेड को हैज करके सिस्टेमेटिक तरीके से करना चाहिए। यही इस स्ट्रेटेजी को समझने का मुख्य उद्देश्य है। 

यह स्ट्रेटेजी ऐसी है, अगर मार्केट आपके अनुमान के अनुसार मूव किया तो आपको प्रॉफिट होगा। अगर मार्केट आपके ट्रेड की दिशा में मूव नहीं किया तो आपको सीमित लॉस होगा। इस स्ट्रेटेजी को bull call spread strategy कहते हैं। यह स्ट्रेटेजी तब लगायी जाती है, जब आप सोचते हैं कि मार्केट ऊपर तो जायेगा लेकिन ज्यादा ऊपर नहीं जायेगा।

यानि आपको लगता है कि बैंक निफ्टी 50300 के ऊपर तो जायेगा लेकिन 50500 के ऊपर नहीं जायेगा। सामान्यतः ज्यादातर ट्रेडर्स का अनुमान ऐसा ही होता है क्योंकि ऊपर एक रेजिस्टेंस लेवल होता है। जिसके ऊपर मार्केट का जाने का चाँस कम होता है। ऐसे व्यू पर आप बुल कॉल स्प्रेड स्ट्रेटेजी लगा सकते हैं। 

इस स्ट्रेटेजी में आपको बैंक निफ्टी का 50300 का एक कॉल ऑप्शन बाय करना है और 50500 का एक कॉल ऑप्शन सेल करना है। इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं-

CALL BUY .  50300 AT Rs.59.35
SELL CALL . 50500 AT RS. 23.60 

उपयुक्त पोजीशन में यदि बैंक निफ्टी एक्सपायरी तक 50300 के नीचे रह जाता है तो आपको 
59.35 × 15 = 1072.8 रूपये का नुकसान होगा। 

लेकिन अगर आपने बुल कॉल स्प्रेड लगाया है, तो अगर बैंक निफ्टी 50300 के नीचे रहे या और नीचे चला जाये तो आपका लॉस 1072.8 रूपये पर लॉक हो जायेगा। यही इस स्ट्रेटेजी का सबसे बड़ा फायदा है। लेकिन इस स्ट्रेटेजी में लॉस के साथ प्रॉफिट भी सीमित होता है। लेकिन यह सामान्य है। 

इस स्ट्रेटेजी में ट्रेड लेने से पहले आपको पता होता है कि आपको कितना प्रॉफिट हो सकता है। ठीक वैसे ही जैसे किसी भी नार्मल बिजनेस में होता है। इस स्ट्रेटेजी में लॉस तब होता है, तब अंडरलाइंग एसेटका  प्राइस आपके बाइंग प्राइस से नीचे रह जाता है।

Bull Call Sprea d Option Trading Strategy क्या है? 

बुल कॉल एक प्रकार की ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। जिसमें दो कॉल ऑप्शन शामिल होते हैं। इस प्रकार की स्ट्रेटेजी का प्रयोग तब किया जाता है। जब trader को किसी अंडरलाइंग एसेट के प्राइस के बढ़ने की उम्मीद होती है। बुल कॉल स्प्रेड स्ट्रेटेजी में कॉल ऑप्शन एक विशेष स्ट्राइक प्राइस या एक्सरसाइज प्राइस पर खरीदा जाता है। 

जबकि उसी कॉल ऑप्शन को हायर स्ट्राइक प्राइस पर बेचा जाता है। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों ऑप्शन एक समान एक्सपायरी डेट के ही होने चाहिए। Bull call strategy का उपयोग तब किया जाता है। जब ट्रेडर्स को अंडरलाइंग एसेट के प्राइस बढ़ने की उम्मीद होती है। 

इस स्ट्रेटेजी में दो कॉल ऑप्शंस का उपयोग करके अपर स्ट्राइक प्राइस और लोअर स्ट्राइक प्राइस की एक रेंज बनायीं जाती है। यह बुलिश कॉल स्प्रेड स्ट्रेटेजी ट्रेडर्स के लॉस को सीमित करती है। लेकिन इस स्ट्रेटेजी से ट्रेडर्स का प्रॉफिट भी सीमित हो जाता है। 

Bull Call Spread Strategy क्यों बनाते हैं? 

बुल कॉल स्प्रेड स्ट्रेटेजी बनाने का मुख्य लक्ष्य, अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में बढ़ोतरी होने पर, उससे प्रॉफिट कमाना होता है। यदि अंडरलैंग एसेट के प्राइस में मॉडरेट वृद्धि होती है। अगर प्राइस एक्सपायरी डेट से पहले अपने स्ट्राइक प्राइस के पास या उससे ऊपर पहुंच जाता है। तो इस स्ट्रेटेजी से ट्रेडर को अधिकतम प्रॉफिट होता है। 
हालाँकि अगर अंडरलाइंग एसेट का प्राइस गिरता है या बहुत कम बढ़ता है। तो इस स्ट्रेटेजी से ट्रेडर्स को लॉस होता है। जो spread strategy बनाने के लिए चुकाए गए प्रीमियम के बराबर होता है। 

Bull Call Spread trading Strategy कैसे बनाते हैं? 

बुल कॉल स्प्रेड स्ट्रेटेजी बनाने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाये जाते हैं- 
  1. अंडरलाइंग एसेट की पहचान करना: इंडिया में वैसे तो ज्यादातर ऑप्शन ट्रेडर्स निफ्टी और बैंक निफ़्टी इंडेक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं। परन्तु फिर भी आप जिस भी अंडरलाइंग एसेट जैसे कमोडिटी, करेंसी, फिननिफ्टी, सेंसेक्स और बैंकेक्स आदि। जिसमें भी ऑप्शन ट्रेडिंग करना पसंद करते हों उसे बुल कॉल स्प्रेड ट्रेडिंग के लिए चुनें। 
  2. Call Option खरीदें: इसके बाद ऑप्शन ट्रेडर को अपने द्वारा चुनी गयी अंडरलाइंग एसेट का कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए। कॉल ऑप्शन  एक्सपायरी डेट से पहले एक विशिष्ट प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट खरीदने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नहीं देता है। यदि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस स्ट्राइक प्राइस से अधिक है। तो इसे इन द मनी ऑप्शन कहेंगे। 
  3. Call Option बेचें: बुल स्प्रेड बनाने के लिए आपको उसी एक्सपायरी डेट का एक कॉल ऑप्शन बेचना (sell) करना चाहिए। लेकिन हाई स्ट्राइक प्राइस पर, जिसे OTM (आउट ऑफ द मनी ) ऑप्शन कहा जाता है। आपको इस कॉल ऑप्शन को बेचने से जो प्रीमियम मिलेगा। इससे आपने इन दोनों पोजीशन में जो पैसा लगाया है, उसका रिस्क कम हो जायेगा।
  4. अपनी पोजीशन और मार्केट दोनों की निगरानी करें: एक बार बुल कॉल स्प्रेड की पोजीशन बनाने के बाद आपको ऑप्शन प्राइस, अंडरलाइंग एसेट के प्राइस के साथ-साथ सम्पूर्ण शेयर मार्केट की निगरानी करनी चाहिए। इस option strategy का मुख्य लक्ष्य एसेट के प्राइस को बढ़ाना और संभावित लॉस को सीमित करना होता है। जिससे जिससे आपके द्वारा खरीदे गए कॉल ऑप्शन के प्राइस में भी वृद्धि हो जायेगी और आपको प्रॉफिट प्राप्त होगा। 
  5. पोजीशन को क्लोज करना: जैसे-जैसे एक्सपायरी डेट निकट आती है, आपको तय करना होगा कि आपको ऑप्शन का उपयोग करना है अथवा लॉन्ग कॉल ऑप्शन को बेचकर और शार्ट कॉल ऑप्शन को वापस खरीदकर अपनी पोजीशन को बंद करना है। यदि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस बेचे गए कॉल ऑप्शन से अधिक है। तब आपको को अधिकतम प्रॉफिट प्राप्त होगा। 
Bull call option spread में सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है। इस स्ट्रॅटजी में अधिकतम प्रॉफिट, दो कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर तक सीमित रहता है। जिसमें से चुकाया गया शुद्ध प्रीमियम घटाया जाता है। इस स्ट्रेटेजी में अधिकतम नुकसान चकाये गए प्रीमियम तक ही सीमित रहता है। 

उम्मीद है, आपको यह बुल कॉल स्प्रेड (Bull Call Spreads) ऑप्शंस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Bull call spread option trading strategy in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

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