Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें - Stop loss in trading 2024

स्टॉप-लॉस ऑर्डर, स्टॉक ब्रोकर को शेयर खरीदने या बेचने के लिए दिया गया ऐसा आर्डर होता है। जब स्टॉक निश्चित प्राइस ( स्टॉप-लॉस का प्राइस ) पर पहुँचकर अपने आप कट जाता है। Stop-loss को ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के नुकसान को सीमित रखने के लिए डिजाइन किया गया है। 

स्टॉक मार्केट उधर ही घूमता है, जिधर वह घूमना चाहता है। अतः ना चाहते हुए भी traders अक्सर गलत पोजीशन में फंस जाते हैं। जिससे उनका बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है। इसी नुकसान को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस लगाया जाता है। आइए जानते हैं- Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें? Stop Loss in Trading.

Stop Loss कहाँ  तथा कैसे लगायें ?
                 

यदि आप कम समय में शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको रवि पटेल द्वारा लिखित टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Stop-loss के बारे में जानकारी 

स्टॉप लॉस को ट्रेड मैनेजमेंट टेक्नीक भी कहा जाता है। स्टॉप लॉस सेटिंग का पहला रूल ये है कि यदि आपका  स्टॉप लॉस हिट होता है तो इसका मतलब आपका ट्रेडिंग आईडिया गलत है। तब आपको अपनी ट्रेडिंग पोजीशन बंद कर देनी चाहिए। ट्रेडिंग का पहला नियम यह है कि हर बार stop loss लगाना चाहिए। 

यदि कभी स्टॉप लॉस लगाने का मन नहीं है, तो उस दिन आपको ट्रेडिंग ही नहीं करनी चाहिए। यदि सही तरीके से इसका उपयोग किया जाये तो स्टॉप-लॉस आर्डर तो यह आपकी शेयर ट्रेडिंग प्रॉफिट में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है। अतः प्रत्येक शेयर मार्केट ट्रेडर और investors को स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाना चाहिए। 

ट्रेडिंग पोजीशन के आपके प्रतिकूल मूव होने पर यह आपके नुकसान को सीमित रखता है। जिससे आप दोबारा ट्रेडिंग करके अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करने का एक प्रमुख लाभ यह है कि आपको प्रतिदिन अपनी होल्डिंग्स की निगरानी करने की आवश्यकता नहीं है। 

लेकिन Stop-loss का एक नुकसान यह है कि यह शार्ट-टर्म प्राइस वोलेटिलिटी की वजह से अनावश्यक ट्रिगर हो सकता है। जिससे थोड़ा ही सही परन्तु बेवजह नुकसान तो होता ही है। 

Stop-loss क्या होता है? 

स्टॉप लॉस ट्रेडिंग के दौरान मिलने वाली एक सुविधा है ,जो online trading प्लेटफॉर्म पर दी जाती है। यह ट्रेडिंग में होने वाले संभावित नुकसान को सीमित कर देती है। यानि स्टॉप लॉस ऑर्डर शेयर की खरीद/बिक्री का ऑर्डर होता है। जो Stock market में होने वाले नुकसान को सीमित रखने के लिए लगाया जाता है। 

जब ट्रेडर्स को चिंता होती है कि शेयर के प्राइस उनकी ली हुई के विपरीत भी मूव कर सकते हैं। इस स्थिती में होने वाले संभावित नुकसान को सीमित रखने के लिए स्टॉप -लॉस ऑर्डर लगाया जाता है। यदि ट्रेडिंग पोजीशन प्रॉफिट में आ जाती है तो प्रॉफिट को लॉक करने के लिए Trailing Stop-Loss लगाया जाता है। 

उदाहरण के लिए, यदि कोई स्टॉक आपने 105 पर खरीदा जाता है और आप नुकसान100 रूपये तक सीमित करना चाहते हैं। अगर आप 100 रूपये पर स्टॉप-लॉस लगा देते हैं। जैसे ही स्टॉक की कीमत 100 रूपये तक गिर जाती है। तो आपका सौदा 100 रूपये पर ऑटोमेटिकली कट जायेगा। इस तरह आपको पाँच रूपये प्रति शेयर का लॉस होगा, इससे ज्यादा नहीं। 

स्टॉप-लिमिट ऑर्डर स्टॉप-लॉस ऑर्डर के समान हैं। हालाँकि, जैसा कि उनके नाम से पता चलता है। लिमिट ऑर्डर में आप जिस प्राइस पर share खरीदना या बेचना चाहते हैं। उसी प्राइस पर आपका ऑर्डर एक्जिक्यूट होता है। लिमिट ऑर्डर अक्सर कम प्राइस पर शेयर खरीदने और ज्यादा प्राइस पर शेयर बेचने के लिए लगाया जाता है। जबकि स्टॉप-लॉस ऑर्डर संभावित नुकसान ( जो नुकसान हो सकता है ) को कम करने के लिए लगाते हैं।  

                                                                           

स्टॉप-लॉस के प्रकार

स्टॉप लॉस लगाने के वैसे तो अनेक तरीके होते हैं। लेकिन यहां हम Stop Loss लगाने के निम्नलिखित चार प्रकार के बारे में जानकारी दे रहे हैं-                                                                                                                                             

प्रतिशत पर आधारित Stop Loss  

                                                                                                                       
प्रतिशत के आधार पर लगने वाला स्टॉप-लॉस पूर्वानुमान से लगाया जाता। जिसमें ट्रेडर, एक ट्रेड में अपने अकाउंट का दो प्रतिशत तक जोखिम उठाते हैं। जो बहुत ज्यादा महत्वाकाक्षी ट्रेडर होते वह दस प्रतिशत तक का जोखिम उठाते हैं। लेकिन ऐसा करना नहीं चाहिए क्योंकि इससे एक-दो ट्रेड में ही आपके अकाउंट की पूरी राशि ख़त्म हो सकती हैं। Opening and closing time of stock market                                                                                                                                                        
Stop loss लगाने से पहले आपको अपने आप से ये पूछना चाहिए हम सभवतः कहाँ पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं। यदि आपका ट्रेड गलत साबित होता है तो आपको अपने आप से यह भी पूछना कि आप कहाँ गलत थे।                                                                                                                                                             

Volatility पर आधारित Stop Loss

                                                                     
प्राइस वोलैटिलिटी बेस्ड स्टॉप-लॉस का अर्थ है, स्टॉक्स की कीमत में उतार-चढ़ाव, ज्यादा वोलैटिलिटी की वजह से ट्रेडिंग करने में बहुुत ज्यादा जोखिम होता है। एक्टिव ट्रेडर्स इसलिए सरवाइव कर पाते हैं क्योंकि वह initial stop loss यूज करते हैं। अपने प्रॉफिट को लॉक करने के लिए trailing stop loss भी लगाते हैं। Money mantra for stock market

प्राइस वोलैटिलिटी बेस स्टॉप-लॉस लगाने के लिए Volatility stop indicator tool का उपयोग करके स्टॉप-लॉस लगा सकते हैं। इस तरह VOLATILITY STOP का यूज करके ट्रेडिंग के दौरान stop loss लगा सकते हैं। इसमें डाउनट्रेंड के लिए प्राइस बार के ऊपर लाल डॉट्स बनी होती है तथा प्राइस बार के नीचे हरी डॉट्स अपट्रेंड के लिए बनी होती हैँ। लाल तथा हरे रंग डॉट्सके आधार पर स्टॉप लॉस लगाया जाता है।                                                                                                                                                                                                                            
Support & Resistance आधारित Stop Loss                                                                                                                                                                         
स्टॉप-लॉस चार्ट के आधार पर भी लगाया  जा सकता है। चार्ट पर प्राइस एक्शन पर गौर करने पर आप देखेगें कि प्राइस एक निश्चित लेवल के ऊपर तथा नीचे नहीं जा पाते। इस लेवल को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल कहते हैं। प्राइस निश्चित सपोर्ट और रेजिस्टेंस को बार-बार रीटेस्ट करते है तथा पोटेंशियली होल्ड करते हैं।

आपको इन्हीं S&R के पीछे stop loss लगाना चाहिए। यानि आप किसी शेयर को long (खरीदना) कर रहे हैं तो हमे उसके सपोर्ट एरिया के नीचे स्टॉप-लॉस लगाना चाहिए तथा यदि आप  sell (शॉर्ट सेलिंग) कर रहें हैं तो स्टॉप लॉस resistance area के ऊपर लगाना चाहिए।  

                                                                                  
Stop loss based on support and resistance level

   

टाइम लिमिट आधारित Stop loss                                                                                                                                                                                                                 

टाइम लिमिट पर आधारित stop loss को तब लगाया जाता है। जब ट्रेड को पूर्वनिर्धारित समय तक होल्ड किया जाता है जैसे- इंट्राडे, एक सप्ताह इत्यादि। उदाहरण स्वरूप- जैसे कि आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं तथा आपने एक लॉन्ग ट्रेड लिया हुआ है। लेकिन उसमे ना तो टार्गेट अचीवे हो रहा है और ना ही stop loss हिट हो रहा है।

अब आपको यह लग रहा है कि इस ट्रेड में पैसे को क्यों लॉक रखा जाय। इसी पैसे का हम दूसरी जगह उपयोग कर सकते हैं। तो आप  उस ट्रेड को बंद कर देते हैं। इसका दूसरा उदाहरण- जैसे कि कोई swing trader है तथा वह फ्राइडे को अपनी पोजीशन को बंद कर देता है। क्योंकि वो weekend event risk से बचना चाहता है तब वह टाइम लिमिट बेस्ड stop loss लगाया जाता है। पेनी स्टॉक्स  
                 

Stop Loss कैसे लगाएँ?             

आप निम्नलिखित तीन प्रकार से स्टॉप लॉस लगा सकते हैं-             
  1. Market Order Stop Loss: यह एक तरह का ट्रेडिंग ऑर्डर होता है जो तुरंत करंट मार्केट प्राइस पर एक्जिक्यूट होता है। जब आपके stock का प्राइस स्टॉप लॉस के पास आ जाता है। तब मार्केट ऑर्डर स्टॉप लॉस आपकी पोजीशन को तुरंत ऑटोमेटिक र्रोप से काट देता है। 
  2. Limit Order Stop Loss: इसमें एक विशेष प्राइस पर स्टॉप लॉस लगाया जाता है। जब स्टॉक का प्राइस उस विशेष प्राइस के पास आ जाता है। तब आपकी पोजीशन अपने आप कट जाती है। 
  3. Trailing Stop Loss Order: जब आपके द्वारा खरीदे गए share का प्राइस आपकी पोजीशन की अनुकूल दिशा में चलता है। तब ट्रेलिंग स्टॉप लॉस भी गतिशील रूप से बदलता रहता है। यह trader को अपने प्रॉफिट को बढ़ाने की अनुमति देता है।                                                                                                                           

Stop Loss लगाते वक्त होने वाली गलतियाँ

                                                                          
स्टॉप लॉस लगाते वक्त अक्सर होने वाली निम्नलिखित गलतियों से बचना चाहिए-                                            

स्टॉप लॉस टाइट होना चाहिए लेकिन इतना भी टाइट नहीं होना कि सामान्य सी वोलेटिलिटी के कारण ही टूट जाय।  जैसे किसी शेयर का प्राइस 150 रूपये है और आपने 149.90 पर स्टॉप लॉस लगाया है। किसी  भी स्टॉक का  प्राइस निश्चित दिशा में घूमने पहले एंट्री पॉइंट के आस-पास (ऊपर-नीचे) घूमता है। उसके बाद उसे जिस दिशा होता है, उस दिशा में घूमता है। हर्षद मेहता स्कैम                                                                                                    
Position size के आधार पर stop loss लगाना अच्छा नहीं माना, मार्केट की मूवमेंट के आधार पर स्टॉप लॉस लगाना अच्छा माना जाता है। वैसे हमे अपनी पोजीशन को भी नहीं भूलना चाहिए। हमे अपनी पोजीशन को केलकुलेट करने से पहले स्टॉप लॉस सेट कर लेना चाहिए। INDIA VIX
                                                                                                          
कुछ ट्रेडर ये गलती करते हैं कि वो स्टॉप-लॉस ज्यादा दूर लगाते हैं। जिससे उनको स्टॉप-लॉस हिट होने पर नुकसान ज्यादा होता है तथा टार्गेट अचीव होने पर मुनाफा कम  होता है। हमे अपनी पैसे का यूज़ प्रॉफिट कमाने के लिए करना चाहिए तथा नुकसान से बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।                                                                                
Stop Loss लगाते वक्त ध्यान देने योग्य बातें
                                                                                
स्टॉप लॉस हमेशा टेक्निकल एनालिसिस को समझ कर ही लगाना चाहिए। Stock Analysis यदि आप कोई ट्रेड लॉन्ग करते हैं तो आपको सपोर्ट लेवल के ऊपर पोजीशन लेनी चाहिए तथा Stop Loss सपोर्ट लेवल के नीचे लगाना चाहिए।

इसी तरह यदि आप शॉर्ट ( short sell ) का ट्रेड करते हैं तो आपको रेजिस्टेंस लेवल के नीचे ट्रेड में एंट्री करनी चाहिए तथा स्टॉप लॉस रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर लगाना चाहिए।जितना स्टॉप  लगाना जरूरी है, उतना ही Stop Loss कहाँ  तथा कैसे लगायें - Stop loss in trading भी जरूरी है।                                                                                                                                                                                 
यदि आपके S & R level टूट जाते हैं तो आपको यह मान लेना चाहिए कि आपका ट्रेड आइडिया गलत था। ट्रेड करते वक्त आपको और ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए। कभी भी ट्रेड के साथ इमोशनली अटैच नहीं होना चाहिए। सेंसेक्स और निफ्टी                                                                                                                                                        
Stop loss दो तरह से लगाए जाते हैं, पहला ऑटोमेटिक स्टॉप लॉस दूसरा मेंटल स्टॉप लॉस। आटोमेटिक स्टॉप लॉस तो अपने आप कट जाता है, लेकिन मेन्टल स्टॉप लॉस के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए इसके लिए आपको खुद की भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए तथा स्टॉप लॉस लगाने के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

यदि आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं जिससे आप अपने शेयर ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के निर्णय खुद लेने चाहिए। यदि आप अपने ट्रेड में प्रॉफिट में चल रहे है तो आपको अपने स्टॉप लॉस को भी ऊपर कर लेना चाहिए जिससे आपका प्रॉफिट लॉक हो जाये तथा रिस्क भी कम हो जाय। इसे trailing your stop loss कहते हैं। ग्रे मार्केट प्रीमियम                                                                                                                                                                              
उम्मीद है, अब आप   Stop Loss कहाँ  तथा कैसे लगायें- Stop loss in trading के बारे अच्छे समझ गए होंगे। आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूरपसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये। 

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7 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. Stop loss जैसे मुश्किल टॉपिक को काफी अच्छे से समझाया आपने।
    काफी डिटेल पोस्ट है।

    में भी ब्लॉगर हु और एक पोस्ट इसी टॉपिक पर लिखी है - https://indianmarketer.in/what-is-stop-loss-in-share-market-in-hindi/

    अपना feedback ज़रूर दे।



    https://indianmarketer.in/what-is-stop-loss-in-share-market-in-hindi/

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  3. बहुत अच्छी जानकारी है मैडम जी , मुझे आपसे प्रेरणा मिलती है |

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