Support and Resistance Level को चार्ट पर कैसे पहचानें?

जब प्राइस सपोर्ट लेवल से नीचे गिरते हैं तो वह लेवल एक रेजिस्टेंस बन जाता है। जब प्राइस रेजिस्टेंस लेवल से ऊपर निकल जाते हैं तो वह लेवल सपोर्ट लेवल बन जाता है। शेयर मार्केट और स्टॉक्स में यह प्रक्रिया बार-बार और लगातार दोहराई जाती है। 

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स, स्टॉक्स ट्रेडर्स द्वारा सबसे ज्यादा काम में लिया जाने वाला कॉन्सेप्ट है। स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग करने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने ट्रेडिंग आईडिया में S & R एरिया को जरूर शामिल करना चाहता है। आइए विस्तार से जानते हैं- सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं, इन्हें चार्ट पर कैसे यूज़ करें? Support and resistance Levels in hindi. 

                                                                       
Support aur  resistance ka analysis kaise kre in hindi
यदि आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको रवि पटेल द्वारा लिखित बुक टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान जरूर पढ़नी चाहिए। 

Support & Resistance Levels

शेयर मार्केट के टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल, सुरक्षा की द्रष्टि से पूर्वनिर्धारित लेवल होते हैं। जिनके बारे में यह माना जाता है कि इनके लेवल पर पहुंचकर शेयर का प्राइस रूक जायेगा और रिवर्स हो जायेगा। क्योंकि ये लेवल्स चार्ट पर दिखते हैं कि पहले भी कई बार वहाँ से टकराकर प्राइस रिवर्स हो चुका होता है। 

Support Level 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, support level वह एरिया होता है। जहाँ से stocks के प्राइस के और नीचे गिरने की आशंका बहुत कम होती है। क्योंकि यह प्राइस के नीचे गिरने पर ही आता है। शेयर का प्राइस गिरने की वजह से इस एरिया में उसकी मांग (डिमांड) बढ जाती है।

जब भी शेयर का प्राइस सपोर्ट लेवल तक गिरता है, तो उसके प्राइस में उछाल की संभावना बढ़ जाती है। जब भी शेयर का प्राइस एक support level को हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ तोड़ता है। तब वह अगले सपोर्ट लेवल की तरफ तेजी से गिरता है, तब सपोर्ट लेवल टूटता है। सपोर्ट लेवल हमेशा बाजार मूल्य से कम होता है। जब प्राइस सपोर्ट पॉइंट से 1/8 नीचे बंद हो, तब सपोर्ट लेवल टूट जाता है।

Resistance Level 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है। resistance level एक ऐसा एरिया है, जो प्राइस को और ऊपर बढ़ने से रोकता है। स्टॉक चार्ट पर कई पॉइंट होते हैं जहाँ से प्राइस पहले भी टकराकर रिवर्स हो चुका होता है। जब प्राइस Resistance level पर पहुंच जाता है, तब stock traders के द्वारा सप्लाई बढ़ा दी जाती है। 

जिसकी वजह से share के प्राइस के गिरने की आशंका बढ़ जाती है। रेजिस्टेंस लेवल हमेशा बाजार मूल्य से ऊपर होता है। जब भी शेयर का प्राइस हाई वॉल्यूम के साथ resistance level तोड़ देता है। तब दूसरी प्राइस रैली, शेयर को अगले रेजिस्टेंस की तरफ ले जाती है। जब प्राइस रेजिस्टेंस लेवल से 1/8 पॉइंट ऊपर बंद हो, तो रेजिस्टेंस लेवल टूट जाता है। 

याद रखने वाली बात यह है कि सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस नंबर एग्जैक्ट नंबर नहीं होते कई बार सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस नंबर टूटते हुए प्रतीत होते हैं लेकिन कुछ समय बाद पता चलता है कि प्राइस ने उनको छुआ भर है जब मार्केट ऊपर की तरफ चढ़ता चलता है तब पुलबैक भी आता है जब मार्केट नीचे की तरफ आता है तब रेजिस्टेंस सपोर्ट का काम करता है

Stock price ज्यादातर समय  सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स के बीच में ही झूलता रहता है। Downtrend के समय रिवर्सल जरूर आता है। जब प्राइस रजिस्टेंस के पास चला जाता है, तब रेजिस्टेंस सपोर्ट का काम करता है। प्राइस बार-बार सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को टेस्ट करता है, बिना तोड़े। 

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस एरिया बहुत ही स्ट्रांग एरिया होता है। जब सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल टूटता है तो उस ब्रेकआउट का होल्ड करना उसके टूटने की तीव्रता यानी कि वॉल्यूम पर निर्भर करता है सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के जोन बने होते हैं तथा इनको स्टॉक लाइन चार्ट या कैंडलेस्टिक चार्ट के द्वारा देखा जा सकता है।

जब प्राइस रेजिस्टेंस लेवल को पार कर लेता है, तब रेजिस्टेंस लेवल सपोर्ट का काम करता है। इसी तरह जब कोई सपोर्ट लेवल टूटता है तो वह भी आगे चलकर रेजिस्टेंस बन जाता है।

Support & Resistance को चार्ट पर कैसे यूज़ करें? 

आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का चार्ट बनाने के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट पैटर्न का उपयोग करना चाहिए। आजकल तो सभी ट्रेडिंग एप पर सभी स्टॉक्स के चार्ट दिए होते हैं। जिनमें सभी टेक्निकल इंडीकेटर्स लगे होते हैं।  यहां आपको बताने के लिए लाइन चार्ट का प्रयोग कर रही हूँ। किसी भी चार्ट पर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल देखने के लिए पहले उस चार्ट को लॉन्ग टर्म में देखें यानी पिछले चार-पांच सालों के चार्ट को देखना चाहिए।
                                         
support  and resistance levels ka analysis kaise kre in hindi


उसमे आपको यह देखना चाहिए कि Share price अपट्रेंड में है या डाउनट्रेंड। आपको चार्ट पर लॉन्गटर्म ट्रेन्ड को देखना है। यदि सपोर्ट लेवल बहुत ज्यादा नीचे है और ज्यादा पुराना भी है तो उसे देखने से कोई फायदा नहीं है। सपोर्ट लेवल वह काम करता है, जहां से प्राइस बढ़ा हो। यानी डिमांड जनरेट हुई हो। 

अब आपको यह देखना है कि सबसे पास में कहां से प्राइस बढ़ना स्टार्ट हुआ और कहाँ से share की डिमांड जेनरेट हुई। सपोर्ट लेवल- 1 वह होगा जहां से प्राइस बढ़ना स्टार्ट हुआ। यहां पर आपको एक सीधी रेखा खींचनी है। यदि आप कैंडलस्टिक चार्ट का यूज कर रहे हैं तो आपको शैडो के low price के नीचे से सपोर्ट की सीधी रखना खींचनी है। 

यदि किसी शेयर का प्राइस सपोर्ट लेवल तक आता है, तो जरूरी नहीं है कि यहां से बाउंस करें। लेकिन यदि प्राइस बाउंस करता है। तो आप यहां पर लॉन्ग ट्रेड ले सकते हैं। इसी तरह यदि यहां पर सपोर्ट टूटता है, तो आप उस स्टॉक को short-sell कर सकते हैं।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस लाइन आपको सिर्फ एक आईडिया देती है। यहां पर भी डिमांड जनरेट हुई थी और आगे भी हो सकती है। तो क्या यही सपोर्ट लेवल है? जो आपको देखना चाहिए, नहीं यह वह लेवल नहीं है।

टेक्निकल उपर्युक्त चार्ट पर दो सपोर्ट लेवल है। पहला जहां से प्राइस ने पहला सपोर्ट लिया था, वह है सपोर्ट लेवल - 1 और  जहाँ  से प्राइस बढ़ना स्टार्ट हुआ था, वह सपोर्ट लेवल- 2 है। यहां पर सपोर्ट  लेवल- 2 का सपोर्ट लेना अच्छा रहेगा। यदि यह सपोर्ट टूट जाता है) तो आप यहाँ पर आप शार्टसेल की पोजीशन ले सकते हैं। 

आप सपोर्ट लेवल- 1 को भी सपोर्ट मान सकते हैं, सपोर्ट लेवल 2 के पास डिमांड जोन बना हुआ है। हो सकता है कि प्राइस सपोर्ट लेवल-  2 तक ना आए, पहले ही रिवर्स हो जाए।  एक बात यह है कि यदि आप शॉर्ट सेल करते हैं, तो क्या आप सपोर्ट लेवल तक टारगेट ले सकते हैं। 

हां सपोर्ट तक का टारगेट ले सकते हैं लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है। अगर बीच में कहीं भी आपको रिवर्सल के सिग्नल मिले तो हो सकता है कि प्राइस वापस से bounce back कर जाए। अतः नुकसान से बचने के लिए आपको सपोर्ट लेवल 1 (वन)  ऊपर stoploss लगाना चाहिए। 

Support area का यूज़ क्या है? 

प्राइस अगर गिरता है, और सपोर्ट तक आता है। तब इस बात की संभावना बहुत ज्यादा रहती है कि प्राइस यहां से bounce back कर सकता है। अगर प्राइस बाउंस करेगा तो आप long trade ले सकते हैं। यदि प्राइस सपोर्ट को तोड़कर नीचे जाता है, तब आप short sell की पोजीशन बना सकते हैं।

ऐसा क्यों है कि यदि प्राइस सपोर्ट पर बाउंस करेगा तो आप लॉन्ग ट्रेड ले सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब प्राइस नीचे गिरता है, तो प्राइस को और ज्यादा नीचे गिरने के लिए ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। क्योंकि उसे पहले ही ज्यादातर लोग बेच चुके होते हैं। Future & option में जो stocks होते हैं, उनके प्राइस में Short covering के कारण भी उछाल आ  जाता है। 

जब इन्वेस्टर्स हो या ट्रेडर उनका स्टॉपलॉस  ट्रिगर हो जाता है। तब वो अपने होल्ड हुए share को बेचकर उससे बहार निकल जाते हैं। बहुत से ट्रेडर और इन्वेस्टर को गिरा हुआ प्राइस आकर्षित करता है और वह लोग निचले स्तर पर शेयर को खरीदने लगते हैं। क्योंकि low level पर शेयर को खरीदने से प्रॉफिट की संभावनाएं बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं।

प्राइस जब गिरकर सपोर्ट पर आता है। तब तक ट्रेडर शेयर को बेच-बेच कर थक जाते हैं और इससे शेयर का प्राइस को और ज्यादा नीचे गिराना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि buyers निचले स्तर पर शेयर को खरीदने के लिए टूट पड़ते हैं। इसलिए यहां से शेयर के प्राइस के और नीचे गिरने की आशंका बहुत कम रह जाती हैं।

यहाँ से  बाउंस बैक की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं, लेकिन stock market के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि प्राइस किधर जाएगा। अगर प्राइस support level से बाउंस बैक करता है, तो उसके चांस बहुत ज्यादा है कि प्राइस अपने long term  ट्रेंड के हिसाब से चलेंगे।

यदि प्राइस सपोर्ट लेवल तोड़ देता है, तब बहुत नेगेटिव सेंटीमेंट बन जाते हैं और प्राइस ज्यादा नीचे की तरफ गिर सकता है। ऐसे में आप short sell की पोजीशन बना सकते हैं। इससे टार्गेट support level- 2 होना चाहिए और resistance level-2 के ऊपर स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। 

सपोर्ट एरिया के दोनों लेवल देखने जरूरी है या नहीं?

आपको पास वाले सपोर्ट यानी कि support level- 2 को देखना चाहिए। (जैसा की चार्ट में दिखाया गया है) यदि यह लेवल टूट जाता है तब आपको support level-1 पर ध्यान देना चाहिए, वरना नहीं। जैसे आपको पास वाले सपोर्ट को काम में लेना चाहिए, ठीक उसी तरह पास वाले resistance को भी काम में लेना है।

जिस लेवल से शेयर की डिमांड घट जाती है तथा बिकवाली बढ़ जाती है वह resistance level होता है। अब इस चार्ट में जो रेजिस्टेंस लेवल- 1 दिखाया गया है। उसे रेजिस्टेंस मानने का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि वह पहले भी टूट चुका है और अब वह आसानी से टूट सकता है। इनसाइडर ट्रेडिंग

आपको रेजिस्टेंस लेवल- 2 को, रेसिस्टेंट मानना चाहिए क्योंकि पहले भी शेयर का प्राइस वहीं से गिरना स्टार्ट हुआ था। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि stocks के प्राइस मूवमेंट के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं पता होता है। सब कुछ चार्ट के पिछले रिकॉर्ड को देखकर प्रडिक्ट किया जाता है। 

पहले जब resistance level- 2 से शेयर का प्राइस गिरना स्टार्ट हुआ था, हो सकता है। तब कोई बुरी न्यूज़ आई हो। यह भी हो सकता है कि बहुत से इन्वेस्टर्स अभी भी शेयर को होल्ड करके बैठे हों। और बाउंस बैक का इंतजार कर रहे हो। जैसे ही प्राइस यहां पर आए और वह लोग अपने शेयर बेचकर निकल जाएं।

यह भी हो सकता है कि जब शेयर का प्राइस रेजिस्टेंस लेवल- 2 के पास आए। उस वक्त शेयर मार्केट और शेयर के बारे में अच्छे सेंटीमेंट हों, और शेयर का प्राइस रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर चला जाए। जब तक रेजिस्टेंस को हिट करके, प्राइस नीचे की तरफ नहीं आएगा। तब तक आप यह नहीं कह सकते कि रेजिस्टेंस काम कर रहा है। फांग शेयर

जब प्राइस  resistance से नीचे आएगा, तभी आप शार्ट सेल कर सकते हैं, उससे पहले नहीं करना चाहिए। इसी तरह जब रेजिस्टेंस को तोड़कर प्राइस ऊपर चला जाय, वो भी हाई वॉल्यूम के साथ तभी आपको शेयर खरीदने चाहिए क्योंकि ऐसा तभी होता है, जब सेंटीमेंट पॉजिटिव होते हैं। 

जब प्राइस रेसिस्टेंट और सपोर्ट लेवल के काफी नजदीक होते हैं। तब आपको जल्दबाजी में कोई भी ट्रेड नहीं लेना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि प्राइस आपके हिसाब से मूवमेंट न करें। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को हिट करके वापस आ जाए। आपको एक-दो दिन कन्फर्मेशन का  इंतजार करना चाहिए। उसके बाद ट्रेंड के हिसाब से पोजीशन बनानी चाहिए।

यहां पर मुझे प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनवाला जी की एक बात याद आ रही है वह हमेशा कहते हैं कि trend is our friend. Share market में हमेशा trend के हिसाब से ही पोजीशन बनानी चाहिए। कोई भी पोजीशन बनाने से पहले, चार्ट पर यह अवश्य देखें कि सबसे पास वाले support and resistance  कहाँ पर हैं। उसके बाद ट्रेंड के हिसाब से बाइंग और सेलिंग चाहिए।

सपोर्ट लेवल उसे कहते हैं, जहां से शेयर की डिमांड बढ़ जाती है और प्राइस बाउंस होता है। आपको किसी भी शेयर में पोजीशन बनाने से पहले ही एंट्री और एग्जिट के प्राइस लेवल तय कर लेने चाहिए। शेयर बाजार से पैसे कमाने के दस सबसे अच्छे तरीके

शेयर खरीदते  और बेचते वक्त आपको  निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
  1. जब प्राइस resistance level के ऊपर चला जाए, तब उसका कंर्मेशन मिलने के बाद ही ट्रेड करना चाहिए।
  2. इसी तरह जब प्राइस support level के पास आ जाए, उसके बाद वहां से बाउंस बैक का कंफर्मेशन मिलने के बाद ही लॉन्ग ट्रेड लेना चाहिए। आपको टार्गेट  रेजिस्टेंस लेवल- 2  से थोड़ा सा नीचे रखना चाहिए।
  3. शार्ट सेल तभी करना चाहिए जब प्राइस रेजिस्टेंस को हिट कर के नीचे आ जाए। उसके बाद उसका कंफर्मेशन होने के बाद ही शार्ट सेल की पोजीशन बनानी चाहिए तथा आपका टार्गेट सपोर्ट लेवल- 1 के जरा सा ऊपर ही  होना चाहिए। 
  4. जिस प्राइस पर शेयर की डिमांड बढ़ जाती है, वह सपोर्ट होता है। जिस प्राइस पर share की डिमांड घट जाती है, वह रेजिस्टेंस है। 
उम्मीद है, अब आप support and resistance levels को चार्ट लेंगे लेंगे।  सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं? इन्हें कैसे यूज़ करें? अच्छे से जान  गए होंगे। अगर आपको यह यह सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को चार्ट पर कैसे पहचानें? आर्टिकल पसंद आया होगा। 

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