फाल्स ब्रेकआउट को कैसे पहचानें? False breakout or failed breakout |

फाइनेंसियल मार्केट में काम करने वाले ज्यादातर लोग ब्रेकआउट के बारे में जानते हैं। लेकिन फाल्स ब्रेकआउट के बारे में कम ही लोग जानते हैं। वैसे फाल्स ब्रेकआउट, फेल्ड ब्रेकआउट और फेक ब्रेकआउट का मतलब एक ही हैं। मैने इस आर्टिकल में ज्यादातर फाल्स ब्रेकआउट शब्द का प्रयोग किया है इसे अन्यथा न लें। आपको इन तीनों के ऊपर अलग-अलग जानकारी मिल जाएगी लेकिन मैने आपकी आसानी के लिए इसे एक ही आर्टिकल में समेट दिया है।  

फाल्स ब्रेकआउट तब आता है, जब प्राइस सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को तोड़कर उससे आगे तो चले जाते हैं। लेकिन प्राइस सस्टेन नहीं कर पाते हैं और सेशन के आखिर में वापस घूमकर पुरानी रेंज में आ जाते हैं। इस आर्टिकल में फाल्स ब्रेकआउट (False breakout or failed breakout or Fake breakout) क्या होते हैं? False breakout, failed breakout or Fake breakout trading kya hai  in hindi. के बारे में विस्तार से बताया गया है। 
                                                                                          
False Breakout


यदि आप टेक्निकल एनालिसिस एक्सपर्ट बनना चाहते हैं। तो आपको टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

जब एक ट्रेडर किसी शेयर, कमोडिटी या करेंसी के प्राइस का विश्लेषण करके और उसके प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाकर उसके हिसाब से ट्रेड ले लेता है। लेकिन सिक्युरिटी का प्राइस ट्रेडर के अनुमान की दिशा में मूवमेंट नहीं करके वापस विपरीत दिशा में घूम जाते है। तब फेकआउट (False breakout, failed breakout or Fake breakout) टर्म का यूज किया जाता है।  

False breakout क्या है? 

False Breakout तब होता है, जब प्राइस जाने-माने सपोर्ट एंड रेसिस्टेन्स लेवल को तोड़कर उससे आगे तो चले जाते हैं। लेकिन प्राइस में इतना मोमेंटम नहीं होता है कि वह उस डायरेक्शन को बनाये रख सकें। कुछ समय बाद प्राइस वापस अपनी पुरानी रेंज में लौट आते हैं। प्राइस के रेंज तोड़ते ही ट्रेडर्स को लगता है कि ब्रेकआउट हो गया और ट्रेडर्स ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड ले लेते हैं। 

प्राइस के वापस पुरानी रेंज में आने के कारण ट्रेडर्स को अपनी पोजीशन में नुकसान होने लगता है। नुकसान से बचने के लिए ट्रेडर्स को स्टॉपलॉस आर्डर का प्रयोग करना चाहिए। यदि ट्रेडर्स फाल्स ब्रेकआउट को पहचान ले तो वे प्राइस के सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के आगे जाने के बाद प्राइस के विपरीत दिशा  में ट्रेड ले सकते हैं। जब प्राइस वापस पुरानी रेंज में आये तो प्रॉफिट बुक कर सकते हैं। ब्रेकआउट ट्रेडिंग  

False Breakout को आमतौर पर Failed Breakout या fake out के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर फाल्स ब्रेकआउट तब होता है जब शेयर के प्राइस सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल (ब्रेकआउट) को तोड़ तो देता है। लेकिन प्राइस सस्टेन नहीं कर पाते हैं। एक फाल्स ब्रेकआउट थ्रोबैक से अलग होता है, थ्रोबैक एक शार्ट-टर्म रिट्रेसमेंट होता है जो कि ब्रेकआउट पॉइंट से वापस लौट आता है। ट्रेडिंग प्लान 

कुछ ट्रेडर्स ब्रेकआउट ट्रेडिंग करते हैं और वे ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड लेते हैं। इसके विपरीत कुछ ट्रेडर्स फाल्स ब्रेकआउट की प्रतीक्षा करते हैं। ये ट्रेडर्स ब्रेकआउट की विपरीत दिशा में ट्रेड करते हैं। 

False Breakout क्या बताता है? 

ब्रेकआउट सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस एरिया में होते हैं, ये एरिया ट्रेंडलाइनों पर आधारित हो सकते हैं। ये एरिया हॉरिजॉन्टल या डायगोनल हो सकते हैं, जो चार्ट पर पैटर्न बनाते हैं। एक ब्रेकआउट तब होता है जब प्राइस सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल को तोड़कर उसकी दिशा में मूव करके सस्टेन भी करते हैं। ट्रेंडलाइन 

फाल्स ब्रेकआउट तब होता है, जब प्राइस सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ तो देते हैं। लेकिन प्राइस ब्रेकआउट की दिशा में लगातार मूव नहीं कर पाते हैं और वापस पुरानी दिशा में लौट जाते हैं। 
                                                                                 
support and resistance


उदाहरण स्वरूप किसी शेयर का प्राइस अतीत में कई बार 100 रूपये तक पहुँच जाता है लेकिन फिर वहाँ से नीचे गिर जाता है। तो 100 का स्तर उस शेयर का रेजिस्टेंस लेवल है। अगर इस शेयर का प्राइस 100 के ऊपर जाता है तो यह एक ब्रेकआउट होगा। परन्तु यदि प्राइस 100 के स्तर को तोड़ने के बाद भी 100 से ऊपर सस्टेन नहीं कर पाता है और फिर से नीचे आ जाता है। इस ब्रेकआउट को फाल्स ब्रेकआउट कहेगें। एडवांस/डिक्लाइन रेश्यो 

इसमें प्राइस में मोमेंटम नहीं रहता और प्राइस वापस पुरानी रेंज में आ जाते हैं। False Breakout का पता तब चलता है जब प्राइस को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर या नीचे धकेलने में मार्केट पार्टिसिपेंट की रूचि कम हो जाती है। इसकी वजह से ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी आ जाती है। failed breakout होने पर शार्ट-टर्म ट्रेडर्स उससे बाहर होने लगते हैं क्योंकि ट्रेड उम्मीद के मुताबिक परिणाम देने में असफल रहता है। 

इस दौरान कुछ ट्रेडर्स प्राइस के 100 के स्तर से नीचे गिरने पर इसे शार्ट भी कर सकते हैं। एक फाल्स ब्रेकआउट का मतलब यह नहीं है कि प्राइस जल्दी फिर से ब्रेकआउट नहीं दे सकता है। प्राइस फिर से ब्रेकआउट दे सकता है। प्राइस एक्शन

Breakout के बाद थ्रोबैक 

कुछ मामलों में ब्रेकआउट के बाद प्राइस वापस पुरानी रेंज में जा सकते हैं। जब प्राइस ब्रेकआउट के बावजूद पुराने सपोर्ट या रेजिस्टेंस की तरफ वापस आ जाते हैं। जो अभी कुछ देर पहले ही ब्रेक हुआ था। कुछ ट्रेडर्स जिन्होंने ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड लिया था, वे थ्रोबैक के कारण अपनी पोजीशन बंद कर सकते हैं। थ्रोबैक फाल्स ब्रेकआउट नहीं है, यह केवल प्राइस का बाउंस के बाद, एक बार वापस पिछले प्राइस को टच करना भर है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स 

यदि ब्रेकआउट के समय ट्रेडिंग वॉल्यूम में अच्छी वृद्धि हुई है तो fake out की आशंका काफी कम हो जाती है। लेकिन खत्म नहीं होती है किन्तु थ्रोबैक आ सकता है। उदाहरण स्वरूप जैसे कोई शेयर का 100 रूपये का रेजिस्टेंस तोड़कर 105 तक भारी वॉल्यूम के साथ ऊपर जाता है। इसका प्राइस 101 या 100 तक थ्रोबैक (वापस आना) कर सकता है। उसके बाद प्राइस का बढ़ना जारी रहता है, यह थ्रोबैक है, Failed Breakout नहीं है।

यदि किसी शेयर में ब्रेकआउट, हैवी ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ नहीं है। लेकिन प्राइस ब्रेकआउट की दिशा में मूव करते हैं। इस पोजीशन में अनुभवी ट्रेडर्स अपनी पोजीशन बंद कर सकते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि कम ट्रेडिंग वॉल्यूम का ब्रेकआउट सस्टेन नहीं करेगा। यदि ब्रेकआउट के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है तो अनुभवी ट्रेडर्स थ्रोबैक के दौरान नई पोजीशन ले सकते हैं। अगर यह False breakout होता है तो वे अपनी पोजीशन को बंद भी कर सकते हैं।  

Fake breakout ट्रेडिंग कैसे करें? 

फाल्स ब्रेकआउट में ट्रेडिंग हमेशा ब्रेकआउट की विपरीत दिशा में करनी चाहिए। सबसे पहले आपको अपने दिमाग में यह बात बिठा लेनी चाहिए कि फेकऑउट ट्रेडिंग एक शार्ट-टर्म स्ट्रेटेजी होनी चाहिए। क्योंकि ब्रेकआउट केवल शुरू के कुछ अटेम्प्ट में ही फेल होते हैं। अन्तोगत्वा वे सफल भी हो सकते हैं इसलिए दोधारी तलवार पर नहीं चलना चाहिए। 

यदि एक सपोर्ट लेवल टूटता है तो इसका मतलब प्राइस मूवमेंट भी नीचे की तरफ ही होगा। ट्रेडर्स इसे पहले बेचेंगे यानि शार्ट-सेल करेंगे और फिर खरीदेंगे। इस तरह यदि एक रेजिस्टेंस लेवल टूटता है तो जनसमूह ये विश्वास करेगा कि अब प्राइस ऊपर की तरफ चढ़ेंगे। इसलिए उनका झुकाव पहले खरीददारी की तरफ होगा और बाद में बेचेंगे।

रिटेल ट्रेडर्स ज्यादातर लालची प्रवृति के होते हैं और वे ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड करना पसंद करते हैं। रिटेल ट्रेडर्स बड़े मूव और बड़े प्रॉफिट में विश्वास करते हैं। ब्रेकआउट साधारणतया इसलिए फेल होते हैं क्योंकि बुद्धिमान अल्पसंख्यक ट्रेडर्स (Institutional traders) ही मार्केट से पैसा कामना जानते हैं। उनका रुझान कम जानकर बहुसंख्यक ट्रेडर्स से अलग होता है। 

स्मार्ट अल्पसंख्यक ट्रेडर्स का झुकाव मार्केट के बड़े प्लेयर्स के समान होना चाहिए। बड़े प्लेयर्स के बड़े-बड़े अकाउंट होते हैं, उनके बड़े-बड़े buy/sell आर्डर होते हैं। मार्केट में यदि कोई कुछ बेच रहा है तो वहाँ लोग खरीद भी रहे हैं। प्रत्येक ट्रेडर रेजिस्टेंस लेवल पर बेचना चाहता है और सपोर्ट लेवल पर खरीदना चाहता है। तब मार्केट के बड़े प्लेयर्स समीकरण की दूसरी साइड लेते हैं। बुद्धिमान अल्पसंख्यक ट्रेडर्स fade breakout को प्रेफर करते हैं।आपको भी इंस्टीट्यशनल इन्वेस्टर्स की तरह इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बनना चाहिए।  

स्मार्ट ट्रेडर्स, रिटेल ट्रेडर्स के जनसमूह की सामूहिक सोच पर बढ़त हासिल कर लेते हैं और उनकी खर्च की गई रकम को जीत लेते हैं। क्या आप उस स्मार्ट अल्पसंख्यक ट्रेडर्स का हिस्सा बनना चाहेंगे ? जो losing ट्रेड False breakout को पकड़कर उससे पैसे कमाते हैं। या आप उन बहुसंख्यक ट्रेडर्स का हिस्सा बनना चाहोगे जो स्मार्ट ट्रेडर्स से अपना पैसा हार जाते हैं। अब यह आपके ऊपर है कि आप इस मार्केट में क्या बनना चाहते हैं? 

आपको मार्केट में यह पता लगाना चाहिए कि कहाँ पर फाल्स ब्रेकआउट हो सकता है। सामर्थ्यवान फेकआउट अक्सर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस एरिया, ट्रेन्डलाइन्स चार्ट पैटर्न और पिछले डेली हाई या लो प्राइस के आस-पास पाए जाते हैं। फाल्स ब्रेकआउट में हमेशा यह याद रखना चाहिए कि ट्रेंडलाइन और प्राइस के बीच में गैप होना चाहिए।

यदि प्राइस और ट्रेंडलाइन के बीच में गैप होता है तो इसका मतलब प्राइस अपनी दिशा से दूर जा रहा है। लेकिन प्राइस रीट्रेस होकर वापस अपनी ट्रेंडलाइन पर आ जाता है। शायद प्राइस ट्रेन्डलाइन को तोड़ भी दे और आपको फाल्स ब्रेकआउट ट्रेडिंग का अवसर भी प्रदान कर दे। 

ब्रेकआउट तब ज्यादा होते हैं जब कोई इकनोमिक इवेंट हो या कोई मार्किट को प्रभावित करने वाला समाचार समाचार आये। इसलिए ब्रेकआउट ट्रेड लेने से पहले इन पर ध्यान देना चाहिए। प्राइस मूवमेंट की स्पीड भी बहुत मायने रखती है इसलिए इस पर भी ध्यान देना चाहिए। 

स्मार्ट ट्रेडर्स False Breakout को बहुत पसंद करते हैं इसलिए आप भी फाल्स ब्रेकआउट पर ध्यान दे सकते हैं। क्या आप रिटेल ट्रेडर्स के जनसमूह का अनुसरण कर रहे हैं? या जिधर मनी जा रहा है उनका अनुसरण कर रहे हैं। यदि आप भी स्मार्ट ट्रेडर्स यानि संसस्थागत प्लेयर्स की तरह ट्रेडिंग करने लगेंगे तो सफलता आपसे ज्यादा दूर नहीं होगी। 

फाल्स ब्रेकआउट ट्रेडिंग का आसान भाषा में मतलब यही ही कि ब्रेकआउट की विपरीत दिशा में ट्रेड करना। यदि आप फाल्स ब्रेकआउट trading करना चाहते हैं तो आपको ये विश्वास करना होगा। सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल पर जो ब्रेकआउट आ रहा है वह फाल्स है। प्राइस ब्रेकआउट की दिशा में नहीं जा पायेगा। इस केस में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस का टूटना जरूरी है। आप टूटे हुए S &R लेवल के हिसाब से विपरीत दिशा में ट्रेड ले सकते हैं। 

यदि आप सही से सीख ले तो False Breakout ट्रेडिंग, ब्रेकआउट ट्रेडिंग से अधिक प्रॉफिटेबल साबित हो सकती है। ब्रेकआउट की तुलना में फाल्स ब्रेकआउट का अनुपात ज्यादा होता है। जब कोई बड़ा इकोनॉमिक इवेंट नहीं होता है या मार्केट को प्रभावित करने वाली न्यूज नहीं होता है। तब फाल्स ब्रेकआउट ज्यादा होते हैं।

Loss वाले trade से exit कैसे करें? 

आपके लिये यह जानना बेहद जरूरी है कि यदि आपका ट्रेड फेल हो जाता है। तब आपको क्या करना चाहिए? ब्रेकआउट ट्रेडिंग का एक तरीका होता है, जिसमे ऊपर की तरफ ब्रेकआउट होने के बाद पुराना रेजिस्टेंस लेवल, नया सपोर्ट लेवल बन जाता है। इसी तरह गिरावट के समय पुराना सपोर्ट लेवल, नया रेजिस्टेंस बन जाता है। इसलिए इन लेवल्स को महत्व देना चाहिए। 

यदि आप एक सफल ट्रेडर बनना चाहते हैं तो आपको शेयर मार्केट में सफल होने के टिप्स बुक को अवश्य पढ़ना चाइये। आपको ट्रेड लेन से पहले सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के हिसाब से स्टॉप-लॉस अवश्य लगाना चाहिए। यदि आपका ट्रेड फेल हो जाता है तो आपको उस ट्रेड से जल्दी बाहर आ जाना चाहिए। आपको कभी भी अपने लॉस को ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए और ट्रेड के दौरान बहुत केयरफुल रहना चाहिए। 

False Breakout के कारण होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपको ट्रेड लेन से पहले ही इस बात पर विचार कर लेना चाहिए। कि आपको कितना लॉस होने पर ट्रेड से बाहर निकलना है। इसके लिए आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के पीछे स्टॉप-लॉस जरूर लगाना चाहिए। उपर्युक्त पैरामीटर्स पर स्टॉप-लॉस लगाने से आप डाउन-साइड रिस्क को कम करके अपने प्रॉफिट को बढ़ा सकते हैं। ट्रेड करते समय आपको रिस्क-रिवार्ड रेश्यो का भी ध्यान रखना चाहिए। 

उम्मीद है, आपको यह  फाल्स ब्रेकआउट (False breakout or failed breakout or Fake breakout) क्या होते हैं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह False breakout, failed breakout or Fake breakout trading kya hai  in hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर करें। 

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