रिश्क है, तो इश्क है, रिश्क उठाइये, मैनेजमेंट रूल्स अपनाइये Risk management rules
रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो, पैसा कमाने के लिए प्रत्येक रूपये के लिए लगने वाले संभावित रिस्क के आंकलन करने का एक तरीका है। उदाहरण के लिए यदि आप 100 रूपये का रिस्क उठाते हैं और 300 रूपये कमाने की उम्मीद करते हैं तो इसे 1:3 का रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो कहा जायेगा।
आइये विस्तार से जानते हैं- रिश्क है, तो इश्क है, रिश्क उठाइये, मैनेजमेंट रूल्स अपनाइये। What is Risk management rules and risk reword Ratio in Hindi.
यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना सीखना चाहते हैं तो आपको वैभव खरे द्वारा लिखित शून्य से सीखें शेयर बाजार बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो या Risk management rules का उपयोग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स द्वारा अपनी पूँजी और उससे जुड़े रिस्क को मैनेज करने के लिए किया जाता है। यह रेश्यो किसी भी दिए गए trade से मिलने वाले संभावित रिटर्न और उससे जुड़े रिस्क का आंकलन करने में मदद कर सकता है। सामान्य तौर किसी भी ट्रेड में जितना ज्यादा रिस्क होगा। उससे मिलने वाला संभावित रिटर्न भी उतना ही ज्यादा होगा।
Risk management rules और Risk Reword Ratio क्या है?
रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो जिसे risk management rules के नाम से भी जाना जाता है। यह उस संभावित इनाम को दर्शाता है जिसे प्रत्येक ट्रेडर और इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट पर लगने वाले प्रत्येक रूपये के लिए कमाना चाहता है। बहुत सारे इन्वेस्टर्स रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो का उपयोग अपने इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले अपेक्षित रिटर्न की तुलना उसमें शामिल जोखिम से करने के लिए करते हैं। कम रिस्क और हाई रिटर्न रेश्यो को अच्छा माना जाता है क्योंकि यह कम जोखिम उठाकर अधिक profit कमाने की एक अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती है।
आप इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। जैसे 1:7 रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो वाला इन्वेस्टमेंट बताता है कि कि एक इन्वेस्टर 7 रूपये कमाने के लिए एक (1) रुपये का जोखिम उठाने को तैयार है। इसी तरह वैकल्पिक रूप से 1:3 का ratio यह संकेत देता है कि आप एक रूपये के रिस्क पर तीन रूपये कमाने की अपेक्षा रखते हैं।
ट्रेडर्स अक्सर इस अप्रोच का प्रयोग ट्रेड प्लान करने के लिए करते हैं। कौन सा ट्रेड लेना है? Risk Reword Ratio की गणना इन्वेस्ट की गयी राशि को डिवाइड करके की जाती है। यदि ट्रेड अनएस्पेक्टेड दिशा में चला जाता है तो ट्रेडर कितनी राशि का नुकसान उठाना सकता। अगर ट्रेड सही दिशा में चलता है तो कितना profit हो सकता है। उस राशिं का आंकलन रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो से किया जाता है। मनीकंट्रोल में छिपे शेयर मार्केट के रहस्य
रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो का उपयोग Share market ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपनी पूँजी और उससे जुड़े रिस्क को मैनेज करने के लिए किया जाता है। यह Ratio किसी दिए गए trade कर उससे जुड़े संभावित रिस्क और अपेक्षित रिटर्न की गणना करने में मदद करता है। सामान्य तौर पर जिस ट्रेड से जितना अधिक रिस्क जुड़ा होगा उससे रिटर्न भी उतना ही ज्यादा मिलने की संभावना होगी। एक उचित रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 13 या इससे अधिक कुछ भी हो सकता है।
Risk Management कैसे करें?
रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो यह समझकर काम करता है कि आप मार्केट से एक निश्चित रिटर्न पाने के लिए कितना जोखिम उठाना कहते हैं। यह केलकुलेशन trade लेने से पहले किया जाता है। फिर उसे अपने ट्रेडिंग सिस्टम पर सेट करना होता है। इसके लिए आपको अपने trading system आपको एक स्टॉप लॉस ऑर्डर और प्रॉफिट टारगेट सेट करना चाहिए।
एक बार जब आप यह जान जाते हैं कि stop loss कहाँ पर लगाना है और प्रॉफिट टारगेट कहाँ सेट करना है तो आप अपनी पोजीशन साइजिंग तय करते हैं। जिसमें आप यह तय करते हैं कि आप कितनी पूँजी पर जोखिम उठा सकते हैं और उससे आपको कितना profit हो सकता है। यही आपका risk reword ratio होता है।
कई मामलों में मार्केट रणनीतिकार एक आदर्श रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 1:3 को मानते हैं। यानि शेयर मार्केट से तीन रूपये कमाने के लिए एक रूपये का रिस्क चाहिए। Investors और ट्रेडर्स स्टॉप लॉस लगाकर रिस्क को मैनेज कर सकते हैं। आप डेरिवेटिव मार्केट में लॉन्ग पोजीशन को पुट खरीदकर रिस्क मैनेज कर सकते हैं।
Stocks में ट्रेडिंग करते समय भो आपको रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो का उपयोग करना चाहिए। विभिन्न ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो अलग-अलग रहता है। किस trading strategy के लिए कौन सा रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो सर्वोत्तम है? यह निर्धारित करने के लिए आमतौर पर कुछ परीक्षण-और-त्रुटि विधियों की आवश्यकता होती है। कई इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के पास अपनी पोजीशन के लिए प्री-इस्पेसिफाइड प्लान होता है।
इसमें ध्यान रखने योग्य बात या है कि risk reword ratio की गणना इन्वेस्टमेंट पर व्यक्ति की जोखिम और रिटर्न के उद्देश्य के रूप में की जा सकती है।
Risk Reword Ratio की गणना कैसे करें?
आप निम्नलिखित प्रकार से रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो की गणना कर सकते हैं-
- एक ट्रेडिंग सेटअप बनायें, जिसमे आपकी स्ट्रेटेजी आपके लिए काम करेगी। जो आपको आपके ट्रेड के बारे में बताएगी। आप किस डायरेक्शन में ट्रेड करने जा रहे हैं। आप किस प्राइस पर ट्रेड लेने जा रहे हैं।
- अपने स्टॉप लॉस का प्राइस लेवल सेट करें। यदि आपका ट्रेड आपके विपरीत जाता है तो किस लेवल से आपको ट्रेड से बाहर होना चाहिए। वहाँ पर आपको स्टॉप लॉस लगाना चाहिए।
- अपना profit सेट करना चाहिए, आपके अनुमान से आपके द्वारा लिए गए ट्रेड का प्राइस कम से कम किस प्राइस तक पहुँच सकता है। यही आपका प्रॉफिट टार्गेट होना चाहिए। अगर आपको इसके अतिरिक्त और भी प्रॉफिट मिलता है तो वह आपके लिए बोनस होगा। कॉल और पुट ऑप्शंस
- इस तरह आप ट्रेड के एंट्री और एग्जिट पॉइंट सेट कर सकते हैं और यही वह जगह है जहाँ आप अपना risk reword ratio की गणना निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं।
- Trade में एंट्री और स्टॉप लॉस लेवल के बीच के पॉइंट्स = यह आपका risk है।
- ट्रेड में एंट्री और profit लेवल के बीच के पॉइंट्स = यह आपका reword है।
- यदि आपने 25 पॉइंट्स के बाद स्टॉप लॉस लगाया है और 50 पॉइंट्स के बाद प्रॉफिट टार्गेट सेट किया है। तो आपका रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 1:2 होगा।
- यह तय करें कि आप अपने अकाउंट के कितने प्रतिशत का नुकसान सहन कर सकते हैं।
- सही पोजीशन साइज चुने, आपकी ट्रेड में अपेक्षित एंट्री और स्टॉप लॉस के बीच पॉइंट्स की संख्या है और आपके पास वह अधिकतम राशि भी है जिसे आप ट्रेड में गवानें के लिए तैयार है।
- अब आपको यह निर्धारित करने की जरूरत है कि आप कितने लॉट का ट्रेड लेना चाहेंगे। यह उस इंस्ट्रूमेंट ( बैंक निफ्टी, निफ्टी, सेंसेक्स आदि) पर निर्भर करेगा, जिसका आप ट्रेड कर रहे हैं।
- यदि आप एक ट्रेड में ज्यादा रिस्क लेंगे तो स्टॉप लॉस हिट होने पर आपको नुकसान ज्यादा होगा इस तरह आप एक दो ट्रेड में ही बहुत ज्यादा नुकसान कर लेंगे। जिससे आपके पास आगे ट्रेड करने के लिए money कम पड़ सकती है।
Risk Reword Ratio कैसे बढ़ाएं?
निम्नलिखित दो तरीके हैं, जिनसे आप अपना रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो बढ़ा सकते हैं-
- अपना profit target बढ़ाएं, अगर आप अपना प्रॉफिट टार्गेट बढ़ाते हैं और अपना स्टॉप लॉस समान रखते हैं तो इससे आपका रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो बढ़ जायेगा।
- अगर आपका स्टॉप लॉस 50 पॉइंट्स दूर है और आपका प्रॉफिट टार्गेट 100 पॉइंट्स दूर है तो आपका रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 1:2 होगा। अगर आप अपना प्रॉफिट टार्गेट 150 पॉइंट्स दूर कर लेते हैं तो यह 1:3 तक बढ़ जायेगा। पिवोट पॉइंट
- आप अपना stoploss लेवल कम कर सकते हैं। स्टॉप लॉस लो ट्रेड के एंट्री लेवल के पास लगाने से रिस्क कम हो जाता है। यदि आप स्टॉप लॉस ( 50 पॉइंट स्टॉप लॉस और 100 पॉइंट प्रॉफिट टार्गेट ) को ट्रेड में एंट्री लेवल से 25 पॉइंट दूर लगाते हैं तो आपका रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 1:4 हो जाएगा।
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