Call and Put Options difference: कॉल और पुट ऑप्शंस में क्या अंतर है, आसान भाषा में समझें?

Call and Put Options difference: ऑप्शन ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग का हिस्सा है, जिसमें निवेशक को किसी स्टॉक या इंडेक्स को एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है लेकिन बाध्यता नहीं होती। 

इसे आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हैं- कॉल ऑप्शन धारक को स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है और पुट ऑप्शन धारक को स्टॉक बेचने का अधिकार देता है। आइए जानते हैं- कॉल और पुट ऑप्शंस में क्या अंतर है?  आसान भाषा में समझें! Call and Put Options difference in Hindi.

                                                                                    
Call and Put Options Difference


यदि आप ऑप्शंस ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं। तो आप महेशचंद्र कौशिक द्वारा लिखित बुक ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाएं पढ़ सकते हैं। 

Call & Put Options क्या हैं?

कॉल ऑप्शन, इसके खरीदार को, खरीदे गए स्ट्राइक प्राइस पर निश्चित एक्सपायरी डेट तक अंडरलाइंग एसेट को खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन जिम्मेदारी नहीं देता। इसके विपरीत पुट ऑप्शन इसके खरीदार को खरीदे गए स्ट्राइक प्राइस पर निश्चित एक्सपायरी डेट तक अंडरलाइंग एसेट को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन जिम्मेदारी नहीं देता।

ऑप्शंस ट्रेडिंग की शुरुआत करने वाले नये ट्रेडर्स के मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है। कि ट्रेडर्स ऑप्शन खरीदने के बजाय उन्हें बेचना क्यों चाहेगें? ऑप्शन बेचने (short sell) को लेकर ट्रेडर्स अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं क्योंकि इसमें जिम्मेदारी, ज्यादा रिस्क और भुगतान मानक होते हैं। 

ऑप्शन लॉन्ग, ऑप्शन सेलिंग पोजीशन से अलग होते हैं। सामान्य तौर पर, एक ट्रेडर पुट ऑप्शन बेच देगा, यदि अंडरलेइंग एसेट पर उनका दृष्टिकोण तेजी का है। और यदि किसी underlying asset पर उनका दृष्टिकोण मंदी का है तो कॉल ऑप्शन बेच देगा। 

ऑप्शन राइटिंग (Option writing) का अर्थ ऑप्शन बेचना होता है। नेक्ड ऑप्शन (naked option) तब होता है, जिसमें ट्रेडर ऐसी कॉल या पुट बेचता है, जो Hedge न की गई हो। ऑप्शन सेलर ऑप्शन प्रीमियम में टाइम डिके के कारण को गिरावट आती है, उससे कमाई करता है। 

ऑप्शन सेलिंग के जोखिम यानि नुकसान से बचने के लिए इंश्योरेंस के रूप में कॉल या पुट को खरीदा जाता है। क्योंकि मार्केट के ऑप्शन सेलर की पोजीशन के विपरीत चलने पर नेक्ड ऑप्शन में असीमित नुकसान हो सकता है। Call and Put options ऑप्शंस मार्केट के दो पहलू हैं। यहां हम कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के बीच अंतर को देखते हैं। 

कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के बीच आवश्यक अंतर इस तथ्य से उत्पन्न होता है। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों को खरीदा भी जाता है और बेचा भी जाता है। एक अंडरलाइंग एसेट खरीदने का ऑप्शन है और दूसरा उसे बेचने यानि शार्ट सेल करने का ऑप्शन है। कॉल और पुट ऑप्शंस के बीच अंतर को समझने के बाद, हम कॉल और पुट की बारीकियों की तरफ आगे बढ़ेंगे। 

कॉल और पुट के बीच अंतर (Call and Put Options difference) 

यहां हम एफएंडओ बाजार के बारे में कॉल बनाम पुट ऑप्शन की तुलना के कुछ निम्नलिखित बिंदुओं पर नजर डालते हैं। 

कॉल ऑप्शन एक अंडरलाइंग एसेट या कॉन्ट्रैक्ट को भविष्य की तारीख में एक निश्चित कीमत पर खरीदने का अधिकार देता है। लेकिन उस कीमत पर जो आज तय की गई है। दूसरी ओर, पुट ऑप्शंस किसी अंडरलाइंग एसेट या कॉन्ट्रैक्ट को भविष्य की तारीख में एक निश्चित कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। लेकिन उस कीमत पर जो आज तय की गई है। 

कॉल विकल्प और पुट विकल्प दोनों ही दायित्व के बिना अधिकार देते हैं। जो उन्हें एक विषम (एक दूसरे के विपरीत) ऑप्शन बनाता है। कॉल ऑप्शन में एक खरीदार और एक सेलर होता है, उसी तरह पुट ऑप्शन में भी एक खरीदार और एक सेलर होता है। 

ये भी जानें- 

Call options के खरीदार के पास उसे खरीदने का अधिकार होता है, हालांकि खरीदार एक निश्चित स्ट्राइक प्राइस के लिए भविष्य की एक निश्चित एक्सपायरी डेट पर पूर्व-निर्धारित मात्रा खरीदने के लिए बाध्य नहीं है। दूसरी ओर, पुट ऑप्शन खरीदार को पूर्व-निर्धारित मात्रा के लिए भविष्य की तारीख के लिए अंडरलाइंग स्टॉक बेचने का अधिकार देता है। हालाँकि, वे इसके लिए बाध्य नहीं हैं। 

कॉल ऑप्शन खरीदने का अधिकार है, जबकि पुट ऑप्शन बेचने का अधिकार है इसलिए, कॉल ऑप्शन तभी मुनाफा उत्पन्न करता है। जब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस ऊपर की ओर बढ़ रहा हो। दूसरी ओर, पुट ऑप्शन, पुट ऑप्शन के खरीदार को तभी मुनाफा देगा। जब अंडरलाइंग एसेट का प्राइस गिर रहा हो।

कॉल ऑप्शन में, जब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस बढ़ता है तो इसकी कोई गणितीय सीमा नहीं होने के कारण असीमित प्रॉफिट हो सकता है। तकनीकी रूप से, स्टॉक का प्राइस अनंत तक जा सकता है। दूसरी ओर, पुट ऑप्शन के मामले में, पुट ऑप्शन में संभावित लाभ गणितीय रूप से प्रतिबंधित होगा, क्योंकि तकनीकी रूप से, किसी स्टॉक की कीमत शून्य नहीं हो सकती है। 

कॉल ऑप्शन का खरीदार अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत में वृद्धि की उम्मीद करता है। वृद्धि जितनी अधिक होगी प्रॉफिट उतना अच्छा होगा क्योंकि कॉल ऑप्शन की लागत भी कवर करनी होगी। इसके विपरीत, Put options में, ट्रेडर्स को शेयर की कीमत गिरने की उम्मीद होती है। कॉल ऑप्शंस पैसे में या पैसे से बाहर हो सकते हैं। 

उदाहरण के लिए, यदि Call options स्पॉट प्राइस स्ट्राइक प्राइस से अधिक है तो इसे इन-द-मनी या आईटीएम विकल्प कहा जाता है। हालाँकि, यदि स्पॉट कीमत स्ट्राइक कीमत से कम है, तो इसे आउट ऑफ द मनी या ओटीएम विकल्प कहा जाता है। पुट ऑप्शन के मामले में, यह पैसे में या पैसे से बाहर होगा। 

उदाहरण के लिए, यदि पुट ऑप्शन स्पॉट प्राइस स्ट्राइक प्राइस से कम है तो इसे इन-द-मनी या आईटीएम पुट ऑप्शन कहा जाता है। हालाँकि, यदि स्पॉट कीमत स्ट्राइक कीमत से अधिक है तो इसे आउट ऑफ द मनी या ओटीएम पुट विकल्प कहा जाता है।  

Call options को बेचने वाले ट्रेडर्स का उस पर नजरिया नेगेटिव होता है। यानि उसका अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में गिरावट का अनुमान होता है। कि अंडरलेइंग एसेट का प्रीमियम उसके स्ट्राइक प्राइस से ऊपर नहीं जायेगा। कॉल ऑप्शन के सेलर के लिए, ब्रेक-ईवन पॉइंट बिक्री का स्ट्राइक प्राइस और उससे प्राप्त प्रीमियम होता है। अंडरलाइंग एसेट कोई स्टॉक जैसे रिलायंस, सुजलॉन आदि हो सकता है। या कोई इंडेक्स भी जैसे निफ़्टी 50, बैंकनिफ़्टी आदि। 

ऑप्शन सेलर के लिए घाटा उस बिंदु के बाद शुरू हो जाएगा और स्ट्राइक प्राइस के नीचे, पूरा प्रीमियम जेब में जा सकता है। जो ट्रेडर्स स्ट्राइक प्राइस पर Put option को सेल (short selling) करता है, उसका गैर-सकारात्मक दृष्टिकोण होता है कि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस स्ट्राइक प्राइस से नीचे नहीं जाएगा। 

पुट ऑप्शन के सेलर के लिए, ब्रेक-ईवन पॉइंट पुट बिक्री का स्ट्राइक प्राइस घटाकर प्राप्त प्रीमियम होगा। option seller के लिए लॉस उस पॉइंट के बाद शुरू होता है और स्ट्राइक प्राइस के ऊपर पूरा प्रीमियम पुट ऑप्शन के सेलर द्वारा उठाया जा सकता है। 

Call and Put Options difference के बारे में अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न FAQs 

मैं कॉल या पुट ऑप्शंस खरीदने का निर्णय कैसे करूं? 

ट्रेडिंग रूल्स को ज्यादा फॉलो करने वाले ट्रेडर्स एट-द-मनी स्ट्राइक प्राइस पर या उससे थोड़ा नीचे के प्राइस पर Call options खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन जिन ट्रेडर्स की हाई रिस्क उठाने की क्षमता होती है। ऐसे ट्रेडर्स इन-द-मनी स्ट्राइक प्राइस के कॉल ऑप्शंस खरीदना पसंद करते हैं। 

इसी तरह Put options खरीदने वाले ट्रेडर्स एट-द-मनी स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शंस खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन जिन ट्रेडर्स की हाई रिस्क उठाने की क्षमता होती है। ऐसे ट्रेडर्स इन-द-मनी स्ट्राइक प्राइस के पुट ऑप्शंस खरीदना पसंद करते हैं। 

कॉल और पुट ऑप्शंस में कौन सा बेहतर है? 

लाभप्रदता के संबंध में, कॉल ऑप्शंस में असीमित प्रॉफिट की संभावना होती है। क्योंकि स्टॉक की कीमत को सीमित नहीं किया जा सकता है। इसके विपरीत, पुट ऑप्शन अपने संभावित लाभ में सीमित होते हैं क्योंकि स्टॉक का प्राइस कभी भी जीरो से नीचे नहीं गिर सकता है। 

पुट्स क्या होती हैं, बुलिश या बेयरिश? 

जिस प्रकार कॉल खरोदना एक तेजी (Bullish) का दांव है। जिसमे अंडरलाइंग एसेट का प्राइस बढ़ने पर, कॉल खरीदार को प्रॉफिट होता है। ठीक उसी तरह पुट खरीदना एक मंदी (Bearish) का दांव है। जिसमें अंडरलाइंग एसेट का प्राइस गिरने पर, पुट खरीदार को प्रॉफिट होता है। 

CE (सीई) और PE (पीई) क्या है? 

पीई पुट ऑप्शन की यूरोपीय शैली को संदर्भित करता है, जो धारक को अंडरलाइंग एसेट को बेचने का अधिकार देता है। सीई कॉल ऑप्शन यूरोपीय शैली को संदर्भित करता है, जो धारक को अंडरलाइंग एसेट को खरीदने का अधिकार देता है। ये option contracts की ट्रेडिंग के लिए डेरिवेटिव बाजार में उपयोग किए जाने वाले सामान्य शब्द (Terms) हैं। 

ऑप्शन बेचना महंगा क्यों है?

यदि अंडरलाइंग एसेट की कीमत कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य से अधिक हो जाती है, तो ऑप्शन सेलर को हाजिर बाजार मूल्य (Spot price) और उसके स्ट्राइक मूल्य के बीच का अंतर का नुकसान होता है। इस संभावित नुकसान की भरपाई के लिए, अधिकांश ऑप्शन सेलर हाई कॉस्ट वसूलते हैं

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