How to start options trading: ऑप्शंस ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?

यदि आपके पास एक सामान्य डीमैट अकाउंट है। तो आपको उसमें ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए अप्लाई करना होगा। उसमें मार्जिन की सुविधा भी मिलती है। स्वीकृत होने पर, आप स्टॉक ट्रेडिंग के समान ही ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए  भी ऑर्डर दे सकते हैं। 

इसमें अंडरलेइंग एसेट, स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के हिसाब से पुट और कॉल ऑप्शंस खरीदे और बेचे जाते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शंस ट्रेडिंग (How to start options trading) कैसे शुरू करें? How to start options trading in Hindi. 

                                                                            
How to Start Option Trading in Hindi

 
अगर आप ऑप्शंस ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं। तो आपको बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

आजकल शेयर मार्केट में वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा रहती है। जिसमें आपकी मेहनत की कमाई डूबने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। इसी जोखिम को कम करने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत हुई है। Options भी एक जटिल फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं लेकिन कोई भी चीज जटिल तभी तक होती है। जब तक आप उसे सीखते नहीं हैं, सीखने का बाद कठिन काम भी आसान बन जाता है। 

Option Trading क्या है? 

ऑप्शन ट्रेडिंग तब होती है, जब आप एक निश्चित भविष्य की तारीख (Expiry date) तक पूर्व-निर्धारित प्राइस पर एक पूर्व-निश्चित मात्रा में अंडरलेइंग एसेट खरीदते या बेचते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग, स्टॉक ट्रेडिंग से भी अधिक जटिल हो सकती है। जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप बस यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए। और आपका ब्रोकर मौजूदा मार्केट प्राइस या आपके द्वारा निर्धारित प्राइस पर ऑर्डर लगा देता है। ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए एडवांस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज की समझ की आवश्यकता होती है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की प्रक्रिया में एक सामान्य ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की तुलना में कुछ और चरण शामिल होते हैं। ट्रेडिंग अकाउंट को ही डीमैट अकाउंट भी कहते हैं। आजकल डीमैट अकाउंट खोलना बहुत ही आसान है क्योंकि डीमैट अकाउंट घर बैठे ऑनलाइन खुलवाए जा सकते हैं। अलग-अलग स्टॉक ब्रोकर के अलग-अलग ब्रोकरेज चार्ज होते हैं। अतः आपको बहुत सोच समझकर अपने लिए सही  स्टॉक ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि सबकी जरूरतें और परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं। अतः आपको भी अपनी जरूरत के हिसाब से सही स्टॉक ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए। स्टॉक ब्रोकर भी दो तरह के होते हैं- 
  1. फुल टाइम स्टॉक ब्रोकर: ये आपके ट्रेडिंग अमाउंट के हिसाब से ब्रोकरेज चार्ज करते हैं। बड़ा अमाउंट तो ज्यादा ब्रोकरेज, कम अमाउंट तो कम ब्रोकरेज चार्ज करते हैं। ये मार्केट पर आपको एक्सपर्ट का नजरिया भी बताते हैं। साथ ही समय-समय पर अपने क्लाइंट को ट्रेडिंग कॉल्स भी प्रोवाइड करते हैं। 
  2. डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर: ये प्रति ट्रेड के हिसाब से ब्रोकरेज चार्ज करते है। ट्रेडिंग अमाउंट चाहे कम हो या ज्यादा। ये प्रति ट्रेड के हिसाब से फिक्स ब्रोकरेज लेते हैं। जैसे 20 रूपये प्रति ट्रेड या 25 रूपये प्रति ट्रेड आदि। आप जितने ज्यादा ट्रेड लेंगे आपको उतना ही ज्यादा ब्रोकरेज देना पड़ेगा।  
स्टॉक्स को केश में खरीदना और बेचना अच्छा है या ऑप्शन ट्रेडिंग करना, आपको क्या लगता है? इस पर आप एक बार जरूर विचार करें। 2022 में, मुद्रास्फीति, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और तेल की बढ़ती कीमतों के बारे में चिंताओं के बीच शेयर बाजार में काफी बड़ा उतार-चढ़ाव का दौर देखा गया था। जब बाजार वोलेटाइल होता है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग अक्सर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। 

आप शेयर मार्केट को स्पेक्युलेट करने के लिए ऑप्शंस का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन options का सबसे अच्छा उपयोग अपनी पोजीशन को नुकसान से बचाने के लिए एक इंश्योरेंस के रूप में होता है। जब शेयर मार्केट में गिरावट होती है, तब आप ऑप्शन ट्रेडिंग के द्वारा अपने लिए इनकम जेनरेट कर सकते हैं। भारत में options trading में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। 

ऑप्शंस ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? (How To Start Options Trading) 

ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करने के कुछ निम्नलिखितं स्टेप्स हैं-  

1. डीमैट अकाउंट खोलें? 

यदि आपके पास नार्मल डीमैट अकाउंट है, तो उसमें, आपको ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए अपने स्टॉक ब्रोकर को अप्लाई करना चाहिए। आप चाहें तो नया डीमैट अकाउंट भी खुलवा सकते हैं। ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करने से पहले, आपको केश में शेयर ट्रेडिंग करना आना चाहिए। यानि आपको केश में शेयर ट्रेडिंग का अनुभव होना चाहिए। इससे आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझ पाएंगे। 

आपको ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करने से पहले इसे सीखना भी चाहिए। आप मेरी साइट के आर्टिकल पढ़कर या अन्य किसी साइट और यूट्यूब वीडियो से भी इसे सीख सकते हैं। शेयर ट्रेडिंग आप कम पैसे में कर सकते हैं लेकिन ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ती है। नौसिखिये options traders की तुलना में, जो लोग शेयर मार्केट को अच्छी तरह से जानते हैं और उसे नियमित वॉच करते रहते है। उनके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग ज्यादा सही है। इन बातों पर विचार करने के बाद भी यदि आपको सही लगता है तो आप ऑप्शस ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। 

आप किस प्रकार की ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते हैं। उदाहरणस्वरूप पुट, कॉल या स्प्रेड, कवर्ड या नेक्ड ऑप्शंस ट्रेडिंग करना चाहेंगे। यदि आप ऑप्शंस सेलिंग या राइटिंग करना चाहेंगे तो अगर ऑप्शंस एक्सरसाइज होते है। तो कॉल और पुट राइटर अंडरलेइंग एसेट की डिलीवरी के लिए उत्तरदायी होंगे। यदि राइटर पहले से ही अंडरलेइंग एसेट को होल्ड करता है तो उनकी option position कवर्ड है। यदि ऑप्शन पोजीशन अनप्रोटेक्टिड है, तो वह नेक्ड पोजीशन कहलाती है। 

2. खरीदने और बेचने के लिए Options चुनें? 

आपको दोबारा से याद दिला दूँ, कॉल ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट है। जो आपको एक निश्चित एक्सपायरी डेट के भीतर पूर्व निर्धारित प्राइस, (जिसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है) पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है। लेकिन दायित्व नहीं देता। इसी तरह पुट ऑप्शन आपको एक्सपायरी डेट से पहले एक निर्धारित मूल्य पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं देता। ऑप्शंस ट्रेडिंग करने से पहले आपको पुट और कॉल ऑप्शंस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। 

आप अंडरलेइंग एसेट के प्राइस के किस दिशा में मूव करने का अनुमान लगा रहे हैं। इससे निर्धारित होगा कि आप पुट ऑप्शन खरीदना चाहेंगे या कॉल ऑप्शन खरीदेंगे। यदि आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी तो  कॉल ऑप्शन खरीदें, और उसे कवर्ड करने के लिए पुट ऑप्शन बेचें। 

यदि आपको लगता है कि अंडरलेइंग एसेट के प्राइस स्थिर रहेंगे तो आपको कॉल ऑप्शन या पुट ऑप्शन बेचना चाहिए। क्योंकि स्थिर मार्केट में ऑप्शंस का प्रीमियम, टाइम डिके (theta) की वजह से घटने (गलने) लगता है और एक्सपायरी तक करीब-करीब बिलकुल समाप्त हो जाता है। options खरीदने और बेचने यानि ऑप्शन राइटिंग दोनों अलग-अलग चीजें हैं। 

यदि आपको लगता है कि अंडरलेइंग एसेट की कीमत कम हो जाएगी तो आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए और कॉल ऑप्शन बेचना चाहिए। आप Options की तुलना कार इंश्योरेंस से कर सकते हैं। क्योंकि कार का बीमा इसलिए नहीं लिया जाता कि कार का एक्ससीडेंट हो जाये। लेकिन कितनी भी सावधानी क्यों न रखी जाय फिर भी कभी-कभी एक्ससीडेंट हो ही जाता है। इस स्थिति में होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए कार इंश्योरेंस लिया जाता है। इसी तरह ऑप्शन पोजीशन भी आपकी मुख्य पोजीशन को कवर करने के लिए ही ली जाती है। ऑप्शन चैन  

Options Strake price का अनुमान लगाएँ 

जब आप एक ऑप्शन खरीदते हैं, वह अपनी एक्सपायरी डेट तक तभी मूल्यवन रहता है। जब वह इन-द-मनी स्ट्राइक प्राइस की पोजीशन में हैं। कॉल ऑप्शन एक्सपायरी डेट तक तभी मूल्यवन रहता है, जब वह एक्सपायरी डेट तक एट-द-मनी स्ट्राइक प्राइस से ऊपर रहता है। जबकि पुट ऑप्शन एक्सपायरी डेट तक तभी मूल्यवन रहता है, जब वह एट-द-मनी स्ट्राइक प्राइस से नीचे रहता है।   

किसी ऑप्शन के लिए आप जो कीमत चुकाते हैं, उसे प्रीमियम कहा जाता है। उसके दो घटक होते हैं, आंतरिक मूल्य (intrinsic value) और समय मूल्य (time decay)। आंतरिक मूल्य, स्ट्राइक प्राइस और शेयर प्राइस के बीच का अंतर है। यदि स्टॉक मूल्य स्ट्राइक प्राइस से ऊपर है। समय का मूल्य वह है, जो बचा हुआ है। 

अन्य तत्वों के अलावा स्टॉक कितना वोलेटाइल है, एक्सपायरी का समय और ब्याज दरें भी इसमें शामिल हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपके पास 100 रूपये का कॉल ऑप्शन है। जबकि स्टॉक की कीमत 110 रूपये है। आइए मान लें कि ऑप्शन का प्रीमियम 15 रूपये है। आंतरिक मूल्य 10 रूपये  (110 रूपये माइनस घटा 100 रूपये) है, जबकि समय मूल्य यानि टाइम डिके 5 रूपये है। 

Options Time Frame निर्धारित करें

 प्रत्येक ऑप्शन की एक एक्सपायरी डेट होती है। जो उस दिन को इंगित करती है, जिस दिन तक आप ऑप्शन को एक्सरसाइज कर सकते हैं। यह आपकी मर्जी पर निर्भर करता है कि आप ऑप्शन चैन में से किस स्ट्राइक प्राइस को चुनते हैं। ऑप्शंस की दो निम्नलिखित शैलियाँ हैं- 
  1. अमेरिकन 
  2. यूरोपियन, भारत में यूरोपियन शैली के ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट होते है। 
एक्सपायरी डेटस साप्ताहिक से लेकर महीनों से लेकर वर्षों तक हो सकती हैं। साप्ताहिक ऑप्शंस सबसे जोखिम भरे होते हैं। अनुभवी options traders साप्ताहिक या वीकली एक्सपायरी में पोजीशन बनाते हैं। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए, मासिक और वार्षिक एक्सपायरी डेट्स बेहतर होती हैं। लंबी एक्सपायरी से ऑप्शंस ट्रेडर्स को टारगेट हाँसिल करने के लिए अधिक समय मिलता है। और आपने निवेश थीसिस को पूरा करने का समय मिलता है। एक्सपायरी डेट जितनी अधिक दूर की होगी, ऑप्शन उतना ही ज्यादा महंगा होगा। 

लंबी एक्सपायरी डेट ज्यादा उपयोगी होती है क्योंकि इससे options समय मूल्य को बनाए रख सकता है। भले ही अंडरलेइंग एसेट स्ट्राइक प्राइस से नीचे कारोबार करता हो। जैसे-जैसे एक्सपायरी डेट नजदीक आती है, ऑप्शंस का समय मूल्य कम हो जाता है। कोई भी ऑप्शन खरीदार अपने खरीदे गए ऑप्शंस के प्राइस में गिरावट नहीं देखना चाहते हैं। 

यदि अंडरलेइंग एसेट, स्ट्राइक प्राइस से नीचे एक्सपायर होता है। तो वह बेकार हो जाता है, उसकी कोई वैल्यू नहीं बचती है। यदि किसी ट्रेड आपको नुकसान हो रहा है, उससे जल्दी ही बाहर हो जाना चाइये। जिससे नुकसान कम से कम हो। जब आप लम्बी अवधि के options contracts में पोजीशन बनाते हैं तो उसमे जोखिम कम होता है।

Options trading क्यों करें?

एक बार जब आप कैसे करें और options strategies को सीख लेते हैं। तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से पैसे भी कमा सकते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग के निम्नलिखित फायदों को देखते हुए आप भी ऑप्शस ट्रेडिंग करने का निर्णय ले सकते हैं-
  1. ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स इसके खरीदार को एक्सपायरी डेट पर या उससे पहले एक निश्चित प्राइस और निश्चित मात्रा में अंडरलेइंग एसेट को खरीदने और बेचने का अधिकार देते हैं। लेकिन दायित्व नहीं देते। 
  2. हेजिंग डिवाइस के रूप में उपयोग किए जाने वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स निवेशकों को जोखिम कम करने की स्ट्रेटेजी भी प्रदान कर सकते हैं। 
  3. Option trading में कम जोखिम के साथ अनलिमिटेड प्रॉफिट कमाया जा सकता है। यानि कम जोखिम के साथ हाईएस्ट रिटर्न दे सकते हैं। 
  4. इसमें एक साथ अंडरलेइंग एसेट को लॉन्ग और शार्ट किया जा सकता है। ये इक्विटी की तुलना में कम जोखिम भरे होते हैं। 
  5. ऑप्शंस ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को लचीली और जटिल ऑप्शंस स्ट्रेटेजीज भी देते हैं। जो किसी भी तरह के मार्केट में पैसा कमाकर दे सकती हैं। आप साइडवेज मार्केट में आय उत्पन्न करने में मदद के लिए कवर्ड कॉल का उपयोग कर सकते हैं। 

कुछ सामान्य ऑप्शंस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Basic Options Strategies) 

नए ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए यहाँ कुछ ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज बताई गई हैं। जिन्हें अपनाकर नये ट्रेडर्स ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं। हालाँकि, केवल कॉल या पुट खरीदने की तुलना में ये अधिक सूक्ष्म रणनीतियाँ हैं। वैसे ऑप्शन ट्रेडिंग की बहुत सारी स्ट्रेटेजीज हैं, जिनका उपयोग एक्सपर्ट ऑप्शन ट्रेडर्स के द्वारा किया जाता है। यहाँ कुछ निम्नलिखित बेसिक option trading स्ट्रेटेजीज के बारे में जानकारी दी गयी है। 

मैरिड पुट स्ट्रेटेजी (Married Put Strategy)

मैरिड पुट एक ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को दिया गया नाम है। जहां एक निवेशक, स्टॉक में लॉन्ग पोजीशन रखता है, स्टॉक की कीमत में गिरावट से बचाने के लिए उसी स्टॉक पर एट-द-मनी पुट ऑप्शन भी खरीदता है। यानि इन्वेस्टर्स द्वारा स्टॉक्स में बनाई गयी लॉन्ग पोजीशन को कवर करने के लिए एट-द-मनी Put option खरीदा जाता है। इस तरह यह एक कॉल ऑप्शन की नकल करता है। कभी-कभी  इसे सिंथेटिक कॉल भी कहा जाता है। 

प्रोटेक्टिव कॉलर स्ट्रेटेजी (Protective Collar Strategy) 

प्रोटेक्टिव कॉलर स्ट्रेटेजी में एक इन्वेस्टर, जिसने अंडरलेइंग एसेट में लॉन्ग पोजीशन बनाई हुई है। वह आउट-ऑफ़-द-मनी पुट ऑप्शन (downside) खरीदता है। और उसी समय उस स्टॉक के लिए एक आउट-ऑफ-द-मनी कॉल ऑप्शन लिखता (ऑप्शन सेलिंग) है। एक प्रोटेक्टिव कॉलर स्ट्रेटेजी में निम्न पोजीशन शामिल होती हैं-
  • अंडरलेइंग एसेट में एक लॉन्ग पोजीशन। 
  • किसी स्टॉक पर गिरावट के जोखिम को रोकने के लिए खरीदा गया पुट ऑप्शन। 
  • पुट ऑप्शन को हेज करने के लिए एक कॉल ऑप्शन को सेल करना। 
उम्मीद है, आपको यह ऑप्शंस ट्रेडिंग (How to start options trading) कैसे शुरू करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to start options trading in Hindi. आर्टिकल पसंद आये। तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के बारे कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट जरूर करें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

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