Intraday Trading Strategies: इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज जो हर ट्रेडर को पता होनी चाहिए?

Intraday Trading Strategies: शेयर मार्केट आज के समय में सिर्फ़ Investment का माध्यम ही नहीं है। बल्कि लाखों लोगों के लिए इनकम का साधन भी बन चुका है। खासकर इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) यानी एक ही दिन में शेयर खरीदना और बेचना। यह तरीका तेज़ दिमाग, अनुशासन और सही रणनीति (Strategy) की मांग करता है। जानते हैं- इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज जो हर ट्रेडर को पता होनी चाहिए? Intraday Trading Strategies in Hindi. 
                                                                                 
Intraday Trading Strategies

अगर आप सच में शेयर मार्केट सीखना चाहते हैं तो आप आर्यमन डालमिया द्वारा लिखित बफे और ग्राहम से सीखें Share market में Invest करना बुक जरूर पढ़ें। 

इंट्राडे ट्रेडिंग (IntradayTrading)

इंट्राडे ट्रेडिंग, जिसे आम भाषा में डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है। शेयर बाज़ार की एक रोमांचक और गतिशील दुनिया है। यह केवल संख्याओं और चार्ट की कला नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा सफर है। जहाँ अनुशासन, धैर्य, और भावनाओं पर नियंत्रण जैसे मानवीय गुण आपकी सफलता को निर्धारित करते हैं। 

हक़ीक़त यह है कि अधिकांश नए ट्रेडर बिना तैयारी और स्ट्रेटेजी के ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं और नुकसान उठा बैठते हैं। अगर आप वाक़ई इंट्राडे ट्रेडिंग से पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज (Intraday Trading Strategies in Hindi) ज़रूर पता होनी चाहिए।

यह लेख आपको केवल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज के बारे में नहीं बताया जायेगा। बल्कि एक सफल ट्रेडर बनने के लिए आवश्यक मानसिकता और नियमों की भी गहराई से जानकारी देगा।

यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ त्वरित लाभ की संभावना होती है, लेकिन इसके जोखिम भी उतने ही अधिक हैं। इसलिए, इस यात्रा पर निकलने से पहले, सही ज्ञान और तैयारी के साथ अपनी नींव को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है।

इस आर्टिकल का उद्देश्य आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के मूलभूत सिद्धांतों से लेकर सबसे प्रभावी स्ट्रेटेजीज और रिस्क मैनेजमेंट के तरीकों तक का एक संपूर्ण मार्गदर्शक प्रदान करना है।

IntradayTrading kya hai?

सरल शब्दों में, इंट्राडे ट्रेडिंग का अर्थ है एक ही ट्रेडिंग दिन के भीतर शेयर खरीदना और बेचना। इस प्रक्रिया में, आप मार्केट के बंद होने से पहले ही अपने सभी खुले सौदों (open positions) को समाप्त कर दिय है। 

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि शेयर्स का स्वामित्व आपके पास रात भर नहीं रहता। इसका सीधा मतलब यह है कि आप "ओवरनाइट रिस्क" से बच जाते हैं। ओवरनाइट रिस्क का मतलब है बाज़ार बंद होने के बाद किसी अप्रत्याशित घटना (जैसे कंपनी की कोई ख़राब खबर, या वैश्विक बाज़ार में बड़ा बदलाव) के कारण होने वाला नुकसान।

इंट्राडे ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य शेयरों की कीमतों में दिन के दौरान होने वाले छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव से लाभ कमाना है। यही कारण है कि इसे "Day trading" भी कहा जाता है, क्योंकि पूरी प्रक्रिया एक ही दिन के समय-सीमा के भीतर सीमित होती है। अगर सही रणनीति अपनाई जाए तो यह बेहद फायदेमंद हो सकता है। लेकिन गलतियों की वजह से बड़ा नुकसान भी हो सकता है।

Intraday VS Delivery Trading: कौन-सी स्ट्रेटेजी आपके लिए सही है?

बहुत से शुरुआती ट्रेडर अक्सर इंट्राडे ट्रेडिंग और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट (जिसे डिलीवरी ट्रेडिंग भी कहते हैं) के बीच के अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं। यह समझना जरूरी है कि दोनों अलग-अलग मानसिकता और दृष्टिकोण की मांग करते हैं।
 
एक इंट्राडे ट्रेडर एक "ट्रेडर" होता है, न कि "इन्वेस्टर"। एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर लंबे समय के लिए शेयर्स को खरीदकर रखता है। जिसका उद्देश्य कंपनी की ग्रोथ से प्रॉफिट प्राप्त करना होता है । इसके विपरीत, एक ट्रेडर का एकमात्र लक्ष्य बाज़ार की अस्थिरता (volatility) से प्रॉफिट कमाना होता है।

एक investor को धैर्य और दृढ़ता की जरूरत होती है। जबकि एक ट्रेडर को लगातार सतर्क और त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए। यही दोनों की साइकोलॉजी का मूलभूत अंतर है। 

एक सफल ट्रेडर कभी भी अपनी पोजीशन को "investment" के रूप में नहीं देखता। वह जानता है कि उसकी सफलता के मोमेंटम की गति को पहचानने और उस पर तेजी से प्रतिक्रिया करने पर निर्भर करती है।

Intraday Trading के Success Mantra 

इंट्राडे ट्रेडिंग में, जहाँ अधिकांश लोग पैसे गंवाते हैं। वहीं कुछ लोग लगातार प्रॉफिट कमाते हैं। उनकी सफलता का रहस्य किसी जादुई स्ट्रेटेजी में नहीं है। बल्कि कुछ निम्नलिखित बुनियादी और कठोर नियमों के पालन में छिपा है-

1. Risk Management

ट्रेडिंग में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण नियम है। अपने पैसे की सुरक्षा करना, न कि प्रॉफिट कमाना। यदि आप अपनी पैसे को सुरक्षित नहीं रख सकते, तो आप मार्केट में लंबे समय तक टिक नहीं पाएंगे। अतः आप अनुभव और प्रॉफिट दोनों से वंचित रह जाएंगे। सिर्फ रिस्क मैनेजमेंट इसी सुरक्षा कवच को प्रदान करता है।

इसका सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत '2% का नियम' है। यह नियम कहता है कि आपको अपनी कुल ट्रेडिंग पूंजी के 2% से अधिक का जोखिम किसी भी एक ट्रेड पर नहीं लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 50,000 रूपये की पूंजी है, तो किसी भी एक ट्रेड पर आपका संभावित नुकसान 1,000 रूपये से अधिक का नहीं होना चाहिए।
 
यह नियम Trading discipline को बढ़ावा देता है और सुनिश्चित करता है कि किसी भी एकट्रेड का नुकसान आपकी पूरी पूंजी को खत्म न कर दे। रिस्क मैनेजमेंट का एक और अनिवार्य पहलू है 'स्टॉप-लॉस' का उपयोग करना। यह इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे महत्वपूर्ण नियम है।
 
स्टॉप-लॉस एक ऑटोमेटिक ऑर्डर होता है जो आपके नुकसान को एक पूर्व-निर्धारित स्तर पर सीमित कर देता है। स्टॉप-लॉस के बिना, एक अप्रत्याशित मूल्य गिरावट आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है । यह आपके सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो आपको भावनात्मक निर्णय लेने से रोकता है।

विभिन्न स्रोतों में स्टॉप-लॉस के बार-बार उल्लेख से यह स्पष्ट होता है कि यह केवल एक टूल नहीं, बल्कि एक गैर-परक्राम्य नियम है। यह ट्रेडर को यह मानसिकता अपनाने के लिए मजबूर करता है कि नुकसान को स्वीकार करना और पूंजी को बचाना ही बाज़ार में बने रहने का एकमात्र तरीका है।

2. Sahi Stock ka Chunav

एक सफल इंट्राडे ट्रेडर बनने के लिए सही स्टॉक का चुनाव करना पहला और सबसे जरूरी कदम है। इसके लिए दो प्रमुख पहलू हैं, जिन पर ध्यान देना चाहिए-

  1. तरलता (Liquidity): आपको ऐसे स्टॉक चुनने चाहिए, जिनमें हाई लिक्विडिटी हो, यानी जिनकी खरीद-बिक्री की मात्रा बहुत अधिक हो। हाई लिक्विडिटी यह सुनिश्चित करती है कि आप बिना किसी बड़ी कीमत के उतार-चढ़ाव के आसानी से ट्रेड में enter & exit कर सकते हैं। कम लिक्विड स्टॉक को यदि आप बेचना चाहते हैं तो उसका खरीदार मिलना मुश्किल हो सकता है, जिससे आप फँस सकते हैं।

  2. अस्थिरता (Volatility): एक नए ट्रेडर को अत्यधिक वोलैटाइल और अप्रत्याशित शेयरों से दूर रहना चाहिए। इनमें नुकसान की आशंका अधिक होती है। इसके विपरीत, एक अनुभवी ट्रेडर मध्यम volatility वाले स्टॉक की तलाश करता है क्योंकि यही उतार-चढ़ाव इंट्राडे प्रॉफिट कमाने का मूल स्रोत होता है। वोलैटिलिटी का मतलब अराजकता नहीं है, बल्कि एक पूर्वानुमानित प्राइस रेंज के भीतर होने वाला मूवमेंट है। जिसे टेक्निकल एनालिसिस के माध्यम से ट्रैक किया जा सकता है।

  3.  Fear & Greed से बचें और टार्गेट सेट करें: "लालच" इंट्राडे ट्रेडिंग का सबसे बड़ा दुश्मन है । एक बार जब आपका निर्धारित टार्गेट प्राइस प्राप्त हो जाए, तो अपनी पोजीशन को बंद कर दें और प्रॉफिट बुक करें । झूठी उम्मीद में पोजीशन को होल्ड न करें कि आपको अगले दिन अधिक प्रॉफिट मिलेगा । यह एक भावनात्मक जाल है जिसमें कई ट्रेडर फंस जाते हैं, जिससे उनका लाभ देखते ही देखते नुकसान में बदल जाता है।

Best Indraday Trading Strategies

इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता के लिए कई रणनीतियाँ मौजूद हैं, जिनमें से कुछ सबसे लोकप्रिय और प्रभावी रणनीतियों का विवरण नीचे दिया गया है।

1. मोमेंटम ट्रेडिंग (Momentum Trading): यह strategy तब सबसे प्रभावी होती है, जब Share market में किसी विशेष दिशा में एक स्पष्ट और मजबूत ट्रेंड होता है। चाहे वह बुलिश हो या फिर बेयरिश। मोमेंटम ट्रेडर इस मजबूत price momentum की पहचान करते हैं और उसी दिशा में ट्रेड करते हैं। 

उदाहरण के लिए, यदि कोई स्टॉक मजबूत बुलिश (तेज़ी) मोमेंटम दिखाता है, तो ट्रेडर लॉन्ग पोजीशन (buy) ले सकता है और कीमत बढ़ने पर प्रॉफिट बुक कर सकता है। इसी तरह, यदि कोई स्टॉक बेरिश (मंदी) मोमेंटम दिखाता है, तो वह शॉर्ट-सेलिंग (पहले बेचना, फिर खरीदना) का उपयोग कर सकता है

2. रिवर्सल ट्रेडिंग (Reversal Trading): यह मोमेंटम ट्रेडिंग के विपरीत काम करती है। यह स्ट्रेटेजी तब उपयोग की जाती है, जब मार्केट में ट्रेंड रिवर्सल की संभावना हो । इस स्ट्रेटेजी में, ट्रेडर कैंडलस्टिक चार्ट और टेक्निकल इंडीकेटर्स का उपयोग करके ट्रेंड रिवर्सल के संकेतों का आकलन करता है। 

यदि सभी संकेत किसी अप्रत्याशित रिवर्सल की ओर इशारा करते हैं, तो ट्रेडर तदनुसार अपनी पोजीशन ले सकता है। चूँकि यह वर्तमान ट्रेंड के विपरीत होती है, इसे एक हाई रिस्क, हाई रिवॉर्ड वाली स्ट्रेटेजी माना जाता है

3. ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट (ORB) स्ट्रेटेजी: यह सबसे सरल और लोकप्रिय Intraday trading strategies में से एक है । इसकी सरलता इस तथ्य से आती है कि इसमें किसी जटिल इंडिकेटर की आवश्यकता नहीं होती है और इसे एक नौसिखिया ट्रेडर भी आसानी से उपयोग कर सकता है। 

इस स्ट्रेटेजी में, ट्रेडर मार्केट के खुलने के बाद पहले 15 मिनट की प्राइस रेंज (हाईएस्ट और लोएस्ट प्राइस) को निर्धारित करता है। इसके बाद, ट्रेडर इस रेंज से ऊपर या नीचे ब्रेकआउट होने पर ट्रेड करता है। यह Trading strategy उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। जो सुबह जल्दी ट्रेड करके अपना काम खत्म करना चाहते हैं।

4. स्कैल्पिंग (Scalping) स्ट्रेटेजी: स्कैल्पिंग एक हाई-फ्रीक्वेंसी वाली In-depth strategy है। स्कैल्पर बड़े मूल्य परिवर्तनों की प्रतीक्षा करने के बजाय, बहुत छोटे मूल्य आंदोलनों से लाभ कमाने का लक्ष्य रखते हैं, अक्सर कुछ सेकंड या मिनटों के भीतर । इस रणनीति में ट्रेडर पूरे दिन कई सौदे करता है, और प्रत्येक सौदे से मिलने वाला छोटा प्रॉफिट समय के साथ एक बड़ी राशि में बदल जाता है। 
स्कैल्पिंग केवल एक स्ट्रेटेजी नहीं, बल्कि एक प्रकार का "शिल्प" (craft) है जो अनुभव के साथ बेहतर होता है। इसमें हाई लिक्विड स्टॉक्स पर ध्यान केंद्रित करना, त्वरित निर्णय लेना और अत्यधिक अनुशासन बनाए रखना जरूरी है।
 
स्कैल्पिंग एक "तेज़ फीडबैक लूप" प्रदान करती है। जिससे ट्रेडर को अपनी स्ट्रेटेजी और एजीक्यूशन पर तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है। हालाँकि यह आकर्षक लग सकती है, इसके लिए आवश्यक मानसिक और टेक्निकल दक्षता के बिना इसे आजमाना भारी नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए इसे नए ट्रेडर के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता है।

5. प्राइस एक्शन ट्रेडिंग (Price Action Trading): यह स्ट्रेटेजी बिना किसी टेक्निकल इंडिकेटर के केवल चार्ट, कैंडलस्टिक पैटर्न और प्राइस एक्शन को पढ़कर ट्रेड करने पर आधारित है। यह मार्केट की सीधी भाषा को समझने पर ध्यान केंद्रित करती है और इसे अक्सर एक Advanced Strategy माना जाता है।

Technical analysis: सफलता का हथियार

सफल इंट्राडे ट्रेडर बनने के लिए आपको टेक्निकल एनालिसिस में एक्सपर्ट बनना जरूरी है। यह आपको Stock market की गति को समझने और डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद करता है।

कैंडलस्टिक चार्ट टेक्निकल एनालिसिस का सबसे बेसिक और महत्वपूर्ण टूल है । प्रत्येक कैंडल (मोमबत्ती) एक निर्धारित टाइम फ्रेम के लिए प्राइस के मोमेंटम को दर्शाती है और इसके चार मुख्य भाग होते हैं-
  • Open (ओपन): निश्चित समय के दौरन स्टॉक का पहला ट्रेड प्राइस।
  • High (हाई): निश्चित समय के दौरान पहुंचा गया हाईएस्ट प्राइस।
  • Low (लो): निश्चित समय के दौरान पहुंचा गया लोएस्ट प्राइस।
  • Close (क्लोज): निश्चित समय के अंत में स्टॉक का अंतिम ट्रेड प्राइस।
कैंडल का रंग भी महत्वपूर्ण होता है  लाल कैंडल एक मंदी (bearish) की अवधि को दर्शाती है। जबकि हरी कैंडल एक तेज़ी (bullish) की अवधि को दर्शाती है। इन कैंडल्स के पैटर्न को समझकर, ट्रेडर मार्केट सेंटीमेंट और संभावित ट्रेंड रिवर्सल का अनुमान लगा सकता है।

निम्नलिखित कुछ प्रमुख कैंडलस्टिक पैटर्न दिए गए हैं-

पैटर्न का नामसंकेत
हैमर पैटर्नयह बेयरिश के ट्रेंड के नीचे बनता है और एक मजबूत बुलिश ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देता है।
शूटिंग स्टारयह अपट्रेंड के टॉप पर बनता है और आने वाली गिरावट का संकेत देता है।
बुलिश एनगल्फिंगएक बड़ी हरी कैंडल जो पिछली छोटी लाल कैंडल को पूरी तरह से घेर लेती है। यह एक मजबूत तेज़ी के ट्रेंड की शुरुआत का संकेत है।
बियरिश एनगल्फिंगएक बड़ी लाल कैंडल जो पिछली छोटी हरी कैंडल को पूरी तरह से घेर लेती है। यह एक मजबूत बेयरिश ट्रेंड की शुरुआत का संकेत है।
थ्री ब्लैक क्रोज़लगातार तीन लाल कैंडल्स, जो एक मजबूत बेयरिश ट्रेंड का संकेत देती हैं।

Sbse jruri Indicators

कैंडलस्टिक पैटर्न के अलावा, कई तकनीकी संकेतक भी ट्रेडर को निर्णय लेने में मदद करते हैं:
  1. मूविंग एवरेज (Moving Average): यह एक निर्धारित अवधि में स्टॉक के एवरेज क्लोजिंग प्राइस को जोड़ता है। यह मार्केट प्राइस के अंतर्निहित मूवमेंट को समझने में मदद करता है, जिससे अनावश्यक उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है।
  2. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): यह बताता है कि कोई स्टॉक 'ओवरबॉट' (अत्यधिक खरीदा गया) या 'ओवरसोल्ड' (अत्यधिक बेचा गया) है या नहीं। यह बाज़ार में संभावित ट्रेंड रिवर्सल की पहचान करने में मदद करता है
  3. बोलिंगर बैंड्स (Bollinger Bands): यह एक एडवांस इंडिकेटर है जिसमें तीन लाइनें होती हैं। एक मूविंग एवरेज और दो ऊपरी और निचली सीमाएं। यह स्टॉक की कीमत की वोलैटिलिटी और सीमा को समझने में मदद करता है

ट्रेडिंग मनोविज्ञान और अनुशासन

एक सफल इंट्राडे ट्रेडर बनने के लिए, तकनीकी ज्ञान जितना ही महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है एक मजबूत मनोवैज्ञानिक मानसिकता का निर्माण करना। Share market में आपकी असफलता का कारण अक्सर स्ट्रेटेजी की कमी नहीं, बल्कि भावनात्मक नियंत्रण की कमी होती है।

Fear & Greed: आपकी ट्रेडिंग के सबसे बड़े दुश्मन: डर और लालच वे दो भावनाएं हैं जो तर्कसंगत निर्णय लेने की आपकी क्षमता को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं। जब आप लाभ में होते हैं, तो लालच आपको यह सोचने पर मजबूर करता है कि आपको और अधिक प्रॉफिट मिलेगा। 

जिससे आप अपने प्रॉफिट को बुक करने से चूक जाते हैं। अंततः नुकसान में चले जाते हैं। दूसरी ओर, जब आप नुकसान में होते हैं, तो डर आपको समय से पहले ही अपनी पोजीशन को बंद करने के लिए मजबूर कर सकता है। भले ही आपकी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सही हो।

अनुभवी ट्रेडर इन भावनाओं को पहचानते हैं और उन्हें अपने निर्णयों पर हावी नहीं होने देते। वे अपने पूर्व-निर्धारित नियमों और योजनाओं का सख्ती से पालन करते हैं, जिससे आवेगपूर्ण (impulsive) ट्रेडिंग से बचा जा सकता है

जब नुकसान हो तो क्या करें: रिवेंज ट्रेडिंग से कैसे बचें: ट्रेडिंग में नुकसान एक अनिवार्य हिस्सा है; कोई भी ट्रेडर हमेशा नहीं जीत सकता । लेकिन जब नुकसान होता है, तो कई ट्रेडर एक बड़ी गलती करते हैं जिसे "रिवेंज ट्रेडिंग" कहते हैं। 

इसमें ट्रेडर अपने नुकसान को तुरंत वापस पाने के लिए एक बड़ा या जोखिम भरा ट्रेड लेता है, जो अक्सर बिना किसी योजना के होता है । यह एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है जो बड़े वित्तीय नुकसान का कारण बन सकती है।

एक मजबूत मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले ट्रेडर नुकसान को सीखने के एक अवसर के रूप में देखते हैं। वे अपने नुकसान का एनालिसिस करते हैं। अपनी गलतियों को समझते हैं, और फिर अपने Trading plan पर वापस लौटते हैं। वे अपनी पूंजी की रक्षा करते हैं और अनुशासन बनाए रखते हैं।

सामान्य गलतियाँ जो नए ट्रेडर करते हैं

यह समझना महत्वपूर्ण है कि सफल ट्रेडर क्या करते हैं, लेकिन यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वे किन गलतियों से बचते हैं-
  • केवल टिप्स पर निर्भर रहना: बिना खुद रिसर्च किए या तकनीकी विश्लेषण किए दूसरों की सलाह पर ट्रेड करना।
  • गलत स्टॉक का चुनाव: कम तरलता वाले या अत्यधिक अस्थिर स्टॉक का चयन करना, जो आपको फँसा सकता है
  • स्टॉप-लॉस का उपयोग न करना: यह सबसे बड़ी और सबसे महंगी गलती है जो नए ट्रेडर करते हैं
  • ओवरट्रेडिंग: अनावश्यक रूप से बहुत अधिक ट्रेड लेना, जो अक्सर भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के कारण होता है। ओवरट्रेडिंग से ब्रोकरेज और अन्य शुल्क भी बढ़ जाते हैं
  • एक ही बार में बड़ा निवेश करना: शुरुआती लोगों के लिए हमेशा छोटी पूंजी से शुरुआत करने की सलाह दी जाती है

निष्कर्ष: आपका इंट्राडे ट्रेडिंग का सफर

इंट्राडे ट्रेडिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो धैर्य, अनुशासन और निरंतर सीखने की मांग करता है। यह रातोंरात अमीर बनने की कोई योजना नहीं है, बल्कि एक कौशल है जिसे समय और अभ्यास के साथ निखारा जाता है।

इस आर्टिकल में चर्चा की गई सभी Trading strategies, रूल्स और टेक्निकल इंस्ट्रूमेंट एक सफल ट्रेडर बनने के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करते हैं। लेकिन अंततः, आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि आप इन सिद्धांतों को कितनी सख्ती से लागू करते हैं। रिस्क मैनेजमेंट को अपना सुरक्षा कवच बनाएं  लालच और डर जैसी भावनाओं को नियंत्रित करें, और अपनी गलतियों से सीखें।

याद रखें, Share market हमेशा एक नया अवसर प्रदान करेगा। यदि आप एक ट्रेड खो देते हैं, तो निराश न हों। अपने आप को समय और मौका दें, और सही ज्ञान और मानसिकता के साथ, आप भी इंट्राडे ट्रेडिंग के इस रोमांचक और प्रॉफिटेबल सफर में महारत हासिल कर सकते हैं।

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