Intraday Option Trading: इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कैसे बनाएँ?

 इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का एक रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण मैथड है। इसमें आप स्टॉक्स, इंडेक्स या अन्य एसेट्स के ऑप्शन खरीदते और बेचते हैं। यह आपको एक दिन दिन में ही पूरा करना होता है। यह तेज़ गति से निर्णय लेने और सही स्ट्रेटेजी अपनाने पर निर्भर करता है। 

यदि सही टेक्निक और ट्रेडिंग डिसिप्लिन का पालन किया जाए तो इसमें अच्छा प्रॉफिट कमाया जा सकता है। जानते हैं- इंट्राडे में ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कैसे बनाएँ? Intraday option trading guide in Hindi.
                                                                               
Intraday option trading
जानें इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग में अधिकांश ट्रेडर्स के फेल होने के चौंकाने वाले कारण। अपनी ट्रेडिंग को सुधारें और उन 90% में शामिल होने से बचें। 

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको राजीव एल.बी रॉय द्वारा लिखित ऑप्शन ट्रेडिंग गीता जरूर पढ़नी चाहिए। 

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमाएं? (Intraday Options Trading)

शेयर बाजार में तेजी से पैसा कमाने का सपना कई लोग देखते हैं। "इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग" इस सपने को पूरा करने के एक आकर्षक तरीके के रूप में सामने आता है। यह सच है कि इसमें कम समय में बड़ा प्रॉफिट कमाने की क्षमता है लेकिन यह भी उतना ही सच है। यह बिना सही जानकारी और स्ट्रेटेजी के यह बड़ा नुकसान भी करा सकता है।

 इस आर्टिकल में हम Intraday option trading की दुनिया में गहराई से उतरेंगे। यह क्या है, यह कैसे काम करता है, इसमें सफल होने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, और सबसे महत्वपूर्ण, इससे पैसे कैसे बनाए जा सकते हैं। यह आर्टिकल खासकर उन लोगों के लिए है जो इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग की मूल बातें समझना चाहते हैं और एक सफल ट्रेडर बनने की दिशा में पहला कदम बढ़ाना चाहते हैं। 

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? (What is Intraday Option Trading?) 

सबसे पहले निम्नलिखित शब्दों को तोड़कर समझते हैं-
  1. ऑप्शन (Option): यह एक अनुबंध (contract) है जो खरीदार को एक निश्चित समय अवधि (expiry date) के भीतर, एक निश्चित मूल्य (strike price) पर किसी अंडरलाइंग एसेट (जैसे स्टॉक, इंडेक्स) को खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, बाध्यता नहीं।
  2. ट्रेडिंग (Trading): इसका सीधा सा मतलब है खरीदना और बेचना होता है। 
  3. इंट्राडे (Intraday): इसका मतलब है "एक ही दिन के भीतर"। इंट्राडे ट्रेडिंग में, आप उसी दिन अपनी पोजीशन खरीदते और बेचते हैं। मार्केट बंद होने से पहले। आप अपनी पोजीशन को अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करते।
इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग का मतलब है एक ही ट्रेडिंग दिवस के भीतर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट्स को Buy & Sell करना। ताकि शार्ट टर्म प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाया जा सके। यह त्वरित निर्णय लेने और मार्केट की नब्ज को समझने की क्षमता की मांग करता है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग की मूल बातें (Fundamentals of Option Trading) 

ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आपको इसकी बेसिक शब्दावली को जरूर समझना चाहिए। 
  • अंडरलाइंग एसेट (Underlying Asset): यह वह संपत्ति है जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट आधारित होता है। यह कोई स्टॉक (जैसे रिलायंस, टीसीएस), स्टॉक इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50, बैंक निफ्टी), करेंसी या कमोडिटी हो सकता है।
  • कॉल ऑप्शन (Call Option): यह खरीदार को यह अधिकार देता है कि वह एक्सपायरी डेट तक या उससे पहले स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट खरीद सके। कॉल ऑप्शन तब खरीदा जाता है, जब ट्रेडर को उम्मीद होती है कि अंडरलाइंग एसेट के प्राइस बढ़ेंगे, यानि शेयर का प्राइस Uptrend में रहेगा। 
  • पुट ऑप्शन (Put Option): यह खरीदार को यह अधिकार देता है कि वह एक्सपायरी डेट तक या उससे पहले स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट बेच सके। पुट ऑप्शन तब खरीदा जाता है, जब ट्रेडर को उम्मीद होती है कि अंडरलाइंग एसेट के प्राइस गिरेंगे, यानि शेयर का प्राइस Downtrend में रहेगा।
  • स्ट्राइक प्राइस (Strike Price): यह वह पूर्व-निर्धारित प्राइस होता है, जिस पर ऑप्शन खरीदार अंडरलाइंग एसेट को खरीद (कॉल के मामले में) या बेच (पुट के मामले में) सकता है।
  • एक्सपायरी डेट (Expiry Date): यह वह तारीख है, जब ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट समाप्त हो जाता है। भारतीय बाजारों में, स्टॉक ऑप्शंस की मासिक एक्सपायरी होती है (महीने के आखिरी गुरुवार को), जबकि इंडेक्स ऑप्शंस (निफ्टी और सेंसेक्स) की साप्ताहिक और मासिक दोनों तरह की एक्सपायरी होती है। इंट्राडे ट्रेडर्स अक्सर साप्ताहिक एक्सपायरी वाले ऑप्शंस पसंद करते हैं।
  • प्रीमियम (Premium): यह वह कीमत है जो ऑप्शन खरीदार, ऑप्शन विक्रेता (राइटर) को ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट खरीदने के लिए चुकाता है। यह प्रीमियम कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे अंडरलाइंग एसेट का वर्तमान प्राइस, स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी में बचा समय और बाजार की अस्थिरता (volatility)।
  • ऑप्शन बायर (Option Buyer): वह व्यक्ति होता है जो प्रीमियम का भुगतान करके कॉल या पुट ऑप्शन खरीदता है। ऑप्शन बायर का जोखिम सीमित होता है (भुगतान किया गया प्रीमियम) और लाभ असीमित हो सकता है।
  • ऑप्शन सेलर/राइटर (Option Seller/Writer): वह व्यक्ति जो प्रीमियम प्राप्त करके कॉल या पुट ऑप्शन बेचता है। ऑप्शन सेलर का लाभ सीमित होता है (प्राप्त प्रीमियम) और जोखिम असीमित हो सकता है इसलिए इसे अधिक जोखिम भरा माना जाता है। खासकर नए ट्रेडर्स के लिए। इंट्राडे में कुशल ट्रेडर्स ऑप्शन सेलिंग भी करते हैं।  

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों चुनें? (Why Choose Intraday Option Trading?) 

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग चुनने के कुछ मुख्य आकर्षण निम्नलिखित हैं- 
  • कम पूंजी की आवश्यकता (Lower Capital Requirement): इक्विटी डिलीवरी या फ्यूचर्स ट्रेडिंग की तुलना में, ऑप्शन खरीदने के लिए अक्सर कम पैसे की जरूरत होती है (विशेष रूप से आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शंस)।
  • हाई लिवरेज (High Leverage): ऑप्शन स्वाभाविक रूप से लिवरेज्ड प्रोडक्ट हैं। इसका मतलब है कि आप कम पैसे लगाकर बड़ी पोजीशन को नियंत्रित कर सकते हैं। यदि बाजार आपके अनुसार चलता है तो काफी बड़ा प्रॉफिट हो सकता है। हालांकि, लिवरेज एक दोधारी तलवार है क्योंकि इससे नुकसान भी बड़ा ही होता है।
  • सीमित जोखिम (Limited Risk for Buyers): ऑप्शन खरीदारों के लिए, अधिकतम नुकसान भुगतान किए गए प्रीमियम तक सीमित होता है।
  • बाजार की दोनों दिशाओं में लाभ की संभावना: आप कॉल ऑप्शन खरीदकर बढ़ते बाजार से और पुट ऑप्शन खरीदकर गिरते बाजार से लाभ कमा सकते हैं।
  • कोई ओवरनाइट जोखिम नहीं (No Overnight Risk): चूंकि सभी पोजीशन उसी दिन बंद कर दी जाती हैं इसलिए आप अगले दिन बाजार खुलने पर होने वाले अप्रत्याशित गैप-अप या गैप-डाउन से बच जाते हैं।

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कमाने की तैयारी (Preparing for Intraday Option Trading) 

सिर्फ एक डीमैट खाता खोलकर और कुछ पैसे जमा करके इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करना आपको सफलता की गारंटी नहीं देता। इसके लिए उचित तैयारी की जरूरत होती है- 
  1. ज्ञान और शिक्षा (Knowledge and Education): ऑप्शन ट्रेडिंग की मूल बातें, शब्दावली और विभिन्न रणनीतियों को अच्छी तरह समझें।
  2. टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) सीखें: चार्ट पढ़ना, कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पहचानना, और विभिन्न इंडिकेटर्स (जैसे RSI, MACD, मूविंग एवरेज, बोलिंगर बैंड) का उपयोग करना सीखें।
  3. ऑप्शन चेन विश्लेषण (Option Chain Analysis): ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा को समझना बहुत जरूरी होता है। इससे आपको बाजार की संभावित दिशा और सपोर्ट/रेजिस्टेंस क्षेत्रों का पता लगाने में मदद मिलती है। ऑप्शन चैन एनालिसिस के द्वारा आप इसे आसानी से समझ सकते हैं। 
  4. पूंजी (Capital): केवल वही पैसा ऑप्शन ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करें। जिसे आप खोने का जोखिम उठा सकते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग, खासकर ऑप्शंस ट्रेडिंग हाई रिस्क हाई रिटर्न वाला हो होता है। अतः शुरुआत में छोटी पूंजी से ट्रेड करें।
  5. डीमैट और ट्रेडिंग खाता (Demat and Trading Account): एक अच्छे और विश्वसनीय ब्रोकर के साथ डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें।
  6. अच्छा ब्रोकर (Good Broker): ऐसा stockbroker  चुनें, जिसकी ब्रोकरेज कम हो (खासकर इंट्राडे के लिए), ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तेज और स्थिर हो, और ग्राहक सेवा अच्छी हो।
  7. तेज इंटरनेट और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (Fast Internet and Trading Platform): इंट्राडे ट्रेडिंग में त्वरित निर्णय लेने और उन्हें तुरंत निष्पादित करने की आवश्यकता होती है। एक तेज और विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन और एक यूजर-फ्रेंडली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बहुत जरूरी है।  

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Strategies for Intraday Option Trading) 

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता के लिए सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का चुनाव महत्वपूर्ण है। कुछ लोकप्रिय ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज निम्नलिखित हैं- 
  • ट्रेंड के साथ ट्रेडिंग (Trading with the Trend): यह सबसे आम और अक्सर सफल रहने वाली ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। यदि बाजार का समग्र रुझान तेजी का है, तो कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचने पर ध्यान दें। यदि रुझान मंदी का है, तो पुट ऑप्शन खरीदने या कॉल ऑप्शन बेचने पर विचार करें। ट्रेंड की पहचान के लिए मूविंग एवरेज, ट्रेंड लाइन्स जैसे टेक्निकल टूल्स का उपयोग करें।
  • ब्रेकआउट ट्रेडिंग (Breakout Trading): जब किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत एक महत्वपूर्ण सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ती है तो इसे ब्रेकआउट कहा जाता है। रेजिस्टेंस के ऊपर ब्रेकआउट होने पर कॉल ऑप्शन खरीदें। सपोर्ट लेवल के नीचे ब्रेकडाउन होने पर पुट ऑप्शन खरीदें। अधिक वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट अधिक विश्वसनीय होते हैं।
  • ऑप्शन बाइंग (Option Buying): यह नए ट्रेडर्स के लिए अधिक उपयुक्त है क्योंकि इसमें जोखिम सीमित (प्रीमियम तक) होता है। सही स्ट्राइक प्राइस का चुनाव जरूरी है। एट-द-मनी (ATM) या स्लाइटली इन-द-मनी (ITM) ऑप्शंस में मूवमेंट अच्छा होता है। डीप आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) ऑप्शंस सस्ते तो होते हैं लेकिन उनके प्रॉफिटेबल होने की संभावना कम होती है, खासकर इंट्राडे में जब थीटा डिके के कारण प्रीमियम तेजी से घटता है।
  • ऑप्शन सेलिंग/राइटिंग (Option Selling/Writing): इसमें ऑप्शन बेचकर प्रीमियम कमाया जाता है। यह तब अधिक फायदेमंद होता है, जब बाजार साइडवेज हो यानि मार्केट में वोलैटिलिटी कम होने की उम्मीद हो। ऑप्शन सेलिंग में लाभ सीमित (प्राप्त प्रीमियम) होता है लेकिन नुकसान असीमित हो सकता है। अतः इसके लिए अधिक पूंजी और बेहतर रिस्क मैजेजमेंट की आवश्यकता होती है। इंट्राडे में, ट्रेडर्स अक्सर थीटा डिके (समय के साथ ऑप्शन के मूल्य में कमी) का लाभ उठाने के लिए ऑप्शन बेचते हैं।
  • न्यूज-आधारित ट्रेडिंग (News-based Trading): कभी-कभी किसी कंपनी, सेक्टर या अर्थव्यवस्था से जुड़ी बड़ी खबरें बाजार में अचानक बड़ी हलचल पैदा कर सकती हैं। ऐसे समय में त्वरित निर्णय लेकर सही दिशा में ऑप्शन ट्रेड लिया जा सकता है। हालांकि, यह बहुत जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि खबरें अक्सर अप्रत्याशित होती हैं और बाजार की प्रतिक्रिया भी ापत्यशित होती है।
  • स्कैल्पिंग (Scalping): यह बहुत छोटी अवधि की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है जिसमें छोटे मुनाफे के लिए कई ट्रेड किए जाते हैं। स्कैल्पर्स कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक अपनी पोजीशन होल्ड करते हैं। इसके लिए अत्यधिक फोकस, तेज निर्णय लेने की क्षमता और कम ब्रोकरेज की आवश्यकता होती है। 

इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग में  टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग (Technical Analysis in Intraday Option Trading) 

टेक्निकल एनालिसिस इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आपको ट्रेड में सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट खोजने में मदद करता है। 
  • कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Patterns): यह पैटर्न मार्केट सेंटीमेंट और संभावित प्राइस मूवमेंट के बारे में संकेत देते हैं। डोजी, हैमर, शूटिंग स्टार, बुलिश एनगल्फिंग, बेयरिश एनगल्फिंग आदि महत्वपूर्ण कैंडलस्टिक पैटर्न हैं। 
  • सपोर्ट और रेजिस्टेंस (Support and Resistance): ये वे प्राइस लेवल्स होते हैं, जहां से शेयर प्राइस को नीचे जाने या ऊपर जाने में कठिनाई होती है। इन लेवल्स के पास ट्रेडिंग के अच्छे अवसर मिल सकते हैं क्योंकि सपोर्ट लेवल बाइंग पॉइंट होता है और रेजिस्टेंस लेवल सेलिंग लेवल होता है। 
  • मूविंग एवरेज (Moving Averages): ये ट्रेंड की दिशा और संभावित सपोर्ट/रेजिस्टेंस स्तरों को पहचानने में मदद करते हैं। 5 EMA, 9 EMA, 20 EMA, 50 EMA इंट्राडे के लिए लोकप्रिय हैं।
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI - Relative Strength Index): यह ओवरबॉट (70 से ऊपर) और ओवरसोल्ड (30 से नीचे) स्थितियों को इंगित करता है।
  • MACD (Moving Average Convergence Divergence): यह ट्रेंड की दिशा और गति को पहचानने में मदद करता है।
  • वॉल्यूम (Volume): किसी भी प्राइस मूवमेंट की पुष्टि के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर होता है। हाई वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट अधिक विश्वसनीय होते हैं।

ऑप्शन चैन और ओपन इंटरेस्ट (Option Chain and Open Interest) 

आपको ऑप्शन चैन और ओपन इंटरेस्ट से मिलने वाले निम्नलिखित संकेतों को पहचानना सीखें- 
  1. ऑप्शन चेन (Option Chain): यह एक सूची होती है जिसमें किसी विशेष अंडरलाइंग एसेट के लिए सभी उपलब्ध कॉल और पुट ऑप्शंस, उनके स्ट्राइक प्राइस, प्रीमियम, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के साथ सूचीबद्ध होते हैं।
  2. ओपन इंटरेस्ट (Open Interest - OI): यह किसी विशेष स्ट्राइक प्राइस पर खुले (यानी, सेटल नहीं हुए) ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल संख्या को दर्शाता है।
  3. जिस स्ट्राइक प्राइस पर कॉल ऑप्शन का OI सबसे अधिक होता है। वह अक्सर एक मजबूत रेजिस्टेंस के रूप में काम करता है।
  4. जिस स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शन का OI सबसे अधिक होता है, वह अक्सर एक मजबूत सपोर्ट के रूप में काम करता है।
  5. OI में बदलाव (OI Change) बाजार की दिशा के बारे में महत्वपूर्ण सुराग दे सकता है।
  6. इंट्राडे ट्रेडर्स अक्सर OI डेटा का विश्लेषण करके मार्केट की संभावित दिशा और महत्वपूर्ण लेवल्स का अनुमान लगाते हैं।

रिस्क मैनेजमेंट: सफलता की गारंटी 

ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर कोई चीज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है तो वह है Risk Management। इसके बिना आप कितनी भी अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बना लें लेकिन लंबे समय तक टिक नहीं पाएंगे। 
  • स्टॉप-लॉस (Stop-Loss): यह आपका सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है। हर ट्रेड में एंट्री के साथ ही एक स्टॉप-लॉस तय करें। यह वह लेवल है, जहां यदि ट्रेड आपके विपरीत जाता है तो आप छोटे नुकसान के साथ बाहर निकल जाएंगे। कभी भी स्टॉप-लॉस के बिना ट्रेड न करना चाहिए। स्टॉप-लॉस को अपनी मनमर्जी से नहीं बदलना चाहिए।
  • पोजीशन साइजिंग (Position Sizing): अपनी कुल ट्रेडिंग कैपिटल का एक छोटा सा हिस्सा ही एक ट्रेड में लगाएं (जैसे 1-2%)। कभी भी एक ही ट्रेड में अपनी सारी पूंजी न झोंक दें।
  • रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो (Risk-Reward Ratio): ऐसे ट्रेड लें जिनमें संभावित प्रॉफिट संभावित नुकसान से अधिक हो (जैसे 1:2 या 1:3) लेने चाहिए।
  • ओवरट्रेडिंग से बचें (Avoid Overtrading): दिन भर में बहुत सारे ट्रेड करने से बचें। यह थकान, खराब निर्णय और ब्रोकरेज लागत को बढ़ाता है। एक निश्चित संख्या में ट्रेड या एक निश्चित लाभ/हानि के बाद ट्रेडिंग बंद कर दें।
  • भावनाओं पर नियंत्रण (Control Emotions): डर और लालच ट्रेडिंग के सबसे बड़े दुश्मन हैं। अपनी भावनाओं को अपने निर्णयों पर हावी न होने दें। यदि लगातार नुकसान हो रहा है, तो कुछ समय के लिए ट्रेडिंग से ब्रेक लें।
  • रिवेंज ट्रेडिंग न करें (Don't Do Revenge Trading): एक नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत दूसरा बड़ा ट्रेड लेना अक्सर और बड़े नुकसान का कारण बनता है।
निष्कर्ष: इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग निश्चित रूप से शेयर बाजार से पैसे कमाने का एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है। इसमें कम समय में हाई रिटर्न की क्षमता है लेकिन यह अपने साथ हाई रिस्क भी लाता है। सफलता के लिए ज्ञान, सही Intraday Option Trading, ट्रेडिंग डिसिप्लिन, और सबसे महत्वपूर्ण, एक्ससीलेंट  मैनेजमेंट की जरूरत होती है।

याद रखें, इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग कोई "जल्दी अमीर बनने की योजना" नहीं है। यह एक कौशल है जिसे समय, अभ्यास और समर्पण के साथ विकसित किया जा सकता है। छोटी शुरुआत करें, अपनी गलतियों से सीखें, और कभी भी सीखना बंद न करें। यदि आप इन सिद्धांतों का पालन करते हैं तो आप इंट्राडे ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता की संभावनाओं को काफी बढ़ा सकते हैं। 

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