Types of Stock market Investments: भारतीय शेयर मार्केट में निवेश करने के तरीके
By: Manju Chaudhary Updated May 27, 2025
मार्केट में इन्वेस्टमेंट कई प्रकार से हो सकता है। आपको अपने लिए जो सही लगे वही तरीका अपनी मेहनत की कमाई को इन्वेस्ट करने के लिए चुनना चाहिए। जैसे शेयर, बांड्स, गोल्ड, रियल एस्टेट, म्यूच्यूअल फंड्स और ETFs आदि। इन सबके अलावा इन्वेस्टमेंट के अन्य तरीके भी हैं। जैसे कमोडिटी, क्रिप्टोकरेंसी, CDs, मंहगी धातुएँ और रियल एस्टेट आदि। जानते हैं- भारतीय शेयर मार्केट में निवेश करने के तरीके। Types of Investments in Stock Market in Hindi.
ऐसे ही अमेरिकी करेंसी को US Dollars के नाम से जाना जाता है। इसी तरह यूरोप की कर्रेंसी को यूरो के नाम से जाना जाता है। इसी तरह क्रिप्टोकरेंसी भी एक करेंसी है और यह यूनिवर्सल करेंसी है। जिसके अंतर्गत बहुत सारी करीब 6000 के करीब करेंसी हैं। जैसे कि बिटकॉइन एथेरियम, रिप्पल, शीबा इनु कॉइन आदि।
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Investing क्या है?
अपने पैसे को बढ़ाने के लिए कुछ समय के लिए किसी किसी प्रोजेक्ट या योजना में लगा देना ही इन्वेस्टमेंट (निवेश) होता है। इन्वेस्टमेंट सामान्यतः इनकम या प्रॉफिट कमाने की उम्मीद में पैसे को संसाधनों में लगाने को कहते हैं। कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कई तरीके से इन्वेस्ट कर सकता है। जैसे कोई बिजनेस शुरू करके या किराये से मिलने होने वाली इनकम या प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने की उम्मीद में। रियल एस्टेट खरीदकर उसमे पैसा इन्वेस्ट किया जा सकता है।
Investment बचत से अलग होता है क्योंकि इसमें पैसे को काम पर लगाया जाता है। इसमें जोखिम भी बहुत होता है क्योंकि आपका बनाया प्रोजेक्ट फेल हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप आपको नुकसान हो सकता है। इन्वेस्टमेंट सट्टेबाजी से भी अलग होता है। सट्टेबाजी में पैसा शार्ट-टर्म में प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट कमाने के लिए, लगाया जाता है। आप शेयर मार्केट में स्मार्ट इन्वेस्टिंग भी कर सकते हैं।
निवेश में उन परियोजनाओं या गतिविधियों में पैसा लगाया जाता है. जिनसे सकारात्मक रिटर्न मिलने की उम्मीद होती है। रिटर्न परियोजना या संपत्ति के प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे रियल एस्टेट किराया और पूंजीगत प्रॉफिट दोनों उत्त्पन्न कर सकता है। कुछ शेयर त्रेमासिक डिविडेंड देते हैं और बांड्स नियमित ब्याज देते हैं। निवेश में रिटर्न और जोखिम एक ही सिक्के के दो पहलु होते हैं।
जिस निवेश में कम जोखिम होता है, वहां आमतौर पर रिटर्न भी कम होता है। इसी तरह अधिक जोखिम वाले निवेश में रिटर्न अच्छा रिटर्न मिलने की ज्यादा संभावना होती है। अपने पैसे को इन्वेस्ट करने के लिए इन्वेस्टर्स खुद का अप्रोच अपना सकते हैं। अगर चाहे तो प्रोफेशनल फाइनेंनशियल सलाहकार की सेवाएं भी ले सकते हैं।
आप स्टॉक्स को निवेश के लिए खरीद रहे हैं या सट्टेबाजी के लिए यह तीन बातों पर निर्भर करता है-
- आप अपने निवेश पर कितना जोखिम ले रहे हैं।
- आप कितने समय के लिए स्टॉक्स को होल्ड करना चाहते हैं।
- आप अपने Investment पर कितने प्रतिशत का रिटर्न चाहते हैं।
निवेश के प्रकार (Types of Investment)
ज्यादातर इन्वेस्टमेंट फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट के साथ जुडे होते हैं। जो व्यक्तियों और व्यवसायों को कंपनियों के लिए पूँजी जुटाने की अनुमति देते हैं। फिर कंपनियाँ इस पैसे का उपयोग डवलपमेंट और ग्रोथ के लिए करती हैं। हालाँकि निवेश का दायरा बहुत बड़ा है। जिसके कुछ सामान्य प्रकार निम्नलिखित हैं- "द स्नोबॉल: वॉरेन बफेट
1. शेयर ( Stocks )
इन्वेस्टर्स शेयर मार्केट से कंपनियों के शेयर खरीदकर उसमे अपना पैसा निवेश कर सकते हैं। क्योंकि कम्पनी के शेयरों के मालिक को उसके शेयरधारकों के रूप में जाना जाता है। किसी कपंनी के शेयरहोल्डर्स उसके शेयर के प्राइस में वृद्धि और कपंनी के प्रॉफिट से मिलने वाले नियमित डिविडेंड का लाभ ले सकते हैं और कंपनी की ग्रोथ में हिस्सेदार भी हो सकते हैं।
आपको शेयर खरीदने के लिए स्टॉकब्रोकर के पास डीमैट अकाउंट खुलवाना पड़ेगा। स्टॉकब्रोकर भी दो तरह के होते हैं, फुलटाइम स्टॉक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर। फुलटाइम स्टॉक ब्रोकर अमाउंट के हिसाब से ब्रोकरेज लेते हैं। यह प्रतिशत में होता है जैसे 0.05, 0.02 प्रतिशत आदि।
जबकि डिस्काउंट ब्रोकर ट्रेड के हिसाब से ब्रोकरेज लेते हैं फिर चाहे ट्रेड कितना ही बड़ा या छोटा क्यों न हो। उनका ब्रोकरेज फिक्स होता है। अभी ज्यादातर डिस्काउंट ब्रोकर 20 रूपये प्रति ट्रेड ब्रोकरेज चार्ज करते हैं। आजकल डीमैट अकॉउंट घर से ऑनलाइन खोल सकते हैं और आप घर से ही ऑनलाइन शेयर खरीद और बेच भी सकते हैं। टेक्नोलॉजी ने शेयर खरीदना और बेचना बहुत आसान बना दिया है।
2. निवेश फंड्स (Investment Funds)
इन्वेस्मेंट फंड्स में कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अपना पैसा investment कर सकता है। जिसे फंड मैनेजर (फाइनेंनशियल एक्सपर्ट) मैनेज करते हैं। इन्वेस्टमेंट फंड्स बहुत सारे (इन्वेस्टमेंट के इच्छुक) लोगों से पैसा एकत्र करते हैं। जिसे ये फंड्स सामूहिक रूप से म्यूच्यूअल फंड्स और ईटीएफ (ETF), मनी मार्केट फंड्स और हेज फंड्स में इन्वेस्ट करते हैं।
ये अपने प्रत्येक इन्वेस्टर को उसके पैसे और खरीदारी के दिन के प्राइस के हिसाब से यूनिट प्रदान करते हैं। प्रत्येक ओनर अपनी यूनिट का मालिक होता है, जिन पर उसका नियंत्रण भी होता है। वह जब चाहे अपनी यूनिट बेच सकता है। एक इन्वेस्टमेंट फंड अपने क्लाइंट को इन्वेस्ट करने के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध करवाता है। जिनका चयन उस क्षेत्र के फाइनेंनशियल मार्केट के एक्सपर्ट के द्वारा किया जाता है। इसके लिए ये इन्वेस्टमेंट फंड्स बहुत कम फीस चार्ज करते हैं।
3. मुद्रा (currency)
करेंसी यानि मुद्रा में इन्वेस्मेंट करने के लिये आपको एक देश की करेंसी को खरीदना पड़ेगा और उसके बदले दूसरे देश की करेंसी को बेचना पड़ेगा। उसी हिसाब से आपको इसमें प्रॉफिट और लॉस होगा। करेंसी में investment सामान्यतः विदेशी मुद्रा बाजार के माध्यम से किया जाता है। जिसे फॉरेक्स मार्केट के नाम से जाना जाता है। ग्लोबलाइजेशन की वजह से सभी देशों की करेंसी आपस में जुडी हुई हैं।
फॉरेक्स मार्केट बहुत ज्यादा वोलेटाइल होता है। लेकिन फिर भी करेंसी बहुत से शेयरों की तुलना में कम ही वोलेटाइल होती हैं। जब तक आप एक अनुभवी ट्रेडर नहीं बन जाते आपको करेंसी में इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए। क्योंकि फॉरेक्स मार्केट में आपका मुकाबला उन लोगों से होगा। जिनका यही प्रोफेशन है और वे फॉरेक्स मार्केट के एक्सपर्ट लोग होते हैं क्योंकि उन्होंने इसका गहन अध्ययन किया है। स्कैम 1992
बहुत से स्टॉक ब्रोकर करेंसी ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। आप डीमैट अकाउंट के माध्यम से करेंसी ट्रेडिंग कर सकते हैं क्योंकि डीमेट अकाउंट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट भी जुड़ा होता है। जिससे आप ट्रेडिंग कर सकते हैं फिर चाहे वह स्टॉक ट्रेडिंग हो या करेंसी ट्रेडिंग।
4. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
इस पूरी दुनिया में करीब 199 देशों की अपनी-अपनी अलग करेंसी है क्रिप्टो करेंसी भी एक ऐसी ही करेंसी है। जिसे digital currency भी कहते हैं, दुनिया के सभी देशों की करेंसी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे भारतीय करेंसी को इंडियन रूपी यानी INR के नाम से जाना जाता है।
ऐसे ही अमेरिकी करेंसी को US Dollars के नाम से जाना जाता है। इसी तरह यूरोप की कर्रेंसी को यूरो के नाम से जाना जाता है। इसी तरह क्रिप्टोकरेंसी भी एक करेंसी है और यह यूनिवर्सल करेंसी है। जिसके अंतर्गत बहुत सारी करीब 6000 के करीब करेंसी हैं। जैसे कि बिटकॉइन एथेरियम, रिप्पल, शीबा इनु कॉइन आदि।
2009 में जब क्रिप्टोकरेंसी बनाई गई थी। तब उसका मूल्य जीरो था तथा इसका नाम बिटकॉइन था। तब किसी को यह नहीं मालूम था कि Cryptocurrency होती क्या है? इसे क्यों और कैसे खरीदा जाता है? धीरे-धीरे इसके बारे में लोगों को जानकारी हुई और लोग इसे खरीदने लगे। इसे खरीदने-बेचने के लिए अलग से क्रिप्टो एक्सचेंज होते हैं।
क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना बहुत अधिक जोखिम भरा है क्योंकि इस पर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं है। इसमें निवेश करके बहुत से लोग बर्बाद हो चुके हैं। अतः मैं तो यही कहूंगी आपको क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट करने से आपको बचना चाहिए क्योंकि और बहुत से सुरक्षित निवेश करने के तरीके हैं।
वैसे भी भारतीय सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी है। क्रिप्टो से होने वाली इनकम पर भारतीय सरकार ने 30% टैक्स भी लगाया हुआ है। जहाँ केवल मार्केट रिस्क ही आपके पैसे के साथ जुड़ा होता है। लेकिन धोखाधड़ी की आशंका नहीं है। किन्तु क्रिप्टोकरेंसी में आपके साथ धोखा धड़ी भी हो सकती है।
निवेश (Investment) को समझें
सरल शब्दों में कहें तो निवेश का मतलब है, समय के साथ अपने पैसे को बढ़ाना। निवेश किये गए पैसे के बढ़ने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे आपके इन्वेस्ट किये एसेट की कीमत बढ़ जाय या फिर उससे आपको उससे किराया मिले जिससे आपको लगातार इनकम होती रहे। निवेश में जोखिम और रिटर्न साथ-साथ चलते हैं, कम जोखिम मतलब कम रिटर्न, अधिक जोखिम मतलब अधिक रिटर्न।
अतः इन्वेस्टमेंट से पहले अपने रिस्क और रिटर्न को एनालाइज कर लेना चाहिए। कम जोखिम वाले निवेश जैसे सर्टिफिकेट्स ऑफ़ डिपॉजिट ( CDs ) बांड्स, फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट होते हैं। इनमे निवेश करना सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इनके साथ भारत सरकार की गारंटी जुडी होती है। जबकि शेयरों और म्यूच्यूअल फंड्स को जोखिम भरा माना जाता है।
कमोडिटी और डेरिवेटिव को आमतौर पर सबसे ज्यादा जोखिम भरा इन्वेस्टमेंट माना जाता है। इनके आलावा निवेश करने के अन्य विकल्प भी हैं, जैसे सोना, हीरा, पेंटिंग्स, एंटीक मूर्तियाँ, जमीन और अन्य अचल संपत्ति आदि।एक ही प्रकार की संपत्ति में जोखिम और रिटर्न अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे ब्लूचिप स्टॉक्स और स्मॉलकैप स्टॉक्स में आपको जोखिम और रिटर्न कभी भी एक जैसे नहीं मिलेंगे।
इसी तरह मिडकैप स्टॉक के रिटर्न भी इन दोनों से अलग होते हैं। किसी भी एसेट द्वारा मिलने वाला रिटर्न उसके प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे बहुत से स्टॉक्स प्रत्येक तिमाही डिविडेंड का भुगतान करते हैं। जबकि कई स्टॉक्स वर्ष में एक बार डिविडेंड देते हैं। स्टॉक्स की डिविडेंड यील्ड भी अलह-अलग होती है।
डिविडेंड और ब्याज जैसी नियमित इनकम के अलावा स्टॉक्स की कीमत बढ़ने से जो वेल्थ बढ़ती है। वह एक निवेशक के लिए बहुत बड़ा और शानदार रिटर्न होता है। इसी वजह से बहुत से इन्वेस्टर्स बहुत अमीर बन जाते हैं। यह कैपिटल गेन इन्वेस्टर्स को मिलने वाले प्रॉफिट का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
अर्थशास्त्री निवेश और बचत को एक ही हिस्से के दो पहलु मानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप बैंक में जमा करके पैसे की बचत करते हैं। उसी पैसे को बैंक, उन लोगों या कंपनियों को उधार देते हैं। उस पैसे से कोई कंपनी या प्रोजेक्ट चलाते है। इसलिए आपकी बचत किसी अन्य का निवेश होती है।
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