Analyze Risk and Return in Trading: ट्रेडिंग में रिस्क एंड रिटर्न रेश्यो का विश्लेषण कैसे करें?
ट्रेडिंग एक ऐसा सेक्टर है, जहाँ प्रत्येक इन्वेस्टर अपने पैसे को बढ़ाने के लिए विभिन्न एसेट क्लास जैसे स्टॉक, क्रिप्टो, कमोडिटी आदि में इन्वेस्ट करते हैं। लेकिन प्रत्येक इन्वेस्टमेंट के साथ रिस्क भी जुड़ा होता है।
सफल इन्वेस्टिंग के लिए समझना बेहद जरूरी है। किसी इन्वेस्टमेंट में कितना रिस्क है और कितना प्रॉफिट हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं- ट्रेडिंग में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का विश्लेषण कैसे करें? How to Analyze the Risk and Return in Trading.
अगर आप शेयर मार्केट ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मार्क डगलस द्वारा लिखित ट्रेडिंग इन द जोन बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
बिजनेस और ट्रेडिंग दोनों में रिस्क को मैनेज करना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि यह ट्रेडर्स को संभावित नुकसान से बचाता है। जिससे उनके पैसे संरक्षण होता है। रिस्क मैनेजमेन्ट रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो में सुधर करता है। यह बेहतर निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधर करता है। यह ट्रेडिंग डिसिप्लिन को प्रोत्साहित करता है।
ट्रेडिंग में रिस्क क्या है?
Risk in Trading का अर्थ है किसी ट्रेड में लॉस होने की संभावना। जब आप किसी फाइनेंशियल एसेट में इन्वेस्ट करते हैं, तो शेयर का प्राइस ऊपर या नीचे जा सकता है। यदि प्राइस नीचे चला जाता है, तो आपको नुकसान होगा।
ट्रेडिंग रिस्क निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है-
- मार्केट जोखिम (Market Risk): स्टॉक मार्केट में वौलेटिलिटी के कारण शेयर के प्राइस घट-बढ़ सकते हैं। आर्थिक मंदी या राजनीतिक घटनाओं का स्टॉक मार्केट पर प्रभाव पड़ता है।
- क्रेडिट जोखिम (Credit Risk): किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होने से उसके स्टॉक का प्राइस गिर सकता है।
- लिक्विडिटी जोखिम (Liquidity Risk): किसी भी फाइनेंशियल एसेट में लिक्विडिटी कम होने पर उसे सही प्राइस पर खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है।
- ऑपरेशनल जोखिम (Operational Risk): ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में तकनीकी खराबी या गलत आदेश (Wrong Order Execution) के कारण भी कभी-कभी लॉस हो जाता है।
- साइबर जोखिम (Cyber Risk): ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर हैकिंग या साइबर हमले होने का खतरा रहता है। जिसकी वजह से ट्रेडर्स का डीमैट अकाउंट हैक हो सकता है।
ट्रेडिंग में रिटर्न क्या है?
Return in Trading का अर्थ है कि किसी निवेश से प्राप्त होने वाला लॉस और प्रॉफिट। यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि निवेश की गई राशि, मार्केट की स्थिति, और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी आदि।
ट्रेडिंग रिटर्न निम्नलिखित कई प्रकार के हो सकते हैं-
- कैपिटल गेन (Capital Gain): जब आप किसी एसेट को कम कीमत पर खरीदकर ऊँची कीमत पर बेचते हैं।
- डिविडेंड यील्ड (Dividend Yield): कुछ कंपनियाँ अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती हैं, जो एक अतिरिक्त आय का स्रोत हो सकता है।
- ब्याज से इनकम (Interest Income): बॉन्ड या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी एसेट से मिलने वाले ब्याज से आपको रेग्युलर इनकम हो सकती है।
- ट्रेडिंग प्रॉफिट (Trading Profit): डे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग और अन्य स्ट्रेटजीस से प्रॉफिट कमाया जा सकता है। निफ़्टी बीज क्या है?
जोखिम और रिटर्न का विश्लेषण कैसे करें?
ट्रेडिंग के दौरान होने वाले रिस्क को मापने के निम्नलिखित तरीके हो सकते हैं-
- स्टैंडर्ड डिविएशन (Standard Deviation): यह मापता है कि किसी शेयर के औसत प्राइस में कितना ऊपर या नीचे जा सकता है।
- बेटा (Beta): यह मापता है कि किसी स्टॉक का प्राइस मार्केट की तुलना में कितना वोलेटाइल है।
- वैरीयंस (Variance): यह मापता है कि एक स्टॉक के प्राइस में कितना उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- रिस्क-रिवार्ड रेशियो (Risk-Reward Ratio): यह दिखाता है कि आप ट्रेडिंग में कितने रिस्क के बदले कितना संभावित रिटर्न अर्जित कर सकते हैं।
- डाइवर्सिफिकेशन (Diversification): अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड करने के लिए उसमें में विभिन्न प्रकार की एसेट जैसे शेयर, क्रिप्टो, कमोडिटी आदि जोड़ सकते हैं।
- स्टॉप लॉस (Stop Loss): ट्रेडिंग में नुकसान को सीमित करने के लिए ऑटोमैटिक स्टॉपलॉस सेट करना चाहिए।
- हेजिंग (Hedging): डेरिवेटिव्स और ऑप्शंस के द्वारा आप अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को हैज कर सकते यहीं। जिससे फाइनेंशियल मार्केट ट्रेडिंग के जोखिम को कम किया जा सकता है।
- टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस (Technical & Fundamental Analysis): किसी भी फाइनेंसियल एसेट का फंडामेंटल एनालिसिस करने लिए आपको कंपनी का पीई रेश्यो, बैलेंस शीट, कैश फ्लो, ROI, इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू आदि देखना चाहिए। इसी तरह टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए उसका चार्ट पैटर्न, टेक्निकल इंडिकेटर्स, कैंडलस्टिक पैटर्न्स आदि का अध्ययन करना चाहिए।
इस लेख में आपने ट्रेडिंग में रिस्क और रिटर्न के विभिन्न पहलुओं को समझा। साथ ही भी यह जाना कि कैसे आप एक सफल ट्रेडर बन सकते हैं? यदि आप अपने लिए सही और जानी परखी हुई ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। साथ ही ट्रेडिंग डिसिप्लिन व ट्रेडिंग प्लान का उपयोग करते हैं। तो आप trading से अधिकतम प्रॉफिट कमा कर सकते हैं।
ट्रेडिंग में 2% नियम क्या है?
एक लोकप्रिय विधि 2% नियम है, जिसका अर्थ है कि आप अपने डीमैट अकाउंट की इक्विटी का 2% से अधिक रिस्क में कभी नहीं डालते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 50,000 रूपये के अकाउंट का ट्रेडिंग कर रहे हैं।
आप रिस्क मैनेजमेंट के लिए 2% का स्टॉप लॉस चुनते हैं, तो आप किसी भी दिए गए ट्रेड पर 1,000 रूपये तक का जोखिम उठा रहे हैं।
ट्रेडिंग में 90% नियम क्या है और इससे कैसे बचें?
ज़्यादातर ट्रेडर पहले 90 दिनों में ही असफल हो जाते हैं। इसे 90-90-90 नियम के नाम से जाना जाता है: 90% ट्रेडर 90 दिनों में अपनी 90% पूंजी खो देते हैं।
ट्रेडिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो क्या है?
इसे रिस्क एंड रिटर्न रेश्यो के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फाइनेंशियल मैट्रिक है। इसमें संभावित नुकसान की संभावित प्रॉफिट से तुलना की जाती है। यदि आप ट्रेडिंग से 300 रूपये कमाने के लिए 100 रूपये का नुकसान उठाने के लिए तैयार रहते हैं तो यह 1:3 रिस्क - रिटर्न रेश्यो कहा जायेगा।
उम्मीद है, आपको यह ट्रेडिंग में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का विश्लेषण कैसे करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to Analyze the Risk and Return in Trading आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
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