शेयर की सही कीमत (Instrinsic Value of Stocks) कैसे पता करें?
अगर आपने वॉरेन बफेट और चार्ली मुंगर का नाम सुना होगा तो आपने वैल्यू इन्वेस्टिंग का नाम भी सुना होगा। अगर आपका वैल्यू इन्वेस्टिंग में इंट्रेस्ट है तो आपने Intrinsic Value शब्द भी जरूर सुना होगा। स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू (आंतरिक मूल्य) को उसकी रियल वैल्यू भी कहा जाता है।
यह किसी स्टॉक, प्रोडक्ट, कंपनी और करेंसी आदि का अनुमानित प्राइस होता है। इसे फंडामेंटल एनालिसिस के माध्यम से निकाला जाता है। किसी स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू उसके मार्केट प्राइस के बराबर भी हो सकती है और नहीं भी। जानते हैं- शेयरों की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू क्या होती है? Instrinsic Value of Share/Stocks in Hindi.
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अगर आप शेयरों में इन्वेस्टमेंट करने में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको अंकित गाला और खुशबू गाला द्वारा लिखित शेअर्स का फंडामेंटल एनालिसिस बुक जरूर पढ़नी चाहिए। अगर आपको बुक पसंद नहीं आती है तो आप इसकी 30 दिन की रिटर्न पॉलिसी का लाभ उठा सकती सकते हैं।
Instrinsic Value क्या है?
स्टॉक्स की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू जिसे हिंदी में आंतरिक वैल्यू कहा जाता है। यह किसी एसेट जैसे स्टॉक्स, करेंसी, आदि के संभावित मूल्य का माप होता है। इसे ऑब्जेक्टिव केलकुलेशन से या कठिन फाइनेंसियल मॉडल से मापा जाता है।
Instrinsic Value स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस से अलग होती है। बल्कि इसकी तुलना स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस (CMP) से करके आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि स्टॉक ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड है। किसी Stock या कंपनी की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू निकलने के लिए उसके डिस्काउंट कैशफ्लो का उपयोग किया जाता है।
ऑप्शन प्रीमियम में, ऑप्शन के अंडरलाइंग एसेट का वर्तमान मार्केट प्राइस (CMP) और उसके स्ट्राइक प्राइस के बीच का अन्तर ही ऑप्शन प्रीमियम की InstrinsicValue होती है। वैल्यू इन्वेस्टर्स शेयर की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू का उपयोग Share market के हिडन जेम्स स्टॉक ढूढ़नें के लिए करते हैं।
यानि वे मार्केट में इन्वेस्टमेंट के अवसरों की पहचान करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। जब किसी स्टॉक का मार्केट प्राइस उसकी इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू से कम होता है तो यह स्मार्ट इन्वेस्टमेंट का एक मौका होता है। डोव थ्योरी
किसी स्टॉक या कंपनी की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू निकालने के लिए कोई यूनिवर्सल तय मानक नहीं हैं। फाइनेंसियल एनालिस्ट किसी स्टॉक की इंस्ट्रिन्सिक वैल्यू निकालने के लिए फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा कंपनी की वास्तविक financial performance का अनुमान लगाते हैं।
आमतौर पर Investors कंपनी की Instrinsic Value निकलने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों कारकों का उपयोग करने का प्रयास करते हैं। लेकिन इन्वेस्टर्स को यह ध्यान रखना चाहिए की यह केवल एक अनुमान है। बोलिंगर बैंड्स
गुणात्मक फेक्टर के अंतर्गत कंपनी का बिजनेस मॉडल, कॉर्पोरेट गवर्नेस और टार्गेट मार्केट जैसी चीजें आती हैं। कंपनी का बिजनेस क्या है? उसके प्रोडक्ट के ब्रांड्स कितने यूनिक और पॉपुलर हैं। ये सभी कंपनी की फाइनेंसियल परफॉर्मेंस को दर्शाते हैं। Financial Ratios और फाइनेंसियल स्टेटमेंट एनालिसिस भी इसी के अंतर्गत आते हैं।
अवधारणात्मक विश्लेषण किसी स्टॉक के बारे में ज्यादातर इन्वेस्टर्स की धारणा को व्यक्त करते हैं। इसका बड़े पैमाने पर टेक्निकल एनालिसिस के माध्यम से हिसाब लगाया जाता है। सामान्यतः स्टॉक इन्ट्रिंसिक वैल्यू को स्टॉक का वास्तविक प्राइस माना जाता है। जिसको कंपनी की संभावित वास्तविक वैल्यू से निकाला जाता है।
Intrinsic Value कैसे कैलकुलेट करें?
एक फॉर्मूले के द्वारा पता लगाया जाता है कि शेयर की सही वैल्यू क्या है? स्टॉक तभी प्रॉफिटेबल होंगे, जब उन्हें उनकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से भी कम पर ख़रीदा जाय। ज्यादातर लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स Worren Buffett को फॉलो करते हैं। लेकिन बफेट बैंजामिन ग्राहम को अपना गुरु मानते हैं।
इन दोनों का कहना है कि उन Stocks में investment करो। जिनका प्राइस अपनी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से भी नीचे यानि डिस्काउंट में चल रहा हो। उदाहरणस्वरूप, अगर किसी स्टॉक का प्राइस 100 रूपये है और उसका प्राइस गिरकर 90 रूपये हो जाता है। डोव थ्योरी
उसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू भी 90 रूपये है, जो आपने कैलकुलेशन करके निकाली है। अगर कुछ दिन बाद और गिरकर उसका प्राइस 80 रूपये पर आ जाता है। इसका मतलब अब इस शेयर का प्राइस इसकी Intrinsic Value से भी नीचे है। यानि डिस्काउंट में है। अगर 80 रूपये के प्राइस पर इस स्टॉक को आप खरीदते हैं तो यह आपके लिए best buy stock हो सकता है।
इन्ट्रिंसिक वैल्यू को निकलने का सबका अपना-अपना तरीका होता है। आप यह नहीं कह सकते कि यह तरीका सही यह या वह तरीका सही है। बैंजामिन ग्राहम द्वारा उनकी बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' में इन्ट्रिंसिक वैल्यू निकलने का तरीका लिखा है।
अगर आप स्टॉक मार्केट में रहना चाहते हैं और टिकना चाहते हैं, धैर्य सीखना चाहते हैं तो द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक को जरूर पढ़ें। आप इस बुक को पढ़कर शेयरों की परख करना सीख जायेंगे। वॉरेन बफेट और आप में सबसे बड़ा फर्क यही है कि आप Stocks की इंट्रीसिक वैल्यू को लेकर जागरूक ही नहीं हैं।
बफेट को जब तक किसी स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू पता नहीं होती है। तब तक वह उसमें इन्वेस्ट नहीं करते हैं। बफेट शेयरों में तब इन्वेस्ट करते हैं जब वे अपनी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से कम पर trade कर रहे होते हैं। यानि स्टॉक का करंट मार्केट प्राइस उसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से नीचे चल रहा होता है।
जो स्टॉक अपनी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से नीचे ट्रेड कर रहा होता है। उसे अंडरवैल्यूड स्टॉक हाकते हैं। इसी तरह जो स्टॉक अपनी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से ऊपर ट्रेड कर रहा होता है। उसे ओवरवैल्यूड स्टॉक कहते हैं। आपको इन्वेस्टिंग के लिए अंडरवैल्यूड स्टॉक पर फोकस करना चाहिए क्योंकि ऐसे स्टॉक के प्राइस के ऊपर जाने के दो बड़े कारण होते हैं-
- अंडरवैल्यूड स्टॉक के प्राइस की उनकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू तक जाने की बहुत अधिक संभावनाएं होती हैं। क्योंकि वह डिस्काउंट पर चल रहा होता है। अगर आप इनमें invest करते हैं तो आपको डिस्काउंट प्राइस और इन्ट्रिंसिक वैल्यू के अन्तर का प्रॉफिट मिलता है।
- जब स्टॉक का प्राइस अपनी Intrinsic Value पर आ जाता है। तब स्टॉक का प्राइस सप्लाई और डिमांड के कॉसेप्ट के कारण अपनी अपर वैल्यू तक बढ़ना चाहते हैं।
Intricsic Value की केलकुलेशन करने का फार्मूला
Value, = E × (8.5 + 2g) × 4.4
Y
- E = अर्निग्स पर शेयर (EPS), यानि कंपनी का पिछले एक वर्ष का प्रति शेयर प्रॉफिट
- 8.5 = शेयर का अनुमानित P/E रेश्यो यानि,
- G = अनुमानित ग्रोथ रेट अगले 7-10 वर्ष की
- 4.4 = वॉरेन बफेट जब शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो उसमें प्रॉफिट का क्या रेश्यो आएगा। उसके हिसाब से 4.4 का स्टेंडर्ड डाला गया है।
- Y = भारतीय AAA कॉर्पोरेट बांड की आज की ब्याज दर.भारत की इसलिए कि आप भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं। USA वाले इसमें USA डालते हैं। (इसे आप गूगल करके निकाल सकते हैं)
मैंने अभी-अभी गूगल करके टाटा मोटर्स की इन्ट्रिंसिक वैल्यू देखी है। जिसमें टाटा मोटर्स के शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू 1397.31 INR बताई जा रही है। इसके आलावा आपको कंपनी का दूसरा डेटा भी देखना चाहिए। जैसे कंपनी की ब्रांड वैल्यू, प्रॉफिट मार्जिन, कर्ज, प्रमोटर होल्डिंग, प्लेज शेयर, फ्री-केशफ्लो आदि। ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिन पर आपकों ध्यान देना चाहिए।
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