भारत में मिड कैप स्टॉक्स आसान भाषा में Mid Cap Stocks in India
मिड कैप स्टॉक्स इक्विटी की एक श्रेणी है, जिसमें 5,000 करोड़ रूपये से लेकर 20,000 करोड़ रूपये तक की मार्केट कैपेटलाइजेशन वाले स्टॉक्स आते हैं। इस श्रेणी में मध्यम श्रेणी की, मिड कैप वैल्यू वाली कंपनियाँ आती हैं। ये लार्ज-कैप और स्मॉल-कैप कैटेगरी के बीच की कंपनियां होती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- भारत में मिड-कैप स्टॉक्स कौन से होते हैं? Mid cap stocks in India in Hindi.
सिम्पलेस्ट बुक फॉर टेक्निकल एनालिसिस पुस्तक को पढ़ने से ट्रेडर्स या इनवेस्टर्स को सही समय पर सही स्टॉक को खरीदने में मदद मिलेगी। जिससे वे अपने स्टॉक्स से अच्छे रिटर्न्स पा सकें।
Mid Cap Stocks क्या हैं?
मिड-कैप एक अनुमानित शब्द है, जो उन कंपनियों और स्टॉक्स को समाहित करता है। जो लार्ज-कैप और स्मॉल-कैप श्रेणी के बीच आते हैं। किसी भी कंपनी के market Capitalisation की गणना कंपनी के बकाया stocks की संख्या और प्रत्येक शेयर के price की मदद से की जाती है।
Mid-cap stocks में इन्वेस्ट करने का एक लाभ यह है कि इनके प्रॉफिट में वृद्धि की उम्मीद होती है। यानि मिडकैप कंपनियां ग्रोइंग कंपनियां होती हैं। प्रॉफिट के साथ-साथ, बाजार हिस्सेदारी, मूल्य और उत्पादकता में भी वृद्धि की उम्मीद रहती है। चूंकि ये companies अभी विकास के चरण में प्रवेश कर रही होती हैं। अतः मार्केट में उनकी स्थिति वोलेटाइल मानी जाती है। पैनी शेयरों में ट्रेडिंग
इस प्रकार, मिडकैप स्टॉक को लार्ज-कैप स्टॉक की तुलना में जोखिम भरा इन्वेस्टमेंट माना जाता है। लेकिन इसे Small-cap stocks की तुलना में कम रिस्की इन्वेस्ट माना जाता है। निम्न तालिका लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों को उनके मार्केट वैल्यूएशन यानि मार्केट कैपेटलाइजेशन के अनुसार दर्शाती है- ऑनलाइन पैसे कैसे कमाएँ?
- लार्ज कैप कंपनियां- 20,000 करोड़ रूपये से ज्यादा मार्केट कैपेटलाइजेशन
- मिड कैप कंपनियां- 5,000 - 20,000 करोड़ रूपये के बीच मार्केट कैपेटलाइजेशन
- स्मॉल कैप कंपनियां- 5,000 करोड़ रूपये से कम मार्केट कैपेटलाइजेशन
निफ्टी में भारत में एक बेंचमार्क मिड-कैप इंडेक्स भी है। जिसे निफ्टी मिडकैप 50 कहा जाता है। जो market में सबसे अधिक कारोबार वाली 50 मिड-कैप शेयरों को होस्ट करता है।
Mid-Cap Stocks में इन्वेस्ट क्यों करें?
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार शेयर मार्केट के जोखिम को कम करने के लिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखना चाहिए। अतः आपके पोर्टफोलियो में लार्ज-कैप, मिड कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स का एक आदर्श मिश्रण होना चाहिए।
चूंकि मिड-कैप कंपनियां स्मॉलकैप कंपनियों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं। इसलिए वे मुश्किल समय के दौरान फाइनेंस के मामले में तुलनात्मक रूप से अच्छा प्रदर्शन करती हैं। इन्होनें हमेशा Large-cap कंपनियों की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है। इस प्रकार इनके शेयर investment के लिए बहुत आकर्षक बन जाते हैं।
Profitable मिड कैप Stocks कैसे चुनें?
इन्वेस्टमेंट के लिए आपको मिड-कैप स्टॉक्स चुनते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-
मुनाफा (Profit)
प्रॉफिट और लॉस, ग्रोइंग कंपनी का एक पार्ट होता है। इसका कंपनी के वर्तमान और भविष्य के stock price पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि कोई कंपनी प्रॉफिट कमा रही होती हैं तो उसका उस कंपनी के स्टॉक प्राइस पर समानुपातिक प्रभाव पड़ता है। वॉरेन बफेट वे
इसका मतलब है, यदि कंपनी की कमाई में वृद्धि हो रही है तो उसके प्रति शेयर स्टॉक प्राइस में स्वचालित रूप से वृद्धि होगी। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, घाटा एक बढ़ती हुई कंपनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लॉस भी ग्रोइंग कंपनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसका स्टॉक प्राइस पर प्रभाव पड़ता है।
यदि कंपनी का बिजनेस पर्याप्त earnings नहीं कर पा रहा है। लेकिन धीरे-धीरे उसका लॉस कम हो रहा है। तो इसे उस कंपनी में इन्वेस्टमेंट के लिए एक अच्छा संकेत माना जाता है। ऐसी कंपनियों में जहाँ बिक्री में लगातार वृद्धि के साथ लॉस भी बढ़ रहा हो। उनके share को घबराकर बेचना नहीं चाहिए।
उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी अपनी दूसरी यूनिट को फिर से तैयार कर रही है। इसकी वजह से उसके profit में कमी आ रही है। इसे थोड़े समय के लिए सामान्य माना जाता है। इस दौरान लॉन्ग-टर्म investors अपनी होल्डिंग्स को बेचते नहीं हैं।
विकास (Growth)
मिडकैप कंपनियों के पास समय के साथ बढ़ने और Large-cap कंपनियों में बदलने के भरपूर अवसर होते हैं। एक कंपनी ग्रोथ के चरण में तब पहुंचती है। जब वह साबित कर सकती है कि वह अपने प्रॉफिट को लगातार बनाए रख सकती है।
स्टॉक इन्वेस्टर्स कंपनी की बिक्री पर नज़र रखकर इस लाभप्रदता की पुष्टि कर सकते हैं। जब कंपनी की बिक्री लार्ज-कैप कंपनियों की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही हो, तो इसे एक अच्छा संकेत माना जाता है। अगर कंपनी की बिक्री स्थिर है, तो यह investment के लिए एक रेड सिग्नल बन जाता है।
इसके अलावा, खुद को कंपनी के मूल्यों के साथ जोड़कर और इन्वेस्टमेंट के लिए ठोस कारण खोजना आदि। आपको यह विश्लेषण करने और निर्णय लेने में भी मदद करेगा कि क्या यह Mid-cap stock इन्वेस्टमेंट के लायक है अथवा नहीं है।
रिसर्च (Research)
कोई भी Share market इन्वेस्टमेंट से संबंधित निर्णय लेने से पहले उसके बारे में रिसर्च जरूर करना चाहिए। शेयर मार्केट में शुरूआती और एक्सपर्ट दोनों तरह के लोगों के लिए स्टॉक मार्केट के नए ट्रेंड्स की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
सावधानीपूर्वक किये गए रिसर्च के आधार पर market expart कंपनियों के वर्तमान और भविष्य में होने वाले प्रॉफिट, नुकसान और नीतियों का अनुमान लगा लेते हैं। व्यक्ति द्वारा किए गए सावधानीपूर्वक रिसर्च के आधार पर, एक बुद्धिमान इन्वेस्टर आमतौर पर, Midcap stocks तभी खरीदता है। आईपीओ इन्वेस्टमेंट
जब वह उन्हें पाँच साल से ज़्यादा समय तक अपने पास होल्ड रख सकता है। ताकि उनके प्राइस ग्रोथ का पूरा फ़ायदा उठा सके। इसके अलावा, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को स्टॉक के प्राइस में होने वाले दैनिक बदलावों के साथ तालमेल बिठाना चाहिए या उसके साथ सहज होना चाहिए।
Mid-cap stocks से जुड़े जोखिम
अब आप अच्छे से समझ गए होंगे कि मिड-कैप स्टॉक्स क्या होते हैं? ज्यादातर मामलों में Small-cap टियर से बाहर निकलना कंपनी की मजबूत ग्रोथ और मजबूत फाइनेंसियल ग्रोथ को दर्शाता है। जो समय के साथ कंपनी की तरफ से दिए जाने वाले डिविडेंड और शेयर प्राइस दोनों को बढ़ाता है।
हालाँकि, Indian mid-cap index में शामिल सभी कंपनियाँ इस मानदंड के अधीन नहीं हो सकती हैं। इसलिए, इन स्टॉक में निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं-
- वौलेटिलिटी: ज्यादातर मिड-कैप कंपनियां एक प्रोडक्ट पर निर्भर होती हैं। इनके कस्टमर भी कम होते हैं। मिडकैप stocks का प्राइस बहुत सेंसेटिव होता है। जब Stock market ज्यादा वौलेटाइल होते हैं। तब मिड-कैप शेयरों के प्राइस बहुत तेजी से गिरते हैं। जिसका इन्वेस्टर्स के returns पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सीमित विकल्प: मिडकैप स्टॉक्स सेगमेंट में इन्वेस्टमेंट के अवसरों की कमी होती है। Investors को सीमित विकल्पों में से बेस्ट stock चुनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके विपरीत लार्ज-कैप स्टॉक्स सेगमेंट में चुनने के लिए एक विस्तृत श्रंखला होती है।
- सट्टा प्रवृति: मिड-कैप स्टॉक्स के प्राइस में share market अटकलों के परिणामस्वरूप वृद्धि हो सकती है। कई मिड-कैप कंपनियों के पास अटकलों का समर्थन करने के लिए आवश्यक वित्तीय स्थिरता नहीं होती है। इस कारण से, कंपनी के भविष्य की ग्रोथ की रक्षा के लिए, इन्वेस्टर्स को इसकी ऐतिहासिक वित्तीय ताकत की पूरी तरह से समीक्षा करनी चाहिए।
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