स्टॉक मार्केट की बेस्ट बुक Common stocks and uncommon profits हिंदी में
ये बात तो आप सभी को पता है कि शेयर मार्केट से प्रॉफिट कमाने के लिए स्टॉक्स को कम प्राइस पर खरीदकर ज्यादा प्राइस पर प्राइस पर बेचना पड़ता है। अगर मैं आपको यह बताऊँ कि जितने भी लोगों ने शेयर मार्केट से अथाह दौलत कमाई है। उन्होंने अपने स्टॉक्स को Buy करने के बाद हमेशा के लिए Hold करके कमाई है।
उन्होंने कभी भी अपने स्टॉक्स को बेचा नहीं है। फिलिप ऑर्थर फिशर ने भी अपनी बुक में भी यही समझने की कोशिश की है कि कभी अपने स्टॉक्स को खरीदकर, उन्हें बेचना नहीं चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं- कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक के बारे में। Common stocks and uncommon profits book summary in Hindi.
यदि आप भी शेयर मार्केट से अथाह धन कमाना चाहते हैं और आप इंलिश पढ़ने में कम्फर्टेबल हैं। तो आप फिलिप ऑर्थर फिशर द्वारा लिखित बुक Common stocks and uncommon profits पढ़ सकते हैं।
Common stocks and uncommon profits बुक के बारे में
एक बात तो निश्चित है कि जितने भी बड़े-बड़े और प्रसिद्ध ( राकेश झुंझुनवाला और वारेन बफे आदि ) इन्वेस्टर्स हैं उन्होंने अपने खरीदे स्टॉक्स को आजीवन होल्ड किया है। आप राकेश झुनझुनवाला जी का ही उदाहरण देख सकते हैं। वे स्वर्गवासी हो गए, उनके खरीदे गए सभी स्टॉक्स अपनी फेमिली को विरासत को विरासत में मिले हैं। शेयर मार्केट से वेल्थ बनाने वाले सच्चे इन्वेस्टर्स इसी तरह के लोग होते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि जब stocks को बेचेंगे नहीं तो प्रॉफिट कैसे बुक करेंगे? ये प्रोसेस कैसे होता है और इसमें वेल्थ कैसे बनती है? इसे एक उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं। माना आपने किसी हाई ग्रोथ कंपनी में अच्छी रिसर्च करके एक लाख रूपये इन्वेस्ट किये। दस-पंद्रह साल बाद आपका पैसा 50 गुना ग्रो हो जाता है। यदि आपके पोर्टफोलियो में ऐसे चार-पांच प्रकार की कंपनियों के स्टॉक्स हैं, जो ऐसा ही रिटर्न देते हैं। इस तरह की कंपनियों से आपको प्रतिवर्ष 1-2% का डिविडेंड भी मिलगा है। मल्टीबैगर पैनी स्टॉक्स
यह डिविडेंड इनकम आपके मूल निवेश से भी ज्यादा होगी और डिविडेंड इनकम बहुत तेजी से ग्रो होती रहती है। जब कभी भविष्य में आपको पैसे की जरूरत पड़ती है तो आप थोड़े से stock बेच सकते हैं। आपको सभी स्टॉक्स बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि लॉन्ग-टर्म में स्टॉक्स के प्राइस जिस तरह से कम्पाउंडिंग ग्रोथ करते हैं।
उससे आपके निवेश की वैल्यू कई गुना बढ़ जाती है। इसी को फिलिप फिशर Common stocks and uncommon profits कहते हैं। फिलिप फिशर ने 1954 में मोटोरोला कंपनी में इन्वेस्ट किया था और फिर मोटोरोला के स्टॉक को उन्होंने अपने पूरे जीवन होल्ड किया।
2004 तक जब उनकी डेथ हुई तब तक यह स्टॉक इतना ज्यादा ग्रो हो चूका था कि इसे कभी उन्हें बेचने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। इससे मिलने वाला डिविडेंड ही उनके लिए काफी था। अगर हम भारतीय की कंपनी TCS का ही उदाहरण ले तो जनवरी 2009 में इसके शेयर का प्राइस 115 रूपये प्रति शेयर के करीब था। आलोक इंडस्ट्री
आज जनवरी 2024 इसके इसके शेयर का प्राइस 3800 रूपये के करीब है। यह कंपनी लगातार अपने इन्वेस्टर्स को डिविडेंड देती आ रही है। आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि स्टॉक्स लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को कितना ज्यादा रिटर्न देते हैं। TCS कंपनी का नाम मैंने केवल आपको समझाने के लिए लिया है।
Stock market में इतना शानदार रिटर्न देने वाली कंपनियां भरी पड़ी हैं। आपको केवल उन पर रिसर्च करने की जरूरत है। रिलायंस, टाइटन, HDFC बैंक इंडियामार्ट आदि कंपनियां के stocks पिछले दस-पंद्रह वर्षों में सौ-सौ गुना और उससे भी ज्यादा ग्रो हो चुके हैं। मल्टीबैगर स्टॉक्स कैसे खोजें?
फिलिप फिशर का एक बहुत प्रसिद्ध कोट है- I do't want to spend my time, trying to earn a lot little profit, I want very very big profits that am ready to wait for. अर्थात मैं बहुत कम मुनाफा कमाने की कोशिश में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता, मैं बहुत बड़ा मुनाफा चाहता हूं, जिसके लिए मैं इंतजार करने को तैयार हूं।
फिलिप फिशर की बुक Common stocks and uncommon profits के चैप्टर्स में Stock investing के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गयी है-
1. बहुत अधिक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो
वारेन बफे का प्रसिद्ध कोट तो आपने सुना ही होगा कि "Don' t put yours all eggs in one Basket" यानि अपना पूरा पैसा एक ही कंपनी के स्टॉक्स में इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। लेकिन फिलिप फिशर कहते हैं कि Put your all eggs in one Basket and watchit closely. इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको अपना सारा पैसा एक ही कंपनी में लगा देना चाहिए। मार्केट केपेटलाइजेशन
बल्कि उनके कहने का मतलब है कि आपको बहुत ज्यादा कंपनियों में निवेश नहीं करना चाहिए। आपको बहुत कम कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। जिनमें आपको जेनुइन ग्रोथ दिखती हो, अगर कम कंपनियां आपके पोर्टफोलियो में होंगी। तो आप उन्हें अच्छे से ट्रैक कर पाओगे।
फिशर का एक और प्रसिद्ध कोट है- A very long list of securities is not a sign of a brilliant investor. But of one who is unsure of hinself. अर्थात स्टॉक्स की बहुत लंबी सूची एक प्रतिभाशाली निवेशक की नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्ति की निशानी है जिसे खुद के स्टॉक चयन पर भरोसा नहीं है। मार्केट क्रैश की पहचान
यदि आपको अपने स्टॉक चयन पर विश्वास नहीं है कि ये स्टॉक्स भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर भी पाएंगे या नहीं। तो आप ज्यादा स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करेंगे। यह सोचकर कि इनमें से कोई ना कोई स्टॉक तो अच्छा प्रदर्शन जरूर करेगा। अतः आप एक सेक्टर के कई-कई शेयरों में इन्वेस्ट कर लेते हैं। जैसे आप सोचते हैं कि HDFC Bank अच्छा है, लेकिन ICICI Bank भी अच्छा है।
इसी तरह आपको इंफोसिस और एचसीएल टेक के शेयर भी अच्छे लगते हैं। अगर आप यह डिसाइड नहीं कर पाते हो कि इनमें से कौन की कंपनी ज्यादा अच्छी है। तो आप सोचते हो कि इन सभी में invest कर लिया जाय। इससे यह पता चलता है कि ज्यादा स्टॉक्स में वो इन्वेस्ट करते हैं। जिन्हें स्टॉक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है।
अतः जो लोग डायवर्सिफिकेशन के चक्कर में ज्यादा कंपनियों में इन्वेस्ट कर लेते हैं। वे उन कंपनियों में पर्याप्त इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाते जो भविष्य में अच्छी रेट से ग्रोथ करती हैं। Philip Fisher के हिसाब से आपके पोर्टफोलियो का 60-70% पाँच -छः कंपनियों में इन्वेस्ट होना चाहिए। फिननिफ़्टी इंडेक्स
अगर आपके पोर्टफोलियो में 10 कंपनियों के शेयर हैं और उनमें से पांच-छः शेयर आईटी कंपनियों के हैं तो यह पोर्टफोलियो भी किसी काम का नहीं है। इस तरह का पोर्टफोलियो आपके कंफ्यूजन को दर्शाता है। अतः आपके एक सेक्टर से उसके बेस्ट स्टॉक में इन्वेस्ट करना चाहिए।
2. अच्छी कंपनियाँ कैसे और कहाँ ढूंढे?
Common stocks and uncommon profits बुक में फिशर में स्टॉक्स चयन करने के कई फ्रेमवर्क दिए हैं। इसमें एक महत्वपूर्ण फ्रेमवर्क है, Fish in the right pond जिसका मतलब है। आपको ऐसी इंडस्ट्री के स्टॉक्स का चयन करना चाहिए, जिसमें ग्रोथ ज्यादा हो।
अगर आप ऐसे तालाब में मछली पकड़ते हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी और ज्यादा मछलियाँ है। तो वहाँ पर आपके सफल होने के चांस बहुत ज्यादा हैं। लेकिन अगर आप ऐसे तालाब में जाते हो जहाँ मछलियाँ कम और मछुआरे ज्यादा तो यहाँ पर आपके सफल होने के चांस बहुत कम होंगे। कॉफी कैन इन्वेस्टिंग
भारत में पांच हजार कंपनियाँ हैं और अमेरिका में आठ हजार कंपनियाँ हैं। आपको भारत की पांच हजार कंपनियों से आठ-दस बेस्ट कंपनियाँ ढूंढनी हैं। जो भविष्य में तेजगति से ग्रो हो सकें। Stock market में इन्वेस्ट करने के बहुत मौके मिलते हैं लेकिन इन्वेस्टर्स के पास टाइम कम होता है।
सभी कंपनियों के मैनेजमेंट को लगता है कि भविष्य में उनकी कंपनी बेस्ट होगी। लेकिन यह आपको डिसाइड करना है कि कौन सी कंपनी आपके लिए वेल्थ क्रिएट कर सकती है। आपके चुने हुए stocks में से आपको कम वृद्धि दर वाले स्टॉक्स और जिनकी वृद्धि दर भविष्य में कम हो सकती है, उन्हें हटा देना चाहिए। शेयर मार्केट कैसे सीखें?
फिर वो कंपनियां चाहें शार्ट-टर्म में कितना ही अच्छा प्रॉफिट कमा रही हो। जैसे स्टील , कोयला और इंफ़्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स की कंपनियाँ। जब आप किसी एक सेक्टर की कंपनी को पिक करते हैं। तब आपको उस सेक्टर की चार-पाँच कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट को पढ़ना चाहिए। साथ ही उनके सीईओ के इंटरव्यू भी देखने चाहिए कि वे कंपनी के बारे में क्या सोचते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि वे अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी की तारीफ भी करते हैं कि फलां कंपनी बहुत अच्छा कर रही है।
Common stocks and uncommon profits बुक में लेखक ने बताया है कि जब आप किसी कंपनी के बारे में सुनते हैं तो आपको सुनी हुई बातों के बजाय फैक्ट्स पर भरोसा करना चाहिए। बहुत सी कंपनियां अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ऐसी इमेज और शब्दों का यूज करती हैं। जिससे पढ़ने वाले के मन में उसकी स्पेशल इमेज बन जाती है। जिससे काफी बार इन्वेस्टर्स कंपनी से इमोशनली अटैच हो जाते हैं। शेयर मार्केट पार्टिसिपेंट्स
आप फेक्ट और स्टोरी को एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। कोई हाई ग्रोथ वाली कंपनी अपने इन्वेस्टर्स से ऐसा कहेगी कि हमारा प्रॉफिट पिछले पाँच वर्षों में 25% की कम्पाउंडिंग दर से ग्रो हुआ है। जबकि इस सेक्टर की बाकी कंपनियों का प्रॉफिट 21% की दर से ग्रो हुआ है। जबकि हमारी कंपनी आने वाले पांच-छः वर्षों में भी इसी दर से ग्रो कर सकती है।
कंपनी का मैनेजमेंट किसी प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसी जैसे क्रिसिल, इकरा और ब्लूमबर्ग आदि का हवाला देखकर बता सकता है कि फलां एजेंसी ने आगामी वर्षों में हमारी कंपनी की 25% ग्रोथ वृद्धि दर जारी रहने का अनुमान जताया है। हमारी कंपनी इस सेक्टर में मार्केट लीडर है, हम अपनी पोजीशन को आगे और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। मुहूर्त ट्रेडिंग
कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक में लेखक ने बताया है कि जो कंपनियां अपनी अपनी स्थिती को मजबूत बताने के लिए स्टोरी बनती हैं वे कुछ इस तरह बताती हैं। हमारी लॉस इस वर्ष 12% ही रहा है जबकि पिछले वर्ष हमारी कंपनी ने 20% लॉस किया था।
भारत एक यंग और डवलपिंग इकॉनमी है, पूरे दुनिया की हम पर नजर है। हमनें मेहनत करके अपनी कंपनी की ग्रोथ रेट को सुधारा है और भविष्य में हमारी कंपनी और अच्छी ग्रोथ करेगी। हमारे कई प्रोडक्ट मार्केट में हैं, जो भविष्य में और अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमारी कंपनी आने वाले समय में और नए प्रोडक्ट लांच करेगी आदि। लेकिन कंपनी वाले यह नहीं बताएँगे कि उनके प्रोडक्ट की मार्केट में अच्छी डिमांड नहीं है। सबसे कीमती कंपनियाँ
इस तरह कंपनी का मैनेजमेंट अपने इन्वेस्टर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनके सामने एक आशावादी स्टोरी पेश करता है। ऐसी कंपनियों के पास अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों को पछाड़ने, ग्रो करने और मार्केट लीडर बनने के लिए कोई बिजनेस स्ट्रेटेजी नहीं होती है। कमजोर कंपनियां केवल ये बताती हैं कि वो भविष्य में क्या करेंगी लेकिन वे यह नहीं बताती कि उन्होंने अब तक क्या किया है।
मीडिया की हाइप से किसी भी कंपनी में invest नहीं करना चाहिए। किसी भी स्टोरी से कंपनी की वैल्यू नहीं बढ़ती है। उससे कुछ समय के लिए उसके stock का प्राइस बढ़ता है, जोकि बहुत जल्दी नीचे आ जाता है। वास्तविक वेल्थ क्रिएशन कंपनी के लगातार प्रॉफिटेबल रहने और कैश-फ्लो में वृद्धि से होती है। हर्षद मेहता स्कैम
Scuttlebut Method
Common stocks and uncommon profits बुक में स्कट्लबट एक अनौपचारिक शब्द है है। जिसे फिलिप फिशर ने इन्वेस्टर्स के बीच लोकप्रिय बनाया था। आपको बहुत सारी जगह से और बहुत सारे लोगों से stocks के आईडिया और इन्वेस्टमेंट की महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
ये वे लोग होने चाहिए, जो कंपनी से सीधे जुड़े हो जैसे कंपनी के कस्टमर्स, कर्मचारी और प्रतिस्पर्धी आदि। यदि आप किसी कंपनी के कर्मचारी को जानते हैं तो आप उससे कंपनी के कल्चर, फ्यूचर ग्रोथ आदि के बारे में जानकारी हाँसिल कर सकते हैं।
इसी तरह कंपनी के कस्टमर से आप उसके प्रोडक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कैसे इस कंपनी के उत्पाद दूसरी कंपनियों से बेटर हैं। इसे एक उदाहरण के द्वारा ऐसे समझ सकते हैं- वारेन बफे ने जब एप्पल में निवेश करने से पहले देखा था कि अमेरिका में लोग एप्पल के कम्प्यूटर्स और वॉच यूज कर रहे हैं।
एप्पल के कस्टमर्स से बफे ने बात करके जाना कि लोग बार-बार एप्पल के प्रोडक्ट खरीदते हैं। उसके बाद ही उन्होंने एप्पल में investment किया था। इसी तरह आपको Stock market में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपको किसी इन्वेस्टमेंट गुरु और सोशल मीडिया की जरूरत नहीं है।
आप अपने आसपास देख सकते हैं कि ज्यादातर लोग किस कंपनी के प्रोडक्ट को बार-बार यूज कर रहे हैं। किस प्रोडक्ट के बारे में लोग बात कर रहे हैं। ना कि स्टॉक के बारे में और उस प्रोडक्ट के फ्यूचर के बारे में लोग क्या सोचते हैं आदि। जियो फाइनेंशियल
Don't quibble over eights and quarters
अगर आपको किसी कंपनी के फ्यूचर में ग्रोथ करने की संभावना लगती है। तो आपको उसमे सिर्फ यह देखना चाहिए कि कहीं वह ओवरवैल्यूड तो नहीं हैं। इसके लिए Philip Fisher एक कहानी सुनाते हैं, एक बार एक इन्वेस्टर किसी हाई ग्रोथ कंपनी के stocks खरीदना चाहता था।
उस दिन उस स्टॉक का प्राइस 35.5 डॉलर प्रति शेयर पर था। उस इन्वेस्टर ने आधा डॉलर बचाने के लिए 35 डॉलर पर लिमिट ऑर्डर प्लेस कर दिया कि जब कंपनी का शेयर 35 डॉलर पर आएगा। तो उनको शेयर मिल जायेंगे लेकिन उस दिन और उस दिन के बाद वो स्टॉक 35 डॉलर पर आया ही नहीं।
जिसकी वजह से उस इन्वेस्टर का ऑर्डर कभी कम्प्लीट हुआ ही नहीं और वो इन्वेस्टर कभी उस कंपनी में invest कर ही नहीं पाया। फिर कुछ सैलून बाद उस शेयर का प्राइस 500 डॉलर प्रति शेयर हो गया। उसके बाद भी वो कंपनी लगातार ग्रो कर रही थी और उसका भविष्य ब्राइट था। बुल और बेयर मार्केट
उस आधे डॉलर को बचाने के चक्कर में वह इन्वेस्टर उस कंपनी में इन्वेस्ट करने का शानदार मौका चूक गया। इससे यह सीख मिलती है कि जब आप किसी कंपनी के ग्रोथ की संभावनाओं को देखकर इन्वेस्ट करने का निर्णय ले लेते हो। तो छोटे-मोटे प्राइस डिफरेंस की वजह से उस मौके को छोड़ना नहीं चाहिए।
छोटे-मोटे प्रॉफिट पर उसे बेचना भी नहीं चाहिए क्योंकि Stock market छोटे-मोटे प्रॉफिट कमाने की जगह नहीं है। स्टॉक मार्केट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी वेल्थ क्रिएट करने की जगह है। बहुत ही कम लोग ये बात समझ पाते हैं इसलिए बहुत कम लोग ही यहाँ से वेल्थ क्रिएट कर पाते हैं। अगर आप अपने स्टॉक्स को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करने में सफल रहते हैं तो स्टॉक मार्केट से आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकते हैं।
उम्मीद है, आपको कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक ( Common stocks and uncommon profits ) आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Common stocks and uncommon profits book summary in Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो। इसे दोस्तों दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। इस आर्टिकल के सम्बन्ध में आपके कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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