Common stocks and uncommon profits: बुक से जानें करोड़पति इन्वेस्टर्स के इन्वेस्टिंग सीक्रेट!

Common Stocks and Uncommon Profits: जितने भी लोगों ने शेयर मार्केट से अथाह दौलत कमाई है। उन्होंने अपने स्टॉक्स को Buy करने के बाद हमेशा के लिए Hold करके कमाई है। फिलिप ऑर्थर फिशर ने कभी भी अपने स्टॉक्स को बेचा नहीं है। उन्होंने भी अपनी बुक में भी यही समझने की कोशिश की है कि कभी अपने स्टॉक्स को खरीदकर, उन्हें बेचना नहीं चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं- कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक से जानें करोड़पति इन्वेस्टर्स के इन्वेस्टिंग सीक्रेट!
                                                                                
Common stocks and uncommon profits book
ये बात तो हंड्रेड पर्सेंट सच है, अगर किसी को शेयर मार्केट से पैसा कमाकर धनवान बनना है तो उसमें अपने होल्ड किये स्टॉक्स को लम्बे समय तक होल्ड करने का धैर्य होना बहुत जरूरी है। 

यदि आप भी शेयर मार्केट से अथाह धन कमाना चाहते हैं और आप इंलिश पढ़ने में कम्फर्टेबल हैं। तो आप फिलिप ऑर्थर फिशर द्वारा लिखित बुक Common stocks and uncommon profits पढ़ सकते हैं। 

कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स (Common stocks and uncommon profits)

'कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स' फ़िलिप फिशर द्वारा लिखी गई एक प्रभावशाली बुक है जो शेयर बाज़ार में निवेश करने के तरीके को गहराई से समझाती है। यह बुक इन्वेस्टर्स को उन कंपनियों को पहचानने में मदद करती है जो भविष्य में असाधारण प्रॉफिट दे सकती हैं। 

फिशर का मानना था कि किसी कंपनी का सही मूल्यांकन करने के लिए उसकेमैनेजमेंट, नवाचार और लॉन्ग टर्म ग्रोथ क्षमता पर ध्यान देना ज़रूरी है। यह पुस्तक सिर्फ नम्बर्स और फाइनेंशियल रिपोर्टों के बारे में नहीं है। बल्कि यह इस बात पर भी ज़ोर देती है कि एक अच्छा इन्वेस्टर्स बनने के लिए दूरदर्शिता और धैर्य कितना जरूरी है।

इस बुक का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि सही समय पर और सही कंपनी में निवेश करने से ही बड़ा प्रॉफिट कमाया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक है जो सिर्फ Share market के उतार-चढ़ाव पर ध्यान देने के बजाय, गुणवत्तापूर्ण निवेश की तलाश में हैं। 

फ़िलिप फिशर का मानना था कि एक अच्छी कंपनी को पहचानने के लिए उसके मैनेजमेंट की ईमानदारी, उसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता और नए उत्पादों को बनाने की क्षमता को समझना बहुत जरूरी है। इस पुस्तक में, उन्होंने यह भी बताया कि शेयर बाज़ार के सेंटीमेंट से प्रभावित हुए बिना, डाटा और रिसर्च के आधार पर निर्णय लेना कितना जरूरी है।

फिशर का "15-पॉइंट चेकलिस्ट" इस बुक का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। जो इन्वेस्टर्स को यह समझने में मदद करता है कि एक कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले क्या-क्या देखना चाहिए। यह चेकलिस्ट न केवल कंपनी के फाइनेंशियल पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है। बल्कि उसके गैर-फाइनेंशियल पहलुओं जैसे कि उसके कर्मचारी संबंध, रिसर्च एंड डवलपमेन्ट (R&D) पर भी ज़ोर देती है। 

यह बुक उन सभी इन्वेस्टर्स के लिए एक ज़रूरी मार्गदर्शक है जो Stock market में लॉन्ग टर्म सक्सेस प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे बाज़ार के शोर-शराबे से दूर रहकर समझदारी से मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना सीखना चाहते हैं।

फ़िलिप फिशर की निवेश की दुनिया में एक यात्रा

इससे पहले कि हम किताब की गहराई में जाएँ, यह समझना ज़रूरी है कि फ़िलिप फिशर कौन थे। फिशर को "ग्रोथ इन्वेस्टिंग" (Growth Investing) का जनक माना जाता है। वॉरेन बफे, दुनिया के सबसे सफल इन्वेस्टर्स में से एक, ने भी फिशर के सिद्धांतों से प्रभावित होने की बात कही है। वॉरेन बफेट ने एक बार कहा था कि वह बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) से वैल्यू इन्वेस्टिंग (value investing) के सिद्धांतों को सीखते थे। 

साथ ही उनका यह भी कहना है कि फ़िलिप फिशर से यह सीखते थे कि एक अच्छी कंपनी को कैसे पहचाना जाए। फिशर का मानना था कि अगर आप एक असाधारण कंपनी की पहचान कर लेते हैं और उसमें लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, तो आपको असाधारण लाभ मिल सकता है। 

इन्वेस्टमेंट की दुनिया में, कुछ books ऐसी होती हैं जो सिर्फ जानकारी नहीं देतीं, बल्कि एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान करती हैं।  Philip Fisher द्वारा लिखित “कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स” (Common Stocks and Uncommon Profits) ऐसी ही एक बुक है। यह बुक पहली बार 1958 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन आज भी इसकी प्रासंगिकता उतनी ही बनी हुई है। यह किताब सिर्फ फाइनेंशियल रिपोर्टों और स्टॉक चार्ट्स के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक गहरी समझ और दूरदर्शिता के बारे में है, जो एक सफल इन्वेस्टर के लिए बहुत आवश्यक है।

फिशर ने इस किताब में यह समझाया है कि केवल नम्बर्स देखकर इन्वेस्टमेंट करना काफ़ी नहीं है। एक कंपनी का मूल्यांकन करने के लिए आपको उसके "अदृश्य" पहलुओं को भी समझना जरूरी है। जैसे कि उसका मैनेजमेंट कैसा है, क्या वह अपने कर्मचारियों का सम्मान करती है, और क्या वह भविष्य के लिए तैयार है? यह बुक उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक है जो शॉर्ट-टर्म गेन (short-term gains) के बजाय लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन (long-term wealth creation) में विश्वास रखते हैं।

Common stocks and uncommon profits की मुख्य बातें

कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक के निम्नलिखित पॉइंट्स हर इन्वेस्टर्स को पढ़ने चाहिए?

1. द फ़िफ़्टीन पॉइंट चेकलिस्ट (The 15-Point Checklist): एक कंपनी को परखने का वैज्ञानिक तरीका। यह किताब का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। फिशर ने एक 15-पॉइंट चेकलिस्ट पेश किया है। जिसका उपयोग करके कोई भी इन्वेस्टर्स किसी कंपनी की गुणवत्ता का मूल्यांकन कर सकता है। यह चेकलिस्ट केवल फाइनेंशियल मैट्रिक्स (financial metrics) तक सीमित नहीं है। बल्कि कंपनी के गुणात्मक (qualitative) पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करती है।

15-पॉइंट चेकलिस्ट के कुछ मुख्य पॉइंट्स
  • कंपनी का प्रोडक्ट या सर्विस भविष्य में कैसे काम करेगा? क्या कंपनी के पास ऐसे प्रोडक्ट या सेवाएँ हैं जो आने वाले समय में भी मांग में रहेंगी?
  • क्या कंपनी का मैनेजमेंट रिसर्च और डवलपमेन्ट (R&D) पर पर्याप्त खर्च कर रहा है? फिशर का मानना था कि R&D किसी भी कंपनी की लॉन्ग-टर्म सफलता के लिए बहुत ज़रूरी है।
  • क्या कंपनी का सेल्स और मार्केटिंग नेटवर्क मज़बूत है? एक बेहतरीन प्रोडक्ट भी तब तक बेकार होते हैं। जब तक वह सही तरीक़े से ग्राहकों तक न पहुँचे।
  • क्या कंपनी का मैनेजमेंट ईमानदार है? फिशर ने इस बात पर बहुत ज़ोर दिया कि एक कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले उसके मैनेजमेंट की ईमानदारी और नैतिकता को समझना बहुत ज़रूरी है।
  • क्या कंपनी के पास लॉन्ग टर्म तक प्रॉफिट कमाने की क्षमता है? फिशर छोटी अवधि के प्रॉफिट के बजाय, लंबे समय तक स्टेबल प्रॉफिट पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं।
  • क्या कंपनी के कर्मचारियों और मैनेजमेंट के बीच अच्छे संबंध हैं? एक खुश और प्रेरित कार्यबल एक सफल कंपनी का आधार होता है।
यह चेकलिस्ट निवेशकों को एक कंपनी की सतह से परे देखने में मदद करती है। जिससे वे उसके वास्तविक मूल्य और क्षमता को समझ पाते हैं।

2. 'ग्रोथ स्टॉक्स' (Growth Stocks) में इन्वेस्ट: धीमी शुरुआत, बड़ा धमाका
फिशर ने Common stocks and uncommon profits बुक में 'ग्रोथ स्टॉक्स' (growth stocks) पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। यह ऐसी कंपनियाँ होती हैं जो मार्केट के औसत से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ती हैं। उनका तर्क था कि अगर आप एक बार जब ऐसी कंपनियों की पहचान कर लेते हैं। तब उनके stocks को लंबे समय तक होल्ड करना चाहिए। भले ही बीच में बाज़ार में कितने ही उतार-चढ़ाव क्यों न आए।

फिशर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि छोटे-छोटे प्रॉफिट के लिए शेयरों को बार-बार बेचने से इन्वेस्टर्स बड़े प्रॉफिट से चूक जाते हैं। उनका प्रसिद्ध कथन था, "सही समय पर खरीदना और बेचना उतना ज़रूरी नहीं है, जितना कि सही कंपनी में इन्वेस्ट करना।"

3. 'ग्रेट ग्रोथ स्टॉक्स' को खोजने की कला: फिशर ने बताया कि 'ग्रेट ग्रोथ स्टॉक्स' को खोजने के लिए केवल वित्तीय डेटा (financial data) पर निर्भर रहना काफ़ी नहीं है। इसके लिए आपको 'स्कटल-बट' (Scuttlebutt) पद्धति का उपयोग करना होगा। यह एक तरह का रिसर्च है, जिसमें आप कंपनी के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उसके ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं, प्रतिस्पर्धियों और यहाँ तक कि पूर्व कर्मचारियों से भी बात करते हैं।

यह तरीका एक इन्वेस्टर्स को कंपनी के बारे में एक पूर्ण और व्यावहारिक जानकारी देता है, जो केवल वार्षिक रिपोर्ट (annual report) या प्रॉस्पेक्टस (prospectus) से नहीं मिल सकती। यह आपको कंपनी की वास्तविक प्रतिष्ठा और बाज़ार में उसकी स्थिति को समझने में मदद करता है।

4. शॉर्ट-टर्म गेन' बनाम 'लॉन्ग-टर्म वेल्थ: यह बुक बार-बार इस बात पर ज़ोर देती है कि शेयर बाज़ार में जल्दी पैसा बनाने की मानसिकता से दूर रहना चाहिए। फिशर का मानना था कि जो लोग शार्ट-टर्म में पैसा कमाने की कोशिश करते हैं, वे अक्सर गलतियाँ करते हैं और नुकसान उठाते हैं।

इसके बजाय, उन्होंने लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। इसका मतलब है कि आप एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट करें, उसे साल-दर-साल बढ़ते हुए देखें और उसके साथ रहें। यह दृष्टिकोण न केवल आपको बड़ा मुनाफ़ा देता है, बल्कि यह निवेश को एक शांतिपूर्ण और कम तनावपूर्ण प्रक्रिया भी बनाता है।

Common stocks and uncommon profits बुक से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

वॉरेन बफे पर प्रभाव: वॉरेन बफे, जिन्हें बेंजामिन ग्राहम का शिष्य माना जाता है, ने भी कहा कि वह फिशर की 'कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स' से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि ग्राहम ने उन्हें 'मूल्य' (value) के बारे में सिखाया, और फिशर ने 'गुणवत्ता' (quality) के बारे में।

जब यह किताब प्रकाशित हुई थी, तब 'ग्रोथ इन्वेस्टिंग' का विचार उतना लोकप्रिय नहीं था जितना आज है। फिशर ने एक तरह से निवेश की दुनिया में एक नई सोच को जन्म दिया। 60 से अधिक साल बाद भी, यह किताब निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बनी हुई है। इसका कारण यह है कि इसके सिद्धांत मानव व्यवहार और कंपनियों की प्रकृति पर आधारित हैं, जो समय के साथ नहीं बदलते।

Philip Fisher की बुक से हमें कई व्यावहारिक सबक मिलते हैं-
  • भावनात्मक निवेश से बचें: बाज़ार में अफ़वाहों और भावनाओं के आधार पर निर्णय न लें। अपना रिसर्च करें और तार्किक रूप से सोचकर ही किसी स्टॉक में इन्वेस्ट करें।
  • विविधता (Diversification) का महत्व: हालाँकि फिशर ने कुछ ही कंपनियों में ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो में विविधता बनाए रखनी चाहिए ताकि जोखिम कम हो सके।
  • निवेश के लिए धैर्य रखें: सबसे अच्छे निवेश वे होते हैं, जो अपनी होल्डिंग्स को आप लंबे समय तक रखने में सफल रहते हैं। ऐसा मैंने इसलिए कहा है क्योंकि यह धैर्य बनाये रखना ही सबसे मुश्किल होता है। अतः शेयर मार्केट में अक्सर होने वाले उतार-चढ़ाव से बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए।
ये बात तो आप सभी को पता है कि शेयर मार्केट से प्रॉफिट कमाने के लिए स्टॉक्स को कम प्राइस पर खरीदकर ज्यादा प्राइस पर प्राइस पर बेचना पड़ता है। अगर मैं आपको यह बताऊँ कि एक बात तो निश्चित है कि जितने भी बड़े-बड़े और प्रसिद्ध (राकेश झुंझुनवाला, राधाकृष्ण दमानी और वारेन बफे आदि) इन्वेस्टर्स हैं। 

उन्होंने अपने खरीदे स्टॉक्स को आजीवन होल्ड किया है। आप राकेश झुनझुनवाला जी का ही उदाहरण देख सकते हैं। वे स्वर्गवासी होने के बाद उनके खरीदे गए सभी स्टॉक्स अपनी फेमिली को विरासत को विरासत में मिले हैं। शेयर मार्केट से वेल्थ बनाने वाले सच्चे इन्वेस्टर्स इसी तरह के लोग होते हैं। 

अब आप सोच रहे होंगे कि जब stocks को बेचेंगे नहीं तो प्रॉफिट कैसे बुक करेंगे? ये प्रोसेस कैसे होता है और इसमें वेल्थ कैसे बनती है? इसे एक उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं। माना आपने किसी हाई ग्रोथ कंपनी में अच्छी रिसर्च करके एक लाख रूपये इन्वेस्ट किये। दस-पंद्रह साल बाद आपका पैसा 50 गुना ग्रो हो जाता है। यदि आपके पोर्टफोलियो में ऐसे चार-पांच प्रकार की कंपनियों के स्टॉक्स हैं, जो ऐसा ही रिटर्न देते हैं। इस तरह की कंपनियों से आपको प्रतिवर्ष 1-2% का डिविडेंड भी मिल रहा होगा। 


यह डिविडेंड इनकम आपके मूल निवेश से भी ज्यादा होगी और डिविडेंड इनकम बहुत तेजी से ग्रो होती रहती है। जब कभी भविष्य में आपको पैसे की जरूरत पड़ती है तो आप थोड़े से stock बेच सकते हैं। आपको सभी स्टॉक्स बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि लॉन्ग-टर्म में स्टॉक्स के प्राइस जिस तरह से कम्पाउंडिंग ग्रोथ करते हैं। 

उससे आपके निवेश की वैल्यू कई गुना बढ़ जाती है। इसी को फिलिप फिशर Common stocks and uncommon profits कहते हैं। फिलिप फिशर ने 1954 में मोटोरोला कंपनी में इन्वेस्ट किया था और फिर मोटोरोला के स्टॉक को उन्होंने अपने पूरे जीवन होल्ड किया। 

2004 तक जब उनकी डेथ हुई तब तक यह स्टॉक इतना ज्यादा ग्रो हो चूका था कि इसे कभी उन्हें बेचने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। इससे मिलने वाला डिविडेंड ही उनके लिए काफी था। अगर हम भारतीय की कंपनी TCS का ही उदाहरण ले तो जनवरी 2009 में इसके शेयर का प्राइस 115 रूपये प्रति शेयर के करीब था। आज सितम्बर 2025 में इसके इसके शेयर का प्राइस 3065 रूपये के करीब है। 

यह कंपनी लगातार अपने इन्वेस्टर्स को डिविडेंड देती आ रही है। आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि स्टॉक्स लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को कितना ज्यादा रिटर्न देते हैं। TCS कंपनी का नाम मैंने केवल आपको समझाने के लिए लिया है। Stock market में इतना शानदार रिटर्न देने वाली कंपनियां भरी पड़ी हैं। आपको केवल उन पर रिसर्च करने की जरूरत है। रिलायंस, टाइटन, HDFC बैंक इंडियामार्ट आदि कंपनियां के stocks पिछले दस-पंद्रह वर्षों में सौ-सौ गुना और उससे भी ज्यादा ग्रो हो चुके हैं। 


फिलिप फिशर का एक बहुत प्रसिद्ध कोट है- I do't want to spend my time, trying to earn a lot little profit, I want very very big profits that am ready to wait for. अर्थात मैं बहुत कम मुनाफा कमाने की कोशिश में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता, मैं बहुत बड़ा मुनाफा चाहता हूं, जिसके लिए मैं इंतजार करने को तैयार हूं। 

फिलिप फिशर की बुक Common stocks and uncommon profits के चैप्टर्स में Stock investing के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गयी है- 

बहुत अधिक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो 

वारेन बफे का प्रसिद्ध कोट तो आपने सुना ही होगा कि "Don' t put yours all eggs in one Basket" यानि अपना पूरा पैसा एक ही कंपनी के स्टॉक्स में इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। लेकिन फिलिप फिशर कहते हैं कि Put your all eggs in one Basket and watchit  closely. इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको अपना सारा पैसा एक ही कंपनी में लगा देना चाहिए।

बल्कि उनके कहने का मतलब है कि आपको बहुत ज्यादा कंपनियों में निवेश नहीं करना चाहिए। आपको बहुत कम कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। जिनमें आपको जेनुइन ग्रोथ दिखती हो, अगर कम कंपनियां आपके पोर्टफोलियो में होंगी। तो आप उन्हें अच्छे से ट्रैक कर पाओगे। 

फिशर का एक और प्रसिद्ध कोट है-  "A very long list of securities is not a sign of a brilliant investor. But of one who is unsure of hinself" अर्थात स्टॉक्स की बहुत लंबी सूची एक प्रतिभाशाली निवेशक की नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्ति की निशानी है। जिसे खुद के स्टॉक चयन पर भरोसा नहीं है।


यदि आपको अपने स्टॉक चयन पर विश्वास नहीं है कि ये स्टॉक्स भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर भी पाएंगे या नहीं। तो आप ज्यादा स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करेंगे। यह सोचकर कि इनमें से कोई ना कोई स्टॉक तो अच्छा प्रदर्शन जरूर करेगा। अतः आप एक सेक्टर के कई-कई शेयरों में इन्वेस्ट कर लेते हैं। जैसे आप सोचते हैं कि HDFC Bank अच्छा है, लेकिन ICICI Bank भी अच्छा है। 

इसी तरह आपको इंफोसिस और एचसीएल टेक के शेयर भी अच्छे लगते हैं। अगर आप यह डिसाइड नहीं कर पाते हो कि इनमें से कौन की कंपनी ज्यादा अच्छी है। तो आप सोचते हो कि इन सभी में invest कर लिया जाय। इससे यह पता चलता है कि ज्यादा स्टॉक्स में वो इन्वेस्ट करते हैं। जिन्हें स्टॉक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है।

अतः जो लोग डायवर्सिफिकेशन के चक्कर में ज्यादा कंपनियों में इन्वेस्ट कर लेते हैं। वे उन कंपनियों में पर्याप्त इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाते जो भविष्य में अच्छी रेट से ग्रोथ करती हैं। Philip Fisher के हिसाब से आपके पोर्टफोलियो का 60-70% पाँच -छः कंपनियों में इन्वेस्ट होना चाहिए। 

अगर आपके पोर्टफोलियो में 10 कंपनियों के शेयर हैं और उनमें से पांच-छः शेयर आईटी कंपनियों के हैं तो यह पोर्टफोलियो भी किसी काम का नहीं है। इस तरह का पोर्टफोलियो आपके कंफ्यूजन को दर्शाता है। अतः आपके एक सेक्टर से उसके बेस्ट स्टॉक में इन्वेस्ट करना चाहिए। 


अच्छी कंपनियाँ कैसे और कहाँ ढूंढे? 

Common stocks and uncommon profits बुक में फिशर में स्टॉक्स चयन करने के कई फ्रेमवर्क दिए हैं। इसमें एक महत्वपूर्ण फ्रेमवर्क है, Fish in the right pond जिसका मतलब है। आपको ऐसी इंडस्ट्री के स्टॉक्स का चयन करना चाहिए, जिसमें ग्रोथ ज्यादा हो। 

अगर आप ऐसे तालाब में मछली पकड़ते हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी और ज्यादा मछलियाँ है। तो वहाँ पर आपके सफल होने के चांस बहुत ज्यादा हैं। लेकिन अगर आप ऐसे तालाब में जाते हो जहाँ मछलियाँ कम और मछुआरे ज्यादा तो यहाँ पर आपके सफल होने के चांस बहुत कम होंगे।

भारत में पांच हजार कंपनियाँ हैं और अमेरिका में आठ हजार कंपनियाँ हैं। आपको भारत की पांच हजार कंपनियों से आठ-दस बेस्ट कंपनियाँ ढूंढनी हैं। जो भविष्य में तेजगति से ग्रो हो सकें। Stock market में इन्वेस्ट करने के बहुत मौके मिलते हैं लेकिन इन्वेस्टर्स के पास टाइम कम होता है। 

सभी कंपनियों के मैनेजमेंट को लगता है कि भविष्य में उनकी कंपनी बेस्ट होगी। लेकिन यह आपको डिसाइड करना है कि कौन सी कंपनी आपके लिए वेल्थ क्रिएट कर सकती है? आपके चुने हुए stocks में से आपको कम वृद्धि दर वाले स्टॉक्स और जिनकी वृद्धि दर भविष्य में कम हो सकती है, उन्हें हटा देना चाहिए। 


फिर वो कंपनियां चाहें शार्ट-टर्म में कितना ही अच्छा प्रॉफिट कमा रही हो। जैसे स्टील , कोयला और इंफ़्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स की कंपनियाँ। जब आप किसी एक सेक्टर की कंपनी को पिक करते हैं। तब आपको उस सेक्टर की चार-पाँच कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट को पढ़ना चाहिए। साथ ही उनके सीईओ के इंटरव्यू भी देखने चाहिए कि वे कंपनी के बारे में क्या सोचते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि वे अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी की तारीफ भी करते हैं कि फलां कंपनी बहुत अच्छा कर रही है। 

Common stocks and uncommon profits बुक में लेखक ने बताया है कि जब आप किसी कंपनी के बारे में सुनते हैं तो आपको सुनी हुई बातों के बजाय फैक्ट्स पर भरोसा करना चाहिए। बहुत सी कंपनियां अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ऐसी इमेज और शब्दों का यूज करती हैं। जिससे पढ़ने वाले के मन में उसकी स्पेशल इमेज बन जाती है। जिससे काफी बार इन्वेस्टर्स कंपनी से इमोशनली अटैच हो जाते हैं।

आप फेक्ट और स्टोरी को एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। कोई हाई ग्रोथ वाली कंपनी अपने इन्वेस्टर्स से ऐसा कहेगी कि हमारा प्रॉफिट पिछले पाँच वर्षों में 25% की कम्पाउंडिंग दर से ग्रो हुआ है। जबकि इस सेक्टर की बाकी कंपनियों का प्रॉफिट 21% की दर से ग्रो हुआ है। जबकि हमारी कंपनी आने वाले पांच-छः वर्षों में भी इसी दर से ग्रो कर सकती है। 


कंपनी का मैनेजमेंट किसी प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसी जैसे क्रिसिल, इकरा और ब्लूमबर्ग आदि का हवाला देखकर बता सकता है कि फलां एजेंसी ने आगामी वर्षों में हमारी कंपनी की 25% ग्रोथ वृद्धि दर जारी रहने का अनुमान जताया है। हमारी कंपनी इस सेक्टर में मार्केट लीडर है, हम अपनी पोजीशन को आगे और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। 

कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स बुक में लेखक ने बताया है कि जो कंपनियां अपनी अपनी स्थिती को मजबूत बताने के लिए स्टोरी बनती हैं वे कुछ इस तरह बताती हैं। हमारी लॉस इस वर्ष 12% ही रहा है जबकि पिछले वर्ष हमारी कंपनी ने 20% लॉस किया था। 

भारत एक यंग और डवलपिंग इकॉनमी है, पूरे दुनिया की हम पर नजर है। हमनें मेहनत करके अपनी कंपनी की ग्रोथ रेट को सुधारा है और भविष्य में हमारी कंपनी और अच्छी ग्रोथ करेगी। हमारे कई प्रोडक्ट मार्केट में है जो भविष्य में और अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमारी कंपनी आने वाले समय में और नए प्रोडक्ट लांच करेगी आदि। लेकिन कंपनी वाले यह नहीं बताएँगे कि उनके प्रोडक्ट की मार्केट में अच्छी डिमांड नहीं है। 

इस तरह कंपनी का मैनेजमेंट अपने इन्वेस्टर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनके सामने एक आशावादी स्टोरी पेश करता है। ऐसी कंपनियों के पास अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों को पछाड़ने, ग्रो करने और मार्केट लीडर बनने के लिए कोई बिजनेस स्ट्रेटेजी नहीं होती है। कमजोर कंपनियां केवल ये बताती हैं कि वो भविष्य में क्या करेंगी लेकिन वे यह नहीं बताती कि उन्होंने अब तक क्या किया है। 

मीडिया की हाइप से किसी भी कंपनी में invest नहीं करना चाहिए। किसी भी स्टोरी से कंपनी की वैल्यू नहीं बढ़ती है। उससे कुछ समय के लिए उसके stock का प्राइस बढ़ता है, जोकि बहुत जल्दी नीचे आ जाता है। वास्तविक वेल्थ क्रिएशन कंपनी के लगातार प्रॉफिटेबल रहने और कैश-फ्लो में वृद्धि से होती है। 

ये भी जानें- हर्षद मेहता स्कैम

Scuttlebut Method 

Common stocks and uncommon profits बुक में स्कट्लबट एक अनौपचारिक शब्द है। जिसे Philip Fisher ने इन्वेस्टर्स के बीच लोकप्रिय बनाया था। आपको बहुत सारी जगह से और बहुत सारे लोगों से stocks के आईडिया और इन्वेस्टमेंट की महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। 

लेकिन ये वे लोग होने चाहिए जो कंपनी से सीधे जुड़े हो जैसे कंपनी के कस्टमर्स, कर्मचारी और कम्पटीटर्स आदि। यदि आप किसी कंपनी के कर्मचारी को जानते हैं तो आप उससे कंपनी के कल्चर, फ्यूचर ग्रोथ आदि के बारे में जानकारी हाँसिल कर सकते हैं। 

इसी तरह कंपनी के कस्टमर से आप उसके प्रोडक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कैसे इस कंपनी के उत्पाद दूसरी कंपनियों से बेटर हैं। इसे एक उदाहरण के द्वारा ऐसे समझ सकते हैं- वारेन बफे ने जब एप्पल में निवेश करने से पहले देखा था कि अमेरिका में लोग एप्पल के कम्प्यूटर्स और वॉच यूज कर रहे हैं। 

एप्पल के कस्टमर्स से बफे ने बात करके जाना कि लोग बार-बार एप्पल के प्रोडक्ट खरीदते हैं। उसके बाद ही उन्होंने एप्पल में investment किया था। इसी तरह आपको Stock market में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपको किसी इन्वेस्टमेंट गुरु और सोशल मीडिया की जरूरत नहीं है। 

आप अपने आसपास देख सकते हैं कि ज्यादातर लोग किस कंपनी के प्रोडक्ट को बार-बार यूज कर रहे हैं। किस प्रोडक्ट के बारे में लोग बात कर रहे हैं। ना कि स्टॉक के बारे में और उस प्रोडक्ट के फ्यूचर के बारे में लोग क्या सोचते हैं आदि।

Don't quibble over eights and quarters 

अगर आपको किसी कंपनी के फ्यूचर में ग्रोथ करने की संभावना लगती है तो आपको उसमे सिर्फ यह देखना चाहिए। कहीं वह ओवरवैल्यूड तो नहीं हैं? इसके लिए Philip Fisher एक कहानी सुनाते हैं। एक बार एक इन्वेस्टर किसी हाई ग्रोथ कंपनी के stocks खरीदना चाहता था। 

उस दिन उस स्टॉक का प्राइस 35.5 डॉलर प्रति शेयर पर था। उस इन्वेस्टर ने आधा डॉलर बचाने के लिए 35 डॉलर पर लिमिट ऑर्डर प्लेस कर दिया कि जब कंपनी का शेयर 35 डॉलर पर आएगा तो उनको शेयर मिल जायेंगे। लेकिन उस दिन और उस दिन के बाद वो स्टॉक 35 डॉलर पर आया ही नहीं। 

जिसकी वजह से उस इन्वेस्टर का ऑर्डर कभी कम्प्लीट हुआ ही नहीं और वो इन्वेस्टर कभी उस कंपनी में invest कर ही नहीं पाया। फिर कुछ सैलून बाद उस शेयर का प्राइस 500 डॉलर प्रति शेयर हो गया। उसके बाद भी वो कंपनी लगातार ग्रो कर रही थी और उसका भविष्य ब्राइट था। 

उस आधे डॉलर को बचाने के चक्कर में वह इन्वेस्टर उस कंपनी में इन्वेस्ट करने का शानदार मौका चूक गया। इससे यह सीख मिलती है कि जब आप किसी कंपनी के ग्रोथ की संभावनाओं को देखकर इन्वेस्ट करने का निर्णय ले लेते हो। तो छोटे-मोटे प्राइस डिफरेंस की वजह से उस मौके को छोड़ना नहीं चाहिए। 

छोटे-मोटे प्रॉफिट पर उसे बेचना भी नहीं चाहिए क्योंकि Stock market छोटे-मोटे प्रॉफिट कमाने की जगह नहीं है। स्टॉक मार्केट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी वेल्थ क्रिएट करने की जगह है। बहुत ही कम लोग ये बात समझ पाते हैं इसलिए बहुत कम लोग ही यहाँ से वेल्थ क्रिएट कर पाते हैं। अगर आप अपने स्टॉक्स को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करने में सफल रहते हैं तो स्टॉक मार्केट से आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकते हैं।

निष्कर्ष: "कॉमन स्टॉक्स एंड अनकॉमन प्रॉफ़िट्स" केवल एक इन्वेस्टमेंट बुक ही नहीं है। यह एक मानसिकता और दर्शन है। यह हमें सिखाती है कि सफल इन्वेस्टमेंट केवल संख्याएँ देखने से नहीं होता, बल्कि एक गहरी समझ, धैर्य और दूरदर्शिता से होता है।

यदि आप एक ऐसे इन्वेस्टर्स या ट्रेडर हैं जो शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग (short-term trading) से थक चुके हैं। और रियल में लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएटर बनाना चाहते हैं, तो यह बुक आपके लिए एक अमूल्य मार्गदर्शक साबित होगी। यह आपको बताएगी कि अच्छी कंपनियों को कैसे पहचानें? उनमें इन्वेस्ट करें, और उनके विकास के साथ खुद भी बढ़ें।

यह किताब हमें यह भी सिखाती है कि निवेश एक यात्रा है, न कि एक दौड़। और इस यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए, आपको सही उपकरण और सही मानसिकता की ज़रूरत होती है। फिशर ने हमें वह उपकरण दिए हैं। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम उनका उपयोग कैसे करते हैं। 

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