learn Share market: शेयर मार्केट से वेल्थ क्रिएट करना कैसे सीखें?

शेयर बाजार के बारे में सीखना रोमांचक और संभावित रूप से लाभदायक हो सकता है। लेकिन इसे सही मानसिकता और ज्ञान के साथ ही सीखना चाहिए। Share market हमारी अर्थव्यवस्था  का सबसे आकर्षक तत्व है। चाहे समाचार हो या आपका कार्यालय, सभी जगह आप लोगों को अक्सर इसके गिरने और चढ़ने पर चर्चा करते हुए सुनते होंगे। 

यह देखते हुए कि हर कोई शेयर बाजार और इसके आश्चर्यजनक मुनाफे के बारे में बात कर रहा है। इन बातों को सुनकर आपको भी ट्रेडिंग में अपना हाथ आजमाने में दिलचस्पी होती होगी। आप केवल इसी वजह से शेयर मार्केट में आने से डरते हैं। क्योंकि आपको बाजार और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी की कमी है। 

चिंता न करें, यह आर्टिकल उन लोगों के लिए ही है। जो यह सोच रहे हैं कि शेयर बाजार के बारे में कैसे जानें और शेयर मार्केट में कैसे ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग स्टार्ट करें? आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट कैसे सीखें? How to learn share market?

                                                                               
शेयर मार्किट कैसे सीखें?


यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना सीखना चाहते हैं तो आप बफे & ग्राहम से सीखें शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना बुक पढ़ सकते हैं। अगर आप ऑडियोबुक सुनना पसंद करते हैं तो आप अमेज़न ऑडिबल का एक महीने का फ्री ट्रायल लेकर अवचेतन मन की शक्ति को पहचानें ऑडियोबुक सुन सकते हैं। 

शेयर बाज़ार (Share market ) क्या है?

बाज़ार एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म है जहाँ शेयरों के सभी बायर ( खरीदार ) और सेलर ( बेचने वाले ) विभिन्न कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करते हैं। ट्रेडर्स फिजिकल शेयर बाज़ार में ऑफ़लाइन भी ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कर सकते हैं। और ट्रेडिंग एप के माध्यम से ऑनलाइन भी Share market में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कर सकते हैं। यदि आप ऑफ़लाइन ट्रेडिग और इन्वेस्टिंग करते हैं, तो यह आपको अपने पंजीकृत ब्रोकर के माध्यम से करना होगा।

शेयर मार्केट को स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है। दोनों शब्दों का एक ही मतलब है और दोनों शब्दों का प्रयोग परस्पर किया जा सकता है। भारत में दो शेयर बाज़ार हैं,जिन्हें स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। केवल सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) लाने वाली कंपनियों के पास ऐसे शेयर होते हैं। जिनको स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जा सकता है। Share market sikhne वाले लोगों के लिए, शेयर मार्केट क्या है? जानना बेहद जरूरी है। 

Share market में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कैसे करें? 

ट्रेडिंग और निवेश के बीच मुख्य अंतर वह समय है। जिसके लिए आप शेयर खरीदकर होल्ड करते हैं। यदि आप stock trading कर रहे हैं, तो आप शार्ट टर्म में शेयर खरीदेंगे और बेच देंगे। जबकि निवेश ( investment ) का अर्थ है, शेयरों को लंबे समय तक ( कई वर्षों तक ) अपने पास ( hold ) रखना और उसके बाद बेचना। 

भले ही आप शेयर बाजार में शेयर ट्रेडिंग कर रहे हों या निवेश कर रहे हों। आपको सोच-समझकर निर्णय लेंने चाहिए। आपको शेयर मार्केट में पैसा लगाने से पहले यह साफ-साफ पता होना चाहिए। कि आप जो पैसा लगा रहे हैं, उसे आप आप खो भी सकते हैं, इसलिए आपको कभी भी अपनी जीवन भर की बचत पर दांव नहीं लगाना चाहिए। बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न

इस आर्टिकल में आगे ऐसे दिशानिर्देश और रणनीतियाँ बतायी गई हैं। जो आपको Share market को समझने और प्रॉफिट कमाने की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद करेंगी। लेकिन आपको शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश करते समय सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। 

अब जब आप शेयर बाजार की मूल बातें समझ गए हैं। तो यहां शेयर बाजार सीखने ( learn stock market ) के कुछ तरीके दिए गए हैं। शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने के लिए आपको अच्छी तरह से शेयर और शेयर मार्केट का विश्लेषण ( analysis ) करना जरूर आना चाहिए। यह दो प्रकार का होता है। 
  1. फंडामेंटल विश्लेषण ( Fundamental analysis )
  2. तकनीकी विश्लेषण   ( Technical analysis )

फंडामेंटल विश्लेषण 

फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा कम्पनी का मूल्यांकन करके उसके शेयर की Intrinsic value निकाली जाती है। इसमें कम्पनी की सभी सम्पत्तियों तथा देनदारियों को देखकर कम्पनी की नेट वैल्यू निकाली जाती है। फिर इसके आधार पर कम्पनी के शेयर की कीमत का अनुमान लगाया जाता है। कई बार विश्लेषक यह भी देखते हैं कि कम्पनी की डिविडेंड पॉलिसी क्या है?                                                                                                                                                                                         
यदि कम्पनी साल दर साल डिविडेंड देती है तो इसका मतलब कम्पनी केश जेनरेशन कर रही है, इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि कम्पनी इन्वेस्टर फ्रेंडली है। फंडामेंटल एनालिसिस में इन तरीकों से अनुमान लगाया जाता है कि कम्पनी निवेश करने योग्य है या नहीं। फंडामेंटल एनालिसिस                                                                                                                                                                              
फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा शेयरों की वैल्यू के बारे में अनुमान लगाया जाता है। विशेषकर अंडरवैल्यू कम्पनियों के बारे में जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। फंडामेंटल विश्लेषण के द्वारा दूसरे बाजारों जैसे कि कमोडिटी तथा करेंसी का भी विश्लेषण किया जा सकता है। किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए निम्नलिखित टूल्स का प्रयोग किया जाता हैं -                                                                                                                                           
 (A) The True Value of Stocks (B) Earnings (C) Profit Margin (D) Price To Earnings (E) Price To Book (F) Price / Earning To Growth (PEG) (G) Return To Equity (ROE) टाटा पावर                                                                                
Intrinsic value: फंडामेंटल विश्लेषक किसी भी शेयर का विश्लेषण करके उसकी intrinsic value (सही कीमत, The true value of stocks) का अनुमान लगा लेते हैं और उसी हिसाब से शेयर में buying और selling करते हैं। क्योंकि धीरे-धीरे शेयर का बाजार मूल्य उसके इन्ट्रिंसिक वैल्यू के ओर बढ़ता है। ऐसी वजह से शेयरों में निवेश करने वाले निवेशक मुनाफा कमाते हैं। शेयर बाजार से पैसे कमाने के दस तरीके                                                                                                                                                                                                                                               
Earnings: किसी भी कम्पनी में निवेश करने से पहले निवेशक उसकी कमाई देखते हैं। क्योंकि कम्पनी की earnings के द्वारा ही उसके भविष्य की ग्रोथ की संभावनाओं को समझा जा सकता है। क्योंकि इसी से भविष्य में कम्पनी  के शेयर की कीमत तय होती है।                                                                                                                                                                                                                                                             
 
Profit Margin: प्रॉफिट मार्जिन, कंपनी के लाभ (सभी खर्चों को काटकर) का अनुपात है। जो कंपनी के रेवन्यू से डिवाइड होता है। प्रॉफिट मार्जिन बिक्री से हुए लाभ की तुलना करता है। दस प्रतिशत प्रॉफिट का मतलब है कि कंपनी प्रत्येक रूपये के रेवेन्यू पर दस पैसे कमा रही है। Warren Buffet biography                                                                                                                                                                           
Return On Equity (ROE): ROE यानि इक्विटी पर रिटर्न, कम्पनी की एसेट से देनदारियों (liabilities) को घटाने के बाद जो रिटर्न मिलता है। उसे ROE कहते हैं। ROE यह भी मापता है कि शेयर धारक के खर्च हुए प्रत्येक रूपये पर कितना लाभ उत्पन्न हुआ। ROE एक मीटर है जोकि पता लगाती है कि कम्पनी रिटर्न उत्पन्न करने के लिए अपनी इक्विटी का कितना अच्छा उपयोग करती है। ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग सीखें?                                                                                                                                                                                                                            
 
Price-To- Earning Ratio  (P /E ratio): कम्पनी का P/E रेश्यो निकलने  के लिए शेयर  की वर्तमान कीमत को उसके earning per share (EPS) से डिवाइड करके P/E रेश्यो निकाल लिया जाता है। यदि किसी कम्पनी का P/E रेश्यो हाई है तो इसका मतलब earnings के मुकाबले इसके शेयर की कीमत ज्यादा है और शेयर ओवरवैल्यू है, ऐसे शेयर में निवेश से बचना चाहिए।                                                                                                                                                                                                                                         

Price-To-Book (P/B रेश्यो): 
इसमें कंपनी के वर्तमान बाजार मूल्य की तुलना उसके बुक वैल्यू (बुक वैल्यू के अंतर्गत कम्पनी की सभी संम्पतियों का मूल्य जुड़ा होता है) से की जाती है। वारेन बुफेट पोर्टफोलियो P/B रेश्यो से हम यह समझ सकते हैं कि यदि कंपनी दिवालिया हो जाती है तो उसकी शेष कीमत क्या होगी ?                                                                                                                                                                                       
  
Price/Earnings-To-Growth (PEG): PEG रेश्यो निकालने के लिए कम्पनी के P/E रेश्यो को उसके बारह महीने की संभावित ग्रोथ रेट से डिवाइड कर देने  कंपनी का PEG रेश्यो निकल आता है। यदि किसी कम्पनी का PEG रेश्यो उसके P/E रेश्यो से हाई  है तो इसका मतलब उसका शेयर ओवरवैल्यू तथा यदि किसी कंपनी का PEG रेश्यो उसके PE .रेश्यो से कम है तो इसका मतलब उसका शेयर अंडरवैल्यू है। 

तकनीकी विश्लेषण 

टेक्निकल एनालिसिस एक कार्यविधि है जिसके द्वारा प्राइस की दिशा का अनुमान लगाया जाता है कि प्राइस ऊपर की तरफ चलेगें या नीचे की तरफ। इसके द्वारा ट्रेडिंग और निवेश की संभावनाओं  को खोजा जाता है। तकनीकी विश्लेषक ऐसा पुराने ट्रेडिंग डाटा, प्राइस मूवमेंट और वॉल्यूम के आधार पर करते हैं।                                                                                                                                                                    
टेक्निकल एनालिसिस के अंतर्गत ज्यादातर निम्नलिखित इंडिकेटर का उपयोग  है-                                                                                                                                                                             
(A) Price trends (B) Chart patterns (C) Volume and momentum indicators (D) Oscillators (E) Moving averages (F) Support and resistance levels.                                                                                                                                                                                                                                    
 Price trends: Technical analysis के द्वारा stocks के price trends को आसानी से समझा जा सकता है। यदि स्टॉक हायर-हाई बना रहा है तो इसका मतलब स्टॉक uptrend में है और यदि स्टॉक लोअर-लो बना रहा है तो इसका मतलब शेयर downtrend में है।                                                                                                                                                                                                                                                       
 Chart patterns: चार्ट पैटर्न एक शेप होती जोकि शेयर के पिछले प्राइस चार्ट को दर्शाती है। इसकी सहायता से ट्रेडर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आगे शेयर के प्राइस किधर जा सकते हैं तथा ट्रेडर उसी हिसाब से शेयर में पोजीशन बना सकते हैं। 
 

Volume and momentum indicators: Volume indicators आपको यह बताते हैं कि कैसे वॉल्यूम समय-समय पर कम या ज्यादा होता रहता है। वॉल्यूम इंडिकेटर मैथमेटिकल फार्मूला होते हैं तथा इन्हे चार्ट पर प्रदर्शित किया जाता है। प्रत्येक इंडिकेटर के अंदर अलग फार्मूला अपनाया जाता है। ट्रेडर को अपने हिसाब से बेस्ट इंडीकेटर्स का उपयोग करना चाहिए।                                                                                                                                                                                                                                                             

 Momentum indicators एक टेक्निकल एनालिसिस टूल है जो शेयरों की कीमत में वृद्धि और गिरावट की दर को मापते हैं। RSI और MACD आदि कुछ मोमेंटम इंडीकेटर्स के उदाहरण हैं।                                                                                                                                                                                       
 
Oscillators: Technical analysis में यूज़ किये जाने वाले ऑसिलेटर्स भी मोमेंटम इंडीकेटर्स ही हैं इसमें शेयर प्राइस के उतार-चढ़ाव ऊपरी और निचले बैंड से बंधे होते हैं। जब शेयर की कीमत ऑसिलेटर्स के बैंड के पास पहुँचती है तब ये ट्रेडर्स को ओवरबॉट तथा ओवरसोल्ड का सिग्नल देते हैं। 

 Moving average: मूविंग एवरेज एक ट्रेन्ड इंडीकेटर् है जोकि शेयरों के एक निश्चित समय के औसत क्लोजिंग प्राइस को दर्शाता है। जिसकी सहायता से stocks में ट्रेडिंग के अवसरों की पहचान की जाती है। current market price                                                                                                                                                                               
 Support and Resistance levels: शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस पूर्व निर्धारित लेवल होते हैं। Support & resistance (S &R) चार्ट पर एक विशिष्ट बिंदु होते हैं जिनसे उम्मीद की जाती है कि वह इन बिंदुओं पर ज्यादातर buying और selling को आकर्षित करेगें, ऐसा होता भी है। 

डीमैट अकाउंट (ट्रेडिंग अकाउंट ) खोलें 

डीमैट अकाउंट खोलकर आप यह समझ सकते है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कैसे की जाती है। अतः आपको एक प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म के साथ ट्रेडिंग अकाउंट खोलना चाहिए। यदि आपके पास अभी तक कोई डीमैट अकाउंट नहीं है। तो आप आसानी से एक नया डीमैट अकाउंट सकते हैं। उस फर्म का चयन करें जिसके साथ आप ट्रेडिंग खाता चाहते हैं। आप ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट अकाउंट दोनों शब्दों का परस्पर प्रयोग कर सकते हैं। 

आवश्यक दस्तावेज के साथ एक आवेदन भरें, और एक बार सत्यापन हो जाने पर, आपके पास एक सक्रिय डीमैट अकाउंट होगा। ऑनलाइन आवेदन के मामले में, पूरी प्रक्रिया निर्बाध और कागज रहित होती है। और आप आधे घंटे से भी कम समय में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अकाउंट एक ही अकाउंट में होते हैं।  

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको शुरू में ज्यादा पैसे मार्केट में नहीं लगाने चाहिए। आपको केवल प्रक्टिस के लिए एक दो शेयर ही खरीदकर देखने चाहिए। जब आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंगअच्छे से सीख लें। तभी मार्केट में ज्यादा पैसे लगाएं। कभी भी  शेयर मार्केट में अपनी सारी पूँजी नहीं  लगानी चाहिए और ना ही कभी लोन लेकर पैसा मार्केट में लगाना चाहिए। क्योंकि शेयर मार्केट में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है। आपको अपने जोखिम पर ही अपना पैसा मार्केट में लगाना होता है। अतः मार्केट में बहुत सोच-समझकर ही पैसा लगाना चाहिए। 

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और आपका ट्रेडिंग अकाउंट डैशबोर्ड आपको Share market में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने के बहुत सरे ऑप्शंस उपलब्ध करवाते हैं। इससे आपके द्वारा दिए जा सकने वाले ऑर्डर के प्रकार, ट्रेडिंग के प्रकार और ट्रेडिंग में शामिल विभिन्न तत्वों को समझने में आपको बहुत मदद मिल सकती है। जिस ब्रोकरेज फर्म के साथ आप ट्रेडिंग अकाउंट खोलते हैं। वह आपको कई प्रकार के निःशुल्क टेक्निकल टूल भी उपलब्ध करवा सकती है। अतः आप अपने लिए सही ब्रोकरेज फर्म का चुनाव करें। क्योंकि टेक्निकल टूल्स आपको सही ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग रणनीति बनाने और सही निर्णय लेने में मदद करते हैं। 

Share market से सम्बन्धित बुक्स पढ़ें 

आप पढ़ने में कभी भी गलत नहीं हो सकते हैं, आप इस साइट पर दिए गए आर्टिकल पढ़कर भी शेयर मार्केट के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। । शेयर मार्केट से सम्बन्धित बहुत सारी किताबें हैं, जिन्हें पढ़कर आप शेयर मार्केट के बारे में सबकुछ जान सकते हैं।  बहुत सी ऐसी पुस्तकें हैं, जो शुरुआती और अनुभवी ट्रेडर्स के लिए उपयोगी हैं। अपने लिए ऐसी किताब चुनें जिसकी भाषा सरल हो। क्योंकि आप शब्दजाल को समझने की कोशिश में फंसना नहीं चाहेंगे। 

मैं आपको शेयर मार्केट सम्बन्धित टॉप थ्री बुक्स के बारे में आपको जानकारी दे रही हूँ। आप इनमें से अपने लिए कोई बुक चुन सकते हैं। 
  1. द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर दस लाख से अधिक प्रतियों की बिक्री का रिकॉर्ड इस बुक ने बनाया है। इस शानदार पुस्तक में ग्राहम के सदाबहार ज्ञान का आज के बाज़ार की परिस्थितियों के आधार पर वर्णन किया गया है। बीसवीं शताब्दी के सबसे महान निवेश सलाहकार बेंजामिन ग्राहम ने दुनिया भर में लोगों को सिखाया व प्रेरित किया है । ग्राहम के “वैल्यू इन्वेस्टिंग” के सिद्धांत (जो निवेशकों को बड़ी गलतियां करने से बचाता है और उन्हें दीर्घकालीन निवेश रणनीति विकसित करना सिखाता है) ने "द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर" बुक को इसके मूल प्रकाशन वर्ष 1949 से ही स्टॉक मार्केट की बाइबिल बना दिया है। समय के साथ विकसित होते Share market ने ग्राहम की इन्वेस्टिंग रणनीतियों के ज्ञान को प्रमाणित किया है। 
  2. शेयर बाजार सीक्रेट्स पिछले तेजी के दौर में जब सेंसेक्स 3,000 के निचले स्तर से चढ़कर 6,000 और 7,000 से होता हुआ 21,000 तक पहुँचा था। सबको यही लगा कि यह शेयरों के बबल को दर्शाता है। और बाजार का गिरना तय है। लेकिन यह तीन साल तक लगातार जारी रहा। जिन लोगों ने वर्ष 2013-14 के दौरान बाजार में प्रवेश किया है। वे एक मायने में भाग्यवान् हैं कि वे इस दौड़ में तब शामिल हुए। जब भाव चढ़ने आरंभ ही हुए हैं। इस अवधि में सेंसेक्स बिना सुधार के और लगभग निर्बाध रूप से 21,000 से 27,000 तक पहुँच गया। इसके बाद फिर से Share market में गिरावट हुई और लंबे समय बाद बुद्धिमत्तापूर्ण सुधार के पश्चात् मार्च 2014 के बाद मार्केट फिर से चढ़ना आरंभ हो गया और जाहिर है कि यह कई सालों तक जारी रहने वाला है। ऐसे दुर्लभ काल में लोगों को अपनी पुरानी बुरी स्मृतियों से बाहर आना होगा और इस बात पर विश्वास जमाना होगा कि नया चक्र आरंभ हो चुका है और आनेवाले समय में अच्छे दिन जारी रहेंगे। "शेयर बाजार सीक्रेट्स" बुक में यही सब सिखाया गया है। 
  3. शेयर मार्केट गाइड यूँ तो शेयर मार्केट विषय पर बाजार में कई पुस्तकें उपलब्ध हैं। परंतु लेखिका ने इस पुस्तक के द्वारा फाइनेन्शियल मार्केट  के जटिल पहलुओं को स्पष्‍ट एवं सीधी-सरल भाषा में समझाने की कोशिश की है। शेयर बाजार की कार्य-प्रणाली, कमोडिटी मार्केट, म्यूच्युअल फंड्स तथा बाजार में प्रयोग की जानेवाली मुहावरेदार भाषा को व्याख्या सहित समझाया है। अच्छे ब्रोकर के चुनाव के लिए अपने सुझाव भी रखे हैं। पाठक की सुविधा के लिए बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या, बाजार की ऐतिहासिक गिरावटों का जिक्र, असेट अलोकेशन एवं निवेश के लोकप्रिय तरीकों की चर्चा इस पुस्तक की विशेषता है। यह पुस्तक न केवल नए शुरुआती निवेशकों के लिए अपितु डिग्री कोर्स, अकेडेमिक सर्टिफिकेशन तथा प्रोफेशनल एग्जामिनेशन के छात्रों के लिए भी अच्छी गाइड बुक का कार्य करेगी। मुझे विश्‍वास है कि यह पुस्तक फाइनेंसियल मार्केट की जानकारी चाहने वालों की जिज्ञासाओं, संदेहों तथा प्रश्‍नों का निराकरण करेगी। संभावित ट्रेडर्स और निवेशक इस पुस्तक के द्वारा जानकारी प्राप्‍त करके Share market में बेहतर विश्‍वास के साथ उतर सकेंगे। 

Share market से सम्बन्धित आर्टिकल पढ़ें 

शेयर बाज़ार के बारे में बहुत सारे लेखकों द्वारा अनगिनत आर्टिकल लिखे गए हैं। वॉरेन बफे जैसे दिग्गज निवेशकों से लेकर देश भर में अनगिनत ब्लॉगर हैं। जिनके आर्टिकल पढ़कर आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करना सीख सकते है। आपको श्री वारेन बफ़ेट जैसे विपुल व्यक्ति के अनुभव के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए।  लेकिन अन्य शौकिया निवेशकों के अनुभवों को पढ़ना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आप दोनों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। 

सफल Share market निवेशकों प्रेरणा लें 

आप उन लोगों का अनुसरण करें जिन्होंने शेयर मार्केट में एक मुकाम हाँसिल किया है। हालाँकि शेयर बाज़ार में खुद 'गलतियाँ करो, उनसे सीखो' जैसी व्यवस्था है। लेकिन आपको वॉरेन बफेट, राकेश झुनझुनवाला, विजय केडिया और एलोन मस्क जैसे सफल निवेशकों का अनुसरण करके उनसे शेयर मार्केट में निवेश करने के गुर सीखने चाहिए। बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न

चाहे वे एक ट्वीट में सलाह दें या अपने बारे में कोई किताब लिखें। आप उनके द्वारा साझा किए गए प्रत्येक पाठ से सीखें। हालाँकि आपको Share market में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने के लिए अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए। उनकी सलाह का आँख बंद करके पालन नही करना चाहिए क्योंकि सभी लोगों की जरूरतें और परिस्थतियाँ अलग-अलग होती हैं। 

Share market का अनुसरण करें

समाचार चैनल और टीवी शो स्थानीय और दुनिया भर में क्या हो रहा है। इस पर ज्ञान का एक बड़ा स्रोत हैं। कैसे निवेश करें? किसमें निवेश करें और कब निवेश करें? इस पर पैनल चर्चा वाले कई टीवी शो हैं। हर टीवी शो उपयोगी सलाह नहीं देता है। लेकिन शेयर बाजार की भाषा समझने और शेयर मार्केट के विभिन्न खिलाडियों और कंपनियां के बारे में आप टीवी चैनल के माध्यम से जान सकते हैं। राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न

ओवरऑल शेयर मार्केट में क्या चल रहा है? यह जानने के लिए टीवी शो को देखना अच्छा है। जीबिजनेस और सीएनबीसी आवाज चैनल शेयर मार्केट ज्ञान के अच्छे स्रोत हैं। भले ही आप शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था से संबंधित समाचार सुनने या पढ़ने के लिए प्रतिदिन 20 मिनट का समय समर्पित करते हैं। लेकिन आपको इन चैनल्स को देखकर जल्द ही यह पता चल जाएगा share market और अर्थव्यवस्था कैसा कर रही है। 

साथ ही आपको जल्दी ही इस बात एक अनुमान हो जायेगा  कि तेल की कीमतें, राजनीतिक स्थिरता, विदेशी निवेश, अन्य शेयर बाजारों आदि का प्रदर्शन वर्तमान समय में कैसा चल रहा है। ये सभी चीजें शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं। जिसमें आप ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं। कंपनियों और उनके स्टॉक का इतिहास जानने के लिए पिछले रुझानों और पिछले समाचार लेखों को पढ़ना चाहिए। फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न

शेयर बाज़ार के बारे में थोड़ा और समझने के लिए आप प्रत्येक दिन प्रमुख वित्तीय समाचार माध्यमों की सुर्खियाँ पढ़ सकते हैं। क्या हो रहा है इसकी गहरी समझ हासिल करने में मदद के लिए आप अपने गुरु या अध्ययन मित्र के साथ समाचार पर चर्चा कर सकते हैं

उम्मीद है, आपको यह  शेयर मार्केट कैसे सीखें? How to learn share market? आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to learn share market? आर्टिकल पसंद आये। तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।

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