ओवरबॉट & ओवरसोल्ड शेयरों को पहचानें? Overbought & Oversold Stocks
ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग शेयर मार्केट से पैसा कमाने का सबसे सरल तरीका है। इसके लिए ओवरसोल्ड स्टॉक को खरीदना चाहिए और ओवरबॉट स्टॉक को बेचना चाहिए।
अतः आपको यह पहचानना जरूरी है कि कौन सा स्टॉक ओवरसोल्ड है और कौन सा ओवरबॉट। आइए विस्तार से जानते हैं- ओवरसोल्ड और ओवरबॉट शेयरों को कैसे पहचानें? How to identify overbought and oversold stocks in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट से वेल्थ क्रिएट करना चाहते हैं तो आपको शेयर मार्केट में नुकसान से कैसे बचें और धनवान कैसे बनें बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Overbought & Oversold Stocks क्या हैं?
जब शेयर का प्राइस (या Stock market) ज्यादा गिर जाता है तो वह ओवरसोल्ड कहलाता है। इसके विपरीत जब शेयर (Share market) का प्राइस ज्यादा चढ़ जाता है तो उसे ओवरबॉट स्टॉक कहते हैं। ओवरबॉट स्टॉक के प्राइस की गिरने की आशंका बहुत ज्यादा होती है। जबकि इसके विपरीत ओवरसोल्ड स्टॉक के प्राइस की बढ़ने की संभावना होती है।
Overbought या Oversold stocks की पहचान, उन्हें खरीदने और बेचने के उद्देश्य से करना बहुत जरूरी है। यही बात कमोडिटीज, फोरेक्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) की buying & selling पर भी लागू होती है।
ओवरसोल्ड मार्केट वह होता है जो तेजी से गिरा है। अतः उसमे तेज गिरावट की वजह से अधिक उछाल की उम्मीद बन जाती है। दूसरी ओर, ओवरबॉट मार्केट तेजी से बढ़ा है और वह अधिक बढ़ने की वजह से संभवतः गिरावट के लिए तैयार है।
ओवरबॉट और ओवरसोल्ड मार्केट की पहचान के लिए बहुत सारे टेक्निकल इंडीकेटर्स उपलब्ध हैं। जिनमें RSI (relative strength index indicates) और स्टेस्टिक इंडीकेटर्स बहुत अच्छे रिजल्ट भी देते हैं। RSI 80 के ऊपर ओवरबॉट और 30 के नीचे ओवरसोल्ड होने का संकेत देता है।
RSI और स्टोकेस्टिक इंडीकेटर्स अधिकांश चार्टिंग एप्लिकेशन पर उपलब्ध रहते हैं। इनमें डिफ़ॉल्ट सेटिंग 14 दिन की होती है। जिसे आप अपनी जरूरत के अनुसार मिनट्स, आवर्ली, डेली, वीकली, मंथली और ईयरली में बदलकर उपयोग कर सकते हैं।
Relative Strength Index Indicates (RSI)
ओवरबॉट और ओवरसोल्ड किसी भी स्टॉक के चार्ट पर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स की दो सबसे कॉमन रेंज होती हैं। इस इंडिकेटर को जे. वेल्स वाइल्डर जूनियर द्वारा विकसित किया गया था। इसे उन्होंने अपनी 1978 की पुस्तक "न्यू कॉन्सेप्ट्स इन टेक्निकल ट्रेडिंग सिस्टम्स" में लिखा था। RSI स्टॉक प्राइस के मोमेंटम में होने वाले परिवर्तन गति का एक माप है।
RSI एक रेंज-बाउंड ऑसिलेटर है, जिसका अर्थ है कि इसका मूल्य स्टॉक प्राइस के प्रदर्शन के आधार पर 0 और 100 के बीच उतार-चढ़ाव करता रहता है। जिसमें पिछली अवधि के औसत लाभ बनाम हानि के आधार पर गणना की जाती है। फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट रोलओवर
जब RSI संकेतक 100 के करीब पहुंचता है, तो यह संकेत देता है कि निश्चित समय सीमा में औसत लाभ तेजी से औसत हानि से अधिक हो जाता है। जो स्टॉक को overbought zone में दर्शाता है। किसी भी स्टॉक का RSI जितना अधिक होगा, उसका उतना ही मजबूत long-term upward trend होगा।
जबकि इसके विपरीत एक लंबी और आक्रामक गिरावट के परिणामस्वरूप RSI लगातार जीरो (0) की ओर बढ़ता है। जो स्टॉक को oversold Zone में दर्शाता है। 80 या उससे अधिक के RSI स्तरों को ओवरबॉट माना जाता है। जो स्टॉक को बेचने का संकेत डरता है। पेनी स्टॉक्स
क्योंकि यह स्टॉक प्राइस के लगातार ऊपरी लेवल पर लंबे समय तक चलने का संकेत देता है। 30 या उससे कम का RSI स्तर ओवरसोल्ड माना जाता है। जबकि 40 - 70 का RSI level स्टॉक को खरीदने का संकेत देता है।
जैसे-जैसे RSI गणना में उपयोग की जाने वाले ट्रेडिंग सेशन की संख्या बढ़ती है। उतने ही ज्यादा इसके सिग्नल सटीक होते जाते हैं। आप किसी भी स्टॉक के टेक्निकल चार्ट पर RSI इंडिकेटर को बहुत आसानी से लगाकर देख सकते हैं। मॉर्निंग स्टार चार्ट पैटर्न
साथ ही अपनी जरूरत के अनुसार चार्ट पर चाहे जितने दिनों के लिए आरएसआई इंडिकेटर लगाकर देख सकते हैं। आप इसे मिनट्स, आवर्ली, डेली और वीकली, ईयरली चार्ट पर अपनी जरूरत के हिसाब से देख सकते हैं।
Stochastics (स्टोकेस्टिक)
जहाँ RSI की गणना एवरेज गेन और लॉस के आधार पर की जाती है। वहीँ स्टोकेस्टिक में शेयर के वर्तमान प्राइस की तुलना उसके एक निश्चित टाइम फ्रेम की रेंज से की जाती है। स्टॉक के प्राइस के टाइम फ्रेम को आप अपनी जरूरत के हिसाब से स्टॉक के प्राइस चार्ट पर निर्धारित कर सकते हैं।
स्टॉक प्राइस अपट्रेंड में अपने हाई लेवल के पास और डाउनट्रेंड में लो लेवल के पास बंद होते हैं। Share के प्राइस हमेशा अपने एक्ट्रीम लेवल पर मिडिल रेंज की तरफ घूम जाते हैं। तब इसे trend momentum की थकावट के रूप में परिभाषित किया जाता है।
100 के स्टोकेस्टिक मूल्य का अर्थ है कि वर्तमान अवधि के दौरान स्टॉक के प्राइस अपने हाई लेवल पर क्लोज हुए। 80 या उससे अधिक के स्टोकेस्टिक प्राइस वाले stock को ओवरबॉट माना जाता है। जबकि 20 या इससे कम stochastics वाले स्टॉक को ovessold माना जाता है। निवेश करने के तरीके
RSI की तरह, स्टोकेस्टिक के लिए डिफ़ॉल्ट सेटिंग 14 दिन की होती है। लेकिन इसे भी आप शेयर के प्राइस चार्ट पर मिनट्स, अवरली, डेली, वीकली, मंथली और ईयरली टाइम फ्रेम में देख सकते हैं। ज्यादा समय के स्टोकेस्टिक सिग्नल ज्यादा सटीक जानकारी देते हैं।
Overbought & Oversold Stocks के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
स्टॉक को कब खरीदना चाहिए, ओवरबॉट होने पर अथवा ओवरसोल्ड होने पर?
आपको प्रत्येक शेयर को तब खरीदना चाहिए जब वह ओवरसोल्ड हो चूका हो। क्योंकि तब उसका प्राइस कम होता है, अतः ओवरसोल्ड स्टॉक को आप सस्ते में खरीद सकते हैं। साथ ही इन स्टॉक्स के प्राइस के जल्दी बढ़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
जबकि इसके विपरीत जब कोई स्टॉक ओवरबॉट जॉन में होता है। तब उसे बेचना चाहिए या शार्ट सेल करना चाहिए। क्योंकि ओवरबॉट स्टॉक के प्राइस की गिरने की आशंका बहुत ज्यादा होती है।
ओवरबॉट बुलिश है या बेयरिश?
ओवरबॉट शेयर बुलिश होता है, जिसका प्राइस बढ़ गया होता है। जिसका मतलब है कि आने वाले समय में उस स्टॉक के प्राइस में गिरावट की आ सकती है। जिसका मतलब है कि जैसे ही निवेशक उस स्टॉक को बेचना शुरू करेंगे, इसकी कीमत गिर जाएगी।
अंडरवैल्यूड शेयर के संकेत क्या हैं?
अंडरवैल्यूड शेयर के संकेतों में 1 से कम P/B अनुपात होता है। साथ ही 30 से कम का RSI और 20 पॉइंट या उससे कम का स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर वाले स्टॉक को आप अंडरवैल्यूड स्टॉक की श्रेणी में रख सकते हैं।
अंत में रिलेटिव स्ट्रेंथ और स्टोकेस्टिक दोनों इंडीकेटर्स में गुण के साथ कुछ कमजोरियां भी होती हैं। किसी भी स्टॉक के buying & selling पॉइंट्स को पहचानने के लिए, आपको इनके साथ-साथ अन्य टेक्निकल इंडीकेटर्स का भी उपयोग करना चाहिए। इससे आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे।
ऐसे भी बहुत से फाइनेंसियल इंस्ट्रमेंट, यानि कि स्टॉक, कमोडिटी या बाजार उलटफेर से पहले काफी समय तक ओवरबॉट या ओवरसोल्ड रेंज में रह सकता है। इसलिए, RSI या स्टोकेस्टिक इंडीकेटर्स से ओवरबॉट या ओवरसोल्ड सिग्नल कभी-कभी मजबूत ट्रेंडिंग मार्केट में समय से पहले दिखाई दे सकते हैं।
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