Stocks Price Chart Patterns: स्टॉक प्राइस चार्ट पैटर्न्स को कैसे समझें?

स्टॉक चार्ट पैटर्न्स (Stock chart patterns) स्टॉक्स प्राइस के भविष्य के मूवमेंट जैसे प्राइस एक्शन, ब्रेकआउट और रिवर्सल आदि को जानने के लिए बनाया जाता है। प्राइस चार्ट लाइनों और आकृतियों को मिलकर बनाकर बनाया जाता है। यह एक फंडामेंटल टेक्निकल एनालिसिस टेक्निक है।

अतः आपको चार्ट को समझना और उसका विश्लेषण करना अवश्य आना चाहिए। तभी आप शेयर मार्केट से पैसे कमाने में सफल हो सकते हैं। चलिए जानते हैं- स्टॉक प्राइस चार्ट पैटर्न्स को कैसे समझें और उसका विश्लेषण कैसे करें? How to Analyze Stock Price Chart Patterns?

                                                                         
Stocks Market Chart Patterns.

 

यदि आप स्टॉक मार्किट चार्ट पैटर्न्स में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको एक बार जग्गन्नाथ पटेल द्वारा लिखित चार्ट पैटर्न्स बुक अवश्य पढ़नी चाहिए। 

Stock Price Chart Pattern क्या है?

ट्रेडर्स चार्ट की सहायता से स्टॉक्स के पिछले प्राइस का विश्लेषण करकेभविष्य के प्राइस का अनुमान लगाते हैं। कि शेयर का प्राइस  भविष्य में किस दिशा में मूवमेंट कर सकता है? जिसके आधार पर वे मार्केट में पोजीशन बनाते हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्टॉक चार्ट में क्या देखें और चार्ट को कहां से देखना शुरू करें? चार्ट में कुछ चीजें स्टैंडर्ड होती हैं, जिन्हें जरूर देखना चाहिए। उसके बाद आपकी विश्लेषण करने की क्षमता काम आएगी। यह जो आपने सीख रखा है, उस पर निर्भर करती है। कॉफी कैन इन्वेस्टिंग

जैसे technical indicators, सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल, candlestick chart pattern आदि। लेकिन कुछ निम्नलिखित चीजें आपको चार्ट पर अवश्य देखनी चाहिए। तभी आप चार्ट का सही विश्लेषण करके, सही निर्णय ले सकते हैं।

Chart patterns से मार्केट ट्रेंड को पहचानें

जब आप कोई प्राइस चार्ट खोलते हैं, चाहे वह किसी स्टॉक, कमोडिटी या करेंसी का चार्ट है। आपको सबसे पहले उसका ट्रेंड (Trend) जानना चाहिए, ट्रेंड तीन तरह के  होते हैं- 
1. अपट्रेंड (Up Trend)
2. डाउन ट्रेंड (down trend) 
3. साइडवेज़ ट्रेंड या रेंजवाइज ट्रेंड (Sideways Trend) मार्केट में निवेश करने के तरीके

जिस चार्ट को आप देख रहे हैं, उसमे उपयुक्त तीनों trends में से कोई एक ट्रेन्ड अवश्य होगा। तीनों ट्रेन्ड में काम करने का अलग-अलग तरीका होता है। अगर चार्ट पर अपट्रेंड देख रहे हैं तो आपको क्या करना चाहिए? इसी तरह डाउनट्रेंड में आपको क्या करना चाहिए? अगर ट्रेंड साइडवे है, तब आपको क्या करना चाहिए? 
  1. अपट्रेंड (Uptrend) में price chart पर हायर हाई, हायर बॉटम बनाता है। इसमें चार्ट सीढ़ियों की तरह ऊपर चढ़ता है। 
  2. जबकि डाउनट्रेंड (Downtrend) के दौरान स्टॉक सीढ़ियों की तरह नीचे उतरता है। डाउनट्रेंड में चार्ट पर प्राइस लो टॉप और लोअर बॉटम बनाता है। 
  3. साइडवे ट्रेंड (Sideways Trend) में प्राइस एक रेंज में फंसा हुआ रहता है। इसमें प्राइस ना ही ऊपर जाता है और ना ही नीचे आता है। 
Trend Trading में आपको दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पहला आपको ट्रेंड के हिसाब से शेयर में पोजीशन बनानी चाहिए। दूसरा अपट्रेंड में आपको हमेशा शेयर में खरीदारी करनी चाहिए और डाउनट्रेंड वाले stock को हमेशा बेचना चाहिए। साइडवेज वाले चार्ट में आपको कभी भी काम नहीं करना चाहिए। ट्वीज़र्स बॉटम कैंडलस्टिक

साइडवे ट्रेंड में काम करने का एक ही तरीका है। इसमें आपको जब ही काम करना चाहिए, जब आप अच्छे से सीख जायें। रेंज ट्रेडिंग में जब शेयर प्राइस रेंज के हाई लेवल पर आता है तब उन्हें बेचा जाता है। और जब प्राइस रेंज के लो लेवल पर होता है, तब उसे खरीदा जाता है। जब प्राइस रेंज के बीच में हो तब आपको कुछ भी नहीं करना चाहिए।  

Chart patterns के द्वारा ट्रेंड कैसे पहचाने? 

प्राइस चार्ट पर शेयर के ट्रेंड को पहचानना बहुत ही आसान है। यदि Chart की लाइन ऊपर की तरफ जा रही है तो शेयर Uptrend में है। इसी तरह यदि चार्ट की लाइन नीचे की तरफ आ रही है तो शेयर Downtrend में है। यदि चार्ट की लाइन सांप की तरह थोड़ी बहुत ऊपर-नीचे होते हुए सीधी जा रही है। तो शेयर का साइडवे ट्रेंड में है। यानी की प्राइस एक रेंज में फंसा हुआ है। ट्रेंड और ट्रेंडलाइन 

ट्रेंड की स्ट्रेंथ (Strength of Trend) 

किसी भी शेयर के ट्रेंड की स्ट्रेंथ को पहचानना बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से यह पता चलता है। शेयर का ट्रेंड कितना मजबुत है? शेयर के ट्रेंड की स्ट्रेंथ का मतलब उसमें जो करेक्शन आता है। क्या वह बहुत बड़ा करेक्शन होता है या छोटा? यानी उस स्टॉक का प्राइस किस तरह से मूवमेंट करता है? क्या स्टॉक वोलेटाइल ज्यादा है?  या डिसेंट तरीके से ऊपर चल रहा है आदि। 

इन चीजों पर गौर करके आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि शेयर का वर्तमान trend कैसा है और उसकी स्ट्रैंथ कैसी है? यदि किसी शेयर का प्राइस बहुत ज्यादा ऊपर नीचे होता है इसका मतलब, स्टॉक बहुत ज्यादा वौलेटाइल है। यदि आप धनवान बनना चाहते हैं, तो रिच डैड पुअर डैड बुक को जरूर पढ़ें। 

कुछ शेयर ऐसे होते हैं, जिनका प्राइस धीरे-धीरे परंतु लगातार ऊपर या नीचे की तरफ चलता है। ऐसे ट्रेंड को मजबूत माना जाता है। आपको Stock Chart पर वोलेटाइल के बजाय लगातार एक ही तरफ ऊपर या नीचे की तरफ चलने वाले स्टाफ को ढूंढना चाहिए। उसमें अपनी पोजीशन बनानी चाहिए। इससे में अच्छा मुनाफा मिल सकता है। 

मूवमेंट ऑफ ट्रेंड (Momentum of Trend) किसी भी शेयर को खरीदने या बेचने से पहले आपको उसका मोमेंटम ऑफ़ ट्रेंड जरूर देखना चाहिए। उसमें आपको यह देखना है कि शेयर के ट्रेंड की स्पीड (momentum) कैसी है? जैसे कि कोई स्टॉक अपट्रेंड में है लेकिन उसकी ऊपर जाने की स्पीड बहुत ही धीमी है। इसका मतलब उस शेयर का मूवमेंटम कम है। डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग

इसी तरह यदि किसी शेयर के प्राइस के ऊपर जाने की स्पीड हाई है तो इसका मतलब उस शेयर का मोमेंटम हाई है। ट्रेंड मोमेंटम में भी अंतर होता है जैसे कि कोई शेयर अपट्रेंड में है। किंतु उसकी प्राइस के ऊपर जाने की स्पीड (मोमेंटम) कम है। उसमें यदि आपको साल में 20% का रिटर्न मिलता है और एक दूसरा शेयर भी है। 

जिस शेयर के प्राइस की ऊपर जाने की स्पीड (मोमेंटम) हाई है। वह आपको साल में 40% का रिटर्न देता है, अब आपको निर्णय करना है कि आपको किस शेयर में पैसा लगाना है। सभी लोगों के पास पैसा सीमित होता है। अतः आप एक अच्छे शेयर को छोड़कर दूसरे अच्छे शेयर में पैसा लगाते हैं। इसलिए आपको अच्छे मोमेंटम वाले शेयर में पैसा लगाना चाहिए। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल 

किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले आपको उसके Chart pattern को analyze जरूर करना चाहिए। जिसमें उसका ट्रेंड और trend strength देखनी चाहिए। उसके बाद ट्रेंड  का मूवमेंटम कैसा है, यह देखना चाहिए? चार्ट देखने का उपर्युक्त तरीका ज्यादातर स्विंग ट्रेडिंग (दो या तीन महीने) के लिए सही रहता है।

रिस्क रिकॉर्ड रेश्यो (Risk-reword-ratio) 

Trade लेने से पहले आपको Chart patterns में तीन-चार चीजें जरूर देखनी चाहिए जैसे सपोर्ट और रेजस्टेंस लेवल। अगर शेयर अपट्रेंड में है, तब आप को शेयर खरीदने से पहले, उसका पास का सपोर्ट लेवल जरूर देखना चाहिए। इसी तरह यदि शेयर डाउनट्रेंड में है तो उसका पास का रेजिस्टेंस एरिया आपको चार्ट पर देखना चाहिए। 

डाउनट्रेंड में शेयर को आप जिस प्राइस पर बेचना यानि short-sell करना चाहते हैं। वहां से रजिस्ट्रेंट्स कितनी दूर है, यह भी देखना चाहिए। जब आप ट्रेड लेना चाह रहे हैं, तब आपको पता होना चाहिए कि इसका सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस एरिया कौन सा है? जिस प्राइस पर आप किसी शेयर को खरीद रहे हैं। वहां से उसका रीसेंट सपोर्ट एरिया कितने पॉइंट दूर है? रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)

आपको यह इसलिए पता होना चाहिए  क्योंकि आपको स्टॉप लॉस तो वहीं पर लगाना है। इसी तरह आप जिस शेयर को बेचना चाह रहे हैं। उसका रीसेंट रेज़िस्टेंस एरिया भी पता होना चाहिए और वहीं पर आपको स्टॉपलॉस भी लगाना चाहिए। रीसेंट सपोर्ट और रेजिस्टेंस से मतलब यह है। कि कुछ दिन पहले यदि शेयर के प्राइस में कोई करेक्शन आया होगा तो उसने वहां पर बॉटम या टॉप बनाया होगा। उस एरिया में आपको स्टॉपलॉस लगाना है। 

आप जिस प्राइस पर शेयर खरीद रहे हैं, वहां से वह एरिया कितना दूर है। इसके अनुसार आपका रिश्क-रिवार्ड रेश्यो तय होगा। ऐसा ना हो कि जिस प्राइस पर आप शेयर खरीद रहे हैं। वहां से सपोर्ट एरिया 20-25% नीचे हो और आपका रिवार्ड (टारगेट) वहां से 5-10% ही हो। आपको इतना ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहिए क्योंकि आप 80-100% का टारगेट नहीं ले रहे हैं। rules and risk reward ratio

20 25% के रिवॉर्ड (प्रॉफिट) के लिए आपको 4-5% से ज्यादा का रिस्क (Stoploss) नहीं लेना चाहिए। इसलिए शेयर खरीदने के प्राइस से सपोर्ट लेवल 4% से ज्यादा दूर नहीं होना चाहिए। ऐसी जगह पर स्टॉक खरीदना चाहिए। अगर Stock का Chart ऐसा नहीं है तो उसे हटा देना चाहिए। उसी शेयर को खरीदना जरूरी नहीं है

आपको ऐसा शेयर ढूढ़ना चाहिए, जिसमें रिस्क-रिवॉर्ड आपके फेवर में हो। यानी यदि आप एक रूपये का रिस्क ले रहे हैं तो वहां पर आपको तीन रूपये का प्रॉफिट अवश्य होना चाहिए। तभी आपको शेयर में ट्रेड करना चाहिए। रिश्क-रिवार्ड रेश्यो कम से कम 1:3 का  होना चाहिए। डोव थ्योरी

सभी ट्रेडर्स जानते हैं कि यदि आप 8-10 trade लेंगे तो तीन-चार ट्रेड अवश्य गलत होंगे। यदि आप ज्यादा बड़ा स्टॉपलॉस लगाएंगे तो कुछ ट्रेड में प्रॉफिट में होने के बाद भी आपको कुछ भी नहीं मिलेगा। इसलिए आपको रिस्क कम से कम लेना चाहिए और रिवॉर्ड (प्रॉफिट) का साइज ज्यादा होना चाहिए। 

आपको ट्रेड डिसीप्लिन के नियमों का भी पालन करना चाहिए। Chart analyze करते समय रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का हिसाब, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल के हिसाब से लगाना चाहिए। ब्रेकआउट ट्रेडिंग

5. रिलेटिव स्ट्रैंथ (Relative Strength) 

आप जिस शेयर का Chart patterns Analyze कर रहे हैं। वह शेयर किसी ना किसी सेक्टर से अवश्य जुड़ा होगा। आपको यह देखना चाहिए कि उस सेक्टर के बाकी शेयर कैसा परफॉर्मेंस कर रहे हैं। कहीं आपके शेयर की रिलेटिव स्ट्रैंथ उस सेक्टर के अन्य शहरों की तुलना में बहुत कम तो नहीं है। जब जरूरी नहीं है कि आप उसी शेयर में ट्रेड ले, अगर आपको ट्रेड लेना है तो आप उस सेक्टर के दूसरे उससे अच्छे शेयर में भी ले सकते हैं। 

रिलेटिव स्ट्रैंथ दो तरीके से देखी जाती है, पहला इंडेक्स के साथ और दूसरा मार्केट के साथ। इंडेक्स के साथ यह देखा जाता है कि यदि इंडेक्स गिरता है तो यह शेयर उससे ज्यादा तो नहीं गिरता है। जब इंडेक्स ऊपर जाता है, तब यह शेयर कितना ऊपर जाता है। आपका शेयर अपने सेक्टर के अन्य शेयरों की तुलना में कैसी स्ट्रैंथ रखता है? ट्रेडिंग प्लान

कहीं ऐसा तो नहीं है कि जब उस शेयर के सेक्टर में मोमेंटम बने तो वह सेक्टर तो 5% ऊपर जाए और आप का शेयर 2% ही ऊपर जा पाए। यदि ऐसा है तो आपके शेयर की रिलेटिव स्ट्रेंथ कम है। आपको ऐसे शेयर में ट्रेड नहीं करना चाहिए। आपको ऐसे शेयर में ट्रेड करना चाहिए, जिसमें इंडेक्स में 2% का move आने पर उसमें कम से कम 5% का मूव आये। 

आपको रिलेटिवली स्ट्रांग शेयर ढूढ़ना चाहिए, इंडेक्स की ही तरह आपको निफ़्टी के साथ भी अपने शेयर की रिलेटिव स्ट्रैंथ की तुलना करनी चाहिए। जिन शेयरों में मार्केट और अपने पियर ग्रुप के मुकाबले ज्यादा मजबूत रिलेटिव स्ट्रेंथ हो आपको ऐसे शेयरों के Chart patterns Analyze करना चाहिए। टेक्निकल एनालिसिस  

आप जिस चार्ट को देख रहे हैं, उसमें यह देखें कि यह चार्ट रिलेटिव्ली कितना स्ट्रांग है। जब मार्केट बहुत ज्यादा गिरता है। तब यह शेयर कितना गिरता है। जब मार्केट बहुत ज्यादा ऊपर गया, तब यह शेयर कितना ऊपर गया था। अगर यह दोनों चीजें मैच नहीं कर रही हैं तो आपको ऐसे शेयर में ट्रेड नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे शेयर की रिलेटिव स्ट्रैंथ बहुत ही कम होती है। 

ऐसे शेयर में प्रॉफिट बहुत कम होता है और परेशान भी ज्यादा करता है। आप जिस शेयर का चार्ट देख रहे हैं। उसकी अपने सेक्टर के बाकी शेयरों के सामने और मार्केट के सामने कैसी परफॉर्मेंस है। इन दोनों चीजों को देखने के बाद ही आपको उस शेयर में ट्रेड लेने या नहीं लेने का निर्णय लेना चाहिए।

मैच्योरिटी ऑफ ट्रेंड (Maturity of trend)

Chart Patterns analyze  करते समय मैच्योरिटी ऑफ ट्रेंड आखिरी स्टेज होती है। जिसे आपको देखना होता है। जब आपको ट्रेड लेना होता है, तब आप सभी चीजें चेक करते हैं। जैसे कि स्ट्रेंथ ऑफ ट्रेंड, मोमेंटम ऑफ ट्रेंड, रिस्क ऑफ़ रिवॉर्ड रेश्यो, रिलेटिव स्ट्रैंथ आदि। आपको शेयर का चार्ट ट्रेड लेने के लिए बिल्कुल सही लग रहा है, फिर भी आपको यह अवश्य पता लगाना चाहिए। कहीं शेयर का वर्तमान ट्रेंड मेच्योर तो नहीं हो गया है। प्राइस एक्शन

कहीं शेयर का प्राइस यहां से नीचे तो नहीं गिरने लग जाएगा या साइडवे तो नहीं चलने लगेगा। आपको उस chart pattern में डिस्ट्रीब्यूशन या एक्युमुलेशन संकेत तो नहीं दिख रहे हैं। आपको ऐसे शेयरों से दूर रहना चाहिए आपको कुछ दिन रुक कर डीसेंट करेक्शन का इंतजार करना चाहिए। जहां पर आप का रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो फेवरेबल हो तब आपको स्टॉपलॉस लगाकर उस शेयर को लेना चाहिए।  

कभी भी भागते हुए शेयर का पीछा नहीं करना चाहिए। जब भी आप Chart Patterns analyze करें। तब यह अवश्य देखें कि जो ट्रेंड चल रहा है। वह ट्रेंड, शॉर्ट टर्म का हो या लोंग टर्म का आपको हमेशा यह देखना चाहिए कि कहीं trend mature तो नहीं होने वाला है। अगर आपको ट्रेन्ड मेच्योर होने की फीलिंग आती है। उस स्टॉक मैं पोजीशन नहीं बनानी चाहिए। 

जब शेयर पीक पर या टॉप पर होते हैं, वहां पर उनकी हाइप सबसे ज्यादा होती है। मीडिया में ऐसे शेयरों को खरीदने की सलाह बहुत ज्यादा आती है। एसजीएक्स निफ़्टी

पोटेंशियल एंट्री प्वाइंट (Potential Entry Point) 

Chart Patterns analyze करने के तुरंत बाद ही आपको शेयर नहीं खरीदना चाहिए। आपको हमेशा उस प्राइस पर शेयर लेना चाहिए जो आपको ठीक लगे। उसके लिए चाहे आपको कई दिन इंतजार ही क्यों ना करना पड़े।आपको शेयर हमेशा उस एरिया में शेयर खरीदना चाहिए। 

जहां पर आप का रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो सही बैठे और सपोर्ट के पास हो। आपको उस प्राइस पर शेयर खरीदना चाहिए। आपको बहुत सारे चार्ट देखकर उनको एनालाइज करना चाहिए तथा उनमें सबसे बढ़िया चार-पांच शेयर ढूंढकर उनमें ट्रेड करना चाहिए। इस तरह आप शेयर मार्केट से पैसा कमाने में सफल हो सकते हैं। 

उपर्युक्त सात पॉइंट हैं-मार्केट ट्रेन्ड, ट्रेन्ड को चार्ट पर कैसे पहचाने, ट्रेन्ड की स्ट्रेंथ, रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो, रिलेटिव स्ट्रेंथ, मेच्योरिटी ऑफ़ ट्रेंड और पोटेंशियल एंट्री पॉइंट आदि। जिन्हें आप को शेयर खरीदने से पहले उसके चार्ट पर देखकर उसको एनालाइज करना चाहिए। उसके बाद ही शेयर को खरीदने या नहीं खरीदने का निर्णय करना चाहिए। 

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2 टिप्‍पणियां:

  1. सर, आपने चार्ट पढ़ने का तरीका बहुत सही तरीके से समझाया है। सर intraday पर कोई पोस्ट बनाइए।
    https://topmoneytantra.blogspot.com/2023/05/Share-market-carorpati-secret.html

    शेयर मार्केट से करोड़पति बनने का सीक्रेट इन हिंदी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए ऊपर के लिंक पर क्लिक करे।

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  2. सर, आपने चार्ट पढ़ने का तरीका बहुत सही तरीके से समझाया है। सर intraday पर कोई पोस्ट बनाइए।
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