डाइवर्जेन्स क्या है? डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग (Divergence Trading) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

कम रिस्क पर ट्रेडिंग करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आपको टॉप के आस-पास बेचना चाहिए और बॉटम के आसपास खरीदना चाहिए। यदि आपके पास कोई लॉन्ग पोजीशन है, आपके पास इस पोजीशन से एग्जिट करने का परफेक्ट टाइम और प्लेस कौन सा है? आप इसे Divergence को सीखकर जान सकते हैं, यदि आपको कोई शेयर शार्टसेल करना है तो आप शार्ट करने का सही प्राइस भी डाइवर्जेन्स से जान सकते हैं। 

आपने बिग बुल हर्षद मेहता का प्रसिद्ध डायलॉग "शेयर मार्केट ऐसा कुआँ है जो पूरे देश की प्यास बुझा सकता है" तो सुना ही होगा। यदि आप भी शेयर मार्केट को गंभीरता से लेंगे तो आप भी इससे पैसा कमाने में जरूर सफल होगें। बिग बुल हर्षद मेहता

Divergence तब होता है जब स्टॉक्स का प्राइस टेक्निकल इंडिकेटर (oscillator) के विपरीत दिशा में चलता है। डाइवर्जेन्स चेतावनी देता है। वर्तमान ट्रेंड कमजोर हो रहा है या रिवर्सल (वर्तमान ट्रेंड दिशा बदल रहा है) आ रहा है, यही  डाइवर्जेन्स है। विस्तार से जानते हैं- डाइवर्जेन्स क्या है? डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग (Divergence Trading) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में। Divergence (Regular Divergence & Hidden Divergence) Trading in stock market in Hindi. 
                                                                                    
Divergence Trading

डाइवर्जेन्स का आप प्राइस एक्शन और इंडिकेटर के मूवमेंट की तुलना करके पता लगा सकते हैं। यह कोई मायने नहीं रखता कि आप किस इंडिकेटर का यूज़ कर रहे हैं। आप RSI, Stochastic, MACD किसी भी अपनी पसंद के इंडिकेटर का यूज़ कर सकते हैं। Price Action क्या है? यदि आप Divergence Trading सही तरीके से करें तो आप लगातार प्रॉफिटेबल ट्रेड कर सकते हैं। 

डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें आप ज्यादातर बॉटम के आसपास बाइंग करते हैं और टॉप के आसपास सेल करते हैं। जिसके कारण आपका रिस्क, रिवार्ड के मुकाबले काफी कम हो जाता है। 

हायर हाई, हायर लो (Higher High and Higher Low) 


जब प्राइस नया हाई, पिछले हाई प्राइस से ऊपर बनाता है तो उसे हायर हाई (HH) कहते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि प्राइस और ऊपर जाएंगे यानि अपट्रेंड जारी रहेगा। इसी तरह जब प्राइस नया लो पिछले पिछले लो प्राइस से भी नीचे बनाता है उसे लोअर लो (LL) कहते हैं। इसका मतलब प्राइस और नीचे गिर सकते हैं, यानि कि डाउनट्रेंड जारी रह सकता है।

प्राइस और मोमेंटम ज्यादातर साथ-साथ चलते हैं। यदि प्राइस हायर हाई (HH) बनाता है तो इंडिकेटर भी ज्यादातर हायर हाई बनाता है। यदि प्राइस हायर लो बनाता है और टेक्निकल इंडिकेटर भी हायर लो बनाता है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स जब ऐसा नहीं होता है प्राइस और इंडिकेटर दोनों एक दूसरे के विपरीत (Diverging) होते हैं, इसे ही Divergence कहते हैं। 

जब ट्रेंड कमजोर दिखे या मोमेंटम में रिवर्सल दिखे तब divergence Trading करके प्रॉफिट कमाया जा सकता है। कभी-कभी इससे ट्रेंड कॉन्टिनुएशन के भी संकेत मिलते हैं। डाइवर्जेन्स दो प्रकार का होता है-  
  1. रेग्युलर (Regular Divergence) 
  2. हिडन (Hidden Divergence) 

रेग्युलर डाइवर्जेन्स (Regular Divergence) क्या है?

रेग्युलर डाइवर्जेन्स एक संभावित ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देता है। रेग्युलर डाइवर्जेन्स दो प्रकार का होता है- बुलिश और बेयरिश- 
  1. Regular Bullish Divergence यदि प्राइस लोअर लो (LL) बनाता है लेकिन इंडिकेटर हायर हाई (HH) बनाते हैं। इसे बुलिश डाइवर्जेन्स समझना चाहिए। ये ज्यादातर तब आता है जब वर्तमान डाउनट्रेंड का अंत होता है, दूसरा बॉटम बनने के बाद वर्तमान ट्रेंड का अंत होता है। पुट-कॉल रेश्यो यदि इंडिकेटर नया लो बनाने में असफल होता है तो इसका मतलब प्राइस ऊपर की तरफ चढ़ेंगे। प्राइस और इंडिकेटर से ज्यादातर एक ही दिशा में चलने की उम्मीद की जाती है। 
  2. Regular Bearish Divergence यदि प्राइस हायर हाई (HH) बनाता है लेकिन इंडिकेटर लोअर हाई (LH) बनाता है। तब रेग्युलर बेयरिश डाइवर्जेन्स होता है, इस तरह का डाइवर्जेन्स अपट्रेंड के दौरान आता है। जब प्राइस दूसरा हाई बनाता है तब यदि इंडिकेटर लोअर हाई बनाता है। तब मार्केट में रिवर्सल आने यानि प्राइस गिरने की आशंका रहती है। रेग्युलर से आप मार्केट के टॉप और बॉटम को आसानी से पकड़ सकते हैं। 

हिडन डाइवर्जेन्स (Hidden Divergence) 

डाइवर्जेन्स केवल ट्रेंड रिवर्सल का ही सिग्नल नहीं देता अपितु वह संभावित ट्रेंड कन्टीन्यूएशन (प्राइस का वर्तमान ट्रेंड में ही रहना) का भी सिग्नल देता है। हमेशा यह याद रखना चाहिए कि Trend is over friend.  यदि आप चार्ट पर ट्रेंड कन्टीन्यूएशन के सिग्नल देख रहे तो यह आपके लिए अच्छा है।  फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट  हिडन डाइवर्जेन्स भी दो प्रकार के होते हैं-1. Bullish Hidden Divergence 2. Bearish Hidden Divergence

  1.  Hidden Bullish Divergenc-हिडन बुलिश डाइवर्जेन्स तब होता है, जब प्राइस हायर लो (HL) बनाता है और इंडिकेटर लोअर लो (LL) दर्शाता है।  Hidden Bullish Divergence अक्सर कंसोलिडेशन पीरियड में आता है या लॉन्ग-टर्म अपट्रेंड में पुलबैक अतः। जब प्राइस और इंडिकेटर दोनों ही अपट्रेंड में होते हैं। इस के साथ-साथ यदि इंडिकेटर भी हायर लो (H L) बनाता है तो कोई बात नहीं है। अगर ऐसा नहीं है यानि इंडिकेटर लोअर लो (LL) बनाता है तब यहाँ Hidden divergence है। 
  2. Hidden Bearish Divergence हिडन बेयरिश डाइवर्जेन्स तब होता है, जब प्राइस लोअर हाई (LH) बनाता है लेकिन इंडिकेटर हायर हाई (HH) बनाता है। तब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अब डाउनट्रेंड आने वाला है। जब आप हिडन बेयरिश डाइवर्जेन्स को देखते हैं तो हो सकता है कि प्राइस में आगे भी गिरावट जारी रहेगी यानि डाउनट्रेंड आगे भी जारी रहेगा। रूस के शेयर मार्केट यदि आप हिडन का जल्दी पता लगा लेते हैं तो आप ट्रेड में जल्दी एंट्री कर सकते हैं। 

यदि आप ट्रेंड फॉलोवर हैं तो आप कुछ Hidden Divergence को खोज सकते हैं और किसी भी ट्रेंड को जल्दी पकड़ सकते हैं। आपको हमेशा यह याद रखना चाहिए- 
  • रेग्युलर डाइवर्जेन्स एक ट्रेंड रिवर्सल डाइवर्जेन्स का संकेत देता है। 
  • हिडन डाइवर्जेन्स एक ट्रेंड कन्टीन्यूएशन डाइवर्जेन्स का संकेत देता है।  

Divergence Trading कैसे करें? 

डाइवर्जेन्स को समझने के लिए पहले आपको टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटर के द्वारा दिए जाने वाले संकेतों के बारे में पता होना चाहिए। टेक्निकल इंडिकेटर ज्यादातर तीन तरह के सिग्नल देते हैं- 
  1. Crossing over a major signal line. 
  2. Crossing over a center line. 
  3. Indicator divergence 
डाइवर्जेन्स तब आता है, जब स्टॉक प्राइस और इंडिकेटर एक दूसरे की विपरीत दिशा में मूव करते हैं। नेगेटिव डाइवर्जेन्स तब आता है, जब स्टॉक प्राइस तो अपट्रेंड में हो लेकिन मेजर इंडिकेटर जैसे RSI, MACD, ROC आदि डाउनट्रेंड दर्शाएं या डाउनट्रेंड की अगवाई करें। जैसे स्टॉक प्राइस तो हायर हाई (HH) बनाये लेकिन इंडिकेटर लोअर हाई LH) बनाये।  पुट-कॉल ऑप्शन इसी तरह पॉजिटिव डाइवर्जेन्स  तब आता है जब स्टॉक प्राइस डाउनट्रेंड में हो लेकिन मेजर इंडिकेटर (ROC, RSI, MACD) आदि चढ़ना शुरू कर दें। 
उपर्युक्त इमेज में आप Regular Bearish Divergence और Regular Bullish Divergence के early चिह्न देख रहे हैं। ऐसा लगता है यहाँ से प्राइस जल्दी ही रिवर्स होने लगेंगे। यदि शेयर के प्राइस अपवर्ड ट्रेंडलाइन को नीचे की तरफ तोड़ देते हैं तो यह रिवर्सल का कन्फर्मेशन होगा। अब ट्रेडर्स को मार्केट में शार्ट सेल की पोजीशन बनानी चाहिए। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट

जब प्राइस लोअर लो बनाये तथा इंडिकेटर हायर लो बनाये तो इसका मतलब वर्तमान ट्रेंड (डाउनट्रेन) का अंत आ गया है। अब नया ट्रेंड (अपट्रेंड) स्टार्ट हो सकता है। इसलिए यह खरीदारी का समय है। अपट्रेंड ज्यादातर डबल बॉटम के बाद स्टार्ट होता है। ट्वीज़र्स बॉटम  
                                                                                           

आप उपर्युक्त चार्ट पर देख सकते हैं कि शेयर डाउनट्रेंड में है प्राइस लोअर हाई बना रहा है। इंडिकेटर हायर हाई दर्शा रहा है, यह Hidden Bearish Divergence है। यदि यह ट्रेंड जारी रहता है तो प्राइस पहले ट्रेंडलाइन पर बाउंस करेंगे फिर प्राइस गिर जाएंगे। इसका मतलब गिरावट का दौर जारी रहेगा। अब शेयर में शार्ट सेल की पोजीशन बनानी चाहिए। 

Momentum Tricks 

आपको मोमेंटम इंडिकेटर के क्रॉसओवर का इंतजार करना चाहिए। क्रॉसओवर उस तरफ संकेत देता है जिस तरफ मोमेंटम शिफ्ट होता है बाइंग की तरफ या सेलिग की तरफ। आपको टॉप पर सेलिंग करनी चाहिए और बॉटम पर बाइंग करनी चाहिए, लेकिन टॉप और बॉटम बिना क्रॉसओवर के नहीं बन सकते हैं। 

यदि आप शेयर मार्केट के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आप मेक मनी विथ प्राइस एक्शन ट्रेडिंग बुक को पढ़ सकते हैं।

Moving Out of Overbought/oversold (ओवरबॉट/ओवरसोल्ड)

आपको मार्केट में बाइंग या सेलिंग के लिए मोमेंटम इंडिकेटर के ओवरबॉट/ओवरसोल्ड कंडीशन में पहुंचने का इंतजार करना चाहिए। जब मार्केट ओवरसोल्ड कंडीशन में हो तब आपको बाइंग करनी चाहिए। इसी तरह ओवरबॉट कंडीशन में आपको सेलिंग करनी चाहिए। 

मोमेंटम इंडिकेटर पर डाउनट्रेंड लाइनें (Downtrend Lines on the Momentum Indicators themselves) 

आप चार्ट पर अक्सर देखते होंगे कि प्राइस ट्रेंड लाइन को रेस्पेक्ट देते हैं और यही इंडिकेटर पर भी दिखाई देता है। आप नोटिस कर सकते हैं कि इंडिकेटर भी ट्रेंड लाइन को रेस्पेक्ट करते हैं।  फ्री में अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोले  यदि प्राइस और इंडिकेटर ट्रेंड लाइन को ब्रेक करते हैं तो आप समझ सकते हैं कि बायर और सेलर का झुकाव किस तरफ है। आप ट्रेंड लाइन के हिसाब से ट्रेडिंग कर कर सकते हैं। 

Divergence Trading के नियम 

आपको डाइवर्जेन्स का उपयोग ट्रेडर्स के द्वारा तब किया जाता है जब ट्रेंड (Trend) कमजोर हो रहा होता है।तब ट्रेडर्स यह जानने का प्रयास करते हैं कि ट्रेन रिवर्सल आ सकता है या वर्तमान ट्रेंड जारी रहेगा। Divergence Trading करने के निम्नलिखित नियम हैं- 

डाइवर्जेन्स तब मौजूद होता है जब आपको चार्ट पर निम्नलिखित में से कोई एक संकेत दिखायी दें- 
  • जब प्राइस का नया हाई पिछले हाई से ऊपर हो (Higher high than the previous high) 
  • प्राइस का नया लो पिछले लो से नीचे हो (Lower low than the previous low) 
  • डबल टॉप (Double Top) 
  • डबल बॉटम (Double Bottom) 
आप ट्रेंडलाइन के द्वारा दो मेजर टॉप या दो बॉटम को जोड़ना, छोटे-छोटे टॉप और बॉटम को इग्नोर करना चाहिए। अपना पसंदीदा इंडिकेटर लगाकर उसकी तुलना चार्ट पर दिए प्राइस एक्शन से करें। आपको यह देखना चाहिए कि चार्ट पर और इंडिकेटर पर एक समान संकेत मिल रहे हैं या अलग-अलग यदि चार्ट पर प्राइस अपट्रेंड में है लेकिन इंडिकेटर डाउनट्रेंड दिखा रहा है तो इसका मतलब या divergence है। ब्रेकआउट ट्रेडिंग 

सही विश्लेषण करने के लिए आपको दो सीधी खड़ी लाइन प्राइस से इंडिकेटर तक खींचनी चाहिए। divergence तब ही मौजूद होता है जब यदि इंडिकेटर के टॉप/बॉटम को जोड़ने वाली लाइन का स्लोप का जुड़ाव, चार्ट पर प्राइस के टॉप/बॉटम के स्लोप से अलग होता है। यदि प्राइस और इंडिकेटर एक समान सिग्नल दे रहे तो इसका मतलब वर्तमान ट्रेंड कंटीन्यू करेगा। 

डायवर्जेन्स चीट शीट (Divergence Cheat Sheet) 

डायवर्जेन्स टेक्निकल एनालिसिस का एक महत्वपूर्ण कांसेप्ट है। जो बताता है कि प्राइस टेक्निकल इंडिकेटर के विपरीत दिशा में बढ़ रहा है। यह तो ऊपर बताया जा चूका है कि डायवर्जेन्स दो प्रकार का होता है- 1- रेग्युलर डायवर्जेन्स और 2- हिडन डायवर्जेन्स। दोनों ही प्रकार के डायवर्जेन्स  बुलिश और बेयरिश डायवर्जेन्स होते हैं।

डायवर्जेन्स चीट शीट की मदद से आप रेग्युलर और हिडन डायवर्जेन्स को बहुत जल्दी पहचान सकेंगे। रेग्युलर डायवर्जेन्स ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देते हैं। 

रेग्युलर डायवर्जेन्स सारणी (Cheat Sheet) 

रेग्युलर डायवर्जेन्स संभावित ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देते हैं। इस सारणी के द्वारा आप Regular Divergence को बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं- 
                                                                              
TREND PRICEINDICATORDESCRIPTION
BullishHigher LowLower Lowयह अंडरलेइंग एसेट की स्ट्रेंथ का संकेत देता है कि सेलर थक गए हैं। अब डाउनट्रेंड खत्म होकर अपट्रेंड की शुरुआत हो सकती है। 
BearishLower HighHigher Highयह अंडरलेइंग एसेट के ट्रेंड की कमजोरी को दर्शाता है कि खरीददार थक गए हैं और अब अपट्रेंड खत्म हो सकता है तथा डाउनट्रेंड की शुरुआत हो  सकती है। 

हिडन डाइवर्जेन्स सारणी (Cheat Sheet)  

Hidden Divergence संभावित ट्रेंड कॉन्टिनुएशन का संकेत देता है। इस सारणी के द्वारा आप हिडन डाइवर्जेन्स को बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं-
                                                                
TREND PRICEINDICATORDESCRIPTION
BullishLower LowHigher Lowयह अंडरलेइंग एसेट की स्ट्रेंथ का संकेत देता है जिससे आप ट्रेड में पुनः एक अच्छी एंट्री कर सकते हैं। जब प्राइस पिछले लो को रीटेस्ट करे तब डिप्स पर बाइंग करनी चाहिए। "Buy the dips"
BearishHigher HighLower Highयह अंडरलेइंग एसेट के ट्रेंड की कमजोरी को दर्शाता है। डाउनट्रेंड में एक रीट्रेसमेंट खोजें और जब प्राइस पिछले हाई को रीटेस्ट करें। तब अपनी पोजीशन को बेचकर बाहर निकल जाना चाहिए। "Sell on rallies" 
उम्मीद है, आपको यह डाइवर्जेन्स क्या है? डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग (Divergence Trading) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Divergence (Regular Divergence & Hidden Divergence) Trading in stock market in Hindi आर्टिकल पसंद आये तो आप इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आप Facebook मुझे पर भी फॉलो कर सकते हैं।
                                                                                  

 
                                                                            

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