फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट, इसे वायदा अनुबंध भी कहा जाता है। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट किसी भी कमोडिटी, करेंसी या इक्विटी (stocks) के खरीदार और उसे बेचने वाले के बीच, एक पूर्वनिर्धारित प्राइस और तारीख  पर  हुए, लीगल एग्रीमेंट को कहा जाता है। 

इसमें सौदे किर्यान्वयन की समय सीमा, मात्रा और कीमत  पूर्वनिर्धारित होती है। फ्यूचर एक्सचेंज पर ट्रेडिंग में सुविधा रहे इसलिए गुणवत्ता और मात्रा पूर्वनिर्धारित रहती हैं, इसे वायदा अनुबंध भी कहा जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं- फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में। Futures Contract kya hota hai? in Hindi. 
                                                                      
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इस आर्टिकल में फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट के बारे में विस्तार से बताया गया है। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का खरीदार इसकी एक्सपायरी तिथि पर, उस अंडरलेइंग एसेट को खरीदने का दायित्व लेता है। इसी तरह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को बेचने वाला एक्सपायरी तिथि पर अंडरलेइंग एसेट को उपलब्ध करवाने और वितरित करने का दायित्व लेते हैं। स्टॉक मार्केट में अंडरलेइंग एसेट स्टॉक्स होते हैं। इसी तरह कमोडिटी मार्केट में अंडरलेइंग एसेट कमोडिटी होती हैं।

Futures Contract क्या है? 

  • फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक फाइनेंशिल डेरिवेटिव है, जो इसके खरीदार को पूर्वनिर्धारित भविष्य की कीमत और तारीख पर अंडरलेइंग एसेट खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।
  •  इसी तरह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के विक्रेता को भविष्य की पूर्वनिर्धारित तारीख और कीमत पर उस सम्पत्ति को बेचने के लिए बाध्य करता है। गिफ्ट निफ़्टी
  • इसमें प्राइस अंडरलेइंग एसेट की कीमत के अनुसार निर्धारित होता है। अंडरलेइंग एसेट में फिजिकल कमोडिटी और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट शामिल होते हैं। 
  • फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट में अंडरलेइंग एसेट की मात्रा का विवरण भी देते हैं। ट्रेडिंग की सुविधा के लिए अंडरलेइंग एसेट के मानक और मात्रा को लॉट में बाँटा गया है।   
  • Futures Contract इसके ट्रेडर और इन्वेस्टर को कमोडिटी, करेंसी और फाइनेंशियल इक्विटी की कीमत स्पेक्युलेट करने और हेज करने का मौका देता है।
  • अंडरलेइंग एसेट के प्राइस में प्रतिकूल परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए भी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग किया जाता है। 
  • फ्यूचर कॉट्रेक्ट करने वाली पार्टियाँ पहले से एक दूसरे को नहीं जानती हैं। ब्रेकआउट ट्रेडिंग 

Futures Contract को समझें 

फ्यूचर्स को कॉन्ट्रेक्ट्स भी कहा जाता है, यह ट्रडर्स को अंडरलेइंग एसेट या कमोडिटी के प्राइस को लॉक करने की अनुमति देता है। कॉन्ट्रेक्ट की एक्सपायरी डेट और प्राइस निर्धारित किये जाते हैं, जो पहले से ज्ञात होते हैं। 

फ्यूचर्स की पहचान उसकी एक्सपायरी डेट से की जाती है। इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स ओवर ऑल एसेट क्लास के लिए फ्यूचर्स शब्द का उपयोग करते हैं। हालाँकि ट्रडिंग के लिए कई प्रकार के फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट उपलब्ध होते हैं। सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

कमोडिटी फ्यूचर्स की अंडरलेइंग एसेट में क्रूड ऑइल, नेचुरल गैस, स्टील, ताँबा, जिंक, सोना, चाँदी, मक्का, गेहूँ, दालें, आलू, आदि अन्य और भी कई धातुएँ और अनाज आदि शामिल होते हैं। 

शेयर मार्केट में लिस्ट बहुत सारे स्टॉक्स और इंडेक्स जैसे कि निफ्टी 50, बैंक निफ्टी आईटी निफ्टी आदि फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट में शामिल होते हैं। फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट में बॉन्ड और अन्य फइनेंशियल सिक्युरिटीज भी शामिल होती हैं।  

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फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट के प्राइस, अंडरलेइंग एसेट के प्राइस के साथ-साथ ऊपर नीचे होते रहते हैं। जैसे कि यदि आपने सोने का फ्यूचर खरीदा है तो जब भी सोने के प्राइस में परिवर्तन होगा। उसी के साथ सोने के फ्यूचर के प्राइस में भी परिवर्तन होगा। इसी तरह यदि आपने किसी स्टॉक का फ्यूचर खरीदा है तो शेयर के प्राइस के साथ-साथ उसके फ्यूचर के प्राइस में भी परिवर्तन होता है। 

Future Contract खरीदे और बेचे जा सकते हैं: इन्हें कभी भी और किसी से भी खरीदा जा सकता है और बेचा जा सकता है। यदि आपने किसी दूसरे से फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट किया है। आप जब भी चाहें, किसी दूसरे को अपनी पोजीशन बेचकर उससे बाहर निकल सकते हैं। फ्यूचर्स में सभी कॉन्ट्रेक्ट एक समान होते हैं और लॉट में डिवाइड होते हैं।  

फ्यूचर मार्केट नियमों से चलता है: फाइनेंशियल डेरिवेटिव मार्केट और फ्यूचर मार्केट को सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) नियंत्रित करता है।  यह इसके लिए रूल्स और रेग्युलेशंस बनता है। जिसकी वजह से इस मार्केट में गड़बड़ी की गुंजाइश बहुत कम रहती है। रिवर्स ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी

फ्यूचर मार्केट में ट्रेडिंग करने का समय निर्धारित रहता है। सभी Future contract की एक समय सीमा निर्धारित होती है। समय सीमा पूरी होने पर फ्यूचर्स एक्सपायर हो जाते हैं। फ्यूचर मार्केट में कॉन्ट्रेक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने जैसी अलग-अलग समय सीमा के होते हैं। जिस दिन कॉन्ट्रेक्ट खत्म होता है तो उसे ही एक्सपायरी डेट कहा जाता है। 

फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट का कैश में सेटलमेंट होता है। यानि की दोनों कीमतों के बीच के अंतर का कैश में पेमेंट करना होता है। इसमें किसी फिजिकल एसेट की एक जगह से दूसरी जगह डिलीवरी नहीं होती है। कैश सेटलमेंट मार्केट नियामक सेबी के देखरेख में होता है।   

स्पॉट प्राइस और फ्यूचर प्राइस में अंतर् होता है। किसी भी शेयर के नार्मल प्राइस और फ्यूचर प्राइस में अंतर् होता है। इसी तरह कमोडिटीज़ की मार्केट में कीमत अलग होती है और कमोडिटी एक्सचेंज में कीमत अलग होती है। ट्रेडिंग प्लान 

उदाहरण के द्वारा समझें- जैसे कि सोने की आम मार्केट में जो कीमत है। उसे स्पॉट प्राइस कहा जायेगा और कमोडिटी एक्सचेंज में सोने की जो कीमत है उसे फ्यूचर प्राइस कहा जायेगा। 

Future Contract की महत्वपूर्ण बातें 

फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट एक बड़ा विषय है इसकी कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं - 
  1. लॉट साइज (Lot Size): जैसा कि ऊपर बताया जा चूका है, फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट सबके लिए समान होते हैं। ट्रडर्स की आसानी के लिए कॉन्ट्रेक्ट के साइज को लॉट में डिवाइड किया गया है। लॉट साइज से आपको यह पता चलता है कि आप कम से कम कितनी मात्रा में फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट खरीद और बेच सकते हैं। सभी एसेट के लिए लॉट साइज अलग-अलग किन्तु एक समान होता है। 
  2. मार्जिन (Margin): फ्यूचर्स कॉट्रेक्ट करने के लिए कुछ पैसा पहले जमा करना पड़ता है। इसे मार्जिन मनी या मार्जिन अमाउंट कहा जाता है। यह पैसा आपके ब्रोकर के पास जमा होता है। यह आपके सौदे की कीमत का एक निश्चित प्रतिशत होता है। इसी पैसे से प्रॉफिट एंड लॉस का भुगतान होता है। डॉव थ्योरी 
  3. कॉन्ट्रेक्ट वैल्यू (Contract Value): फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट एक समान होते हैं, यानि मात्रा निश्चित होती है। इसलिए एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट की वैल्यू लॉट साइज * कीमत होती है। 
  4. एक्सपायरी (Expiry)- जैसा की ऊपर बताया जा चूका है कि Futures contract एक निश्चित समय सीमा के लिए होते हैं। जिस दिन यह समय सीमा समाप्त होती है उसे एक्सपायरी कहते हैं। जिस दिन यह सौदा एक्सपायर होता है उसी दिन नया सौदा एक्सचेंज पर मिलने लगता है।

ध्यान देने योग्य बातें 

  • फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट का कैश में सेटलमेंट होता है। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट की कम से कम मात्रा को लॉट साइज कहा जाता है। कॉन्ट्रेक्ट वैल्यू = लॉट * फ्यूचर प्राइस 
  • यदि आप किसी एसेट के प्राइस के बारे में एक राय रखते हैं तो आप फ्यूचर्स मार्केट से प्रॉफिट कमा सकते हैं। मार्केट सीक्रेट
  • फॉरवर्ड कॉन्ट्रक्ट का ही सुधरा हुआ रूप है, फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट। फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
  • प्रत्येक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट की शर्तें एक समान होती हैं। जिससे कॉन्ट्रेक्ट निश्चित शर्तों पर हो सके। 
  • फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट एक निश्चित समय सीमा के लिए होते हैं, इन्हे अलग-अलग अवधि के लिए खरीदा जा सकता है। प्रत्येक कॉन्ट्रेक्ट एक निश्चित समय सीमा पर समाप्त होता है और उसी दिन नए कॉन्ट्रेक्ट भी मिलने लगते हैं। वीवैप इंडिकेटर
  • फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट के लिए आपको सौदे की कीमत की एक निश्चित रकम जमा करनी पड़ती है। जिसे मार्जिन मनी कहा जाता है।  
उम्मीद है, अब आप फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट के बारे में जान गए होंगे। उम्मीद है आपको यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में पसंद आया हगा। अगर आपको यह Futures Contract kya hota hai? in Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मिडिया पर भी जरूर शेयर करें।

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