सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की पूरी जानकारी CPR Trading Strategy

बहुत सारे टेक्निकल इंडिकेटर और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में सीपीआर सबसे लोकप्रिय टेक्निकल इंडिकेटर है। CPR indicator ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी एक मूलयवान टेक्निक है। जो स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स की स्टॉक प्राइस और ट्रेडिंग वॉल्यूम में परिवर्तन का विश्लेषण करने में मदद करती है। 

ये सप्लाई एंड डिमांड, मार्केट सेंटीमेंट और फंडामेंटल फेक्टर्स से प्रभावित होते रहते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी Central Pivot Range (CPR) trading strategy in Hindi. 

                                                                                 
CPR trading strategy in Hindi.


डॉ मुकुल अग्रवाल द्वारा लिखित द सिम्पलेस्ट बुक फॉर टेक्निकल एनालिसिस पुस्तक को पढ़ने से ट्रेडर्स और इनवेस्टर्स की सही समय पर सही स्टॉक को खरीदने और बेचने के ऑप्शन का चयन करने में मदद मिलेगी। जिससे वे अपने स्टॉक्स से अच्छे रिटर्न्स पा सकें। 

शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस एक ट्रेडर्स के पोर्टफोलियो को आकार देने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। इसके विभिन्न टूल्स और स्ट्रेटेजीज में Central Pivot Range (CPR) बहुत लोकप्रिय है। आप Stock market ट्रेडिंग के दौरान सीपीआर इंडिकेटर का उपयोग करके संभावित सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस का अनुमान लगा सकते हैं। जिससे ट्रेडिंग के लिए सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। 

Trading में CPR क्या है? 

सेंट्रल पिवट रेंज (CPR) एक टेक्निकल इंडिकेटर है। जिसका उपयोग संभावित सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। सीपीआर stock के पिछले सेशन से संकेत प्राप्त करता है। जिसमें पिछला हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस शामिल होता है। Trading में सीपीआर क्या है? यह समझकर ट्रेडर्स शेयर के प्राइस रिवर्सल और मार्केट ट्रेंड का अनुमान लगा सकते हैं। 

सीपीआर के तीन प्रमुख निम्नलिखित लेवल होते हैं- 
  1. Pivot Point (P) 
  2. Top Central Level (TC) 
  3. Bottom Central Level (BC) 
CPR indicator का विश्लेषण करने के लिए तीन बेसिक कन्सेप्टों को समझना बेहद जरूरी है: ट्रेडिंग चार्ट, support and resistance levels और कैंडलस्टिक पैटर्न्स। इनका उपयोग क्रूशियल प्राइस लेवल के टूटने को पहचानने के लिए किया जाता है। सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का उपयोग करके ट्रेडर्स किसी भी स्टॉक के हाई और लो प्राइस का पता लगा सकता है। 

Central pivot Range का विश्लेषण 

सेंट्रल पिवट रेंज (CPR) सिर्फ एक टेक्निकल इंडिकेटर से कहीं ज्यादा है। यह मार्केट सेंटीमेंट और trend की वर्तमान स्थिती को दर्शाता है। आप सीपीआर का प्रभावी तरीके से निम्नलिखित प्रकार से विश्लेषण कर सकते हैं-
  1. वर्जिन सीपीआर: CPR को वर्जिन तब माना जाता है, जब स्टॉक का प्राइस किसी भी सीपीआर लाइन को पार नहीं करता है। अगर किसी स्टॉक का प्राइस पिछले दिन की सीपीआर रेंज के भीतर रहता है। तो 40% संभावना है कि यह अगले दिन इस रेंज को पार नहीं करेगा। यह वर्जिन CPR बाज़ार की स्थितियों के आधार पर मज़बूत सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के रूप में काम कर सकता है। मिड कैप स्टॉक्स
  2. TC Level से ऊपर प्राइस ट्रेडिंग: यदि शेयर का प्राइस ज्यादातर समय एवरेज प्राइस के ऊपर (टॉप सेंट्रल लेवल TC) ट्रेड होता है। तो यह buying trend को दर्शाता है। इस मामले में सीपीआर एक सपोर्ट लेवल के रूप में काम करता है। यह bullish trend का संकेत देता है। ऐसे में ट्रेडर्स को शेयर में बाइंग करना चाहिए।
  3. BC Level के नीचे प्राइस ट्रेडिंग: यदि शेयर का प्राइस ज्यादातर समय BC Level ले नीचे ट्रेड करता है। तो यह स्टॉक में सेलिंग प्रेशर को दर्शाता है। यहाँ CPR लेवल रेजिस्टेंस लेवल के रूप में कार्य करता है। इस समय traders को स्टॉक में शार्ट सेल की पोजीशन बनानी चाहिए। 
  4. प्राइस ट्रेडिंग अंडर सेंट्रल पिवोट लाइन्स: यदि share का वर्तमान प्राइस ज्यादातर समय प्राइस सेंट्रल पिवोट पॉइंट (सीपीआर) लाइनों के बीच trade होता रहता है। ट्रेडर्स को इसे ब्रेकआउट के लिए देखना चाहिए। अगर शेयर का प्राइस हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ ऊपर की तरफ चलता है तो यहाँ ब्रेकआउट की संभावना हो सकती है। सीपीआर की एक बड़ी रेंज होती है, इसमें सबसे अच्छी trading strategy टॉप सेंट्रल लेवल (TC) के टूटने पर शेयर में buying करना होती है। इसी तरह अगर बॉटम सेंट्रल लेवल (BC) के टूटने पर शेयर में selling करना होती है। इस तरह आप शेयर में प्राइस में उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट कमा सकते हैं।

 CPR की गणना कैसे की जाती है? 

पूर्वनिर्धारित गणनाओं के आधार पर Central Pivot Point (CPR) तीन प्राइस लेवल्स को  दर्शाता है। इन्ह लेवल्स को जानने के लिए ट्रेडर्स को Stock के पिछले ट्रेडिंग सेशन के ओपन, हाई. लो और क्लोजिंग प्राइस का उपयोग करना पड़ेगा। 

शेयर के पिछले दिन प्रदर्शन के आधार पर उसके प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाया जा सकता है। पिछले सेशन के निम्नलिखित तीन लेवल्स के आधार पर सीपीआर इंडिकेटर को कैलकुलेट किया जाता है- (

Low + High + Close) / 3= Pivot Point 
(BC - Pivot) + Pivot= Top CPR Point (BC) 
(Low + High) / 2= Bottom CPR Point (TC)

Trading के लिए CPR कैलकुलेट करने का उदाहरण: स्टॉक के पिछले ट्रेडिंग सेशन का निम्नलिखित डेटा एकत्र करना चाहिए- 

High: 220 रूपये 
Low: 210 रूपये 
Close: 215 रूपये 

सबसे पहले पिवोट पॉइंट (P) कैलकुलेट करें: P=3 (220 + 210 +215) = 215
इसके बाद टॉप सेंट्रल लेवल कैलकुलेट करें (TC): TC=( 215 + 220) 2= 215.5 
अंत में, बॉटम सेंट्रल लेवल (BC) =(215 + 210) 2= 212.5 

उपर्युक्त लेवल्स ट्रेडर्स को स्ट्रैटिजिक डिसीजन लेने में मदद करते हैं: 
  1. यदि स्टॉक का price 217.5 (TC) के ऊपर ओपन होता है और प्राइस इसके ऊपर बना भी रहता है। यह स्ट्रांग बुलिश सिग्नल का संकेत होता है। ऐसे में ट्रेडर्स को स्टॉक में बाइंग की पोजीशन बनानी चाहिए। 
  2. यदि स्टॉक का प्राइस नीचे आता है और 212.5 (BC) को टेस्ट करता है तो यह सपोर्ट लेवल का काम करेगा। जोकि की स्टॉक में बाइंग का संकेत हो सकता है। इसके विपरीत 
  3. यदि share का प्राइस 212.5 (BC) से नीचे गिरता है और इसी के नीचे बना रहता है। तो यह bearish trend का संकेत हो सकता है। ऐसे में आपको शार्ट सेलिंग की पोजीशन बनानी चाहिए। 

CPR Trading Strategy के लाभ  

सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं- 
  1. Entry & Exit पॉइंट्स की पहचान: सीपीआर स्ट्रेटेजी के द्वारा संभावित सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल की पहचान हो जाती है। जिससे ट्रेडर्स अपनी ट्रेडिंग पोजीशन के संभावित एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को तय कर सकते हैं। 
  2. Trend की पहचान: सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी मार्केट ट्रैंड की पहचान करने में मदद करती है। यदि स्टॉक का प्राइस सीपीआर लेवल के ऊपर होता है तो यह बुलिश ट्रेंड का संकेत होता है। जबकि सीपीआर से नीचे का प्राइस बेयरिश ट्रेंड को दर्शाता है।  
  3. विश्लेषण को सरल करना: सीपीआर विभिन्न डेटा पॉइंट्स को एक एक range में समेट देती है। जिससे ट्रेडर्स को बहुत सारे इंडीकेटर्स को प्राइस चार्ट पर नहीं लगाना पड़ता है। इससे traders के लिए डेटा का विशेलषण करना और निर्णय लेना आसान हो जाता है। 
  4. वर्सेटिलिटी: ट्रेडर्स सीपीआर का उपयोग वभिन्न टाइमफ्रेम में किया जा सकता है। जिससे यह स्ट्रेटेजी इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग में भी उपयोगी है। 

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