सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग कैसे करें? Support and Resistance Trading

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल प्राइस चार्ट पर दो ऐसे एरिया को दर्शाने वाली टर्म्स हैं। जो मार्केट मूवमेंट की रेंज को सीमित करती हैं। सपोर्ट लेवल वह एरिया होता है, जहाँ से प्राइस गिरना बंद कर देता है और बाउंस बैक करता है।

इसी तरह रेजिस्टेंस लेवल वह एरिया होता है, जहाँ से प्राइस सामान्य रूप से बढ़ना बंद कर देता है और वापस नीचे गिरने लगता है। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग कैसे करें? Support and ResistanceTrading in Stock market in Hindi. 

                                                                             
Support and Resistance trading


यदि आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको सुनील गुर्जर द्वारा लिखित ट्रेडिंग ब्रेकआउट बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Support & Resistance के बारे में 

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल technical analysis की दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। किसी भी स्टॉक के प्राइस चार्ट को सही ढंग से समझने के लिए इन दोनों कॉन्सेप्ट को समझना बहुत जरूरी है। सप्लाई और डिमांड के कारण stocks के प्राइस ऊपर-नीचे मूव करते हैं। जब किसी स्टॉक की डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होती है तो उसका प्राइस बढ़ता है।

इसी तरह जब किसी स्टॉक की डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होती है तो उसका प्राइस गिरने लगता है। इसका सीधा सा मतलब है, जब किसी शेयर को खरीदने वाले ज्यादा और बेचने वाले कम होते हैं तो उसका प्राइस बढ़ता है। इसके विपरीत जब किसी स्टॉक को खरीदने वाले कम और बेचने वाले ज्यादा होते हैं तो उसका price गिरने लगता है। 

कभी-कभी जब किसी share की सप्लाई और डिमांड करीब-करीब बराबर हो जाती है तो उसका प्राइस साइडवे हो जाता है। टेक्निकल एनालिस्ट सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का प्रयोग अक्सर ट्रेंड रिवर्सल की पहचान करने के लिए करते हैं। 

Support तब आता है, जब स्टॉक्स की सप्लाई बढ़ने के कारण शेयर का प्राइस अस्थायी रूप से गिरना बंद कर देता है। ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स का व्यवहार अक्सर मार्केट साइकोलॉजी से प्रभावित होता है। जो शेयर प्राइस के भविष्य का अनुमान लगाने के लिए उसके पिछले प्राइस पैटर्न के अनुसार रिएक्ट करने की कोशिश करते हैं। 

Support & resistance एरिया की पहचान शेयर के प्राइस चार्ट पर मूविंग एवरेज और ट्रेंडलाइन का उपयोग करके की जा सकती है। इसके अनुसार trading position बनाने का सबसे आसान तरीका है, सपोर्ट प्राइस पर शेयर को खरीदकर और रेजिस्टेंस प्राइस पर बेचकर आप भी ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

आप रेजिस्टेंस प्राइस पर किसी शेयर को शार्ट सेल करके और सपोर्ट प्राइस पर वापस खरीदकर आप शार्ट सेलिंग से प्रॉफिट कमा सकते हैं। शार्ट सेलिंग F&O और केश दोनों तरह के मार्केट में की जा सकती है। लेकिन केश में शार्ट किये गए शेयर को उसी दिन वापस खरीदकर पोजीशन को बंद करना जरूरी होता है। आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में शार्ट सेल की पोजीशन को कई दिनों तक होल्ड कर सकते हैं। 

Support क्या है? 

डाउनट्रेंड में स्टॉक्स के प्राइस इसलिए गिरते हैं क्योंकि स्टॉक की मांग की तुलना में सप्लाई अधिक होती है। शेयर का प्राइस जितना कम होता है, उतना ही उसका प्राइस बायर के लिए आकर्षक होता है। शेयर के कुछ प्राइस लेवल ऐसे होते हैं, जहाँ पर शेयर की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती है। 

फिर शेयर की डिमांड और सप्लाई एक लेवल पर मैच कर जाती है। वहाँ से शेयर के प्राइस गिरना रूक जाते हैं, यही शेयर का support level होता है। किसी भी share के चार्ट पर सपोर्ट लेवल एक ऐसा एरिया होता है। जो शेयर buyers के शेयर खरीदने की इच्छा को दर्शाता है। वीवैप इंडिकेटर

Support level आमतौर पर शेयर के price का वह एरिया होता है। जहाँ पर शेयर की सप्लाई से ज्यादा डिमांड होती है। यानि शेयर के खरीदार ज्यादा होते हैं और बेचने वाले कम होते हैं। जिससे शेयर के प्राइस में गिरावट रूक जाती और शेयर का प्राइस बढ़ने लगता है। 

Support level को पहचानें

निम्नलिखित कुछ पॉइंट्स हैं, जिनके द्वारा आप शेयर के प्राइस चार्ट पर सपोर्ट एरिया की पहचान कर सकते हैं-
  • ऐतिहासिक प्राइस: शेयर के प्राइस पर ऐसे एरिया की पहचान करें। जहाँ से शेयर के प्राइस पिछली बार गिरना बंद हो गए हों। और फिर से बढ़ना शुरु हो गए हों। ऐसे एरिया को ही चार्ट सपोर्ट एरिया (प्राइस) कहा जाता है। 
  • ट्रेंड लाइन्स: अपट्रेंड के दौरान प्राइस मूवमेंट के लो लेवल को जोड़कर आप support level की पहचान कर सकते हैं। 
  • मूविंग एवरेज: मूविंग एवरेज किसी भी stock के डायनेमिक सपोर्ट लेवल हो सकते हैं। आमतौर पर किसी शेयर के 50 Day, 100 Day, 200 डे मूविंग एवरेज को स्ट्रांग सपोर्ट लेवल माना जाता है। 
  • टेक्निकल इंडीकेटर्स: फ़ोबोनाची रिट्रेसमेंट जैसे टेक्निकल टूल्स संभावित सपोर्ट लेवल की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। 

Support level trading 

खरीदारी के संकेत: शेयर मार्केट ट्रेडर्स अक्सर किसी भी स्टॉक के सपोर्ट लेवल पर उसमें खरीदारी की पोजीशन बनाते हैं। जिससे इस लेवल पर बाउंस बैक आने पर वे प्रॉफिट कमा सकें।  
स्टॉप लॉस प्लेसमेंट: अगर share का प्राइस सपोर्ट लेवल पर सस्टेन नहीं करता है। तो नुकसान को कम करने के लिए ट्रेडिंग पोजीशन बनाते समय सपोर्ट लेवल के थोड़ा नीचे स्टॉप लॉस जरूर लगाना चाहिए। 

Resistance क्या है? 

रेजिस्टेंस, सपोर्ट के बिलकुल विपरीत होता है, शेयर के प्राइस जब बढ़ते हैं। तब शेयर की डिमांड ज्यादा होती है और सप्लाई कम होती है। जब शेयर का प्राइस ऊपर जाता है, तब एक ऐसा बिंदु आता है। जहाँ शेयर को खरीदने से ज्यादा बेचने वाले व्याकुल होते हैं। 

इसके होने का भी एक कारण होता है क्योंकि ट्रेडर्स सोचते हैं कि अब शेयर का प्राइस बहुत ज्यादा बढ़ गया है इसलिए वे उसे अब नहीं खरीदना चाहते हैं। इसी तरह बहुत से ट्रेडर्स सोचते हैं कि उनका टार्गेट मिल गया है इसलिए वे प्रॉफिट बुक करने के लिए शेयर को बेचने लगते हैं। कॉल और पुट

इस बिंदु पर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स में शेयर को खरीदने की इच्छा कम हो जाती है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। लेकिन टेक्निकल एनालिस्ट शेयर के प्राइस चार्ट पर इस एरिया को पहचान लेते हैं कि इस प्राइस पर शेयर को बेचने के लिए ट्रेडर्स बहुत व्याकुल हैं। यही रेजिस्टेंस होता है, सपोर्ट लेवल के बिलकुल विपरीत रेजिस्टेंस लेवल होता है। आप इसे रेजिस्टेंस लेवल या एरिया और जोन भी कह सकते हैं। 

Resistance level को पहचानें 

निम्नलिखित कुछ पॉइंट्स हैं, जिनके द्वारा आप शेयर के प्राइस चार्ट पर रेजिस्टेंस एरिया की पहचान कर सकते हैं-
  1. ऐतिहासिक प्राइस: शेयर के प्राइस चार्ट पर ऐसे एरिया की तलाश करें। जहाँ से पहले कभी शेयर का प्राइस बढ़ना बंद होकर गिरना शुरू हो गया हो। 
  2. ट्रेंड लाइंस: डाउन ट्रेंड के समय रेजिस्टेंस लेवल को पहचानने के लिए आपको शेयर के हाई प्राइस को जोड़कर लाइन खींचकर आप रेजिस्टेंस लेवल की पहचान कर सकते हैं। 
  3. मूविंग एवरेज: शेयर के मूविंग एवरेज से डायनेमिक रेजिस्टेंस लेवल की पहचान कर सकते हैं। क्योंकि एक बार जब शेयर का प्राइस महत्वपूर्ण मूविंग एवरेज को तोड़ देता है। टूटे हुए मूविंग एवरेज फिर रेजिस्टेंस लेवल बन जाते हैं। 
  4. टेक्निकल इंडिकेटर्स: फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल से आप संभावित रेजिस्टेंस लेवल की पहचान कर सकते हैं। 
Resistance level trading 
  1. Sell सिग्नल: रसिस्टैंस लेवल पर ट्रेडर्स अक्सर शार्ट सेलिंग के ज्यादा ऑर्डर देते हैं। साथ ही जिन्होंने सपोर्ट लेवल पर शेयर को खरीदा है, वे भी प्रॉफिट बुक करने के लिए शेयर को रेजिस्टेंस लेवल पर बेचते हैं।  
  2. स्टॉप लॉस लगाना: ऊपरी लेवल पर शेयर को शार्ट सेल करने के लिए आपको रेजिस्टेंस लेवल पर स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। 

Support & Resistance Trading 

Stock market ट्रेडिंग में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस टेक्निकल एनालिसिस की मूल अवधारणा में शामिल है। ये स्टॉक के प्राइस के उन लेवल्स को दर्शाते हैं। जहाँ से शेयर प्राइस के लॉन्ग टर्म ट्रेंड का trend reversal हो सकता है।
  
एक बार support & resistance एरिया की पहचान हो जाती है। तो ये एरिया trade के संभावित एंट्री और एग्जिट पॉइंट का काम कर सकते हैं। क्योंकि जैसे ही किसी शेयर का प्राइस पिछले सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल के पास पहुंचता है तो वहाँ से प्राइस के बाउंस बैक करने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। इसके अलावा प्राइस उस लेवल को तोड़कर ब्रेकआउट भी दे सकता है। 

इससे प्राइस अगले सपोर्ट या रेजिस्टेंस को भी टच कर सकता है। कुछ trade इस अनुमान पर आधारित होते हैं कि प्राइस सपोर्ट या रेजिस्टेंस को तोड़ नहीं पायेगा। फिर चाहे S&R टूट गया हो अथवा नहीं, ट्रेडर्स प्राइस में ट्रेंड की दिशा में अपनी पोजीशन बना सकते हैं। 

यदि प्राइस ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स की trading पोजीशन की दिशा में नहीं चलता है। तो वे स्टॉप लॉस लगाक थोड़े से नुकसान पर ही बाहर आ सकते हैं। अगर प्राइस trading position की दिशा में चलता है तो ट्रेडर को बड़ा प्रॉफिट हो सकता है। फाल्स ब्रेकआउट

Support & Resistance trading Strategies 

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के अनुसार आप कई प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज बना सकते हैं- 
  • Range trading: ट्रेडर्स एक रेंज में ट्रेड कर रहे स्टॉक्स में रेंज के निचले लेवल पर खरीदारी करते हैं और ऊपरी लेवल पर शेयर को बेचते हैं। 
  • Breakout trading: जब किसी शेयर के प्राइस रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ देते है। यह अपट्रेंड जारी रहने का संकेत हो सकता है। ऐसे शेयर में लॉन्ग पोजीशन बनायीं जा सकती है। इसी तरह जब किसी शेयर का प्राइस सपोर्ट लेवल को देता है। तो यह downtrend जारी रहने का संकेत हो सकता है। शार्ट पोजीशन बनायीं जा सकती है। 
  • पुलबैक और रिट्रेसमेंट ट्रेडिंग: ब्रेकआउट होने के बाद शेयर के प्राइस एक बार वापस सपोर्ट & रेजिस्टेंस लेवल पर वापस आ जाती हैं। Traders इस समय ट्रेडिंग पोजीशन बनाने के अवसरों की तलाश कर सकते हैं। 
सपोर्ट & रेजिस्टेंस लेवल्स को पहचानना और समझना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि यह ट्रेड में एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को निर्धारित करने में आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। साथ ही यह ट्रेडिंग रिस्क को मैनेज करने में आपकी काफी मदद कर सकते हैं। 

S&R लेवल्स के अनुसार आप अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी डवलप कर सकते हैं। अन्य टेक्निकल इंडीकेटर्स के साथ
सपोर्ट & रेजिस्टेंस लेवल्स का विश्लेषण करके traders शेयर मार्केट में अपनी सफलता की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।
 
उम्मीद है आपको यह शेयर मार्केट में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग कैसे करें? आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह Support and ResistanceTrading in Stock market in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।

अगर आप शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही  ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि इस आर्टिकल के बारे में आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो प्लीज कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझ फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.