शेयर मार्केट में लॉन्ग और शार्ट पोजीशन क्या होती हैं? Long and short positions |
शेयर मार्केट में ओपन पोजीशन लॉन्ग या शार्ट हो सकती है। लॉन्ग पोजीशन को बेचे जाने से पहले शेयरहोल्डर होना आवश्यक है। इसमें शेयर प्राइस बढ़ने पर इसके होल्डर को प्रॉफिट होता है। मार्केट में शार्ट पोजीशन बनाने के लिए शेयर को पहले उधर लिया जाता है। उसके बाद शार्ट सेल किया जाता है।
इसमें शेयर को वापस बाय किया जाता है। शार्ट सेल में जब शेयर का प्राइस गिरता है, तब शार्ट सेलर को प्रॉफिट होता है। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट में लॉन्ग और शार्ट पोजीशन क्या होती हैं? What is long and short positions in stock market in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट ट्रेडिंग से पैसे कमाना चाहते हैं तो आपको सुनील गुर्जर द्वारा लिखित बुक ब्रेकआउट ट्रेडिंग ब्रेकआउट ट्रेडिंग जरूर पढ़नी चाहिए।
Stock market Position क्या है?
शेयर मार्केट पोजीशन को ट्रेडिंग पोजीशन भी कहा जाता है। पोजीशन सिक्युरिटी (stocks) का एक अमाउंट होता है (या शार्ट सेल की गयी), जिस पर किसी व्यक्ति या समूह का मालिकाना हक होता है। जब कोई ट्रेडर या इन्वेस्टर किसी buy order के जरिये स्टॉक्स खरीदता है। तो वह तेजी के इरादे से पोजीशन बनाता है, जिसे लॉन्ग पोजीशन कहते हैं।
इसी तरह जब कोई ट्रेडर या इन्वेस्टर स्टॉक को short sell करता है। तो वह शेयर प्राइस की गिरावट से प्रॉफिट कमाना चाहता है। Stock market में किसी भी नई पोजीशन को बनाने के बाद अंततः उसे बंद करना ही पड़ता है। ओपन पोजीशन लॉन्ग, शार्ट या न्यूट्रल हो सकती है और पोजीशन की दिशा उसके प्राइस का ट्रेंड सेट करता है।
पोजीशन के विपरीत position लेकर इसे प्रॉफिट या लॉस में बंद किया जा सकता है। उदाहरण के लिए शार्ट पोजीशन को स्टॉक्स को खरीदकर बंद किया जाता है। इसी तरह लॉन्ग पोजीशन को बंद करने के लिए स्टॉक्स को बेचा जाता है। पोजीशन को इच्छा से अनिच्छा से बंद किया जाता है। जैसे प्रॉफिट बुक करने के लिए इच्छा से और नुकसान से बचने के लिए अनिच्छा से पोजीशन को अक्सर बंद किया जाता है।
शेयर बाजार में, "लॉन्ग" और "शॉर्ट" पोजिशन, किसी share के भविष्य के प्राइस के बारे में इन्वेस्टर्स की अपेक्षाओं के आधार पर विभिन्न प्रकार की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजीज को संदर्भित करते हैं। पुट और कॉल
Long Position
किसी शेयर में लॉन्ग पोजिशन लेने का मतलब है कि भविष्य में इसकी प्राइस बढ़ने की उम्मीद के साथ शेयर खरीदना। इस पोजीशन का टार्गेट प्रॉफिट कमाने के लिए इसे बाद में अधिक प्राइस पर बेचा जाता है।
Share market में लॉन्ग पोजीशन बनाने की प्रक्रिया को निम्नलिखित तरीके से पूरा किया जाता है-
- शेयर खरीदना: मार्केट में long position बनाने के लिए शेयरों को खरीदा जाता है। जिन स्टॉक्स का प्राइस भविष्य में बढ़ने की उम्मीद होती है। इन्वेस्टर्स ऐसे स्टॉक्स को मार्केट या लिमिट ऑर्डर लगाकर खरीदते हैं।
- Stocks को होल्ड करना: इन्वेस्टर्स शेयरों के प्राइस के बढ़ने का अनुमान लगते हुए उन्हें लॉन्ग-टर्म के लिए होल्ड करते हैं। जबकि ट्रेडर्स स्टॉक्स के प्राइस के जल्दी बढ़ने का अनुमान हुए उन्हें शार्ट टर्म के लिए होल्ड करते हैं।
- Stocks को बेचना: Investors और ट्रेडर्स अपने-अपने टाइम होराइजन के हिसाब से शेयरों का प्राइस बढ़ने पर उन्हें बेचकर प्रॉफिट कमाते हैं।
Short Position
किसी शेयर में शॉर्ट पोजिशन लेने का मतलब है कि इन्वेस्टर या ट्रेडर के पास वर्तमान में कोई स्टॉक नहीं है। फिर भी उसे ब्रोकर से उधार लेकर बेचता है, इस उम्मीद के साथ कि भविष्य में इसके प्राइस में गिरावट आएगी। इस अनुमान के साथ प्रॉफिट कमाने के लिए शेयर को पहले ज्यादा प्राइस पर बेचना और कम प्राइस पर वापस खरीदना ही शार्ट पोजीशन बनाना या शार्ट सेलिंग करना कहलाता है।
स्टॉक मार्केट में short position बनाने की प्रक्रिया को निम्नलिखित तरीके से पूरा किया जाता है-
- शेयर उधर लेना: इन्वस्टर्स और ट्रेडर्स शार्ट से करने के लिए अपने स्टॉक ब्रोकर से किसी कंपनी के शेयर उधार लेने होते हैं।
- Share को बेचना: शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स स्टॉक ब्रोकर से उधार लिए गए स्टॉक्स को मौजूदा मार्केट प्राइस पर बेच देते हैं। शार्ट सेलिंग ज्यादातर फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट में होती है। क्योंकि केश में किसी शेयर को शार्ट सेल करने के लिए अधिक मार्जिन की जरूरत पड़ती है। साथ ही केश में शार्ट सेल किये गए स्टॉक्स को उसी दिन वापस खरीदकर उन पोजीशन को क्लोज करना जरूरी होता है।
- शेयरों को वापस खरीदना: इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स शेयरों को कम प्राइस पर वापस खरीदकर अपनी short position से प्रॉफिट बुक करके क्लोज कर देते हैं। इससे ब्रोकर से उधार लिए शेयर अपने आप ब्रोकर के पास चले जाते हैं। इस तरह शेयर मार्केट ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपने पास शेयर नहीं होने के बावजूद शार्ट सेलिंग करके प्रॉफिट कमाते हैं।
- प्रॉफिट कैसे होता है?: स्टॉक्स के बाइंग प्राइस और सेलिंग प्राइस के बीच का अंतर (टेक्स को काटकर ) ही प्रॉफिट होता है। बुल कॉल स्प्रेड
Long & Short Position में मुख्य
शेयर मार्केट में लॉन्ग पोजीशन और शार्ट पोजीशन में निम्नलिखित मुख्य अंतर होते हैं-
- लॉन्ग पोजीशन: इसमें इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को शेयर के प्राइस बढ़ने की उम्मीद होती है।
- शार्ट पोजीशन: इसमें इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को शेयर के प्राइस गिरने की आशंका होती है।
- लॉन्ग पोजीशन में रिस्क: इसमें केवल इन्वेस्ट की गयी राशि का ही नुकसान हो सकता है।
- शार्ट पोजीशन में रिस्क: इसमें ट्रेडर्स को असीमित रिस्क हो सकता है क्योंकि share price असीमित बढ़ सकता है। स्टॉप लॉस ऑर्डर
- Long position से प्रॉफिट: इसमें कम प्राइस पर शेयर को खरीदकर और उसे अधिक प्राइस पर बेचकर प्रॉफिट कमाया जाता है।
- Short position से प्रॉफिट: इसमें शेयर को पहले ज्यादा प्राइस पर बेचकर फिर बाद में कम प्राइस पर खरीदकर प्रॉफिट कमाया जाता है।
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