Naked Short Selling in Stock Market: शेयर मार्केट में नैकेड शार्ट सेलिंग क्या है?

नेकेड शॉर्ट-सेलिंग तब होती है, जब ट्रेडर्स के पास किसी कंपनी के शेयर नहीं होते और उन्हें उधार लिए बिना ही  शार्ट सेल करना नैकेड शार्ट सेलिंग कहलाता है।  फ़िलहाल सेबी ने सभी संस्थागत निवेशकों ( FII & DII ) पर इंट्राडे ट्रेडिंग में नैकेड शार्ट सेलिंग करने पर रोक लगा दी है। यानी, इंट्राडे में उनके लेनदेन को बंद कर दिया है। आइये विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट में नैकेड शार्ट सेलिंग क्या है? What is Naked Short Selling in Stock Market  in Hindi. 

                                                                                 
Naked Short Selling


अगर आप शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग से पैसे कमाना चाहते हैं तो आप अंकित गाला और जितेंद्र गाला द्वारा लिखित बुक इंट्राडे ट्रेडिंग की पहचान पढ़ सकते हैं। 

 Naked Short Selling in Stock Market क्या है?

नेकेड शॉर्टिंग तब होती है, जब कोई ट्रेडर किसी शेयर में पहले उधार लिए बिना या यह सुनिश्चित किए बिना शेयर बेचता है कि उन्हें उधार लिया जा सकता है। इसका उद्देश्य शार्ट पोजीशन को कवर करने के लिए बाद में कम प्राइस पर शेयर खरीदकर उसकी कीमत में गिरावट से प्रॉफिट कमाना होता है। यह पारंपरिक शॉर्ट सेलिंग से अलग है, जब आप शेयरों को बेचने से पहले उधार लेते हैं। 

नेकेड शॉर्ट सेलिंग उन छोटे शेयरों को बेचने की अवैध प्रथा है। जिसमें  ट्रेडर्स के पास शेयर नहीं होने के बावजूद शायरॉ को बेचा जाता है, इसे ही Naked short selling कहा जाता है। ट्रेडर्स को पहले किसी स्टॉक को उधार लेना चाहिए या पहले से होल्ड किया होना चाहिए। उसके बाद ही शार्ट सेल करना चाहिए। 

नियमों में खामियों और कागज और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम के बीच विसंगतियों के कारण Naked Shorting होती रहती है। लेकिन फ़िलहाल 5-01-2024 को भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड ऑफ़ इंडिया ( SEBI ) ने इस पर रोक लगा दी है। 

यदि आप Stocks को खरीदे बिना या उधार लिये बिना ही बेच देते हैं। तो आप Naked Short Selling कर रहे हैं। अगर आप शेयरों को बेचने से पहले उन्हें खरीदते हैं या उधार लेते हैं। तो आप शार्ट सेलिंग के जोखिम को सीमित कर लेते हैं। नैकेड शार्ट सेलिंग बहुत ज्यादा रिस्की होती है। इससे आपको असीमित नुकसान हो सकता है। 

Naked Short Selling की प्रक्रिया 

शार्ट सेलिंग की विधि के दो मुख्य स्टेप होते हैं। सबसे पहले आप बिना स्वामित्व, बिना उधार लिए या उधार लेने का अधिकार सुरक्षित किये बिना ही शेयर बेच देते हैं। इसके बाद आप प्रॉफिट की उम्मीद में मार्केट प्राइस से शेयर खरीदकर डिलीवर कर देते हैं। मूविंग एवरेज क्रॉसओवर

यदि आप शेयर खरीद नहीं पाते हैं या शेयर खरीदने के लिए आपको मिल नहीं पाते हैं। तो इसका परिणाम शेयर डिलीवर करने में आपकी विफलता के कारण आपका सौदा ऑक्शन में चला जायेगा। जहाँ पर ब्रोकर आपके लिए शेयर खरीदेगा किन्तु अधिक प्राइस पर और वह पैसा आपको चुकाना पड़ेगा। साथ ही आप पर  पेनल्टी भी लगेगी। 

Naked Short selling की प्रक्रिया को आप एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। माना आप किसी XVZ कंपनी के 100 शेयर 50 रूपये के प्राइस पर Short sell करते हैं। लेकिन आपके पास वे शेयर नहीं हैं और आपने उधार भी नहीं  लिए हैं। परन्तु फिर नहीं आप XYZ कंपनी के शेयर में तेज गिरावट का अनुमान लगाकर उनमें शार्ट सेलिंग कर रहे हैं। स्ट्रैंगल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

इसमें कोई समस्या भी नहीं है, शेयर के प्राइस में गिरावट का मतलब बहुत सारे लोग उस शेयर को बेचना चाह रहे होते हैं। जिससे शेयर का प्राइस गिरने पर शार्ट सेलर को प्रॉफिट होता है। Short selling पोजीशन में शेयरों को खरीदकर डिलीवर करने की समय सीमा निर्धारित होती है। 

Naked Short Selling करने वाले ट्रेडर्स के पास शेयर तो होते नहीं हैं। उसे सौदा पूरा करने के लिए शेयर खरीदकर देने पड़ते हैं। शेयर के प्राइस पर ट्रेडर्स का कोई नियंत्रण नहीं होता है और प्राइस ऊपर या नीचे किधर भी जा सकता है। 

यदि शेयर का प्राइस गिरने के बजाय 50 रूपये से ऊपर बढ़ने लगता है। तो आपको नुकसान होना तय है क्योंकि अब आपको बढ़े हुए प्राइस पर ही शेयर खरीदने पड़ेंगे। यदि शेयर में लिक्विडिटी ( कम ट्रेडिंग वॉल्यूम ) नहीं है तो जरूरी नहीं है आप शेयर खरीदने में सफल हो जाये। 

अगर आप निश्चित समय सीमा तक शेयर खरीदकर डिलीवर नहीं  कर पाते हैं। तो आपका सौदा ऑक्शन में चला जायेगा। ऑक्शन में आपको पेनल्टी देनी पड़ती है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट से ऑटोमैटिकली डेबिट हो जाती है। ऑक्शन में स्टॉक ब्रोकर आपके सौदे को पूरा करता है। 

Naked Short Selling का Stock Market पर प्रभाव 

सामान्य तौर पर शॉर्ट सेलिंग से कंपनी के शेयर प्राइस में गिरावट आ सकती है। जिससे उसकी पूंजी जुटाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। जब कोई शेयर आसानी से उपलब्ध नहीं होता तो शार्ट सेलिंग उसकी लिक्विडिटी को भी प्रभावित करती है। 

Naked Short Selling ट्रेडर्स को मार्केट में पार्टिसिपेट करने का शार्टकट ऑप्शन उपलब्ध कराती है। आप मार्केट में भाग ले सकते है, भले ही आपके पास शेयर ना हों या आपने शेयर उधार ना लिए हों। इससे शेयर में फाल्स ट्रेडिंग लिक्विडिटी रीडिंग क्रिएट हो सकती है। इससे शेयर का प्राइस खराब ( distort ) हो सकता है। 

यदि नैकेड शार्ट सेलिंग में कोई निफ्टी 50 का शेयर फंस जाता है तो इसका पूरे भारतीय शेयर मार्केट पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जैसा की पिछले वर्ष जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप के साथ हुआ था। जब हिडनबर्ग शार्ट सेलिंग फर्म ने अडानी ग्रुप पर रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसकी वजह से अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट हुई थी। 

जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय शेयर मार्केट में कोहराम मच गया था। क्योंकि अडानी ग्रुप के सभी शेयरों जैसे अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट, अडानी ग्रीन, अडानी पावर आदि में बहुत बड़ी मात्रा में Naked Short Selling की गयी थी। इससे जिन्होंने इन शेयरों को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड किया था, उन्हें भारी नुकसान हुआ होगा। 

जबकि सेबी को अडानी ग्रुप के विरुद्ध कोई भी अवैधानिक कार्य करने का सबुत नहीं मिला है। रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से सेबी ने नैकेड शार्ट सेलिंग करने पर 5 जनवरी 2024 से इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स पर लगा दी है। यदि वे नैकेड शार्ट सेलिंग करते हैं तो उन्हें पहले स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी देनी पड़ेगी कि वे किस वजह से Naked Short Selling करना चाहते हैं। 

रिटेल इन्वेस्टर्स और इन्वेस्टर्स पर नैकेड शार्ट सेलिंग करने पर सेबी ने रोक नहीं लगाई गयी है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिटेल ट्रेडर्स बहुत छोटी ट्रेडिंग पोजीशन बनाते हैं। इससे पहले 2005 से ही विदेशी शेयर मार्केटों में भी नैकेड शॉर्ट सेलिंग पर रोक लगा रखी है। 2007 और 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान लेहमन ब्रदर्स बैंक और बियर स्टर्न्स के द्वारा शार्ट सेलिंग के ढेर लगाने की वजह की जाँच भी की गयी थी। शार्ट सेलिंग की बजह से लेहमैन ब्रदर्स बैंक दिवालिया हो गया था। जोकि उस समय विश्व का बहुत बड़ा और प्रसिद्ध बैंक था। 

Naked Short Selling in Stock Market गैरकानूनी क्यों? 

अमेरिका सहित कई अन्य देशों के नैकेड शार्ट सेलिंग गैरकानूनी है। अब भारत में भी इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। नैकेड शार्ट सेलिंग निम्नलिखित कई कारणों से गैरकानूनी है-  
  1. Stock market में हेराफेरी: नैकेड शार्ट सेलिंग की वजह से शेयर के प्राइस कृत्रिम रूप से गिराए जा सकते हैं।  जो शेयर मार्केट में हेराफेरी का एक तरीका है। गौतम अडानी
  2. अपारदर्शिता और धोखाधड़ी की आशंका: शेयर मार्केट ट्रेडिंग  में शेयर के प्राइस डिमांड और सप्लाई के आधार पर तय होते हैं। यदि बड़ी मात्रा में शार्ट उन Stocks में बन जाते हैं। जिनमें कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और जिनका मार्केट केपेटलाइजेशन कम होता है। तो उन  शेयरों में ट्रेडिंग अनुचित और अविश्वसनीय होगी। जिसका शेयर मार्केट पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। 
  3. वित्तीय जोखिम: Naked Short Selling रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए बहुत खतरनाक माहौल बनाती है। क्योंकि यह अस्तित्वहीन शेयरों की बिक्री की अनुमति देता है। जिससे सेलर्स को शेयर की कीमतों को कम करके हेराफेरी की शक्ति मिल जाती है। इसका भारत में सबसे बड़ा उदाहरण हिडबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों के प्राइस का बहुत ज्यादा टूट जाना भी है। विदेशों में तो इसके बहुत से उदाहरण मिल जायेंगे। इसलिए ही Stock market में Naked short selling को बैन किया है। 
नैकेड शार्ट सेलिंग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs 

सिक्युरिटी लेंडिंग या प्रतिभूति ऋण क्या है? 

इसके बारे में जानने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि यदि आपने किसी कंपनी के शेयर होल्ड कर रखे हैं तो आप फीस लेकर स्टॉक एक्सचेंज को उन्हें उधार दे सकते हैं। इसी तरह अगर किसी ट्रेडर को शेयर उधार लेने हैं। तो वह भी स्टॉक एक्सचेंज से ले सकते हैं लेकिन उन्हें भी इसके लिए फीस चुकानी होगी। शेयर उधार लेने को ही प्रतिधुति ऋण या सिक्युरिटी लेंडिंग कहा जाता है। 

सिक्युरिटी स्क्वीज़ ( Securities Squeeze ) क्या है? 

सिक्युरिटीज स्क्वीज़ तब होता है, जब शेयर का प्राइस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। जिससे शार्ट सेलिंग करने वाले ट्रेडर्स को नुकसान होने लगता है। शार्ट सेलर नुकसान से बचने के लिए अपनी पोजीशन को बंद करने के लिए ताबड़तोड़ मार्केट प्राइस पर शेयर खरीदने लगते हैं। जिससे शेयर का प्राइस और भी ज्यादा बढ़ने लगता है। इसी को शार्ट स्क्वीज़ कहा जाता है। शार्ट स्क्वीज़ अच्छे फंडामेंटल की वजह से नहीं बल्कि अधिक short selling की वजह से होता है। 

शॉर्ट कवरिंग ( Short covering ) का क्या मतलब है?

शॉर्ट कवरिंग उस शेयर को वापस खरीदना है, जिसमें ओपन-शॉर्ट पोजीशन को बंद करने के लिए शॉर्ट किये शेयर को खरीदा जाता है। ऐसा या तो प्रॉफिट को बुक करने या लॉस को सीमित करने के लिए किया जाता है।

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