Securities and Exchange Board of India (SEBI): भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, सेबी क्या है?

अडानी ग्रुप पर स्टॉक्स प्राइस को मैनीप्युलेट करने के आरोप लगाने वाली विदेशी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी पर भी आरोप लगाया है। कि SEBI चेयरपर्सन माधुरी पूरी बुच ने अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जाँच नहीं की है। क्योंकि उनके व्यक्तिगत हित अडानी ग्रुप की कंपनियों के साथ जुड़े हैं। 

हिंडनबर्ग का आरोप है कि जिस फंड हाउस ने अडानी ग्रुप के स्टॉक्स के प्राइस गलत तरीके से बढ़ाने के लिए उसमें पैसा invest किया था। उस फंड हाउस में सेबी चेयरपर्सन माधुरी पूरी बुच का भी पैसा लगा था। इसलिए उन्होंने अडानी ग्रुप को आरोपों से मुक्त कर दिया। आइए विस्तार से जानते हैं- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, सेबी क्या है? Securities and Exchange Board of India (SEBI) in Hindi. 
                                                                                              
SEBI


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SEBI (सेबी) क्या है? 

SEBI का मतलब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है। यानि Securities and Exchange Board of India ( SEBI ) यह भारत में सिक्योरिटीज और कमोडिटीज मार्केट के लिए नियामक संस्था है। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1992 को सेबी अधिनियम 1992 के माध्यम से की गई थी। 

जिसे भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। सेबी का प्राथमिक उद्देश्य सेक्युरिटीज़ में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारत में सिक्योरिटीज मार्केट के डवलपमेंट और रेग्युलेशन को बढ़ावा देना है। 

Securities and Exchange Board of India (SEBI) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक डोमेन के तहत भारत के शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट के लिए एक नियामक संस्था  है। इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 को एक कार्यकारी निकाय के रूप में की गई थी और 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से इसे वैधानिक शक्तियाँ दी गईं। 

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) की स्थापना 1988 में की गयी थी। शेयर मार्केट (सिक्योरिटीज मार्केट) के लिए रूल्स और रेग्युलेशंस बनाने के लिए एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में इसकी स्थापना गयी थी। यह 30 जनवरी 1992 को एक स्वायत्त निकाय बन गया था। भारत की संसद द्वारा सेबी अधिनियम 1992 के पारित होने के साथ इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गईं। 

सेबी का मुख्यालय मुंबई के व्यापारिक जिले बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में है और इसके उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय क्रमशः नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में हैं। इसने जयपुर और बैंगलोर में स्थानीय कार्यालय खोले हैं और वित्तीय वर्ष 2013-2014 में गुवाहाटी, भुवनेश्वर, पटना, कोच्चि और चंडीगढ़ में भी कार्यालय खोले गए हैं। SEBI की स्थापना होने से पहले शेयर मार्केट को रेग्युलेट करने के लिए "कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज" रेग्युलेटर अथॉरिटी था। इसकी स्थापना 1947 में पूँजी नियंत्रण अधिनियम के द्वारा की गयी थी।

सेबी का प्रबंधन इसके सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके सदस्यों में निम्नलिखित अधिकारी शामिल होते हैं-
  1. सेबी अध्यक्ष को भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
  2. दो सदस्य, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारी।
  3. भारतीय रिज़र्व बैंक से एक सदस्य।
  4. शेष पांच सदस्यों को भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। उनमें से कम से कम तीन पूर्णकालिक सदस्य होंते हैं।
माधाबी पुरी बुच प्रतिभूति नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष हैं। उनका कार्यकाल फरवरी 2025 तक है। वह सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अध्यक्ष हैं। माधबी पुरी बुच ने 1 मार्च 2022 को अजय त्यागी की जगह अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। जिनका कार्यकाल 28 फरवरी 2022 को समाप्त हो गयाथा। 1999 के संशोधन के बाद निधि, चिट फंड और सहकारी समितियों को छोड़कर सामूहिक निवेश योजनाओं को सेबी के अधीन लाया गया।

SEBI के कार्य 

Securities and Exchange Board of India की शेयर मार्केट को लेकर विभिन्न भूमिकाएँ और कार्य हैं जोकि निम्नलिखित हैं-
  1. रेग्युलेशन (Regulation): सेबी स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक ब्रोकर और म्यूचुअल फंड जैसे शेयर बाजार के विभिन्न प्रतिभागियों को नियंत्रित करने वाले नियम बनाता है। और रेग्युलेशन बनाकर भारत में शेयर मार्केट को नियंत्रित करता है। 
  2. इन्वेस्टर्स प्रोटेक्शन (Investors Protection): सेबी यह सुनिश्चित करता है कि स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा हो। इसलिए सेबी मार्केट में बहुत सारी गतिविधियों को रेग्युलेट करता है। जिससे मार्केट में धोखाधड़ी, अनुचित ट्रेडिंग ना हो और शेयर मार्केट में पारदर्शिता बनी रहे।
  3. सुपरविजन और सर्विलांस (Supervision and Surveillance): सेबी अपने नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और बाजार की अखंडता बनाए रखने के लिए। समय-समय पर स्टॉक एक्सचेंजों और बाजार मध्यस्थों जैसे स्टॉक ब्रोकर आदि के कामकाज की निगरानी और पर्यवेक्षण करता है। 
  4. स्टॉक मार्केट के विकास को बढ़ावा देना: SEBI हमेशा  इक्विटी, डेरिवेटिव और ऋण बाजार सहित भारतीय शेयर मार्केट के विभिन्न क्षेत्रों को विकसित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  5. इन्वेस्टर्स एजुकेशन (Investors Education): SEBI, स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर्स की जागरूकता के लिए बहुत सारे प्रोग्राम संचालित करता है। साथ ही इन्वेस्टर्स को शेयर मार्केट ने धन इन्वेस्ट करने के अवसर और जोखिम की पहचान करने के बारे में भी शिक्षित करने के लिए प्रोग्राम चलाता है।
  6. कंपनियों के टेकओवर और मर्जर को रेग्युलेट करना: सेबी भारतीय शेयर मार्केट में लिस्ट कंपनियों के जबरन टेकओवर और मर्जर को भी रेग्युलेट करता है। जिससे कंपनियों के शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा की जा सके। 
  7. म्यूच्यूअल फंड्स को रेग्युलेट करना: सेबी म्यूच्यूअल फंड्स के निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए इन्हें भी रेग्युलेट करता है। साथ ही म्यूचुअल फंड परिसंपत्तियों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करता है। म्यूचुअल फंड के कामकाज को रेग्युलेट करने के साथ-साथ इसकी देखरेख भी करता है। जिससे म्यूच्यूअल फंड्स, इन्वेस्टर्स के पैसे का गलत उपयोग नहीं कर सकें। 
Securities and Exchange Board of India (SEBIने भारत के सिक्योरिटीज मार्केट्स को आधुनिक बनाने और सुव्यवस्थित करने का काम किया है। उन्हें अधिक पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने और कॉर्पोरेट गवर्ननेंस को बढ़ावा देने के लिए बहुत से रूल्स और रेग्युलेशन बनाये हैं। जिससे भारतीय शेयर मार्केट का कामकाज पारदर्शी और इन्वेस्टर्स फ्रेंडली बना है।

सेबी द्वारा स्थापित नियामक ढांचा भारत में एक निष्पक्ष और कुशल शेयर बाजार बनाने और निवेशकों के विश्वास, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सेबी, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक डोमेन के तहत भारत में शेयर और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय है। 

SEBI की प्रमुख उपलब्धियां

Securities and Exchange Board of India ने व्यवस्थित सुधारों को आक्रामक और क्रमिक रूप से आगे बढ़ाकर एक नियामक के रूप में सफलता का सफलता प्राप्त की है। सेबी ने जुलाई 2001 से टी+5 रोलिंग चक्र और अप्रैल 2002 में टी+3 और अप्रैल 2003 में टी+2 तक आगे बढ़ाकर इसमें लगने वाले समय को कम किया है। भारतीय शेयर मार्केट को इलेक्ट्रॉनिक और कागज रहित बनाने की दिशा में त्वरित कदम उठाने का श्रेय भी सेबी को दिया जाता है। टी+2 का रोलिंग चक्र का मतलब है, सौदे का निपटान ट्रेडिंग डे के 2 दिन बाद किया जाना। मार्केट पार्टिसिपेंट्स

सेबी कानून के तहत आवश्यकतानुसार नियम स्थापित करने में सफल रहा है। सेबी ने डिपॉजिटरी अधिनियम, 1996 पारित करके निपटान प्रक्रिया के धीमेंपन और बोझिलता को खत्म किया है। इसके अलावा, उन भौतिक प्रमाणपत्रों को समाप्त कर दिया, जिनका डाक में देरी, चोरी और जालसाजी का खतरा था। 

सेबी ने वैश्विक मंदी और सत्यम घोटाले के दोषियों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कदम उठाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अक्टूबर 2011 के बाद से सेबी द्वारा सख्ती करने की वजह से ही भारतीय कंपनियों के प्रमोटरों द्वारा किए जाने वाले खुलासों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 

आर्थिक मंदी के दौरान, प्रभावी कदम उठाकर निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए इन्वेस्टमेंट कोड को उदार बनाया था। SEBI के ऐसे ही एक कदम में, सेबी ने खुदरा निवेशकों के लिए आवेदन सीमा को वर्तमान में 100,000 रूपये से बढ़ाकर 200,000 रूपये कर कर दिया है। 

SEBI के बारे में अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न FAQs 

Securities and Exchange Board of India यानि सेबी के बारे में निम्नलिखित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं-

सेबी क्या है और इसके क्या कार्य हैं? 

SEBI का मतलब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है। यह एक वैधानिक नियामक संस्था है जिसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा शेयर मार्केट को रेग्युलेट करने के लिए किया गया है। साथ-साथ स्टॉक्स में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए 1992 में इसकी स्थापना की गई थी। 

सेबी किस मंत्रालय के अंदर आता है? 

सेबी भारत सरकार के वित् मंत्रालय के अंतर्गत आता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक डोमेन के तहत भारत में शेयर और  कमोडिटी मार्केट के लिए एक नियामक निकाय है। 

सेबी के पांच प्रमुख कार्य क्या हैं? 

सेबी के पांच रेग्युलेटरी कार्य निम्नलिखित हैं- 
  1. Stockbrokers और एजेंटों का रजिस्ट्रेशन करना जैसे स्टॉक ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स, ट्रांसफर एजेंट, मर्चेंट बैंक आदि। 
  2. रूल्स और रेग्युलेशंस की अधिसूचना जारी करना। 
  3. शुल्क लगाना। 
  4. निवेश योजनाओं को लागू करना। 
  5. अनुचित ट्रेडिंग पर रोक लगाना। 
सेबी का मुख्यालय कहाँ है?

सेबी का मुख्यालय मुम्बई में स्थित है और इसके क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में स्थित हैं। 

सेबी का संचालन कौन करता है? 

सेबी के अध्यक्ष को भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी इस ढांचे का हिस्सा होते हैं। एक सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक से नियुक्त किया जाता है। पांच अन्य सदस्यों को भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। 

सेबी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

सेबी का मुख्य उद्देश्य शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों के हितों की रक्षा करना है। साथ ही स्टॉक एक्सचेंज के विकास को बढ़ावा देना और शेयर बाजार की गतिविधियों को रेग्युलेट करना है।

उम्मीद है, आपको यह आर्टिकल सेबी (SEBI) पर लग रहे आरोप झूठे हैं? पसंद आया होगा। अगर आपको Securities and Exchange Board of India (SEBI) in Hindi. यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया अपर जरूर शेयर करें। 

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