Market participants: शेयर मार्केट पार्टिसिपेंट्स (सहभागी) कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर मार्केट सहभागियों के दो मुख्य भाग होते हैं, खरीदने वाली और बेचने वाली संस्थाएँ। स्टॉक मार्केट में खरीदारी करने वालों के पास पैसा होता है। जिसे मार्केट पार्टिसिपेंट्स मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं, ताकि वे अपनी सम्पत्ति बढ़ा सकें। शेयर बाजार सहभागियों ( participants ) को  कुछ भागों में बाँटा जा सकता है। जैसे निवेशक, ट्रेडर्स, स्टॉक एक्सचेंज, कंपनियाँ, स्टॉकब्रोकर, नियामक और वित्तीय मध्यस्थ आदि। जानते हैं- शेयर मार्केट पार्टिसिपेंट्स कितने प्रकार के होते हैं? Market participants in Stock market in Hindi. 
                                                                              
market participants

यदि आप शेयर मार्केट में सफल होना चाहते हैं तो आपको सौरभ मुखर्जी द्वारा लिखित बुक शेयर बाजार के सक्सेस मंत्र जरूर पढ़नी चाहिए।

मार्केट पार्टिसिपेंट्स के प्रकार 

स्टॉक मार्केट विभिन्न प्रकार के मार्केट पार्टिसिपेंट्स होते हैं, सभी की अलग-अलग भूमिकाएँ और उद्देश्य होते हैं। इन्वेस्टर्स के पास पैसा होता है, जिसे वे स्टॉक्स और अन्य सिक्युरिटी में इन्वेस्ट करते हैं। बेचने वाली इकाइयों के पास पैसे की कमी होती है। इसलिए वह शेयर बेचते हैं, बॉन्ड जारी करते हैं या ब्याज का भुगतान करते हैं। 

स्टॉक मार्केट एक्सचेंज पर स्टॉक्स की खरीद-बिक्री होती है। अतः वे फाइनेंसियल मार्केट के प्रमुख Stock market participants कहलाते हैं। शेयर मार्केट पार्टिसिपेंट्स में दो सर्वोपरि प्रकार हैं- 
  1. शेयर खरीदने वाले 
  2. शेयर बेचने वाले
हालाँकि शेयर मार्केट के अन्य पार्टिसिपेंट्स भी होते हैं। जो शेयर मार्केट को चलाने के लिए जरूरी होते हैं। 

शेयर मार्केट के अन्य निम्नलिखित पार्टिसिपेंट्स भी होते हैं-

स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध कंपनियाँ: शेयर मार्केट में सूचीबद्ध कंपनियाँ देश के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों की संदर्भित करती हैं। ट्रेडर्स इन कंपनियों के स्टॉक्स को खरीद-बेच सकते हैं और वित्तीय रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 6000 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं। 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 74000 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कंपनियों की सूची में समय-समय पर परिवर्तन होता रहता है। सेंसेक्स और निफ़्टी के बारे में जानें। किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले इन्वेस्टर्स को उसके बारे में रिसर्च करना चाहिए। 

उस शेयर के फ्यूचर के स्कोप के बारे में भी सटीक अनुमान लगाने की कोशिश करनी चाहिए। किसी भी शेयर का प्राइस भविष्य में कितना रिटर्न दे सकता है? इसकी जानकारी करने के लिए आप स्टॉकब्रोकर्स की रिसर्च रिपोर्ट की मदद भी ले सकते हैं।  

Stock market Regulators: स्टॉक मार्केट रेगुलेटर्स (SEBI) को भारत सरकार ने इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के हितों की रक्षा करने के लिए नियुक्त किया है। शेयर मार्केट में कोई गड़बड़ी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित एक सरकारी निकाय है। इसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनमय बोर्ड, यानि The Securities and Exchange Board of India (SEBI) कहते हैं। 

सेबी भारतीय शेयर मार्केट को नियंत्रित करता है, उससे सम्बन्धित मुद्दों को उठाता है। स्टॉक मार्केट में कंपनियों को लिस्ट कराना और डीलिस्ट कराना भी SEBI की ही जिम्मेदारी है। जो कंपनियां निर्धारित समय पर अपना ऑडिट नहीं कराती हैं और कानून का पालन नहीं करती हैं। उनके खिलाफ कार्यवाही करने का भी सेबी को अधिकार है।

Stock Exchange: जहाँ स्टॉक एक्सचेंज नहीं होता, वहाँ शेयर मार्केट भी नहीं होता है। स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा माध्यम है, जहाँ इन्वेस्टर्स, ट्रेडर्स और स्टॉकब्रोकर स्टॉक्स, बांड्स और अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स को खरीद और बेच सकते हैं। हालाँकि इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स केवल उन्हीं कंपनियों के शेयरों को खरीद और बेच सकते हैं। जो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती हैं। इंडिया में सेबी स्टॉक एक्सचेंजों को नियंत्रित करता है। इंडिया में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं- 
  1. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( BSE )  
  2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( NSE ) 
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE): यह इंडिया का ही नहीं अपितु एशिया का भी सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। बीएससी की स्थापना 1875 में मुंबई में हुई थी। इस पर करीब 6000 कंपनियां सूचीबद्ध हैं, इसका सेंसेक्स सूचकांक भारतीय शेयर मार्केट की ग्रोथ को दर्शाता हैं। सेंसेक्स का मूल्यांकन BSE पर लिस्ट शीर्ष 30 कंपनियों के विकास को जोड़कर किया जाता है। 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है और यह पूरी तरह  इलेक्ट्रॉनिक भी है। यह सम्पूर्ण देश में संचालित होता है। इसका भी मुख्यालय भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में है। NSE में 7400 से अधिक कंपनियां लिस्ट हैं। Nifty 50 इसकी शीर्ष 50 कंपनियों का सूचकांक ( index ) है जो भारतीय शेयर मार्केट की दिशा और दशा को दर्शाता है। निफ़्टी फिफ्टी इंडेक्स NSE में सूचीबद्ध 50 कंपनियों का औसत से बना है। 

स्टॉक मार्केट निवेशक 

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वालों को इन्वेस्टर (निवेशक) कहा जाता है। जो भविष्य में रिटर्न कमाने की उम्मीद से शेयर मार्केट में निवेश करते है। इन्वेस्टर्स का मार्केट में निवेश करने का मुख्य उद्देश्य एक निश्चित अवधि में वेल्थ क्रिएट करना होता है। आमतौर पर इन्वेस्टर्स दो प्रकार के होते हैं- 
  1. एक्टिव इन्वेस्टर्स- एक्टिव इन्वेस्टिंग उन फंड्स में निवेश करते हैं। जिनके पोर्टफोलियो मैनेजर्स स्वतंत्र मूल्यांकन के आधार पर निवेश का चयन करते हैं। यानि सक्रिय इन्वेस्टर्स मार्केट में नियमित निवेश करते हैं। वे अपनी वेल्थ बढ़ने के लिए लगातार मार्केट में अवसरों की तलाश करते रहते हैं। NSE, BSE हॉलीडेज
  2. पैसिव इन्वेस्टर्स- यानि निष्क्रिय निवेश, ऐसी स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। जिसमे मार्केट को मात करने की कोशिश करने के बजाय स्टॉक्स को खरीदो और होल्ड करो की  स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। पैसिव इन्वेस्टर्स लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट में विश्वास करते हैं। ये मल्टीबैगर स्टॉक्स की  तलाश करते हैं और उनमें इन्वेस्ट करते हैं। 
  3. घरेलू संस्थागत निवेशक- यानि Domestic institutional Investors ( DII ) इनका एक विशेष वर्ग होता है। जो उस देश के म्यूच्यूअल फंड्स, बैंक, हेज फंड्स, पेंशन फंड्स, बीमा कंपनियाँ आदि में निवेश करते हैं जहाँ वे वर्तमान में रह रहे होते हैं। ये पूल फंड्स का उपयोग करते हैं और फाइनेंस मार्केट में ट्रेडिंग भी करते हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश का निर्णय राजनितिक और आर्थिक कारणों से प्रभावित होते हैं। 
  4. रिटेल निवेशक- रिटेल इन्वेस्टर्स वे इन्वेस्टर्स होते हैं, जो किसी संस्था या संगठन का प्रतिनिधित्व करने की बजाय व्यक्तिगत निवेश उद्देश्यों के लिए स्टॉक्स, म्यूच्यूअल फंड्स, और बांड्स आदि में निवेश करते हैं। ये स्टॉकब्रोकर की सहायता से मार्केट से बाइंग एंड सेलिंग करते हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स के पास अन्य इन्वेस्टर्स की तुलना में मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने के लिए  कम पैसा होता है। आईपीओ अलॉटमेंट स्टेटस
  5. एचएनआई- HNIs को हाई नेटवर्थ इंडीविजुवल भी कहा जाता है। एनएचआई ऐसे व्यक्ति होते हैं, जिनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता है। इंडिया में HNIs Investors को 5 करोड़ से ज्यादा की निवेश योग्य मनी वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
  6. एफआईआई- FII संस्थागत निवेशक होते हैं, ये भी भारतीय Stock market participants हैं। लेकिन ये भारतीय नागरिक नहीं होते हैं। इन्हें फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एफआईआई) के रूप में जाना जाता है। ये किसी भी देश के म्यूच्यूअल फंड्स हाउस, बीमा कंपनियाँ और पेंशन फंड्स हो सकते हैं। इनमें भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने की क्षमता होती है। चूँकि ये भारतीय कंपनियां नहीं होती हैं। इसलिए FIIs को SEBI में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। उसके नियमों का पालन करना होता है, इन्हें FPI के नाम से भी जाना जाता है। करेंसी की कीमत में बदलाव होने पर FII के पोर्टफोलियो में बड़ी मात्रा में मुनाफा और नुकसान होता है। 
  7. फाइनेंसियल इंस्टीटूशन- यानि वित्तीय संस्थान जिन्हें कभी-कभी बैंकिंग संस्थान भी कहा जाता है। जो विभिन्न प्रकार के वित्तीय मौद्रिक लेनदेन के लिए मध्यस्थ के रूप  में सेवाएं प्रदान करते हैं। फाइनेंशियल इंस्टीटूशन के अंतर्गत बैंक, ब्रोकरेज फर्म, इन्वेस्टमेंट डीलर्स आदि आते हैं। 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' का सारांश
  8. कंपनियां,सोसायटी और ट्रस्ट- कंपनियां निवेशक के रूप में भी भाग ले सकतीं हैं, उन कंपनियों में निवेश कर सकती हैं। जिनमें निवेश करके उन्हें प्रॉफिट हो सकता है। सोसायटी और ट्रस्ट व्यक्तियों के समूह होते हैं। जो Stock market में एक साथ निवेश करते हैं। इसी के लिए इनका गठन किया जाता है। 
  9. HUFs- एचयूअफ को हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के नाम से जाना जाता है। जो आमतौर पर एक ही पूर्वज की संतान होते हैं। जिनमे बेटे-बेटियाँ, पत्नियां सहित उनके वंशज शामिल होते हैं। इनका बैंक अकॉउंट भी HUFs के नाम से होता है। ये सभी कंपनियों में HUFs के नाम से शेयरहोल्डर होते हैं। 
  10. हेज फंड्स- हेज फंड्स एकत्रित फंड्स होते हैं, जिनके कर्मचारी अपने इन्वेस्टर्स को अच्छा रिटर्न देने के  लिए विभिन्न रणनीतियाँ बनाते हैं। जिसमें वे लॉन्ग-टर्म और शार्ट-टर्म ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी का उपयोग करते हैं। साथ ही हेज फंड्स अपने प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए जटिल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज भी बनाते हैं। 

Stock market Traders

ट्रेडर्स अपने लिए या किसी संस्था के लिए शेयर मार्केट में शेयरों को खरीदता और बेचता है। ट्रेडर्स बहुत कम समय  के लिए अपनी पोजीशन को होल्ड करते हैं। ट्रेडर्स शार्ट टाइम फ्रेम trend से लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। यानि कि ट्रेडर्स वह व्यक्ति होते हैं जो अपने लिए या ब्रोकरेज फर्म, बैंक या किसी हैज फंड के लिए उसके बिहाफ पर ट्रेडिंग करते हैं।

ट्रेडर्स मुनाफा कमाने के लिए कई प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का प्रयोग करते हैं। जिनमें स्विंग ट्रेडिंग, स्कैल्पिंग और डे ट्रेडिंग आदि शामिल हैं। ट्रेडर्स की तुलना उन इन्वेस्टर्स से की जाती है, जो शार्ट-टर्म प्रॉफिट के बजाय लॉन्गटर्म प्रॉफिट कमाते हैं। ट्रेडर्स ऐसे Stock market participants हैं, जो शेयर मार्केट लिक्विडिटी प्रदान करते हैं। शार्ट-टर्म ट्रेडिंग में सफल होने के लिए ट्रेडर्स को टेक्निकल एनालिसिस और बिहेवरियल एनालिसिस में निपुण होना चाहिए। साथ ही स्टॉक मार्केट का एक्सपर्ट भी होना चाहिए। 

Market Makers: मार्केट मेकर्स स्टॉक मार्केट को लिक्विडिटी प्रदान करते हैं, क्योंकि ये बहुत बड़ी संख्या में यानि बार-बार स्टॉक्स खरीदते और बेचते हैं। ट्रेडर्स भी व्यक्तिगत ट्रेडर्स और किसी अन्य फाइनेंशियल फर्म के कर्मचारी के रूप में भी हो सकते हैं। मार्केट मेकर्स बिड-आस्क प्राइस के अनुसार बहुत जल्दी-जल्दी और बहुत ही छोटे प्रॉफिट के लिए ट्रेडिंग करते हैं।

Algorithmic Traders: अल्गोरिथमिक ट्रेडर्स कम्प्यूटर्स का यूज करके ऑटोमेटिक ट्रेडिंग सिस्टम बनाते हैं। जो पहले से स्थापित क्राइटेरिया के अनुसार स्टॉक्स को खरीदता और बेचता है। इसे अल्गो ट्रेडिंग भी कहते हैं, इसके क्राइटेरिया में टेक्निकल इंडीकेटर्स, स्टेटिकल आर्बिट्रेज और अन्य मात्रात्मक कारक शामिल होते हैं। 

StockBrokers: स्टॉक ब्रोकर फाइनेंशियल व्यक्ति होते हैं, जो स्टॉक मार्केट में ग्राहकों की ओर से उनके आर्डर एक्जिक्यूट या निष्पादित करते हैं। स्टॉक ब्रोकर को एक पंजीकृत प्रतिनिधि (RR) या एक निवेश सलाहकार के नाम से भी जाना जाता है।

अधिकांश स्टॉक ब्रोकर ब्रोकरेज फर्म के लिए काम करते हैं और व्यक्तिगत तथा संस्थागत ग्राहकों के लिए भी मार्केट में स्टॉक्स खरीदते और बेचते हैं। स्टॉक ब्रोकर कमीशन के आधार पर अपने ग्राहकों के भुगतान लेते हैं। हालाँकि कमीशन राशि अलग-अलग हो सकती है। दो तरह के स्टॉक ब्रोकर होते हैं - 
  1. फूल सर्विस ब्रोकर- यानि पूर्ण-सेवा ब्रोकर शेयर खरीदने और बेचने के आलावा। अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग की सलाह भी देते हैं। 
  2. डिस्काउंट ब्रोकर- डिस्काउंट ब्रोकर अपने ग्राहकों को किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग की कोई सलाह नहीं  देते हैं। स्टॉक ब्रोकर और फीस के बारे में ज्यादा जानने के लिए ये आर्टिकल जरूर पढ़ें। 

उपर्युक्त कुछ प्रमुख Stock market participants के प्रकार हैं। इनके बीच की परस्पर क्रिया स्टॉक मार्केट को गतिशील और मार्केट के वातावरण जटिल बनाती है। क्योंकि प्रत्येक मार्केट पार्टिसिपेंट का मार्केट पर अलग दृष्टिकोण और उद्देश्य होता है। Market participants शेयर मार्केट की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली और लिक्विडिटी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 

उम्मीद है, आपको यह शेयर मार्केट सहभागी/पार्टिसिपेंट्स कितने प्रकार के होते हैं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Market participants in Stock market in Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो। इसे  दोस्तों  दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। इस आर्टिकल के सम्बन्ध में आपके कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। 

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