फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस में क्या अन्तर है?
फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस (analysis) में शेयरों के एनालिसिस का कौन सा तरीका ज्यादा बेहतर है। यह हमेशा बहस का विषय रहा है क्योंकि ज्यादा रिटर्न के लिए निवेशक शेयर मार्केट में निवेश करते हैं। वे ऐसे stocks को खरीदते हैं, जिनके प्राइस भविष्य में ज्यादा बढ़ने की उम्मीद होती है। तथा ऐसे शेयरों को बेच देते हैं, जिनके भाव बढ़ने की उम्मीद नहीं होती।
निवेशक ऐसे शेयरों में भी invest करना पसंद नहीं करते जिनके प्राइस स्थिर रहने की आशंका होती है। ऐसे Share/stocks की पहचान करने के लिए फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं- फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस (Fundamental analysis vs technical analysis) में क्या अन्तर है? Fundamental analysis vs technical analysis का तुलनात्मक वर्णन।
मल्टीबैग स्टॉक्स कैसे खोजें और कब उनमें निवेश करें तथा कब प्रॉफिट बुक करें यह जानने के लिएआप को बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलीजेंट इन्वेस्टर बुक को जरूर पढ़ना चाहिए।
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के अलग-अलग तरीके होते हैं। टेक्निकल तथा फंडामेंटल एनालिसिस दोनों का प्रयोग कमोडिटी, बॉन्ड, फोरेक्स तथा इक्विटी मार्केट में भी होता है। इस पोस्ट में हम समझाने के उद्देश्य से केवल शेयर मार्केट का जिक्र कर रहे हैं।
Fundamental analysis क्या है?
Fundamental analysis के द्वारा कम्पनी का मूल्यांकन करके उसके शेयर की Intrinsic value निकाली जाती है। इसमें कम्पनी की सभी सम्पत्तियों तथा देनदारियों को देखकर कम्पनी की नेट वैल्यू निकाली जाती है। फिर इसके आधार पर कम्पनी के शेयर की कीमत का अनुमान लगाया जाता है। कई बार विश्लेषक यह भी देखते हैं कि कम्पनी की डिविडेंड पॉलिसी क्या है?
यदि कम्पनी साल दर साल डिविडेंड देती है तो इसका मतलब कम्पनी केश जेनरेशन कर रही है। इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि कम्पनी इन्वेस्टर फ्रेंडली है। फंडामेंटल एनालिसिस में इन तरीकों से अनुमान लगाया जाता है कि कम्पनी निवेश करने योग्य है या नहीं।
Fundamental analysis के द्वारा शेयरों की वैल्यू के बारे में अनुमान लगाया जाता है। विशेषकर अंडरवैल्यू कम्पनियों के बारे में जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा दूसरे बाजारों जैसे कि कमोडिटी तथा करेंसी का भी एनालिसिस किया जा सकता है। किसी भी कंपनी का fundamental analysis करने के लिए निम्नलिखित टूल्स का प्रयोग किया जाता हैं -
Fundamental analysis के द्वारा शेयरों की वैल्यू के बारे में अनुमान लगाया जाता है। विशेषकर अंडरवैल्यू कम्पनियों के बारे में जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा दूसरे बाजारों जैसे कि कमोडिटी तथा करेंसी का भी एनालिसिस किया जा सकता है। किसी भी कंपनी का fundamental analysis करने के लिए निम्नलिखित टूल्स का प्रयोग किया जाता हैं -
- The True Value of Stocks
- Earnings
- Profit Margin
- Price To Earnings
- Price To Book
- Price/Earning To Growth (PEG)
- Return To Equity (ROE) टाटा पावर
Earnings: किसी भी कम्पनी में निवेश करने से पहले निवेशक उसकी कमाई देखते हैं। क्योंकि कम्पनी की earnings के द्वारा ही उसके भविष्य की ग्रोथ की संभावनाओं को समझा जा सकता है। इसी से भविष्य में कम्पनी के शेयर की प्राइस तय होती है।
Profit Margin: प्रॉफिट मार्जिन, कंपनी के लाभ (सभी खर्चों को काटकर) का अनुपात है। जो कंपनी के रेवन्यू से डिवाइड होता है। प्रॉफिट मार्जिन बिक्री से हुए लाभ की तुलना करता है। दस प्रतिशत प्रॉफिट का मतलब है कि कंपनी प्रत्येक रूपये के रेवेन्यू पर दस पैसे कमा रही है। Warren Buffet biography
Return On Equity (ROE): ROE यानि इक्विटी पर रिटर्न, कम्पनी की एसेट से देनदारियों (liabilities) को घटाने के बाद जो रिटर्न मिलता है। उसे ROE कहते हैं। ROE यह भी मापता है कि शेयरहोल्डर्स के खर्च हुए प्रत्येक रूपये पर कितना प्रॉफिट उत्पन्न हुआ। ROE एक मीटर है, जोकि पता लगाती है। कम्पनी रिटर्न उत्पन्न करने के लिए अपनी इक्विटी का कितना अच्छा उपयोग करती है। ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग सीखें?
Price-To-Earning Ratio (P /E ratio): कम्पनी का P/E रेश्यो निकलने के लिए शेयर की वर्तमान प्राइस को उसके earning per share (EPS) से डिवाइड करके P/E रेश्यो निकाल लिया जाता है। यदि किसी कम्पनी का P/E रेश्यो हाई है, तो इसका मतलब earnings के मुकाबले इसके शेयर की प्राइस ज्यादा है। अगर शेयर ओवरवैल्यू है, ऐसे शेयर में निवेश से बचना चाहिए।
Price-To-Book (P/B रेश्यो): इसमें कंपनी के वर्तमान मार्किट प्राइस की तुलना उसके बुक वैल्यू (बुक वैल्यू के अंतर्गत कम्पनी की सभी संम्पतियों का मूल्य जुड़ा होता है) से की जाती है। P/B रेश्यो से हम यह समझ सकते हैं कि यदि कंपनी दिवालिया हो जाती है तो उसकी शेष कीमत क्या होगी?
Price/Earnings-To-Growth (PEG): PEG रेश्यो निकालने के लिए कम्पनी के P/E रेश्यो को उसके बारह महीने की संभावित ग्रोथ रेट से डिवाइड कर देने कंपनी का PEG रेश्यो निकल आता है। यदि किसी कम्पनी का PEG रेश्यो उसके P/E रेश्यो से हाई है। तो इसका मतलब उसका शेयर ओवरवैल्यू है। यदि किसी कंपनी का PEG रेश्यो उसके PE .रेश्यो से कम है तो इसका मतलब उसका शेयर अंडरवैल्यू है। BSE तथा NSE
Technical analysis क्या है?
Technical analysis एक कार्यविधि है जिसके द्वारा शेयर के price trend का अनुमान लगाया जाता है। शेयर के प्राइस ऊपर की तरफ चलेगें या नीचे की तरफ गिरेंगे। इसके द्वारा ट्रेडिंग और निवेश की संभावनाओं को खोजा जाता है। टेक्निकल एनालिसिस शेयर के पुराने ट्रेडिंग डाटा, प्राइस मूवमेंट और वॉल्यूम के आधार पर करते हैं।
Technical analysis के अंतर्गत ज्यादातर निम्नलिखित इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है-
Technical analysis के अंतर्गत ज्यादातर निम्नलिखित इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है-
- Price trends
- Chart patterns
- Volume and momentum indicators
- Oscillators (E) Moving averages
- Support and resistance levels. पेनी स्टॉक्स
Price trends: Technical analysis के द्वारा stocks के price trends को आसानी से समझा जा सकता है। यदि स्टॉक प्राइस हायर-हाई बना रहा है तो इसका मतलब स्टॉक प्राइस uptrend में है। यदि स्टॉक प्राइस लोअर-लो बना रहा है तो इसका मतलब शेयर downtrend में है।
Chart patterns: चार्ट पैटर्न एक शेप होती जोकि शेयर के पिछले प्राइस चार्ट को दर्शाती है। इसकी सहायता से ट्रेडर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आगे शेयर के प्राइस किधर जा सकते हैं तथा ट्रेडर उसी हिसाब से शेयर में पोजीशन बना सकते हैं। चार्ट पैटर्न के द्वारा ट्रेडर्स share price का अनुमान लगा सकते हैं।
Volume and momentum indicators: Volume indicators आपको यह बताते हैं कि कैसे शेयर के ट्रेडिंग वॉल्यूम समय-समय पर कम या ज्यादा होता रहता है। वॉल्यूम इंडिकेटर मैथमेटिकल फार्मूला होते हैं तथा इन्हे चार्ट पर प्रदर्शित किया जाता है। प्रत्येक इंडिकेटर के अंदर अलग फार्मूला अपनाया जाता है। ट्रेडर को अपने हिसाब से बेस्ट इंडीकेटर्स का उपयोग करना चाहिए।
Momentum indicators एक टेक्निकल एनालिसिस टूल है, जो शेयरों की कीमत में वृद्धि और गिरावट की दर को मापते हैं। RSI और MACD आदि कुछ मोमेंटम इंडीकेटर्स के उदाहरण हैं।
Oscillators: Technical analysis में यूज़ किये जाने वाले ऑसिलेटर्स भी मोमेंटम इंडीकेटर्स ही हैं इसमें शेयर प्राइस के उतार-चढ़ाव ऊपरी और निचले बैंड से बंधे होते हैं। जब शेयर की कीमत ऑसिलेटर्स के बैंड के पास पहुँचती है तब ये ट्रेडर्स को ओवरबॉट तथा ओवरसोल्ड का सिग्नल देते हैं।
Moving average: मूविंग एवरेज एक ट्रेन्ड इंडीकेटर् है, जिसका उपयोग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स stocks के प्राइस ट्रेंड की दिशा का पता लगाने के लिए करते हैं। इसे निकलने के लिए शेयरों के एक निश्चित समय के औसत क्लोजिंग प्राइस के बिंदुओं को जोड़कर समय अवधि से डिवाइड करके मूविंग एवरेज प्राइस निकाला जाता है। जिसकी सहायता से stocks में ट्रेडिंग के अवसरों की पहचान की जाती है।
Support and Resistance levels: शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल शेयर प्राइस के पूर्व निर्धारित लेवल होते हैं। सपोर्ट लेवल वह एरिया होता है, जहाँ से शेयर प्राइस गिरना बंद कर देते हैं। इसी तरह रेजिस्टेंस लेवल वह एरिया होते हैं जहाँ से शेयर प्राइस और चढ़ना बंद कर देते हैं। Support & resistance (S &R) चार्ट पर एक विशिष्ट बिंदु होते हैं। जिनसे उम्मीद की जाती है कि वह इन बिंदुओं पर ज्यादातर buying और selling को आकर्षित करेगें, ऐसा होता भी है।
Technical analysis के अंतर्गत शेयर के चार्ट को देखकर उसकी भविष्य की कीमत का अनुमान लगाया जाता है। चार्ट पैटर्न अक्सर खुद को दोहराते रहते हैं क्योंकि ट्रेडर समान परिस्थितियों में हमेशा एक जैसा व्यवहार करते हैं। technical analysis शेयर प्राइस और डाटा पर आधारित होता है।
Fundamental analysis के दौरान कंपनी की बैलेंस शीट का अध्ययन करके लॉन्ग-टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट किया जाता। है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर की डिमांड और सप्लाई का चार्ट पर अध्ययन करके शार्ट-टर्म के लिए ट्रेडिंग की जाती है।
दोनों में कौन ज्यादा बेहतर है इसका निर्णय तो इनका उपयोग करने वाले लोग ही ले सकते हैं। क्योंकि सबकी अपनी अपनी पसंद और जरूरत होती है। वैसे निवेश के लिए फंडामेंटल एनालिसिस तथा ट्रेडिंग लिए टेक्निकल एनालिसिस अच्छा माना जाता है।
प्रिय पाठकों, उम्मीद है आपको फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस (Fundamental analysis vs technical analysis) में क्या अन्तर है? आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। मेरी यही कोशिश रहती जो भी लिखूँ ज्ञानवर्धक लिखूँ। Fundamental analysis vs technical analysis ऐसी ही इन्फॉर्मेशनल पोस्ट पढ़ने लिए इस साइट को कृपया सब्सक्राइब जरूर करें ।
Chart patterns: चार्ट पैटर्न एक शेप होती जोकि शेयर के पिछले प्राइस चार्ट को दर्शाती है। इसकी सहायता से ट्रेडर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आगे शेयर के प्राइस किधर जा सकते हैं तथा ट्रेडर उसी हिसाब से शेयर में पोजीशन बना सकते हैं। चार्ट पैटर्न के द्वारा ट्रेडर्स share price का अनुमान लगा सकते हैं।
Volume and momentum indicators: Volume indicators आपको यह बताते हैं कि कैसे शेयर के ट्रेडिंग वॉल्यूम समय-समय पर कम या ज्यादा होता रहता है। वॉल्यूम इंडिकेटर मैथमेटिकल फार्मूला होते हैं तथा इन्हे चार्ट पर प्रदर्शित किया जाता है। प्रत्येक इंडिकेटर के अंदर अलग फार्मूला अपनाया जाता है। ट्रेडर को अपने हिसाब से बेस्ट इंडीकेटर्स का उपयोग करना चाहिए।
Momentum indicators एक टेक्निकल एनालिसिस टूल है, जो शेयरों की कीमत में वृद्धि और गिरावट की दर को मापते हैं। RSI और MACD आदि कुछ मोमेंटम इंडीकेटर्स के उदाहरण हैं।
Oscillators: Technical analysis में यूज़ किये जाने वाले ऑसिलेटर्स भी मोमेंटम इंडीकेटर्स ही हैं इसमें शेयर प्राइस के उतार-चढ़ाव ऊपरी और निचले बैंड से बंधे होते हैं। जब शेयर की कीमत ऑसिलेटर्स के बैंड के पास पहुँचती है तब ये ट्रेडर्स को ओवरबॉट तथा ओवरसोल्ड का सिग्नल देते हैं।
Moving average: मूविंग एवरेज एक ट्रेन्ड इंडीकेटर् है, जिसका उपयोग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स stocks के प्राइस ट्रेंड की दिशा का पता लगाने के लिए करते हैं। इसे निकलने के लिए शेयरों के एक निश्चित समय के औसत क्लोजिंग प्राइस के बिंदुओं को जोड़कर समय अवधि से डिवाइड करके मूविंग एवरेज प्राइस निकाला जाता है। जिसकी सहायता से stocks में ट्रेडिंग के अवसरों की पहचान की जाती है।
Support and Resistance levels: शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल शेयर प्राइस के पूर्व निर्धारित लेवल होते हैं। सपोर्ट लेवल वह एरिया होता है, जहाँ से शेयर प्राइस गिरना बंद कर देते हैं। इसी तरह रेजिस्टेंस लेवल वह एरिया होते हैं जहाँ से शेयर प्राइस और चढ़ना बंद कर देते हैं। Support & resistance (S &R) चार्ट पर एक विशिष्ट बिंदु होते हैं। जिनसे उम्मीद की जाती है कि वह इन बिंदुओं पर ज्यादातर buying और selling को आकर्षित करेगें, ऐसा होता भी है।
Fundamental Analysis VS Teachnical Analysis
सबसे महत्वपूर्ण अंतर् तो दोनों में value और price का है। क्योंकि फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी की वैल्यू पर विचार किया जाता है तथा कंपनी की वैल्यू उसकी संपत्ति के मूल्य और उसके मुनाफे पर निर्भर होती है। फंडामेंटल विश्लेषक कंपनी में निवेश करते उसके शेयर की वैल्यू तथा उसके वर्तमान बाजार भाव को बहुत अधिक महत्व देते हैं। आर्थिक मंदीTechnical analysis के अंतर्गत शेयर के चार्ट को देखकर उसकी भविष्य की कीमत का अनुमान लगाया जाता है। चार्ट पैटर्न अक्सर खुद को दोहराते रहते हैं क्योंकि ट्रेडर समान परिस्थितियों में हमेशा एक जैसा व्यवहार करते हैं। technical analysis शेयर प्राइस और डाटा पर आधारित होता है।
Fundamental analysis के दौरान कंपनी की बैलेंस शीट का अध्ययन करके लॉन्ग-टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट किया जाता। है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर की डिमांड और सप्लाई का चार्ट पर अध्ययन करके शार्ट-टर्म के लिए ट्रेडिंग की जाती है।
दोनों में कौन ज्यादा बेहतर है इसका निर्णय तो इनका उपयोग करने वाले लोग ही ले सकते हैं। क्योंकि सबकी अपनी अपनी पसंद और जरूरत होती है। वैसे निवेश के लिए फंडामेंटल एनालिसिस तथा ट्रेडिंग लिए टेक्निकल एनालिसिस अच्छा माना जाता है।
प्रिय पाठकों, उम्मीद है आपको फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस (Fundamental analysis vs technical analysis) में क्या अन्तर है? आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। मेरी यही कोशिश रहती जो भी लिखूँ ज्ञानवर्धक लिखूँ। Fundamental analysis vs technical analysis ऐसी ही इन्फॉर्मेशनल पोस्ट पढ़ने लिए इस साइट को कृपया सब्सक्राइब जरूर करें ।
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