मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर कैसे लगायें? Limit order & market order |
शेयर मार्केट से शेयर खरीदने और बेचने के लिए ऑर्डर देना पड़ता है। शेयर खरीदने और बेचने के ऑर्डर दो प्रकार के होते हैं- मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर। मार्केट ऑर्डर किसी स्टॉक को तुरंत खरीदने या बेचने का निर्देश होता है।
जबकि लिमिट ऑर्डर किसी स्टॉक को इन्वेस्टर द्वारा दिए गए किसी विशेष प्राइस पर खरीदने या बेचने का निर्देश होता है। आइये विस्तार से जानते हैं- शेयर buy और sell करने के लिए मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर कैसे लगायें? Whar is market order and limit order in Groww app. in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको वैभव खरे द्वारा लिखित बुक शून्य से सीखें शेयर बाजार जरूर पढ़नी चाहिए।
शेयर buy, sell order क्या है?
आजकल ज्यादातर शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग ऑनलाइन होती है। इसके लिए मार्केट में बहुत सारे ट्रेडिंग एप आ गए हैं। अतः शेयर खरीदने और बेचने के लिए ट्रेडिंग एप पर ऑर्डर लगाना आम बात है। यह ऑर्डर भी कई प्रकार के होते हैं। जब भी शेयर मार्केट की बात होती है तो सबसे महत्वपूर्ण होता है। कि आप शेयर buy or sell करने के लिए कैसा ऑर्डर प्लेस करना चाहते हैं?
ऑर्डर प्लेस करने के लिए आपके पास कई ऑप्शन होते हैं। किन्तु शेयर खरीदने और बेचने के लिए मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। लेकिन इन दोनों ऑर्डर्स के बीच में अंतर होता है। आपका यह जानना भी बेहद जरूरी है कि शेयर buy-sell करते समय किस माहौल में आपको कौन सा ऑर्डर प्लेस करना चाहिए? market order या limit order,
शेयर खरीदने और बेचने से पहले आपको पता होना चाहिए। शेयर मार्केट कैसे काम करता है? एक स्टॉक एक्सचेंज होता है जहाँ पर यह शेयर buy-sell का लेनदेन होता है। आप स्टॉक एक्सचेंज की तुलना एक सब्जी मंडी से भी कर सकते हैं। जब भी आप एक मंडी में जाते हैं, वहाँ पर प्रत्येक सब्जी का एक प्राइस होता है।
बहुत सारे लोग सब्जी खरीदने वाला होते हैं जो पैसा देते हैं। सब्जी बेचने वाले लोगों को पैसा मिलता है और वह सब्जी को डिलीवर करते हैं। जब यह लेनदेन होता है तो एक ऑर्डर (Transection) कम्प्लीट हो जाता है। इसी तरह share market में भी इसी तरह लेनदेन होता है। लेकिन यहाँ पर जो लेनदेन होता है वह शेयरों का होता है या पैसे का होता है। स्ट्रैडल ऑप्शन
यानि की एक पार्टी पैसा देती है और शेयर लेती है। दूसरी वाली पार्टी को पैसा मिलता है और वह शेयर की डिलीवरी करती है, यानि शेयर बेचती है। जब भी किसी ऑर्डर की बात होती है तो मार्केट में बहुत से ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स सक्रिय होते हैं। जिनमें से कुछ को शेयर खरीदने वाले होते हैं जबकि कुछ को शेयर बेचने होते हैं।
जब दोनों लोग एक समान प्राइस पर सहमत हो जाते हैं तो उनका order सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है। यानि की शेयर खरीदने वाले को शेयर मिल जाते हैं और शेयर बेचने वाले को पैसे मिल जाते हैं। आपने stock market में देखा होगा की प्रत्येक शेयर किसी न किसी price पर ट्रेड करता रहता है। पिवोट पॉइंट
उदाहरण जैसे की NHPC का शेयर प्राइस 100 रूपये पर trade कर रहा है और एक सैकेंड के अंदर उसका प्राइस चेंज होकर 101, 102 या 99, 98 पर चला जाता है। यानि की प्राइस में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता रहता है। ऐसा तब होता है, जब शेयर मार्केट बहुत ज्यादा वोलेटाइल होता है।
Market Order कैसे काम करता है?
जब आप शेयर को खरीदने के लिए एक मार्केट ऑर्डर प्लेस करते हो। तब ग्रो के ट्रेडिंग एप पर या अन्य किसी एप पर BUY के बटन को सलेक्ट करना पड़ता है। इसके बाद आपको डिलीवरी और इंट्राडे में से किसी एक ऑप्शन को चुनना चाहिए। अब आप जितनी संख्या में शेयर खरीदना चाहते हैं।
मान लो आप NHPC के 50 शेयर खरीदना चाहते हैं। तो 50 की संख्या सामने दिए कॉलम में डाल देनी चाहिए। उसके बाद यदि आप मार्केट ऑर्डर प्लेस करना चाहते हैं तो नीचे लिखे At Market के ऑप्शन को आपको सलेक्ट करना चाहिए। इस तरह मार्केट ऑर्डर लग जाता है।
जब market buy order स्टॉक एक्सचेंज में जाता है। तो इसका मतलब उस वक्त अवेलेबल बेस्ट sell order पर शेयर खरीदकर बेचा जाता है। इस तरह उस समय पर यह ट्रांसेक्शन हो जाता है। मान लो आपको Market order लगाते समय शेयर का 100 रूपये प्राइस दिख रहा था। किन्तु आपका मार्केट ऑर्डर जब एग्जिक्यूट हुआ। तब तक शेयर का प्राइस 102 रूपये पर पहुंच जाता है। तो आपका ऑर्डर 102 रूपये पर ही एक्जिक्यूट होगा।
मार्केट ऑर्डर का मतलब होता है कि किसी भी प्राइस पर आपको वह पर्टिकुलर शेयर चाहिए। अतः मार्केट ऑर्डर एक्सचेंज में जाता है और एग्जियूट हो जाता है। बाद में आपको पता चलता है कि आपका market order किस प्राइस पर एग्जियूट हुआ है। इस तरह शेयर बाजार में मार्केट ऑर्डर प्लेस किया जाता है। कैंडलस्टिक चार्ट कैसे पढ़ें?
जिसके बाद आपके ऑर्डर का ट्रांजेक्शन कम्प्लीट हो जाता है। इसके बाद आपको आपका एवरेज buy प्राइस बता दिया जाता है। मार्केट ऑर्डर के बारे में कभी भी जरूरी नहीं होता है कि आपको जो प्राइस दिख रहा है। उसी पर आपको शेयर मिल जाएँ। जब तक मार्केट ऑर्डर एक्जिक्यूट नहीं होगा। तब तक आपको आपका buy price नहीं पता चलता है।
Limit Order कैसे काम करता है?
आप जब भी लिमिट ऑर्डर प्लेस करते हैं, इसमें आपको केवल दो इनपुट देने पड़ते हैं। BUY के बटन को सलेक्ट करने के बाद आपको जितने शेयर खरीदना चाहते हैं उनकी संख्या सामने दिए कॉलम में लिख देनी चाहिए। मान लो आप 100 शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको उसमें 100 लिख देना है। ईएमए
दूसरा इनपुट आपको शेयर प्राइस का देना होता है। Limit Order के लगाते समय ट्रेडर बताता है कि वह किस प्राइस पर शेयर खरीदना चाहता है। यदि आप 100 रूपये प्रति शेयर के प्राइस पर शेयर खरीदना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको Price Limit सलेक्ट करना होगा।
इसके बाद सामने दिए कॉलम में आप जिस प्राइस पर शेयर खरीदना चाहते हैं। उस प्राइस यानि 100 डालकर ऑर्डर प्लेस कर देना चाहिए। इस तरह आपका ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज पर प्लेस कर दिया जायेगा। लिमिट ऑर्डर आपके डाले हुए प्राइस पर ही एक्जिक्यूट होता है। जब तक आपके ऑर्डर का प्राइस 100 रूपये पर नहीं आएगा।
तब तक आपका limit order एक्जिक्यूट नहीं होगा। लिमिट ऑर्डर लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है। आपको अपने पसंद के प्राइस में share मिल जाता है। हालाँकि अगर आप ज्यादा कम प्राइस का लिमिट buy ऑर्डर देगें तो इसके कम चांस है कि आपका ऑर्डर एक्जिक्यूट हो पाए। स्टॉप लॉस ऑर्डर
इसमें कभी-कभी ऐसा भी होता है कि शेयर का प्राइस आपके लिमिट ऑर्डर प्राइस 100 पर भी आया। लेकिन आपका ऑर्डर एक्जिक्यूट नहीं हुआ। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप जैसे अन्य ट्रेडर्स के लिमिट प्राइस ऑर्डर भी आपके समान प्राइस पर पहले से लगे रहते हैं।
इस स्थिति में सबसे पहले लगे ऑर्डर सबसे पहले एक्जिक्यूट होते हैं। यह क्रम ट्रेडिंग सेशन के दौरान लगातार इसी तरह लगातार चलता रहता है। अतः आपका लिमिट ऑर्डर भी अपने नंबर पर ही एग्जिक्यूट होगा। ट्रेंड कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स
Market Order एंड Limit Order में अन्तर
मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर में सबसे बड़ा अंतर यह है। मान लो यदि आपने 100 रूपये के प्राइस पर लिमिट ऑर्डर लगाया है। शेयर का प्राइस 100 रूपये तक आया भी लेकिन आपका ट्रेड एक्जिक्यूट नहीं हुआ। Limit price में ऐसा तब होता है, जब 100 रूपये के प्राइस पर कम sell order लगे हैं तो हो सकता है। शेयर का प्राइस 100 को टच करने के बावजूद आपका सौदा पूरा ना हो पाए।
Market Order में आप जो सौदा डालते हो उसमें केवल जितने आप शेयर खरीदने या बेचने चाहते हैं। उनकी संख्या डालनी होती है। जबकि लिमिट ऑर्डर में आपको प्राइस और क्वांटिटी दोनों डालनी होती है। जिसमें यह भी बताया जाता है कि stock किस प्राइस पर खरीदना है और किस प्राइस पर बेचना है। ऑप्शन चैन
सामान्यतः Limit order लगाना अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसमें आपका ट्रेड आपके मन चाहे प्राइस पर ही एक्जिक्यूट होता है। अगर बहुत कम समय में Share market में बहुत ज्यादा वोलेटिलिटी हो जाती है। तो लिमिट ऑर्डर में आप नुकसान से बच जाते हैं। अगर शेयर का प्राइस आपके ऑर्डर के प्राइस पर आ जाता है तो आपका सौदा पूरा हो जाता है।
मार्केट में अधिक वोलैटिलिटी होने पर मार्केट ऑर्डर लगाने पर आपका ऑर्डर बहुत ज्यादा प्राइस पर एक्जिक्यूट हो सकता है। जिससे आपको इस ट्रेड में नुकसान हो सकता है। Limit order लगाने पर मान लो आपके प्राइस पर शेयर का प्राइस नहीं आता है। अगर आपका ऑर्डर पूरे दिन में एक्जिक्यूट नहीं हो पाता है। तो ट्रेडिंग सेशन के अंत में आपका ऑर्डर ऑटोमेटिकली कैंसिल हो जायेगा। Stock brokers सामान्यतः लिमिट ऑर्डर को कैंसिल कर देते हैं।
उम्मीद है, आपको यह मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर (Limit order & market order) कैसे लगायें?
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