Exponential Moving Average: ईएमए (EMA) से शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी कैसे बनाये?
एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) एक वेटेड मूविंग एवरेज है, जो एक निश्चित अवधि (जैसे 10, 20,50 आदि) के दौरान शेयर प्राइस के ट्रेंड (Bullish or Bearish) को मापता है। ईएमए का उपयोग ट्रेडिंग में यह जानने के लिए किया जाता है कि शेयर प्राइस ऊपर जा रहा है या नीचे।
जिससे ट्रेडर्स को शेयर प्राइस भविष्य में किधर जा सकते हैं? इसका अनुमान लगाने में मदद मिलती है। आइये विस्तार से जानते हैं- ईएमए (एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज) शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी कैसे बनाये? EMA (Exponential Moving Average) trading strategy kaise banaye?
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मूविंग एवरेज को आप सभी स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी और क्रिप्टो ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में इस्तेमाल कर कर सकते हैं।
एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) क्या है?
ईएमए एक प्रकार का मूविंग एवरेज ही है, जो सिम्पल मूविंग एवरेज के ही समान है। सिवाय इसके की इसमें लेटेस्ट डाटा को ज्यादा महत्व दिया जाता है। EMA को (Exponential Moving Average) के नाम से भी जाना जाता है। यह मूविंग एवरेज SMA की तुलना में हाल ही में प्राइस में हुए परिवर्तन पर तेजी से प्रतिक्रिया देता है।
12 और 26 दिन के ईएमए शार्ट-टर्म एवरेज में सबसे ज्यादा लोकप्रिय EMAs हैं। इनका उपयोग मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेन्स (MACD) पर्सेंटेज प्राइस ऑसिलेटर जैसे इंडिकेटर बनाने के लिए किया जा सकता है। सामान्यतौर पर 50 दिन और 100 दिन के ईएमए का उपयोग लॉन्ग-टर्म ट्रेंड जानने के लिए किया जाता है।
ईएमए के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं- एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज में हाल के डेटा पॉइंट का अधिक वेटेज रहता है। जैसे यदि आप किसी शेयर का पाँच दिन का ईएमए निकलते हैं। तो इसमें पाँचवे दिन के प्राइस का वेटेज सबसे ज्यादा होगा और चौथे दिन के प्राइस का वेटेज पाँचवे दिन से कम होगा।
इसी तरह तीसरे दिन के प्राइस का वेटेज चौथे दिन के प्राइस से कम होगा और दूसरे दिन के प्राइस का वेटेज तीसरे दिन के प्राइस से कम होगा। EMA में गिरते क्रम में वेटेज कम होता जाता है। पहले दिन के प्राइस का वेटेज सबसे कम होगा।
ट्रेडर्स अक्सर अलग-अलग दिन के EMA का उपयोग करते हैं, जैसे 5, 10, 15, 20, 30, 50, 100, 200 दिन आदि। एवरेज प्राइस के सभी मूविंग एवरेज की तरह ही। यह टेक्निकल इंडिकेटर हिस्टोरिकल एवरेज प्राइस के आधार पर मूविंग एवरेज क्रॉसओवर और डाइवर्जेन्स के सिग्नल देता है। जिनका उपयोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है।
एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) की गणना
SMA की कमियों में सुधार करके ईएमए को बनाया गया है। इसमें सबसे नए प्राइस डेटा को ज्यादा वेटेज दिया जाता है और प्राइस में आने वाले स्पाइक्स को हटा दिया जाता है। नया डेटा पुराने की तुलना में अधिक प्रसांगिक होता है।
चूँकि ईएमए में नये डेटा को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसलिए ईएमए, SMA की तुलना में शेयर के प्राइस में होने वाले बदलाव के लिए अधिक तेजी से प्रतिक्रिया देता है।
EMA के केलकुलेशन में तीन चरण शामिल हैं, पहले चरण में SMA का केलकुलेशन शामिल है। इसमें जितने दिन और जिस शेयर का एसएमए निकालना चाहते हैं। शेयर के उतने दिन के लास्ट ट्रेडिंग प्राइस को जोड़कर और उतने ही दिनों की संख्या से भाग (Divided) कर दिया जाता है। आपको मूविंग एवरेज डाइवर्जेन्स ट्रेडिंग भी सीखनी चाहिए।
उदाहरण के लिए पाँच दिन का एसएमए निकलते हैं। स्टॉक के पिछले पाँच दिन का बंद होने का प्राइस को निम्नलिखित उदाहरण के द्वारा समझें
- पहला दिन- 77.15
- दूसरा दिन - 75.60
- तीसरा दिन- 74.85
- चौथा दिन- 78.30
- पाँचवा दिन- 76.40
लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि किसी खराब न्यूज की वजह से शेयर का प्राइस नीचे आया है। यहाँ पर मुख्य बिंदु यह है कि SMA को सरल किया जा सकता है। यदि प्राइस में अचानक आने वाले भारी उतार या चढ़ाव को हटा दिया जाय, यही EMA (Exponential Moving Average) कहलाता है।
यानि कि यदि आप SMA (Simple Moving Average) से स्पाइक को निकल दे तो ये गलत आईडिया नहीं है। इसी को ईएमए कहा जाता है। इसमें मोस्ट रीसेंट पीरियड के प्राइस को ज्यादा वेटेज दिया जाता है। यानि की यदि आप दस दिन का ईएमए निकाल रहे हैं तो उसमे दसवें दिन को सबसे ज्यादा वेटेज दिया जायेगा। कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न
नौवें दिन को उससे कम और आठवें दिन को नौवें दिन से कम वेटेज दिया जायेगा। इसी क्रम वेटेज कम होता जायेगा। EMA से पता चलता है कि वर्तमान में ट्रेडर्स क्या कर रहे हैं? बजाय इसके कि उन्होंने पिछले सप्ताह क्या किया।
EMA को एक निश्चित समय सीमा में शेयर के प्राइस ट्रेंड (trend) को जानने के लिए बनाया गया है। EMA की गणना में SMA (सिंपल मूविंग एवरेज) के गुणक को शामिल किया जाता है। मूविंग एवरेज रिबन में ट्रेडर्स एक साथ कई EMAs देख सकते हैं।
वैसे ईएमए को मैनुअली निकलने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि प्रत्येक चार्टिग सॉफ्टवेयर पर EMA को निकालने का टूल दिया होता है। सभी स्टॉकब्रोकर अपने ट्रेडिंग एप पर चार्टिग सॉफ्टवेयर अपने क्लाइंट्स को फ्री में उपलब्ध कराते हैं। EMA केलकुलेशन के लिए SMA की तुलना में अधिक ऑब्जरवेशन की आवश्यकता होती है।
EMA Vs SMA दोनों में कौन बेहतर है?
EMA (Exponential Moving Average)- यदि आप चाहते हैं कि मूविंग एवरेज जल्दी आने वाले प्राइस एक्शन को बताये तो शार्ट-टर्म ईएमए बेहतर है। ईएमए से आप शेयर के ट्रेंड को बहुत जल्दी पकड़ सकते हैं और इससे हाई प्रॉफिट प्राप्त करने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। साथ ही इससे आप प्राइस ट्रेंड को ज्यादा राइड कर सकते हैं।
ईएमए का का एक नुकसान यह है कि आप ईएमए यूज करके फेकआउट में भी फंस सकते हैं क्योंकि यह इतनी जल्दी प्रतिक्रिया देता है। आप समझेंगे कि ट्रेंड आ रहा है और शेयर के प्राइस बढ़ सकते हैं। फिर आपको पता चलेगा कि यह केवल एक स्पाइक था।
SMA (Simple Moving Average)- यदि आप एक ऐसा मूविंग एवरेज चाहते हैं जो स्मूथ और धीमे-धीमे प्राइस एक्शन को बताये तो आपके लिए लॉन्ग-टर्म ट्रेंड को जान्ने का सबसे अच्छा तरीका SMA है। लॉन्ग-टर्म टाइम फ्रेम को समझने के लिए एसएमए अच्छा तरीका है। हालाँकि यह प्राइस एक्शन के लिए धीमे रेस्पॉन्ड करता है इसलिए यह आपको फेकआउट से बचा सकता है।
SMA का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आपको शेयर के प्राइस ट्रेंड पकड़ने में देर हो सकती है और आप ट्रेड में सही एंट्री और एग्जिट से चूक सकते हैं। इस दोनों की तुलना आप खरगोश और कछुए से कर सकते हैं। जिसमे आप EMA को खरगोश और SMA को कछुआ समझ सकते हैं।
बहुत से ट्रेडर्स अलग-अलग MA को देखते हैं दोनों साइड की स्टोरी समझने के लिए। वे शेयर के ओवर-ऑल ट्रेंड (long term) को जानने के लिए SMA का यूज करते हैं और ट्रेड में सही एंट्री के लिए शॉर्ट-टर्म EMA का यूज करते हैं। मूविंग एवरेज के अनुसार कई ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बनाई जा सकती हैं।
ट्रेंड खोजने के लिए मूविंग एवरेज का प्रयोग कैसे करें?
जब किसी भी शेयर का प्राइस एक्शन मूविंग एवरेज के ऊपर होता है तो इसका मतलब प्राइस एक्शन अपट्रेंड में है। इसी तरह यदि प्राइस मूविंग एवरेज के ऊपर होता है तो इसका मतलब शेयर डाउनट्रेंड में है। कभी-कभी स्टॉक्स में किसी पॉजिटिव न्यूज की वजह से प्राइस ऊपर की तरफ जाता है। इसके विपरीत नेगेटिव न्यूज की वजह से शेयर के प्राइस में गिरावट होती है।
तब ट्रेडर्स सोचते हैं। यह शेयर को खरीदने का सही समय है, लेकिन जैसे ही न्यूज पुरानी हो जाती है। प्राइस वापस नीचे आ जाता है। जिसकी वजह से ट्रेडर्स को भारी नुकसान हो जाता है। किसी भी अपट्रेंड में शेयर का प्राइस फास्टर मूविंग एवरेज, स्लोवर मूविंग एवरेज से ऊपर होना चाहिए। क्रिप्टो माइनिंग
उदाहरण स्वरूप दस दिन का मूविंग एवरेज तीस दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर होना चाहिए। अपट्रेंड के समय स्लोवर मूविंग एवरेज (long-term) फास्टर मूविंग एवरेज (short-term) से ऊपर होना चाहिए।
Moving Average Crossover ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी
एक क्रॉसओवर तब आता है, जब फास्टर मूविंग एवरेज (शॉर्ट-टर्म), स्लोवर मूविंग एवरेज (लॉन्ग-टर्म) को ऊपर की तरफ क्रॉस करता है तब मूविंग एवरेज क्रॉसओवर आता है। जब लॉन्ग-टर्म 200 दिन का SMA अपट्रेंड में होता है तो इसका मतलब है कि मार्केट काफी मजबूत स्थिति में है।
सामान्यतः एक buy सिग्नल तब जैनरेट होता है, जब छोटी अवधि 50 दिन का मूविंग एवरेज, लम्बी अवधि के 200 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर हो जाता है। इसके विपरीत एक sell सिग्नल तब जैनरेट होता है, जब 50 दिन का SMA, 200 दिन के SMA के नीचे आ जाता है। एक बात का ध्यान रखें कि 50 दिन और 200 दिन के मूविंग क्रॉसओवर एक बहुत लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग स्ट्रैटजीज होती हैं।
SMA क्रॉसओवर
सबसे तेज पहला क्रॉसओवर एक चेतावनी के रूप में आता है कि ट्रेंड रिवर्सल आ सकता है। हालाँकि यहाँ पर buy sell का आर्डर प्लेस नहीं किया गया है। सबसे तेज SMA (10 दिन) का और सबसे धीमा क्रॉसओवर (50) का होता है। जिस पर buy sell के सिग्नल जैनरेट किये जाते हैं। एक साथ buying करने के बजाय प्रत्येक क्रॉसओवर पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में buying करनी चाहिए।
क्रॉसओवर के मीटिंग पॉइंट को शेयर में बाइंग (एंट्री) और सेलिंग (एग्जिट) के लिए प्रयोग करना चाहिए। SMA क्रॉसओवर वोलेटाइल मार्केट या स्टॉक्स में अच्छा कार्य करता है। जब स्टॉक एक रेंज में रहता है। तब उतना अच्छा कार्य नहीं करता है।
निष्कर्ष: मूविंग एवरेज के कई प्रकार होते हैं, लेकिन इसके दो महत्वपूर्ण प्रकार के होते हैं-
- EMA (Exponential Moving Average)
- SMA (Simple Moving Average)
EMA यूज करने से ट्रेंड का जल्दी पता चल जाता है, लेकिन इसमें आप फेकआउट में फंस सकते हैं क्योंकि फेकऑउट का पता नहीं चल पाता है। SMA, EMA की अपेक्षा धीरे-धीरे प्रतिक्रिया देता है और ये आपको स्पाइक्स और फेकऑउट से भी बचता है।
लेकिन SMA की धीमी प्रतिक्रिया करने के कारण आप ट्रेड में जल्दी एंट्री करने से चूक जाते हैं। इस वजह से ट्रेडर्स अच्छे ट्रेडिंग के मौकों से चूक सकते हैं। मूविंग एवरेज का यूज करके आप ये जान सकते हैं कि आपको ट्रेड में कब एंटर करना है और कब एग्जिट करना है।
इसका यूज करके आप सक्रिय सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल को जान सकते हैं। मूविंग एवरेज का एक सबसे अच्छा यूज यह है कि आप विभिन्न प्रकार से इनका यूज कर सकते हैं। जैसे कि शेयर प्राइस के लॉन्ग-टर्म प्राइस मूवमेंट और शॉर्ट-टर्म प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने के मौके ढूढे जा सकते हैं।
EMA का यूज करना आसान है लेकिन ये निर्णय कठिन है कि इसके किस पार्ट का यूज करना है। आपको इनके उसी प्रकार का यूज करना चाहिए, जिसमे आप सहज महसूस करें।
आशा है कि अब आप समझ गए होगें कि ईएमए क्या है और ईएमए शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी कैसे बनाये? अगर आपको यह EMA trading strategy kaise banaye? आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
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