ट्रेंड (Trend) और ट्रेंडलाइन क्या हैं? ट्रेंडलाइन ट्रेडिंग Trendline Trading) कैसे करें?

ट्रेंडलाइन्स आसानी से पहचानी जाने वाली रेखाएँ होती हैं, जिन्हें ट्रेडर्स प्राइस की एक सीरीज को चार्ट पर जोड़कर बनाते हैं। जिससे ट्रेडर प्राइस की दिशा (trend) का पता लगा सकते हैं। जिससे उन्हें यह पता चलता है कि उन्हें किस दिशा में (लॉन्ग या शार्ट) ट्रेड लेना चाहिए। जिससे वह प्रॉफिट कमाने में सफल हो सके। ट्रेंडलाइन प्राइस का trend देखने के लिए पिवट हाई के ऊपर और पिवट लो प्राइस के नीचे खींची जाने वाली लाइन होती है। 

ट्रेंडलाइन सभी टाइम फ्रेम में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को दर्शाती है, यह प्राइस की दिशा और गति को दर्शाती हैं। ट्रेंडलाइन प्राइस करेक्शन की अवधि में बनने वाले पैटर्न को भी दर्शाती है। विस्तार से जानते हैं- ट्रेंड (Trend) और ट्रेंडलाइन क्या हैं? ट्रेंडलाइन ट्रेडिंग Trendline Trading) कैसे करें? What is trend and Trendline in Hindi.  
                                                                                       
Trendline trading


चैनल भी Technical Analysis का एक महत्वपूर्ण टूल है। इसके द्वारा ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी और दूसरे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट को खरीदने और बेचने के लिए उनके सही प्राइस का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। 

Trendlines बनाने लिए आपको चार्ट पर दो टॉप प्राइस को, आपस  में कनेक्ट करते हुए एक लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दूसरी लाइन दो लो प्राइस (बॉटम) को कनेक्ट करते हुए खींचनी चाहिए। इस तरह ट्रेंडलाइन बन जाएगी। वर्तमान में कौन सा ट्रेंड चल रहा है यह भी आपको पता चल जायेगा। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल 

एक वेलिड ट्रेंडलाइन बनाने के लिए कम से कम दो टॉप या दो बॉटम को कनेक्ट करना बेहद जरूरी है। आप जितनी ज्यादा ट्रेंडलाइन खीचेंगे, यह उतनी ही कम विश्वसनीय होंगी और जल्दी टूटेंगी। हॉरिजोंटल सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल की तरह Trendlines जितनी बार टेस्ट की जाती हैं, यह उतनी ही ज्यादा मजबूत हो जाती हैं। 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कभी भी ट्रेंडलाइन को मन से फिट करके चार्ट पर नहीं लगाना चाहिए। यदि वे मार्केट के ट्रेंड के अनुरूप नहीं बैठती तो ऐसी ट्रेंडलाइन वेलिड नहीं होती हैं। कैंडलस्टिक पैटर्न  

ट्रेंड (Trend) कितने प्रकार के होते हैं? 

ट्रेंड निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं- 
  1. अपट्रेंड (Uptrend)- अपट्रेंड मार्केट में प्राइस मूवमेंट जिसमे प्रत्येक हाई प्राइस पिछले हाई प्राइस से ऊपर होता है और अगला लो प्राइस पिछले लो प्राइस से ऊपर होता है। 
  2. डाउनट्रेंड (downtrend)- डाउनट्रेंड मार्केट मूवमेंट जिसमे प्रत्येक अगला हाई प्राइस पिछले हाई से नीचे होता है और प्रत्येक अगला लो प्राइस पिछले लो प्राइस से नीचे होता है। 
  3. साइडवेट्रेंड (Sideway trend)- साइडवे मार्केट में प्राइस का मूवमेंट स्थिर रहता है। यानि की शेयर का अगला हाई प्राइस पिछले हाई प्राइस के बराबर होता है। इसी तरह शेयर का लो प्राइस पिछले लो प्राइस के बराबर होता है। साइडवे मार्केट में निचले प्राइस पर शेयर को खरीदकर और ऊपरी प्राइस पर शेयर को बेचकर स्केल्पिंग की जा  सकती है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स 

चैनल (Channels) 

चैनल भी Technical Analysis का एक महत्वपूर्ण टूल है। इसके द्वारा ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी और दूसरे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट को खरीदने और बेचने के लिए उनके सही प्राइस का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। आप चैनल की ऊपरी लाइन के पास आने पर शेयर को बेच सहते हैं और चैनल की निचली trendline पर शेयरों को खरीद सकते हैं।  

यदि आप Trendline थ्योरी को और दो कदम आगे ले जाना चाहते हैं। आपको अपट्रेंड के हाई पॉइंट के समानांतर एक लाइन खींचनी चाहिए और दूसरी लाइन डाउनट्रेंड के लो पॉइंट के समानांतर खींचनी चाहिए। इससे एक चैनल बन जायेगा, इस चैनल का उपयोग करके आप शेयर खरीदने और बेचने का सही निर्णय ले सकते हैं। 
                                                                                        



                                                                                    
चैनल टॉप और बॉटम अच्छी तरह दर्शाता है, जिससे आप सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के सामर्थ्य को अच्छे से समझ सकते हैं। Channels की ऊपरी लाइन रेजिस्टेंस को और निचली लाइन सपोर्ट को दर्शाती है। डाइवर्जेन्स  
Channels भी तीन प्रकार के  होते हैं- असेंडिंग चैनल, डिसेंडिंग चैनल, होरिजेंटल चैनल 

असेंडिंग चैनल (Ascending Channel) 

असेंडिंग चैनल में प्राइस एक्शन ऊपर की तरफ झुकी समानांतर लाइनों के बीच निहित होता है। इसमें प्राइस पैटर्न हायर हाई हायर लो (Higher high and higher lows) बनाता है। इसमें वर्तमान स्विंग लो प्राइस को जोड़ते हुए चैनल की निचली लाइन बनाई जाती है और वर्तमान हाई प्राइस को जोड़ते हुए चैनल की ऊपरी लाइन बनायीं जाती है। असेंडिंग चैनल अपट्रेंड में बनता है, इसमें ट्रेंडलाइन के बीच का स्थान चढ़ते हुए प्राइस एक्शन और असेंडिंग चैनल को दर्शाता है। स्टॉक चार्ट को कैसे समझें 
 

डिसेंडिंग चैनल (Descending Channel) 

डिसेंडिंग चैनल डाउनट्रेंड में बनता है, इसमें वर्तमान प्राइस एक्शन लोअर लो एंड लोअर हाई (Lower low and lower high) बनता है। इसमें भी वर्तमान प्राइस के लोअर हाई को जोड़कर ऊपरी लाइन बनायी जाती है तथा इसी के समानांतर निचली लाइन वर्तमान लोअर लो प्राइस को जोड़कर बनायीं जाती है। डिसेंडिंग चैनल डाउनट्रेंड को दर्शाता है। इसमें ट्रेंडलाइन के बीच का स्थान गिरते हुए प्राइस एक्शन और डिसेंडिंग चैनल को दर्शाता है। एसजीएक्स निफ़्टी  

हॉरिजॉन्टल चैनल (Horizontal Channel) 

हॉरिजॉन्टल चैनल की ट्रेंडलाइन्स प्राइस के पिवट हाई और पिवट लो को दर्शाती हैं। इसमें प्राइस एक रेंज में यानि साइडवे होते हैं तथा ऊपरी लाइन रेसिस्टेन्स और निचली लाइन सपोर्ट प्राइस को दर्शाती है। इसमें अगला हाई प्राइस पिछले हाई के बराबर होता है, इसी तरह अगला लो प्राइस पिछले लो के बराबर होता है। इसमें trendline के बीच का स्थान एक समान लो और एक समान हाई प्राइस एक्शन और साइडवे चैनल को दर्शाता है।  फ्री में अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोले

ट्रेंडलाइन और चैनल के बीच अंतर  

एक चार्ट पर कई trendlines बनायी जा सकती हैं। ट्रेडर्स चैनल बनाने के लिए अक्सर एक टाइम फ्रेम के हाई प्राइस को कनेक्ट करते हुए एक ट्रेंडलाइन खींचते हैं और दूसरी ट्रेंडलाइन लो प्राइस को कनेक्ट करते हुए खींचते हैं। चैनल का उपयोग एक टाइम फ्रेम में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। 

लेकिन ट्रेंडलाइन का उपयोग ट्रेडर्स चैनल के बाहर ब्रेकआउट या स्पाइक की पहचान करने इ लिए करते हैं। साथ ही trendlines का प्रयोग trade में एंट्री और एग्जिट के लिए भी किया जाता है। इसके हिसाब से ट्रेडर्स अपने ट्रेड प्लान बनाते हैं। ब्रेकआउट ट्रेडिंग 

ट्रेंडलाइन की सीमाएँ 

नया और ज्यादा प्राइस डाटा मिलने पर trendlines को दोबारा से अलग तरीके से बनाया जा सकता है। ट्रेंडलाइन कभी-कभी लम्बे समय तक चलतीं हैं जिससे प्राइस एक्शन विचलित हो जाता है। जिसे फिर से अपडेट करने की जरूरत पड़ती है। इसके आलावा ट्रेडर्स कनेक्ट करने के लिए अलग-अलग डेटा पॉइंट चुनते हैं। 

उदाहरण स्वरूप- कुछ ट्रेडर्स लोएस्ट लो प्राइस और कुछ निश्चित टाइम फ्रेम में लोएस्ट क्लोजिंग प्राइस को चुनते हैं। कम टाइम फ्रेम में ट्रेंडलाइन वॉल्यूम से भी प्रभावित हो सकती है। कम वॉल्यूम पर बनी trendline सेशन के दौरान वॉल्यूम बढ़ने पर बहुत ही आसानी से टूट सकती है। 

यदि आप शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस और ट्रेंडलाइन  के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आप रवि पटेल द्वारा लिखित टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान  बुक को पढ़ सकते हैं? 

उम्मीद है, अब आप जान गए होंगे कि ट्रेंड और ट्रेंडलाइन क्या हैं?  ट्रेंडलाइन ट्रेडिंग Trendline Trading) कैसे करें? अगर आपको यह What is trend and Trendline in Hindi. आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आप मुझे Facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

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