ट्रेंड कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स ( Trend Continuation Chart patterns ) क्या होते हैं?

ट्रेंड कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न को सामान्यतः टेक्निकल एनालिसिस के रूप में संदर्भित किया जाता है। ये चार्ट पैटर्न्स एक प्राइस ट्रेंड के अंदर बनते हैं तथा ये अस्थायी पैटर्न्स होते हैं। ये चार्ट पैटर्न इस बात भी संकेत देते हैं कि वर्तमान प्राइस ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा। इसलिए इन चार्ट पैटर्न्स को ट्रेंड कॉन्टिनुएशन पैटर्न्स भी कहते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- ट्रेंड कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स क्या होते हैं? What is trend continuation chart pattern in Hindi. 

                                                                                             


यदि आप चार्ट पैटर्न के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको आकाश कुंदर द्वारा लिखित ट्रेडिंग बुक ट्रेडिंग चार्ट पैटर्न जरूर पढ़नी चाहिए। 

Continuation Chart Pattern क्या है? 

शेयर मार्केट में कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न संकेत देता है। किसी शेयर का कॉन्टिनुएशन पैटर्न पूरा होने के बाद उसका प्राइस फिर से उसी दिशा में चलेगा। ऐसे कई कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स हैं, जिनका उपयोग ट्रेडर्स ऐसे संकेतक के रूप में करते हैं। जो ये बताते हैं कि शेयर प्राइस का वर्तमान ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा। फ्लैग पैटर्न, पेनन्ट पैटर्न और वेज पैटर्न आदि कुछ Continuation Chart patterns के उदाहरण हैं। 

सभी कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न के बाद शेयर का प्राइस ट्रेंड पुरानी दिशा में ही चलता है। लेकिन कई बार ट्रेंड रिवर्सल भी आ जाता है। चार्ट पैटर्न बनने के बाद ट्रेडर्स इंतजार करते हैं कि ब्रेकआउट किस दिशा में होगा। वर्तमान ट्रेंड कंटीन्यू करेगा या ट्रेंड रिवर्सल होगा। जिसके अनुसार ट्रेडर्स शेयर में buy और sell की पोजीशन बनाते हैं। 

चार्ट पर ट्रेंड कॉन्टिनुएशन पैटर्न को पहचाना जा सकता है क्योंकि ट्रेंड की सहज प्रवृति होती है कि पैटर्न पूरा होने के बाद प्राइस अपनी मूल दिशा में ही चलता है। ये बात प्राइस एक्शन के बारे में बिलकुल सही है। लेकिन सभी कॉन्टिनुएशन पैटर्न में हमेशा पुराना प्राइस ट्रेंड ही जारी नहीं रहता है। कभी-कभी फ्लैग और पेनन्ट पैटर्न बनने के बाद प्राइस रिवर्सल भी आ जाता है। 

Continuation Chart Pattern तब ज्यादा विश्वसनीय होता है। जब पैटर्न का ट्रेंड बहुत मजबूत होता है और ट्रेंडिंग वेव्स की तुलना में कॉन्टिनुएशन पैटर्न छोटा होता है। जैसे की शेयर का प्राइस तेजी से बढ़ता है फिर प्राइस एक छोटा ट्राएंगल बनाता है। और प्राइस फिर से बढ़ने लगता है। 

कमजोर चार्ट पैटर्न के संकेत 

कमजोर चार्ट पैटर्न उसके पहले की trending waves जितना ही बड़ा होता है। इसलिए यह बढ़ी हुई वोलेटिलिटी, कमजोर प्राइस ट्रेंड और शेयर के प्राइस ट्रेंड के विपरीत बड़े प्राइस मूवमेंट को दर्शाता है। इसका मतलब ट्रेंड रिवर्सल भी आ सकता है। 

कमजोर चार्ट पैटर्न की एक और पहचान होती है और वह है छोटी ट्रेंडिंग वेव्स। जिसमें शेयर के प्राइस के थोड़ा सा बढ़ने  पर एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न बनता है। फिर शेयर का प्राइस थोड़ा सा बढ़ता है और फिर एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न बनता है। यह प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती है, इस दौरान बनने वाले Continuation Pattern विश्वसनीय नहीं होते हैं। 

कॉन्टिनुएशन पैटर्न के अनुसार ट्रेडिंग करने की सबसे कॉमन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। चार्ट पर पैटर्न बनने की प्रतीक्षा करना पैटर्न के चारों और ट्रेंडलाइन खींचना। प्रचलित दिशा में ब्रेकआउट होने पर ट्रेडिंग पोजीशन बनाना।

कॉन्टिनुएशन पैटर्न के प्रकार ( Types of Continuation Pattern ) 

फ्लैग पैटर्न, वेव्स पैटर्न, पेनन्ट पैटर्न, ट्राएंगल चार्ट पैटर्न आदि कुछ कॉन्टिनुएशन पैटर्न के निम्नलिखित प्रकार हैं- 

ट्राएंगल चार्ट पैटर्न ट्राएंगल
 
चार्ट पैटर्न तब बनता है, जब किसी शेयर में अपट्रेंड या डाउनट्रेंड के बाद। उसकी प्राइस एक्शन की ट्रेडिंग रेंज छोटी और छोटी होती जाती है। जो कॉन्टिनुएशन और रिवर्सल से पहले शेयर के प्राइस में डिस्ट्रीब्यूशन, एक्युमुलेशन या कंसोलिडेशन का संकेत देती हैं। Triangle Chart Pattern के द्वारा आप यह पता लगा सकते हैं कि शेयर का प्रचलित प्राइस ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा या ट्रेंड रिवर्सल होगा। 

हालांकि ट्राईएंगल पैटर्न्स के कप्लीट होने के बाद, प्राइस ज्यादातर पिछले ट्रेंड को ही कंटिन्यू करेगें ऐसा ही माना जाता है। ट्रेडर्स को इस चार्ट का उपयोग तब करना चाहिए जब चार्ट पर ब्रेकआउट दिखाई दे। चार्ट पर ट्रायंगल पैटर्न्स बन रहा है, ऐसा तब माना जाता है। जब प्राइस कम से कम पांच बार सपोर्ट और रेजिस्टेंस को छू लेते हैं। ट्राएंगल चार्ट पैटर्न निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-
  1.  Ascending Triangle Chart Pattern 
  2. Descending Triangle Chart Pattern 
  3. Symmetrical Triangle Chart Pattern 
                                                                                  

असेंडिंग ट्राएंगल चार्ट पैटर्न 

इसे हिंदी में आरोही ट्रायंगल कहते हैं, यह पैटर्न तब बनता है तब प्राइस हायर लो और एक समान हाई बनाते हैं। Ascending Triangle सामान्यतः अपट्रेंड के दौरान आता बनता है यह एक कन्टीनुअशन पैटर्न हैं। इस दौरान एक निश्चित प्राइस पर खरीदार ज्यादा जोर नही लगा पाते लेकिन वे प्राइस को ऊपर की और धकेलते रहते हैं। 

यदि यह पैटर्न डाउनट्रेंड में बदल जाता है तो यह एक शक्तिशाली रिवर्सल सिग्नल होता है। ऊपर दिए गए चार्ट को देखने पर आप पाएंगे कि buyers अपनी ताकत खो रहे हैं इसलिए वे हायर लो बना रहे हैं। लेकिन वे फिर से रेजिस्टेंस लेवल पर प्रेशर देते हैं और यदि वे रेजिस्टेंस को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो ब्रेकआउट हो जायेगा।

कभी-कभी रेजिस्टेंस लेवल बहुत स्ट्रांग होता है इसलिए प्राइस दूसरी तरफ भी घूम सकते हैं इसलिए दूसरी साइड के लिए भी तैयार रहना चाहिए। आपको इस ट्रेड में एंट्री आर्डर, रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर लगाना चाहिए तथा दूसरा आर्डर हायर लो के स्लोप के ऊपर करना चाहिए। प्राइस जिस तरफ भी घूमे आपको उसी तरफ एन्जॉय करना चाहिए। एक बात और स्टॉप-लॉस जरूर लगाना चाहिए तथा दूसरे आर्डर को रद्द करना चाहिए। 

डिसेंडिंग ट्राएंगल चार्ट पैटर्न 

यह पैटर्न तब बनता है जब स्टॉक्स lower high बनाते हैं और सभी lower level का प्राइस एक समान होता है। यह पैटर्न सामान्यतः डाउनट्रेंड के दौरान बनता है, यदि ये डेसेंडिंग पैटर्न अपट्रेंड के दौरान बने तो सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यह एक शक्तिशाली सिग्नल हो सकता है, वैसे यह भी एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न है।  

Descending triangle pattern बनने के दौरान स्टॉक्स मंदड़ियों के कब्जे में रहते हैं और बॉटम लाइन पर सपोर्ट लेते हैं। यह असेंडिंग ट्रायंगल पैटर्न का ठीक उल्टा पैटर्न है। कभी-कभी सपोर्ट लाइन बहुत ही स्ट्रांग होती है इसलिए प्राइस सपोर्ट लाइन पर बाउंस कर जाते हैं। तब स्ट्रांग up move आता है। 

डेसेंडिंग ट्रायंगल पैटर्न के दौरान ट्रेड कैसे करें? आपको सपोर्ट लाइन पर शेयर को खरीदना चाहिए और टार्गेट पैटर्न के हाईएस्ट पॉइंट के प्राइस के बराबर रखना चाहिए। आपको स्टॉप-लॉस जरूर लगाना चाहिए और स्टॉप-लॉस सपोर्ट लेवल के नीचे रखना चाहिए। 

सयंमेट्रिकल चार्ट पैटर्न 

यह पैटर्न तब बनता है जब stocks लोअर हाई और हायर लो बनाते हैं और शेयर का प्राइस दिशाहीन होता है। यानि कि प्राइस एक रेंज में रहते हैं। इस दौरान तेजड़िये और मंदड़िये दोनों ही अनिर्णय की स्थिती में होते हैं। इनमें से कोई भी प्राइस पर कंट्रोल स्थापित नहीं कर पाता है। Symmetrical Triangle Pattern यदि अपट्रेंड में बनता है तो एक ट्रायंगल के बाद अपट्रेंड फिर से आ जाता है। 

यदि यह पैटर्न डाउनट्रेंड के दौरान बनता है तो पैटर्न बनने के बाद फिर से डाउनट्रेंड फिर से आ जाता है। यह कंसोलिडेशन का एक प्रकार है यह भी एक कोटिनुएशन पैटर्न है किन्तु इससे रिवर्सल होने के भी चांस बहुत ज्यादा रहते हैं।। इसके दोनों तरफ की स्लोप एक समान होती हैं। जिसका मतलब होता है कि ब्रेकआउट पास ही है।

 सयंमेट्रिकल ट्रायंगल पैटर्न से आपको यह पता नहीं चलता कि ब्रेकआउट किस दिशा में हो सकता है। परन्तु ये निश्चित होता है कि ब्रेकआउट जरूर होगा। यह पैटर्न Symmetrical Triangle Pattern stocks में कंसोलिडेशन को दर्शाता है और असेंडिंग ट्रायंगल accumulation को तथा डिसेंडिंग ट्रायंगल Distribution को दर्शाता है। 

लेकिन Symmetrical Triangle में बुलिश और बेयरिश दोनों तरह के ट्रेडर्स शामिल रहते हैं और प्राइस को अपनी-अपनी तरफ तब तक खींचते हैं जब तक उनमें से किसी एक दिशा में ब्रेकआउट नहीं हो जाता है। ज्यादातर ब्रेकआउट शेयर के पिछले ट्रेंड की तरफ ही होता है।  

पेनन्ट चार्ट पैटर्न 

पेनन्ट पैटर्न को पताका या झंडी पैटर्न भी कहा जाता है। यह एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है।  पेनन्ट पैटर्न दो ट्रेंडलाइनों से मिलकर बनने वाला एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न है। इस पैटर्न की मुख्य विशेषता यह है कि दोनों ट्रेंडलाइन अलग दिशाओं में चलती हैं। एक डाउन ट्रेंडलाइन होगी और दूसरी अप ट्रेंडलाइन होगी। पेनन्ट पैटर्न बनने के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो जाता है और उसके बाद जब ब्रेकआउट होता है तो ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ जाता है। 

                                                                                           


बुलिश पेनन्ट पैटर्न वह होता है, जो शेयर के प्राइस में अपट्रेंड का संकेत देता है। इसमें फ्लैगपोल पेनन्ट के बांयी ओर बनता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न वह होता है, जो शेयर के प्राइस में डाउनट्रेन का संकेत देता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न बनने के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम कम रहता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न में फ्लैगपोल पैटर्न के दाँयी तरफ बनता है।

फ्लैग चार्ट पैटर्न 

फ्लैग पैटर्न एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है, जब शेयर के प्राइस में एक तेज अपमूव दिखाई देता है, तब बुलिश फ्लैग पैटर्न बनता है। जब के शेयर के शुरुआत में एक शार्प तेजी हो। इस शार्प तेजी को ही फ्लैग पैटर्न का पोल, यानी कि झंडे का डंडा कहते हैं। 

शेयर में शार्प अपट्रेंड के दौरान सामान्य से हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम रहता है। इस दौरान प्राइस एक रजिस्टेंस बनाता है और फिर प्राइस एक कंसोलिडेशन पीरियड में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता हैं, इस कंसोलिडेशन का झुकाव नीचे की तरफ होता है। 

इस दौरान छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनते हैं, जब चार्ट पर दो सपोर्ट और दो रेजिस्टेंस बन जाए। तब आपको दोनों रेजिस्टेंस को छूते हुए पहली ट्रेंड ट्रेन लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दोनों सपोर्ट को छूते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए।

                                                                                     


जब चार्ट पर एक शार्प डाउनट्रेंड के दौरान Flag Chart Pattern पैटर्न बनता है। जब शेयरों की प्राइस में चार्ट पर शार्प डाउनट्रेंड दिखायी देता है। बेयरिश फ्लैग पैटर्न बनने के लिए यह आवश्यक है कि शेयर के चार्ट पर शार्प डाउनट्रेंड दिखायी दे, गिरावट के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम सामान्य से ज्यादा रहते हैं। इस गिरावट के बाद प्राइस कुछ समय के लिए कंसोलिडेट होते हैं, शेयर के प्राइस में शार्प गिरावट को फ्लैग का pole कहते हैं।  

इसके बाद प्राइस थोड़ा ठहर कर एक सपोर्ट बनता है और शेयर का प्राइस छोटे से कंसोलिडेशन में चला जाता है।  इस अवधि के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता है और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। इस दौरान प्राइस छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनता है। 

जब दो सपोर्ट और रेजिस्टेंस बन जाते हैं, तब दोनों रजिस्टेंस के प्राइस के हाईपॉइंट को छूते हुए। आपको एक ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए, इसे रेजिस्टेंस लाइन कहते हैं। इसी तरह दूसरी ट्रेंडलाइन दोनों सपोर्ट के लो प्राइस लेवल को छूते हुए खींचनी है। इसे सपोर्ट लाइन कहते हैं। 

वेज चार्ट पैटर्न 

वेज यानि कील पैटर्न भी एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है। यह कुछ-कुछ पेनन्ट पैटर्न के समान होता है। यह दो कन्वर्जिंग ट्रेंडलाइनों को मिलाने से बनता है। वेज चार्ट पैटर्न की एक विशेषता यह होती है कि दोनों लाइनें एक ही दिशा में आगे बढ़ती है ऊपर की तरफ या नीचे की तरफ।

 Wedge Chart Pattern दो प्रकार के होते हैं- 
  1. Rasing Wedge चार्ट पैटर्न:नीचे की ओर झुका हुआ वेज एक अपट्रेंड के दौरान एक ठहराव का प्रतिनिधित्व करता है। 
  2. Falling Wedge चार्ट पैटर्न ऊपर की ओर झुका हुआ कील गिरते बाजार के दौरान एक अस्थायी रुकावट को दर्शाता है। 
                                                                                 

पेनन्ट और फ्लैग पैटर्न की तरह इसमें भी पैटर्न निर्माण के दौरान वॉल्यूम आमतौर पर कम हो जाता है। वॉल्यूम केवल तभी बढ़ता है, जब कीमत वेज पैटर्न के ऊपर या नीचे टूट जाती है। यानि जब इस पैटर्न में ब्रेकआउट होता है। 

wedge chart pattern, पेनन्ट और ट्राएंगल पैटर्न से इस मायने में अलग हैं क्योंकि ये केवल अपवर्ड और डाउनवर्ड प्राइस मूवमेंट्स को दर्शाते हैं। इसलिए वेज पैटर्न आमतौर पर कोणीय आकार के होते हैं। 

रेक्टेंगल चार्ट पैटर्न 

Rectangle Chart Pattern एक कॉमन कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है। जिसमें प्राइस ट्रेंड के बाद साइडवे हो जाता है। इसमें शेयर का प्राइस एक हॉरिजेंटल रेंज में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स के बीच बंधा होता है। इसमें सपोर्ट पर buy करके और रेजिस्टेंस लेवल पर sell करके सफलतापूर्वक ट्रेडिंग की जा सकती है। इसके साथ ही ब्रेकआउट की प्रतीक्षा करके सफलतापूर्वक ट्रेडिंग की जा सकती है। 

                                                                                  


Continuation Chart पैटर्न पर ट्रेडिंग कैसे करें? 

कॉन्टिनुएशन पैटर्न में ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित कई चरण होते हैं- 
  1. सबसे पहले आपको पूर्व प्राइस ट्रेंड की पहचान करनी चाहिए। उदाहरण स्वरूप जैसे फ्लैग पैटर्न बनने से पहले शेयर का प्राइस गिर रहा था या चढ़ रहा था। 
  2. अगले चरण में कॉन्टिनुएशन पैटर्न की पहचान करना और ब्रेकआउट पॉइंट ढूढ़ना चाहिए। कुछ ट्रेडर्स केवल तभी ट्रेड लेते हैं, जब ब्रेकआउट केवल प्रचलित ट्रेंड की दिशा में होता है। 
  3. उदाहरणस्वरूप जैसे प्रचलित trend अपट्रेंड है, तो ट्रेडर्स पैटर्न के अपसाइड में ब्रेकआउट होने पर ही ट्रेड लेते हैं। 
  4. बहुत से ट्रेडर्स ब्रेकआउट की दिशा में ही ट्रेड लेते हैं। भले ही वह ब्रेकआउट प्रचलित ट्रेन्ड की विपरीत दिशा में ही क्यों न हो। ये कम बाधाओं वाले ट्रेड होते हैं। यदि ट्रेंड रिवर्सिंग डायरेक्शन में हो तो लाभ होता है। 
  5. जब ब्रेकआउट हो जाता है, तो ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड लेना चाहिए। उदाहरणस्वरूप यदि ब्रेकआउट पेनन्ट पैटर्न की ऊपरी दिशा में होता है। तो ट्रेड लेते समय स्टॉपलॉस पेनन्ट के लो प्राइस के ठीक नीचे लगाना चाहिए। स्टॉप-लॉस ऑर्डर ब्रेकआउट से विपरीत दिशा में पैटर्न के ठीक बाहर रखा जाता है। 

प्राइस टार्गेट सेट कैसे करें? 

Continuation Chart patterns की ऊंचाई के आधार पर प्रॉफिट टार्गेट सेट करना चाहिए। उदाहरणस्वरूप यदि कॉन्टिनुएशन पैटर्न सपोर्ट लेवल से लेकर रेजिस्टेंस लेवल तक 10 पॉइंट का है तो आपको प्रॉफिट टार्गेट ब्रेकआउट पॉइंट से 10 पॉइंट का ही रखना चाहिए। फिर आप चाहे प्रचलित ट्रेन्ड की साइड ट्रेडिंग पोजीशन ले या उसके अपोजिट साइड के ब्रेकआउट पर ट्रेडिंग कर रहे हों। चार्ट पैटर्न फ्लैग, पेनन्ट, वेज, ट्राएंगल आदि कोई भी हो, आपको प्रॉफिट टार्गेट चार्ट पैटर्न की ऊंचाई तक का रखना चाहिए। 

जोखिम को नियंत्रण में रखने के लिए स्टॉप लॉस जरूर लगाना चाहिए। यदि ब्रेकआउट पैटर्न की अपसाइड में होता है तो आपको पैटर्न के हाई पॉइंट का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। अगर ब्रेकआउट पैटर्न के नीचे की तरफ होता है तो
आपको पैटर्न के लो पॉइंट का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। 

Continuation Chart patterns trading करने से पहले आपको पैटर्न की ताकत पर जरूर विचार करना चाहिए। मजबूत चालें अधिक विश्वसनीय होती हैं। कॉन्टिनुएशन पैटर्न भी पूर्व ट्रेंडिंग वेव का अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा होना चाहिए। पिछली वेव के सापेक्ष पैटर्न जितना बड़ा होगा, वह उतना ही कम विश्वसनीय होगा। यह अभी भी एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न के रूप में कार्य कर सकता है। लेकिन बढ़ी हुई वोलेटिलिटी और price trend  की विपरीत दिशा में बढ़ी हुई गतिविधि एक चेतावनी का संकेत होती है।
 
उम्मीद है, आपको यह ट्रेंड कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स ( Trend Continuation Chart patterns ) क्या होते हैं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह What is trend continuation chart pattern in Hindi.आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।



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