स्टॉक मार्केट चार्ट पैटर्न्स ( Chart Patterns ) की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी मे
स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स, ट्रेडिंग के अवसरों की तलाश करते समय स्टॉक प्राइस, ट्रेन्ड की पहचान करने के लिए अक्सर चार्ट पैटर्न्स का उपयोग करते हैं। कुछ चार्ट पैटर्न्स ट्रेडर्स को बताते हैं कि उन्हें शेयर खरीदने चाहिए। जबकि कुछ बताते हैं कि उन्हें शेयर बेचने चाहिए। जबकि कुछ चार्ट पैटर्न्स बताते हैं कि शेयर होल्ड करने चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं- स्टॉक मार्केट चार्ट पैटर्न्स की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में। What is Stock Market chart patterns in Hindi.
पैटर्न्स चार्ट पर स्टॉक्स के प्राइस में उतार-चढ़ाव की संरचनाएं हैं। ये संरचनाएं टेक्निकल एनालिसिस की नींव हैं। एक निश्चित टाइमफ्रेम के दौरान कॉमन प्राइस पॉइंट्स ( क्लोजिंग प्राइस, हाई प्राइस, लो प्राइस आदि ) को जोड़कर पैटर्न की पहचान की जाती है।
यदि आप चार्ट पैटर्न के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको गाइड टू ट्रेडिंग चार्ट पैटर्न्स बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Chart Patterns क्या हैं?
जब कोई प्राइस पैटर्न स्टॉक के प्राइस ट्रेंड की दिशा में बदलाव का संकेत देता है। तब इसे रिवर्सल पैटर्न माना जाता है। कन्टीन्यूएशन पैटर्न वह होता है, जब एक छोटे से विराम के बाद शेयर का प्राइस पुराने ट्रेन्ड की दिशा में चलने लगता है। स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स के द्वारा कई प्रकार के Chart Patterns का प्रयोग किया जाता है।
टेक्निकल एनालिस्ट और चार्टिस्ट स्टॉक्स के भविष्य के प्राइस ट्रेन्ड की दिशा जानने के लिए चार्ट पैटर्न्स की पहचान करना चाहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो चार्ट पैटर्न्स के द्वारा आने वाले समय में स्टॉक का प्राइस गिरेगा या चढ़ेगा इसका अनुमान लगाया जाता है। ये पैटर्न्स ट्रेंडलाइंस जितने सरल और हेड एंड शोल्डर्स फॉर्मेशन जितने जटिल भी हो सकते हैं।
कोई एक सर्वश्रेष्ठ चार्ट पैटर्न नहीं है, क्योंकि सभी प्रकार के Chart Patterns का प्रयोग विभिन्न प्रकार के मार्केट्स का trend जानने के लिए किया जा सकता है। अक्सर ट्रेडिंग के दौरान कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न्स का प्रयोग किया जाता है। इसमें स्टॉक्स के पिछले क्लोजिंग प्राइस, ओपन प्राइस, हाई प्राइस और लो प्राइस को बहुत आसानी से देखा जा सकता है।
कुछ चार्ट पैटर्न्स वोलेटाइल मार्केट के लिए बहुत अच्छे होते हैं। कुछ चार्ट पैटर्न्स बुलिश मार्केट में बहुत अच्छा काम करते हैं। और कुछ पैटर्न्स बेयरिश मार्केट में अच्छा काम करते हैं। इसलिए आपको किस तरह के मार्केट में किस Chart Pattern का उपयोग करना है, यह अच्छे से पता होना चाहिए। चार्ट पैटर्न्स के बारे में विस्तार से जानने से पहले आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के बारे में जानना चाहिए।
सप्लाई और डिमांड के कारण स्टॉक्स के प्राइस गिरते और चढ़ते हैं। जब स्टॉक की मांग कम और अधिक सप्लाई होती है तो शेयर का प्राइस गिरता है। जब स्टॉक की मांग अधिक और सप्लाई कम होती है तो शेयर का प्राइस चढ़ता है। सपोर्ट लेवल वह होता है, जहाँ पहुंचकर स्टॉक्स का प्राइस गिरना रूक जाता है। और रेजिस्टेंस लेवल वह वह होता है जहाँ पहुंचकर शेयर का प्राइस चढ़ना बंदकर देता है। ट्रेंडलाइन और मूविंग एवरेज का उपयोग करके आप सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस का पता लगा सकते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस में ट्रेंडलाइन ( Trendline )
चार्ट पर शेयर के प्राइस पैटर्न को लाइनों और कर्व्स की एक सीरीज का उपयोग करके पहचाना जाता है। अतः Chart Patterns को समझने के लिए ट्रेन्डलाइन को समझना और खींचना आना चाहिए। ट्रेन्डलाइन टेक्निकल एनालिस्ट को शेयर के प्राइस चार्ट पर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल एरिया का पता लगाने में मदद करती है। ट्रेंडलाइन प्राइस चार्ट पर कम से कम दो हाई प्राइस ( descending peaks ) को जोड़कर और दो लो प्राइस ( ascending troughs ) को जोड़कर खींची गयी रेखाएँ होती हैं।
ट्रेन्डलाइन बनाने लिए आपको चार्ट पर दो टॉप प्राइस को, आपस में कनेक्ट करते हुए एक लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दूसरी लाइन दो लो प्राइस (बॉटम) को कनेक्ट करते हुए खींचनी चाहिए। इस तरह ट्रेंडलाइन बन जाएगी। वर्तमान में कौन सा ट्रेंड चल रहा है यह भी आपको पता चल जायेगा।
एक वेलिड ट्रेंडलाइन बनाने के लिए कम से कम दो टॉप या दो बॉटम को कनेक्ट करना बेहद जरूरी है। आप जितनी ज्यादा ट्रेंडलाइन खीचेंगे, यह उतनी ही कम विश्वसनीय होंगी और जल्दी टूटेंगी। हॉरिजोंटल सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल की तरह ट्रेन्डलाइन जितनी बार टेस्ट की जाती हैं, यह उतनी ही ज्यादा मजबूत हो जाती हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कभी भी ट्रेंडलाइन को मन से फिट करके Price Chart पर नहीं लगाना चाहिए। यदि वे मार्केट के ट्रेंड के अनुरूप नहीं बैठती तो ऐसी ट्रेंडलाइन वेलिड नहीं होती हैं।
ट्रेंडलाइनें इस बात पर निर्भर करती हैं कि प्राइस बार के किस हिस्से का उपयोग "बिंदुओं को जोड़ने" के लिए किया जाता है। प्राइस चार्ट पर ट्रेन्डलाइन बनाने के लिए हाई या लो प्राइस के बजाय क्लोजिंग प्राइस का उपयोग किया जाता है।
Price Chart पर Trendline के मुख्य पॉइंट्स
- कोई भी शेयर अपट्रेंड में तब होता है, जब प्राइस लगातार हायर हाई और हायर लो बनाता है। अपट्रेंड लाइनें कम से कम दो लो प्राइस जोड़ती हैं, प्राइस जिनसे नीचे नहीं जा पाता है। ये लाइन सपोर्ट लेवल को दिखाती हैं।
- शेयर का प्राइस डाउनट्रेन्ड में तब होता है, जब प्राइस लगातार लोअर लो और लोअर हाई बनाता है। डाउनट्रेन्ड लाइनें कम से कम दो हाई प्राइस को जोड़ती है, जिनसे प्राइस ऊपर नहीं जा पाता है। ये लाइन रेजिस्टेंस लेवल को दिखती हैं।
- कंसोलिडेशन या साइडवे ट्रेंड तब होता है, जब शेयर का प्राइस एक छोटी रेंज में होता है। यानि प्राइस ना ही ऊपर जा पाता और ना ही नीचे जाता है।
Stock Market Chart Patterns के प्रकार
चार्ट पैटर्न्स मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- कॉन्टिनुएशन पैटर्न्स और रिवर्सल पैटर्न्स
कॉन्टिनुएशन पैटर्न्स ( Continuation Patterns )
कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न्स जिसे आप निरंतरता पैटर्न्स भी कह सकते हैं। ये पैटर्न्स एक ट्रेन्ड के भीतर बनते हैं और कॉन्टिनुएशन का संकेत देते हैं। यानि शेयर का प्राइस शार्ट-टर्म के लिए विपरीत दिशा में एक पैटर्न बनाने के बाद फिर से वर्तमान ट्रेन्ड में चलना जारी रखेगा। इन पैटर्न्स को वर्तमान प्राइस ट्रेन्ड के दौरान एक विराम माना जा सकता है। जैसे अपट्रेंड के बीच में शेयर प्राइस में गिरावट आ जाना और इसी तरह डाउनट्रेन्ड के बीच में शेयर का बढ़ने लगना, तब ये पैटर्न्स बनते हैं।
यह बताने का कोई तरीका नहीं है कि ट्रेन्ड जारी रहेगा या पलट जायेगा। इसे समझने के लिए ट्रेन्डलाइन पर प्राइस पैटर्न को ध्यान से देखना चाहिए। क्या प्राइस ऊपर या नीचे कॉन्टीनुअशन जोन में टूटते हैं। तकनीकी विश्लेषक आमतौर पर यह मानने की सलाह देते हैं कि ट्रेन्ड तब तक जारी रहेगा जब तक रिवर्सल की पुष्टि नहीं हो जाती।
सामान्य तौर पर, प्राइस पैटर्न विकसित होने में जितना अधिक समय लगता है। और पैटर्न के भीतर प्राइस में उतार-चढ़ाव जितना बड़ा होता है। कॉन्टिनुएशन के क्षेत्र के ऊपर या नीचे शेयर प्राइस टूटने पर चाल उतनी ही बड़ी होती है। यदि शेयर के प्राइस ट्रेन्ड की दिशा में जारी रहते हैं तो इसे कॉन्टिनुएशन पैटर्न के रूप में जाना जाता है। मुख्य कॉन्टिनुएशन पैटर्न्स निम्नलिखित होते होते हैं-
- पेनन्ट पैटर्न: टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किये जाने वाले ब्रेकआउट के बाद कंसोलिडेशन के पीरियड में पेनन्ट पैटर्न बनता है।
- फ्लैग पैटर्न: फ्लैग यानि झंडे के पैटर्न अक्सर तब देखे जाते हैं जब एक दिशा में तेज और बड़ी प्रारंभिक चाल होती है। और उसके बाद जब कंसोलिडेशन होता है। तब फ्लेग पैटर्न बनता है।
- वेज पैटर्न: वह माना जाता है, जो ट्रेंड के टॉप या बॉटम बन रहा होता है। यानि शेयर के प्राइस के द्वारा टॉप और बॉटम बनाने पर वेज पैटर्न बन सकता है।
- ट्राएंगल पैटर्न: यह टेक्निकल एनालिसिस के सबसे लोकप्रिय Chart patterns में से एक है। ट्राएंगल पैटर्न्स के अन्य प्रकार भी हैं जैसे असेंडिंग ट्राएंगल पैटर्न, डीसेंडिंग ट्राएंगल पैटर्न, सीममरेटिकल ट्राएंगल पैटर्न आदि।
रिवर्सल पैटर्न ( Reversal Chart Patterns )
जब किसी शेयर का प्राइस उसके वर्तमान ट्रेन्ड के विपरीत चलने लगता है, तब उसे ट्रेन्ड रिवर्सल कहा जाता है। यानि अगर किसी शेयर का प्राइस गिर रहा है लेकिन फिर प्राइस चढ़ने लग जाये तो उसे ट्रेन्ड रिवर्सल कहा जायेगा। एक प्राइस पैटर्न जो प्रचलित trend में बदलाव का संकेत देता है। उसे रिवर्सल पैटर्न के नाम से जाना जाता है।
ये चार्ट पैटर्न उस पीरियड को दर्शाते हैं, जहाँ शेयर मार्केट बुल्स या बेयर्स की ताकत खत्म हो जाती है। और स्थापित price trend समाप्त हो जाता है। इसके बाद प्राइस एक नई दिशा में आगे बढ़ता है।
जब रिवर्सल स्टॉक्स के टॉप पर आता है, तब इसे डिस्ट्रीब्यूशन पैटर्न के रूप में जाना जाता है। जब शेयर का टॉप बन जाता है तो शेयर को खरीदने से ज्यादा बेचा जाता है। इसके विपरीत रिवर्सल पैटर्न शेयर के बॉटम पर भी आता है। शेयर के निचले स्तर ( bottom ) पर शेयर को बेचने से ज्यादा खरीदा जाता है। तब इसे एक्युमुलेशन पैटर्न कहा जाता है।
Reversal Chart Patterns पैटर्न को विकसित होने में जितना अधिक समय लगेगा। और पैटर्न के भीतर कीमत में उतार-चढ़ाव जितना बड़ा होगा, कीमत टूटने के बाद शेयर के प्राइस में अपेक्षित बदलाव उतना ही बड़ा होगा। कुछ मुख्य रिवर्सल पैटर्न निम्नलिखित हैं-
- हेड एंड शोल्डर पैटर्न: इसमें एक बड़े प्राइस मूवमेंट के आसपास दो छोटे प्राइस मूवमेंट देते हैं।
- डबल टॉप पैटर्न: इसमें शेयर के टॉप पर प्राइस एक शार्ट-टर्म स्विंग हाई बनाता है, उसके बाद दूसरे प्रयास में पहले स्विंग हाई को तोड़ने का असफल प्रयास करता है। उसके बाद शेयर के प्राइस में बड़ी गिरावट आती है। दोनों स्विंग हाई को Double top pattern कहा जाता है।
- डबल बॉटम पैटर्न: शेयर के बॉटम पर शेयर प्राइस एक स्विंग लो बनाता है, उसके बाद दूसरे प्रयास में शेयर का प्राइस, पहले स्विंग लो को तोड़ने का एक असफल प्रयास करता है। इसके बाद शेयर के प्राइस में बड़ा उछाल आता है। दोनों स्विंग लो को डबल बॉटम पैटर्न कहा जाता है।
पेनन्ट पैटर्न ( Pennant Chart Pattern )
पेनन्ट पैटर्न को पताका या झंडी पैटर्न भी कहा जाता है। यह एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है। पेनन्ट पैटर्न दो ट्रेंडलाइनों से मिलकर बनने वाला एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न है। इस पैटर्न की मुख्य विशेषता यह है कि दोनों ट्रेंडलाइन अलग दिशाओं में चलती हैं। एक डाउन ट्रेंडलाइन होगी और दूसरी अप ट्रेंडलाइन होगी। पेनन्ट पैटर्न बनने के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो जाता है और उसके बाद जब ब्रेकआउट होता है तो ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ जाता है।
बुलिश पेनन्ट पैटर्न वह होता है, जो शेयर के प्राइस में अपट्रेंड का संकेत देता है। इसमें फ्लैगपोल पेनन्ट के बांयी ओर बनता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न वह होता है, जो शेयर के प्राइस में डाउनट्रेन का संकेत देता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न बनने के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम कम रहता है। बेयरिश पेनन्ट पैटर्न में फ्लैगपोल पैटर्न के दाँयी तरफ बनता है।
फ्लैग पैटर्न ( Flag Chart pattern )
फ्लैग पैटर्न एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है, जब शेयर के प्राइस में एक तेज अपमूव दिखाई देता है, तब बुलिश फ्लैग पैटर्न बनता है। जब के शेयर के शुरुआत में एक शार्प तेजी हो। इस शार्प तेजी को ही फ्लैग पैटर्न का पोल, यानी कि झंडे का डंडा कहते हैं।
शेयर में शार्प अपट्रेंड के दौरान सामान्य से हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम रहता है। इस दौरान प्राइस एक रजिस्टेंस बनाता है और फिर प्राइस एक कंसोलिडेशन पीरियड में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता हैं, इस कंसोलिडेशन का झुकाव नीचे की तरफ होता है।
इस दौरान छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनते हैं, जब चार्ट पर दो सपोर्ट और दो रेजिस्टेंस बन जाए। तब आपको दोनों रेजिस्टेंस को छूते हुए पहली ट्रेंड ट्रेन लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दोनों सपोर्ट को छूते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए।
जब चार्ट पर एक शार्प डाउनट्रेंड के दौरान यह पैटर्न बनता है। जब शेयरों की प्राइस में चार्ट पर शार्प डाउनट्रेंड दिखायी देता है। बेयरिश फ्लैग पैटर्न बनने के लिए यह आवश्यक है कि शेयर के चार्ट पर शार्प डाउनट्रेंड दिखायी दे, गिरावट के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम सामान्य से ज्यादा रहते हैं। इस गिरावट के बाद प्राइस कुछ समय के लिए कंसोलिडेट होते हैं, शेयर के प्राइस में शार्प गिरावट को फ्लैग का pole कहते हैं।
इसके बाद प्राइस थोड़ा ठहर कर एक सपोर्ट बनता है और शेयर का प्राइस छोटे से कंसोलिडेशन में चला जाता है। इस अवधि के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता है और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। इस दौरान प्राइस छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनता है।
जब दो सपोर्ट और रेजिस्टेंस बन जाते हैं, तब दोनों रजिस्टेंस के प्राइस के हाईपॉइंट को छूते हुए। आपको एक ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए, इसे रेजिस्टेंस लाइन कहते हैं। इसी तरह दूसरी ट्रेंडलाइन दोनों सपोर्ट के लो प्राइस लेवल को छूते हुए खींचनी है। इसे सपोर्ट लाइन कहते हैं।
वेज पैटर्न ( Wedge Chart Pattern )
वेज यानि कील पैटर्न भी एक कॉन्टिनुएशन चार्ट पैटर्न है। यह कुछ-कुछ पेनन्ट पैटर्न के समान होता है। यह दो कन्वर्जिंग ट्रेंडलाइनों को मिलाने से बनता है। वेज चार्ट पैटर्न की एक विशेषता यह होती है कि दोनों लाइनें एक ही दिशा में आगे बढ़ती है ऊपर की तरफ या नीचे की तरफ।
Wedge Chart Pattern दो प्रकार के होते हैं-
- Rasing Wedge चार्ट पैटर्न:नीचे की ओर झुका हुआ वेज एक अपट्रेंड के दौरान एक ठहराव का प्रतिनिधित्व करता है।
- Falling Wedge चार्ट पैटर्न ऊपर की ओर झुका हुआ कील गिरते बाजार के दौरान एक अस्थायी रुकावट को दर्शाता है।
wedge chart pattern, पेनन्ट और ट्राएंगल पैटर्न से इस मायने में अलग हैं क्योंकि ये केवल अपवर्ड और डाउनवर्ड प्राइस मूवमेंट्स को दर्शाते हैं। इसलिए वेज पैटर्न आमतौर पर कोणीय आकार के होते हैं।
ट्राएंगल चार्ट पैटर्न्स (Tringle chart patterns )
Tringle chart patterns एक चार्ट पैटर्न हैं, आमतौर पर स्टॉक ट्रेडर्स इनका उपयोग करते हैं। चार्ट पैटर्न्स के द्वारा ट्रेडर्स शेयरों के प्राइस की ट्रेडिंग रेंज जानने के लिए इनको पहचानते हैं। जब एक शेयर के प्राइस की ट्रेडिंग रेंज एक अपट्रेंड या डाउनट्रेंड के बाद संकुचित होती है यानीं कि ट्रायंगल समय के साथ टाइट और टाइट होता जाता है जो bears और bulls के बीच बेटल को बताता है। tringle chart patterns शेयरों के प्राइस किस दिशा में घूमेंगे इसका साफ-साफ संकेत देते हैं।
ट्रायंगल चार्ट पैटर्न मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
- Ascending Triangle Chart Pattern: यह रक कॉन्टिनुएशन पैटर्न है, इसे हिंदी में आरोही ट्रायंगल कहते हैं, यह पैटर्न तब बनता है तब प्राइस हायर लो और एक समान हाई बनाते हैं। Ascending Triangle सामान्यतः अपट्रेंड के दौरान आता बनता है यह एक कन्टीनुअशन पैटर्न हैं। इस दौरान एक निश्चित प्राइस पर खरीदार ज्यादा जोर नही लगा पाते लेकिन वे प्राइस को ऊपर की और धकेलते रहते हैं। यदि यह पैटर्न डाउनट्रेंड में बदल जाता है तो यह एक शक्तिशाली रिवर्सल सिग्नल होता है। ऊपर दिए गए चार्ट को देखने पर आप पाएंगे कि buyers अपनी ताकत खो रहे हैं इसलिए वे हायर लो बना रहे हैं। लेकिन वे फिर से रेजिस्टेंस लेवल पर प्रेशर देते हैं और यदि वे रेजिस्टेंस को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो ब्रेकआउट हो जायेगा।
- Descending Chart Pattern: यह पैटर्न तब बनता है जब स्टॉक्स lower high बनाते हैं और सभी lower level का प्राइस एक समान होता है। यह पैटर्न सामान्यतः डाउनट्रेंड के दौरान बनता है, यदि ये डेसेंडिंग पैटर्न अपट्रेंड के दौरान बने तो सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यह एक शक्तिशाली सिग्नल हो सकता है, वैसे यह भी एक कॉन्टिनुएशन पैटर्न है।
- Symmetrical Chart Pattern: यह पैटर्न तब बनता है जब stocks लोअर हाई और हायर लो बनाते हैं और शेयर का प्राइस दिशाहीन होता है। यानि कि प्राइस एक रेंज में रहते हैं। इस दौरान तेजड़िये और मंदड़िये दोनों ही अनिर्णय की स्थिती में होते हैं। इनमें से कोई भी प्राइस पर कंट्रोल स्थापित नहीं कर पाता है। Symmetrical Triangle Pattern यदि अपट्रेंड में बनता है तो एक ट्रायंगल के बाद अपट्रेंड फिर से आ जाता है।
हेड एंड शोल्डर चार्ट पैटर्न ( Head & Shoulder Chart Pattern )
टेक्निकल एनालिसिस चार्ट पर Head and Shoulders chart pattern तब बनता है। जब मार्केट में ट्रेंड रिवर्सल आने वाला होता है। यह ट्रेंड रिवर्सल बुलिश (तेजी) या बेयरिश (मंदी) दोनों में से कोई भी हो सकता है। इस पैटर्न की शेप व्यक्ति के सिर और कंधों के समान होती है, यानि कि इस पैटर्न में तीन चोटियाँ (peak) होती हैं। जिसमें बीच वाली चोटी व्यक्ति के सिर की तरह कंधों से ऊँची होती है।
इसके आसपास वाली दोनों चोटियाँ बीच वाली छोटी से नीची होती हैं। सिक्युरिटी के प्राइस पीक बनाकर नीचे आने के बाद जिस पॉइंट पर सपोर्ट लेते हैं। उन पॉइंट को मिलाने पर जो लाइन बनती है, उसे नेकलाइन कहते हैं। इन तीनों चोटियों का सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल करीब-करीब एक समान होता है जिसे नेकलाइन (Neckline) कहते हैं।
डबल टॉप चार्ट पैटर्न ( Double Top Chart Pattern )
डबल टॉप चार्ट पैटर्न बुल मार्केट के अंत में बनने वाला रिवर्सल पैटर्न है। डबल टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न अत्यधिक मंदी (Downtrend) वाला रिवर्सल पैटर्न है। यह पैटर्न दो कैंडल्स से मिलकर बनता है। जब शेयर का प्राइस लगातार दो बार हाई प्राइस तक पहुंचकर। वापस दोनों हाई प्राइस से थोड़ा नीचे आ जाता है। तब डबल टॉप कैंडलस्टिक रिवर्सल पैटर्न बनता है।
इसकी पुष्टि तब होती है जब शेयर का प्राइस दोनों हाई के लोअर सपोर्ट लेवल से नीचे गिर जाता है। ट्रेडर्स नेकलाइन टूटने के बाद स्टॉक में शार्ट-सेल की पोजीशन बना सकते हैं। इस पोजीशन में आपको नेकलाइन के हाई प्राइस का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए।
नेकलाइन से अगले रेजिस्टेंस लेवल का टार्गेट रखना चाहिए। इस तरह आप डबल टॉप पैटर्न बनने पर शार्ट-टर्म ट्रेडिंग कर सकते हैं। डबल टॉप पैटर्न मीडियम और लॉन्ग-टर्म में स्टॉक्स के ट्रेंड बदलने का सिग्नल देता है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न ( Double Bottom Chart Pattern )
यह एक क्लासिक रिवर्सल चार्ट पैटर्न है। यदि आप इसे डेली या वीकली चार्ट पर देखेंगे। तो आपको यह पैटर्न चार्ट पर हमेशा लम्बे डाउनट्रेंड के दौरान दिखाई देगा। इस पैटर्न के बनने के बाद शेयर में डाउनट्रेंड खत्म हो जाता है और अपट्रेंड की शुरुआत होती है। कन्फर्मेशन मिलने पर शेयर में खरीदारी करने से आपको प्रॉफिट अवश्य होगा।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न में पहली कैंडल लॉन्ग बेयरिश या शार्ट बेयरिश में से कोई भी कैंडल हो सकती है। यह लाल रंग की सिंगल बेयरिश कैंडल होती है। दूसरी कैंडल लॉन्ग बुलिश या शार्ट बुलिश में से कोई भी कैंडल हो सकती है। दूसरी हरे रंग की सिंगल बुलिश कैंडल होती है। जो मार्केट में तेजी का संकेत देती है।
प्राइस chart pattern अक्सर तब पाए जाते हैं। जब प्राइस अपने करंट trend के विपरीत एक छोटा ब्रेक लेता है। जो शेयर प्राइस के कंसोलिडेशन फेज को दर्शाता है। जिसके बाद शेयर प्राइस पुराने ट्रेंड को कंटीन्यू कर सकता है या ट्रेंड रिवर्सल भी आ सकता है। प्राइस चार्ट पैटर्न को बनाने में ट्रेंडलाइन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।फ्लैग पैटर्न, डबल टॉप, डबल बॉटम, पेनन्ट पैटर्न आदि प्रमुख चार्ट पैटर्न हैं।
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