बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न के सीक्रेट | Bull Flag Chart Pattern
बुल फ्लैग एक बुलिश चार्ट पैटर्न है, यह दो अलग-अलग रैलियों से बनता है। दोनों रैलियों के बीच में शेयर का प्राइस रिट्रेसमेंट और कंसोलिडेशन होता है। इसमें शेयर के प्राइस में स्पाइक की वजह से फ्लैगपोल वर्टिकल बनता है। क्योंकि शेयर प्राइस buyers के कंट्रोल में रहता है।
जब शेयर प्राइस एक तेज अपट्रेंड के बाद कंसोलिडेशन में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान शेयर प्राइस में गिरावट के बाद, प्राइस एक छोटी रेंज में रहता है। उसके बाद ब्रेकआउट होने पर शेयर प्राइस वापस अपट्रेंड में चला जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं- बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न के सीक्रेट। Bullish Flag Chart Pattern kya hai in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट चार्ट पैटर्न्स सीखना चाहते हैं तो आप जगन्नाथ पटेल द्वारा लिखित चार्ट पैटर्न्स बुक पढ़ सकते हैं।
Flag Patterns क्या होते हैं?
Flagpole का अर्थ होता है, झंडे का डंडा। फ्लैग पैटर्न शॉर्ट-टर्म और मीडियम टर्म-ट्रेडिंग के काम आने वाला चार्ट पैटर्न है। यह एक कंटिन्यूएशन चार्ट पैटर्न है, फ्लैग चार्ट पैटर्न दो प्रकार के होते हैं-
- Bullish Flag Chart Pattern
- Bearish Flag Chart Pattern
बुलिश मार्केट में आपको बुलिश फ्लैग पैटर्न बनते दिखेगा। जब भी किसी स्टॉक में या सम्पूर्ण स्टॉक मार्केट में तेज Upmove आता है। तब Stocks के प्राइस एक सीधी लाइन में ऊपर की तरफ बढ़ते हैं। और एक पॉइंट पर जाकर स्टेबल हो जाते हैं।
उसके बाद एक समानांतर टॉप और बॉटम के साथ एक छोटे से बेयरिश करेक्शन में शेयर का प्राइस trade करता है। बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न शेयर में तेजी जारी रहने का संकेत देते हैं। यानी कि वर्तमान में जो Uptrend चल रहा है। वह आगे भी जारी रहेगा।
Bull Flag Chart Patten कैसे बनता है?
जब यह पैटर्न बनता है, तब चार्ट पर आपको एक तेज अपमूव दिखाई देता है। यह पैटर्न तभी बनता है, जब के शेयर के price में शुरुआत में एक शार्प तेजी हो। इस शार्प तेजी को ही फ्लैग पैटर्न का पोल, यानी Flagpole (झंडे का डंडा) कहते हैं।
शेयर में शार्प अपट्रेंड के दौरान सामान्य से हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम रहता है। इस दौरान प्राइस एक रजिस्टेंस बनता है और फिर प्राइस एक कंसोलिडेशन पीरियड में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता हैं। इस कंसोलिडेशन का झुकाव नीचे की तरफ होता है।
इस दौरान छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनते हैं, जब चार्ट पर दो सपोर्ट और दो रेजिस्टेंस बन जाए। तब आपको दोनों रेजिस्टेंस को छूते हुए पहली ट्रेंड ट्रेन लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दोनों सपोर्ट को छूते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए।
Bullish Flag Pattern के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
जब भी शेयर का प्राइस स्ट्रॉग अपट्रेंड में आगे बढ़ते हुए फ्लैग जैसी संरचना बनाता है। तब उसे बुल फ्लैगपोल पैटर्न कहते हैं। फ्लैगपोल में बनने वाली कैंडल्स बहुत बड़ी होती हैं और कैंडल्स एक दूसरे के ऊपर क्लोज होती हैं। यह किसी शेयर में चल रही स्टॉन्ग buying का संकेत होता है। फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न
इससे यह भी संकेत मिलते हैं कि शेयर में ट्रेडर्स पॉजिटिव सोच के साथ बाइंग कर रहे हैं। जिससे शेयर में बुल्स का दबदबा है। लेकिन कुछ समय बाद जब शुरूआती बायर्स अपनी पोजीशन में प्रॉफिट बुक करने लगते हैं। तब शेयर प्राइस में छोटा सा करेक्शन आने से चार्ट पर Bull Flag Pattern बनता है।
दोनों ट्रेंड लाइन एक दूसरे के समानांतर होनी चाहिए, यह बहुत जरूरी है। Bullish Flag Chart Pattern एक छोटे से प्राइस चैनल जैसा दिखाई देता है। इसके बाद जब प्राइस रजिस्टेंस लाइन को तोड़कर ऊपर चला जाए, तब यह पैटर्न संपूर्ण होता है। Rising Wedge Chart Pattern
इसी के साथ अपट्रेंड फिर से स्टार्ट हो जाता है, जब बुलिश फ्लैग पैटर्न में ब्रेकआउट होता है। ब्रेकआउट के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ने लगता है। इस प्रकार बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न बनता है।
Bullish Flag Chart Pattern के हिसाब से खरीदारी कैसे करें?
बुलिश फ्लैग पैटर्न के दौरान Buying करते समय आपको निम्नलिखित तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- ट्रेड में एंट्री कहाँ करें?
- Stoploss कहाँ पर लगाएं?
- प्रॉफिट कहाँ बुक करें?
अगर आपको चार्ट पर नया बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न बनता हुआ दिखाई दे रहा है। तब आपको सबसे पहले कंसोलिडेशन पीरियड के दौरान बनने वाले दोनों रेजिस्टेंस लेवल के हाई प्राइस को छूते हुए एक ट्रेंड लाइन खींचनी है। बेयरिश फ्लैग पैटर्न
इसी तरह दोनों सपोर्ट लेवल के लो प्राइस को छुते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए। अब आपको यहां पर खरीदारी का पॉइंट ढूंढने के लिए यह देखना है। जब कोई कैंडल कंसोलिडेशन पीरियड पूरा होने के बाद रजिस्टेंस लाइन के ऊपर क्लोज दे।
तब उसके बाद वाली कैंडल में आपको खरीदारी करना चाहिए तथा खरीदारी करने के तुरंत बाद आपको स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। जिस कैंडल ने ट्रेंड लाइन के ऊपर क्लोजिंग दिया है, आपको उस कैंडल के लो प्राइस का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए।
आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना है। कि आपके शेयर में खरीदारी करने के पॉइंट से स्टॉप-लॉस लगाने के पॉइंट के बीच का अंतर रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो के 2% के नियम के अनुसार होना चाहिए।
तभी आपको भी ट्रेड लेना चाहिए अन्यथा नहीं, यदि यह अंतर रिश्क-रिवार्ड रिश्क-रिवार्ड के 2% के नियम के बराबर नहीं है। तब आपको ट्रेड नहीं लेना चाहिए। ट्रेड लेने के बाद आपको ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का उपयोग करना चाहिए।
Profit Book कब करें?
प्रॉफिट बुक करने के लिए आपको यह देखना है कि जहां से Flagpole की शुरुआत होती है। वहां से लेकर पहले रेजिस्टेंस के बीच, बनने बनने वाली कैंडल के बराबर आपको प्रॉफिट टारगेट रखना चाहिए।
यानी कि यदि इस बीच में दस कैंडल बनती है, तो आपको रेजिस्टेंस लाइन को ब्रेक करके क्लोजिंग देने वाली कैंडल दस कैंडल के ऊपर का टारगेट रखना चाहिए। यदि आप धनवान बनना चाहते हैं तो आप रिच डैड पुअर डैड बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
जब प्राइस दस कैंडल ऊपर तक पहुंच जाए, तब आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। इस प्रकार आप Bullish Flag Chart Pattern के साथ शेयर में खरीदारी कर सकते हैं।
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