राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न एक रिवर्सल पैटर्न् हैं। ये पैटर्न् आपको यह बताता हैं कि वर्तमान trend ख़त्म होने वाला है। दूसरा ट्रेंड स्टार्ट होगा। वेज पैटर्न् तब बनता है, जब किसी भी ट्रेंड का टॉप या बॉटम बन जाता है। राइजिंग वेज पैटर्न एक ट्रायंगल की तरह होते हैं और इनकी ऊपर तथा नीचे की लाइन एक slop की तरह होती है। आइए जानते हैं- अगर आप राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न समझ लिया तो नुकसान से बचना आसान है Rising Wedge Chart Patterns in Hindi.
राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न क्या है? Rising Wedge Chart Pattern
यह एक ऐसा पैटर्न है जो अक्सर ट्रेडर्स को धोखा दे सकता है। ऊपर की ओर उठता हुआ दिखने वाला यह पैटर्न दरअसल शेयर मार्केट में आने वाली एक बड़ी गिरावट का संकेत हो सकता है। इसे समझना किसी जासूस की तरह सुराग ढूंढने जैसा है जो अगर सही समय पर मिल जाए तो आपको बड़े नुकसान से बचा सकता है और प्रॉफिट कमाने का एक शानदार मौका भी दे सकता है।
कल्पना कीजिए कि आप एक पहाड़ी पर चढ़ रहे हैं जिसका रास्ता आगे जाकर संकरा होता जा रहा है। शुरुआत में रास्ता चौड़ा है, लेकिन जैसे-जैसे आप ऊपर जाते हैं, दोनों तरफ की खाइयाँ एक-दूसरे के क़रीब आती जाती हैं। बस, यही है राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न!
राइजिंग वेज पैटर्न चार्ट पर बढ़ते हुए कील की तरह दिखाई देता है इसलिए इसे राइजिंग वेज पैटर्न कहते हैं। यह पैटर्न तेजी के समय आने वाला Bearish reversal pattern है। जिसका मतलब है कि मार्केट में जो अब तक तेजी का ट्रेंड चल रहा था। वह समाप्त हो गया है और अब डाउनट्रेंड की शुरुआत होने वाली है।
यानि ट्रेंड कम्प्लीट हो जाता है। इस टाइप के फार्मेशन में ट्रेडिंग एक्टिविटी बहुत ही सीमित दायरे में होती है।राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न किसी भी ट्रेंड का एक छोटा सा हिस्सा होते हैं। Rising Wedges Chart Pattern दो प्रकार के होते हैं-
- Rising Wedge pattern
- Falling Wedge pattern
राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न कैसे बनता है? Rising Wedge Chart Pattern
- ऊपरी ट्रेंडलाइन (Upper Trendline): यह शेयर प्राइस के हाई लेवल्स (Highs) को जोड़कर बनती है। इसे रेसिस्टेंस लाइन (Resistance Line) भी कहते हैं।
- निचली ट्रेंडलाइन (Lower Trendline): यह शेयर प्राइस के लो लेवल्स (Higher Lows) को जोड़कर बनती है। इसे सपोर्ट लाइन (Support Line) भी कहते हैं।
इस पैटर्न की ख़ास बात यह है कि निचली ट्रेंडलाइन (सपोर्ट) का ढलान (Slope) ऊपरी ट्रेंडलाइन (रेसिस्टेंस) के ढलान से ज़्यादा होता है। इसका मतलब है कि शेयर प्राइस के नए निचले स्तर (Lows) पुराने निचले स्तरों से तेज़ी से ऊपर बन रहे हैं। जबकि ऊँचे स्तर (Highs) उतनी तेज़ी से ऊपर नहीं जा पा रहे हैं।
यह स्थिति बाज़ार में कम होती गति (Losing Momentum) को दर्शाती है। खरीदार (Bulls) प्राइस को ऊपर तो धकेल रहे हैं लेकिन उनकी ताक़त धीरे-धीरे कम हो रही है। साथ ही सेलर (Bears) हावी होने की तैयारी कर रहे हैं। जब मार्केट में लंबी तेजी का ट्रेंड चल रहा होता है, तब प्राइस अपट्रेंड में रेसिस्टेंट लेकर नीचे की ओर आ जाता है। और नीचे सपोर्ट लेकर इसका गिरना रुक जाता है। इस प्रकार पहला रेजिस्टेंस और पहला सपोर्ट बनता है।
शुरुआत में, मार्केट में तेज़ी का माहौल होता है। खरीदार पूरी तरह से नियंत्रण में होते हैं और क़ीमत को लगातार ऊपर ले जाते हैं। हर गिरावट पर और ज़्यादा खरीदारी होती है, जिससे ऊँचे निचले स्तर (Higher Lows) बनते हैं।
लेकिन धीरे-धीरे तस्वीर बदलने लगती है। क़ीमत जैसे-जैसे ऊपर जाती है, कुछ खरीदारों को लगने लगता है कि अब यह बहुत महँगा हो गया है और वे अपना मुनाफ़ा बुक करना शुरू कर देते हैं। वहीं, विक्रेताओं को यह एक अच्छा मौका लगता है शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) करने का।
इस वजह से, क़ीमत नए ऊँचे स्तर (Highs) तो बनाती है, लेकिन उतनी मज़बूती से नहीं। ऊपरी ट्रेंडलाइन का ढलान कम होने लगता है। खरीदारों की ताक़त कम हो रही है और विक्रेताओं का दबाव बढ़ रहा है। वॉल्यूम यानी ख़रीद-बिक्री की संख्या भी घटने लगती है, जो इस बात का संकेत है कि बड़े खिलाड़ी अब इस तेज़ी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं।
अंत में, एक ऐसा बिंदु आता है जहाँ खरीदारों की पूरी ताक़त ख़त्म हो जाती है। विक्रेता हावी हो जाते हैं और क़ीमत को तेज़ी से नीचे की ओर धकेलते हैं, जिससे निचली सपोर्ट लाइन टूट जाती है। इसे ब्रेकडाउन (Breakdown) कहते हैं और यहीं से मंदी का दौर शुरू होता है।
दो सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स के बीच अंतर: यदि आप Rising Wedge Chart Pattern को इंट्राडे चार्ट पर देख रहे हैं। तो दो सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के बीच में 7-8 कैंडल का अंतर होना ही चाहिए। शार्ट-टर्म के लिए दो कैंडल के बीच में तीन-चार सप्ताह का अंतर अच्छा माना जाता है। मीडियम टर्म के लिए दो सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच में तीन से चार महीने का अंतर ठीक माना जाता है।
राइजिंग वेज पैटर्न के प्रकार (Types of Rising Wedge Pattern)
1. बेयरिश रिवर्सल राइजिंग वेज (Bearish Reversal Rising Wedge)
यह सबसे आम प्रकार है। यह एक लंबे अपट्रेंड (Uptrend) के बाद बनता है और यह संकेत देता है कि अब तेज़ी का दौर ख़त्म होने वाला है और मंदी शुरू हो सकती है। स्टॉक या इंडेक्स का प्राइस काफ़ी समय से ऊपर जा रहा होता है। फिर क़ीमत एक वेज (Wedge) में फंस जाती है, और अंत में नीचे की तरफ़ ब्रेकडाउन करती है।
उदाहरण: मान लीजिए हिंदुस्तान जिंक का स्टॉक 500 रूपये के प्राइस से चलकर 650 तक पहुँच गया है। अब 650 रूपये के आसपास वह एक राइजिंग वेज पैटर्न बनाता है। जैसे ही वह पैटर्न की सपोर्ट लाइन को तोड़ता है, यह संकेत है कि अब उसकी ऊपर की यात्रा समाप्त हो गई है और वह वापस नीचे की ओर गिर सकता है।
2. बेयरिश कंटिनुएशन राइजिंग वेज (Bearish Continuation Rising Wedge)
राइजिंग वेज पैटर्न की पहचान कैसे करें?
- ट्रेंड को पहचानें (Identify the Trend): सबसे पहले देखें कि पैटर्न बनने से पहले का ट्रेंड क्या है। क्या यह एक अपट्रेंड के बाद बन रहा है (रिवर्सल का संकेत) या डाउनट्रेंड के बीच में (कंटिनुएशन का संकेत)?
- दो मिलती हुई ट्रेंडलाइन्स (Two Converging Trendlines): आपको दो ऊपर की ओर जाती हुई ट्रेंडलाइन्स स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए जो आगे जाकर एक-दूसरे के क़रीब आ रही हों।
- टच पॉइंट्स (Touch Points): एक मज़बूत पैटर्न के लिए, क़ीमत को दोनों ट्रेंडलाइन्स को कम से कम 2-3 बार छूना चाहिए। जितने ज़्यादा टच पॉइंट्स होंगे, पैटर्न उतना ही विश्वसनीय होगा।
- घटता हुआ वॉल्यूम (Decreasing Volume): यह एक बहुत महत्वपूर्ण संकेत है। जैसे-जैसे पैटर्न बनता है और क़ीमत ऊपर जाती है, वॉल्यूम यानी ख़रीद-बिक्री की मात्रा घटनी चाहिए। यह दिखाता है कि तेज़ी में अब दम नहीं बचा है।
- ब्रेकडाउन पर वॉल्यूम में उछाल (Spike in Volume on Breakdown): जब क़ीमत निचली सपोर्ट लाइन को तोड़ती है, तो वॉल्यूम में एक बड़ा उछाल आना चाहिए। यह इस बात की पुष्टि करता है कि विक्रेता पूरी ताक़त के साथ बाज़ार में आ गए हैं।
Rising Wedge Chart Pattern के हिसाब से Trading Strategy
सिर्फ़ पैटर्न को पहचानना ही काफ़ी नहीं है, उस पर सही तरीक़े से ट्रेड करना भी ज़रूरी है। चलिए एक स्टेप-बाय-स्टेप ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी देखते हैं-
- पैटर्न के बनने का इंतज़ार करें: जल्दबाज़ी न करें, पैटर्न को पूरी तरह से बनने दें। दोनों ट्रेंडलाइन्स और कम से कम 2-3 टच पॉइंट्स की पुष्टि करें।
- ब्रेकडाउन का इंतज़ार करें (The Entry Point): सबसे बड़ी ग़लती जो ट्रेडर करते हैं, वह है ब्रेकडाउन से पहले ही ट्रेड में घुस जाना। हमेशा शेयर प्राइस के निचली सपोर्ट लाइन को निर्णायक रूप से तोड़ने का इंतज़ार करना चाहिए। जब कोई कैंडल (Candle) सपोर्ट लाइन के नीचे बंद (Close) हो जाए, तब आपको शॉर्ट सेल (Short Sell) की पोजीशन लेनी चाहिए। कुछ अनुभवी ट्रेडर प्राइस के वापस सपोर्ट लाइन को रीटेस्ट (Retest) करने का इंतज़ार करते हैं और फिर एंट्री लेते हैं। यह एक सुरक्षित तरीक़ा है।
- स्टॉप-लॉस लगाएँ (The Stop-Loss): ट्रेडिंग में नुक़सान को सीमित करना सबसे ज़रूरी है। स्टॉप-लॉस आपका सुरक्षा कवच है। आपका स्टॉप-लॉस वेज के अंदर के सबसे हाल के ऊँचे स्तर (Recent High) से थोड़ा ऊपर होना चाहिए। इससे अगर ब्रेकडाउन नकली साबित होता है और स्टॉक प्राइस वापस ऊपर चली जाता है तो आपका नुक़सान सीमित रहेगा।
- टारगेट सेट करें (The Profit Target): आपको पता होना चाहिए कि आपको अपना प्रॉफिट किस पॉइंट पर बुक करना है? टारगेट सेट करने के दो सामान्य तरीक़े हैं- पहला तरीक़ा, वेज के सबसे चौड़े हिस्से की ऊँचाई को मापें और उसे ब्रेकडाउन पॉइंट से नीचे की ओर प्रोजेक्ट करें। यह आपका न्यूनतम टारगेट होगा। दूसरा तरीक़ा, पैटर्न शुरू होने से पहले जहाँ से तेज़ी शुरू हुई थी, वह स्तर आपका पहला टारगेट हो सकता है।
Rising wedge Chart Pattern के हिसाब से शेयरों में बिकवाली कैसे करें?
अगर आपको चार्ट पर राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न बनता हुआ दिखाई दे रहा है तो आपको सबसे पहले दो सपोर्ट लेवल को छूते हुए एक Trendline खींचनी चाहिए। साथ ही दोनों रेजिस्टेंस लेवल को छूते हुए भी एक ट्रेंड लाइन खींचनी है। अब आपको इसमे बिकवाली करने के लिए यह देखना है कि कोई कैंडल सपोर्ट लाइन को नीचे की तरफ तोड़कर बंद तो नहीं हो रही है।
यदि ऐसा है तो आपको उसके बाद वाली कैंडल में बिकवाली यानि Short selling की पोजीशन बनानी चाहिए। जिस कैंडल ने सपोर्ट लाइन को तोड़ा है। उस कैंडल के हाई आपको स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। Stop-loss और आपके entry-point के बीच रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो 2% के करीब हो तभी आपको ट्रेड लेना चाहिए।
यदि स्टॉपलॉस 2% के नियम के अनुसार सही नहीं बैठ रहा हो तब आपको यह ट्रेड नहीं लेना चाहिए। ट्रेड लेने के बाद आपको Trailing Stoploss का भी उपयोग करना चाहिए। इस पोजीशन में आपका टारगेट पिछले सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के बीच के अंतर के बराबर होना चाहिए।
उदाहरण जैसे कि प्रथम सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के बीच 10 पॉइंट का अंतर है तो आपको सपोर्ट लेवल के नीचे दस पॉइंट तक आप का profit target होना चाहिए। जैसे ही Stock price दस पॉइंट नीचे पहुंच जाए। आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। इस तरह आप राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न के साथ Short-selling की पोजीशन बना सकते हैं।
ट्रू और फेक ब्रेकडाउन में फ़र्क कैसे समझें?
कई बार ऐसा होता है कि शेयर प्राइस सपोर्ट लाइन को तोड़ता है लेकिन फिर तुरंत वापस ऊपर चला जाता है। इसे नकली ब्रेकडाउन (Fake Breakdown) या फॉल्स ब्रेकआउट (False Breakout) कहते हैं। इससे बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- वॉल्यूम की पुष्टि: एक असली ब्रेकडाउन हमेशा भारी वॉल्यूम के साथ होता है। अगर stock price बिना वॉल्यूम के लाइन तोड़ रहा है तो सावधान हो जाएँ।
- कैंडल का क्लोज होना: सिर्फ़ कैंडल की बत्ती (Wick) के लाइन के नीचे जाने पर ट्रेड न करें। पूरी कैंडल को लाइन के नीचे बंद होने दें, उसके बाद ही ट्रेड लें।
- रीटेस्ट का इंतज़ार: जैसा कि पहले बताया गया है, ब्रेकडाउन के बाद प्राइस अक्सर टूटी हुई सपोर्ट लाइन (जो अब रेसिस्टेंस बन चुकी है) को रीटेस्ट करने वापस आता है। यहाँ से जब वह दोबारा नीचे मुड़ता है तो यह ट्रेड में एंट्री का एक मज़बूत संकेत होता है।
उम्मीद है, आपको यह अगर राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न समझ गए तो नुकसान से बचना आसान है आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Rising Wedge Chart Patterns in Hindi आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये। यदि आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें।

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