Trailing Stop-Loss: ट्रेलिंग स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?
By: Manju Chaudhary May, 2025
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस ऑटोमेटिक ट्रेडिंग ऑर्डर है, जिसका उद्देश्य Stock trading में प्रॉफिट को बचाना और संभावित नुकसान को कम करना होता है। ट्रेलिंग स्टॉप लॉस स्टॉक्स के मार्केट प्राइस से दूर एक निश्चित प्रतिशत या रूपये के अमाउंट पर स्टॉप ऑर्डर निर्धारित करता है। जैसे-जैसे स्टॉक का प्राइस बढ़ता जाता है, स्टॉप ऑर्डर भी बढ़ता जाता है। जानते हैं- ट्रेलिंग स्टॉप लॉस कैसे लगाएं? Trailing Stop Loss in Hindi.
यदि आप टेक्निकल एनालिसिस सीखना चाहते हैं तो आपको टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
इस आर्टिकल में ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर के क्या फायदे हैं? ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर कैसे काम करता है? के बारे में बताया गया है। ऑनलाइन stockborkers निवेशकों के नुकसान को कम करने के लिए नये-नये तरीकों की तलाश करते रहते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर bhi ट्रेडिंग के दौरान नुकसान को कम करने का सबसे आम तरीका है।
जब stocks का प्राइस उस लेवल तक गिर जाता है। तो आगे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए स्टॉक्स को ऑटोमेटिकली करंट मार्केट प्राइस पर बेच दिया जाता है। ट्रेडर्स स्टॉप लॉस को Trailing Stop Loss के साथ जोड़कर उसके प्रभाव को और बढ़ा सकते हैं।
आप वहाँ पर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगा सकते हैं। जहाँ पर आप फिक्स प्राइस पर स्टॉप लॉस नहीं लगा सकते हैं। इसके बजाय स्टॉक के मार्केट प्राइस से नीचे एक निश्चित प्रतिशत पर या रुपयों में एक अमाउंट पर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाया जाता है।
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है?
Trailing Stop-Loss एक आमतौर पर लगने वाले स्टॉप-लॉस ऑर्डर में संशोधन करके लगाया जाता है। इसमें स्टॉक्स के मौजूदा मार्केट प्राइस के एक निर्धारित प्राइस पर सेट किया जाता है। आप इसे रूपये के अमाउंट में भी सेट कर सकते हैं और प्रतिशत में भी लगा सकते हैं। ट्रेडर्स स्टॉप-लॉस को ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस के साथ जोड़कर इसके प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
लॉन्ग पोजीशन में मौजूदा मार्केट प्राइस से नीचे trailing stop-loss लगाया जाता है। जबकि शार्ट सेल पोजीशन में मौजूदा मार्केट प्राइस से ऊपर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाया जाता है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस को किसी ओपन ट्रेड में हो रहे प्रॉफिट को बचाने और नुकसान को कम करने के लिए लगाया जाता है।
जब तक शेयर का प्राइस निवेशक के पक्ष में बढ़ रहा है। तब तक निवेशक के प्रॉफिट को बनाये रखने के हिसाब से ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस को डिजाइन किया गया है। यदि शेयर का प्राइस इसमें निर्दिष्ट प्रतिशत या रूपये से विपरीत दिशा में घूमता है। तो trailing stop-loss के कारण पोजीशन अपने-आप बंद हो जाती है।
जब ट्रेड लिया जाता है, आमतौर पर तभी ट्रेलिंग स्टॉप लॉस को भी लगाया जाता है। हालाँकि इसे बाद में ट्रेड के प्रॉफिट में आने पर भी लगाया जाता है। परन्तु यह क्लियर है कि इसे ट्रेड में हो रहे प्रॉफिट को बचाने (लॉक करने ) के लिए ही लगाया जाता है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस केवल तभी आगे बढ़ता है, जब स्टॉक का प्राइस ट्रेडर्स के फेवर में आगे बढ़ता है।
जब ट्रेड एक बार प्रॉफिट में चला जाता है तो ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस उस प्रॉफिट को लॉक करने के लिए आगे बढ़ता है। तो यह दूसरी दिशा में नहीं जा पाता है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस एक स्टॉप ऑर्डर है जिसमें लिमिट ऑर्डर और मार्केट ऑर्डर का भी विकल्प होता है। Trailing stop-loss में सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य बात यह है। कि आप इसे प्रतिशत में और रूपये के फिक्स अमाउंट में भी लगा सकते हैं।
Trailing Stop Loss को समझें
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस केवल एक दिशा में चलते हैं। क्योंकि ये प्रॉफिट को लॉक करने और नुकसान को कम करने के लिए बनाये गए हैं। यदि 5% ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस को लॉन्ग पोजीशन से जोड़ा जाता है। तो प्राइस के अपने टॉप से 5% नीचे आने पर शेयर ऑटोमेटिकली सेल हो जायेंगे और आपकी पोजीशन भी बंद हो जायेगी।
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस केवल तब ऊपर की तरफ मूव करेगा जब नया पीक बन जायेगा। यानि प्राइस नया हाई बना लेगा।यदि एक बार ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस जब ऊपर चला जाता है तो फिर नीचे नहीं आ सकता है। Trailing Stop-Loss एक निश्चित स्टॉप-लॉस की तुलना में अधिक लचीला होता है। यह ऑटोमेटिकली शेयर के प्राइस की दिशा को ट्रेक करता रहता है।
इसे सामान्य स्टॉप लॉस की तरह मैन्युअल रूप से रीसेट भी नहीं करना पड़ता है। निवेशक किसी भी एसेट क्लास में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग यह मानते हुए कर सकते हैं। कि मार्केट में कारोबार करने के लिए स्टॉक ब्रोकर ने यह ट्रेलिंग स्टॉप लॉस-ऑर्डर की सुविधा प्रोवाइड करायी है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर को लिमिट और मार्केट ऑर्डर के साथ भी लगाया जा सकता है।
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के साथ ट्रेडिंग
Trailing Stop-Loss का आप तभी सफलतापूर्वक लाभ उठा पाएंगे। जब आप इसे न तो शेयर के मार्केट प्राइस के बेहद पास (टाइट ) लगाएँ और न ही उससे बेहद दूर। यानि वाइड ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस न लगाएं। इसे टाइट रखने का मतलब है कि शेयर के प्राइस की दैनिक प्राइस मूवमेंट से भी ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ट्रिगर हो सकता है। यानि टूट सकता है, जिसके फलस्वरूप आपकी पोजीशन बंद हो जाएगी।
शेयर के प्राइस वोलेटाइल होते हैं, अतः एक दिशा में आगे बढ़ने से पहले शेयर के प्राइस ऊपर-नीचे होते हैं। यदि ट्रेलिंग स्टॉप लॉस ज्यादा टाइट लगाया जायगा तो वह शुरू में ही टूट जायेगा और शेयर के प्राइस को मूवमेंट करने के लिए प्राप्त अवसर नहीं मिलेंगे। जिसकी वजह से ट्रेडर्स को प्रॉफिट कमाने के कम मौके मिलेंगे और नुकसान ज्यादा होगा फिर चाहे नुकसान कम ही क्यों ना हो?
अगर Trailing stop-loss बहुत बड़ा है तो वह शेयर के प्राइस की सामान्य मूवमेंट से तो नहीं टूटेगा। लेकिन इसका मतलब इन्वेस्टर स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट में अनावश्यक रूप से बड़ा जोखिम ले रहा है या बहुत अधिक प्रॉफिट छोड़ रहा है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस प्रॉफिट को लॉक करता है और नुकसान को भी सीमित करता है।
एक सही ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि शेयरों का प्राइस मूवमेंट हमेशा बदलता रहता है। लेकिन फिर भी आप सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के हिसाब से ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगा सकते हैं। इन सबके बावजूद trailing stop loss एक प्रभावी टेक्निकल टूल है। यह शेयर ट्रेडिंग में आपके प्रॉफिट को लॉक करता है और आपके नुकसान को कम करता है।
एक आदर्श ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस समय के साथ बदलता रहता है। जब मार्केट या स्टॉक्स के प्राइस बहुत वोलेटाइल होते हैं। तब एक वाइड (बड़ा) ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस बढ़िया दाँव हो सकता है। जब मार्केट स्टेबल होता है या कम वोलेटाइल होता है। तब आप टाइट ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगा सकते हैं।
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस के दौरान ध्यान देने वाली बात यह है। एक बार जब किसी ट्रेड में ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस सेट कर दिया जाता है। तब उसे बीच में बदलना नहीं चाहिए क्योंकि यह एक बहुत ही सामान्य से गलती है। जिसे ट्रेडर्स अक्सर करते है, जिसकी वजह से उनका मार्केट रिस्क और ज्यादा बढ़ जाता है। इसे लॉस से बचना कहा जाता है लेकिन इसकी वजह से और ज्यादा नुकसान हो जाता है। जिससे आपका ट्रेडिंग अकाउंट बहुत जल्दी खाली हो सकता है।
Trailing Stop-Loss कैसे लगायें?
मान लीजिये आपने भेल (BHEL) के शेयर 120 रूपये में खरीदे हैं। आप शेयर के पिछले चार्ट को देखकर यह अनुमान लगा सकते हैं। कि इसका प्राइस बढ़ने से पहले इसमें 4-6 प्रतिशत का पुलबैक भी आ सकता है। छोटे पुलबैक 4 प्रतिशत के और बडे पुलबैक 6 प्रतिशत तक के आ सकते हैं। ये पूर्वानुमान आपकी ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाने में मदद कर सकता है।
यदि शेयर बाजार में आपकी इस पोजीशन में 3-4 प्रतिशत का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाते हैं तो यह बहुत टाइट होगा। यहाँ तक की छोटे-मोटे पुलबैक आने पर भी ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस की वजह से आपकी पोजीशन कट (बंद हो) सकती है। यानि प्राइस को ऊपर जाने का मौका मिलने से पहले ही ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस की वजह से आपकी पोजीशन कट जाएगी।
यदि आप 20 प्रतिशत का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस चुनते हैं तो यह बहुत बड़ा हो सकता है। शेयर की पुरानी हिस्ट्री के आधार पर औसत पुलबैक 4 प्रतिशत के जबकि बड़े पुलबैक 6 प्रतिशत के आ सकते हैं। इस पोजीशन में एक बेहतर trailing stop-loss 8-10 प्रतिशत का होगा। इससे ट्रेड को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
यदि शेयर का प्राइस 10 प्रतिशत तक गिरता है। तो ट्रेडर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस की वजह से इस पोजीशन से जल्दी बाहर निकल सकता है। किसी भी शेयर के प्राइस में 10 प्रतिशत से बड़ी गिरावट सामान्य पुलबैक से बड़ी है। इसका मतलब अब इस शेयर के प्राइस में ट्रेंड रिवर्सल आ सकता है।
यदि आपके शेयर का प्राइस 10 प्रतिशत (112) तक कम हो जाता है तो आपका ब्रोकर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस के कारण आपके शेयर बेच देगा। यदि आपके खरीदने के बाद आपके शेयर का प्राइस 112 या इससे नीचे नहीं जाता है तो आपका स्टॉप-लॉस 112 पर रहेगा। यदि आपके शेयर का प्राइस 150 रूपये हो जाता है। तो फिर आपका trailing stop-loss 135 रूपये तक बढ़ जायेगा।
यदि आपके शेयर का प्राइस 150 रूपये तक बढ़ने के बाद वापस गिरना शुरू हो जाता है और वापस नहीं बढ़ता है। यदि प्राइस आपके पिछले ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 135 तक गिरता है। तब आपका ब्रोकर आपके शेयर को बेच देगा फिर भी इस पोजीशन में आपको 15 रूपये प्रति शेयर का प्रॉफिट होगा।
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ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस कैसे काम करता है?
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस एक ऑर्डर प्रकार है, जिसे किसी ट्रेड में हो रहे प्रॉफिट को लॉक करने और नुकसान को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस को तभी आगे बढ़ाया जा सकता है। जब शेयर का प्राइस ट्रेडर के अनुरूप आगे बढ़ता है। एक बार जब प्रॉफिट लॉक हो जाता है तो यह वापस दूसरी दिशा में नहीं जा सकता है।
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का एक उदाहरण क्या है?
Trailing Stop-Loss को आप प्रतिशत के रूप में भी लगा सकते हैं। यदि किसी शेयर को 100 रूपये के मार्केट प्राइस पर खरीदते हैं और उसमें 10 प्रतिशत का ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाते हैं। इस तरह आपका स्टॉप-लॉस 90 रूपये पर होगा। अगर शेयर 130 रूपये तक बढ़ जाता है तो आपका ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस भी बढ़कर 117 रूपये पर हो जायेगा। इस तरह आपका ट्रेलिंग स्टॉप लॉस शेयर के टॉप प्राइस से 10 प्रतिशत कम होगा। यदि आप अपनी पोजीशन में बने रहते है तो आपका ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस भी इसे तरह आगे बढ़ता रहेगा।
ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है?
Trailing stop-loss लगाने का सबसे अच्छा तरीका निम्नलिखित है-
- सबसे पहले स्विंग लो को पहचाने।
- अपने ट्रेलिंग स्टॉप लॉस को स्विंग लो के नीचे सेट करें।
- यदि शेयर का प्राइस स्विंग लो से नीचे बंद होता है तो अपनी पोजीशन से बाहर निकलें।
- अगर शेयर का प्राइस ऊपर चढ़ता रहता है तो उसी के साथ-साथ अपने ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस को भी बढ़ाते रहें।
- जब भी आपका ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस हिट हो जाये अपनी पोजीशन को बंद करके उससे बाहर निकल जाएँ।
उम्मीद है, आपको यह ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस कैसे लगाएं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Trailing Stop-Loss in Hindi आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करके पूछ सकते हैं। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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