शेयर मार्केट क्रैश की पहचान ( identify Stock Market Crash ) कैसे करें?
स्टॉक मार्केट क्रैश शब्द का तात्पर्य, Stock market में अचानक होने वाली बहुत बड़ी गिरावट से है। जब शेयर मार्केट में 10% या इससे अधिक की गिरावट होती है तो उसे शेयर मार्केट क्रैश कहा जाता है। शेयर बाजार में गिरावट अक्सर कई आर्थिक कारकों का परिणाम होती है।
जिसमें अफवाहें, इकोनॉमिक बबल, घबराहट में सेलिंग आदि कारण हो सकते हैं। शेयर मार्केट किसी बड़े आर्थिक संकट या विनाशकारी घटना की वजह से क्रैश हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट क्रैश की पहचान कैसे करें? How to identify Stock Market Crash.
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Stock Market Crash क्या है?
शेयर मार्केट क्रैश, शेयर मार्केट में अचानक नाटकीय ढंग से होने वाली बड़ी गिरावट को कहा जाता है। जिसकी वजह से शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि शेयर मार्केट Crash में इन्वेस्टर्स घबराहट में अपने Stocks को बेच देते हैं। जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। Stock Market Crash घबराहट में की गई बिक्री और स्टॉक्स में प्राइस बबल के कारण होता हैं। मार्केट पार्टिसिपेंट अक्सर स्पेक्युलेशनऔर इकोनॉमिक बबल का अनुसरण करते हैं।
Stock Market Crash में शेयरों के प्राइस में तीव्र और अक्सर अप्रत्याशित गिरावट होती है। शेयर बाज़ार में गिरावट किसी बड़ी विनाशकारी घटना, आर्थिक संकट या लॉन्ग-टर्म स्पेक्युलेटिव बबल के फूटने का दुष्प्रभाव हो सकता है। स्टॉक मार्केट क्रैश के बारे में प्रतिक्रियावादी सार्वजनिक घबराहट भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। जिससे Stock Market में पेनिक सेलिंग होती है, जिससे शेयरों की कीमतें बहुत ज्यादा गिर जाती हैं।
प्रसिद्ध स्टॉक मार्केट क्रैश में 1929 की महामंदी, 1987 का ब्लैक मंडे, 1992 का हर्षद मेहता स्कैम, 2001 का डॉटकॉम बबल का फूटना, 2008 का आर्थिक मंदी और 2020 की COVID-19 महामारी के दौरान के crash शामिल हैं।
स्टॉक मार्केट के याद रखने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं-
- स्टॉक मार्केट क्रैश में स्टॉक की कीमतों में अचानक बड़ी गिरावट होती है। जो लंबे समय तक बियर मार्केट को ट्रिगर कर सकता है या भविष्य में आर्थिक मंदी का संकेत दे सकता है।
- मार्केट क्रैश की वजह से बाजार में डर का माहौल बन जाता है। जिससे इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स झुंड के व्यवहार की वजह से पीकिन सेलिंग करें लगते हैं। जिससे मार्केट की गिरावट और भी बदतर हो सकती है।
- स्टॉक मार्केट क्रैश को रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं, जिनमें अचानक क्रैश के प्रभाव को कम करने के लिए सर्किट ब्रेकर और ट्रेडिंग और शार्ट सेलिंग पर प्रतिबंध शामिल हैं।
Stock Market Crash को समझें
हालाँकि स्टॉक मार्केट क्रैश के लिए कोई विशिष्ट सीमा नहीं है। लेकिन इसे आमतौर पर कुछ दिनों के अंदर स्टॉक इंडेक्स में अचानक दस प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के रूप में माना जाता है। शेयर बाज़ार में गिरावट अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। शेयरों के प्राइस में अचानक गिरावट के बाद शेयर बेचना और एक से पहले मार्जिन पर बहुत सारे स्टॉक खरीदना, बाजार में गिरावट आने पर निवेशकों के पैसे खोने के ये दो सबसे आम तरीके हैं।
सुप्रसिद्ध अमेरिकी स्टॉक बाज़ार crashes में 1929 की मार्केट क्रैश शामिल है। जो आर्थिक मंदी और stocks की पैनिक सेलिंग की वजह से हुई थी। इस market crash ने ग्रेट डिप्रेशन को जन्म दिया। 1987 ब्लैक मंडे भी बड़े पैमाने पर निवेशकों की घबराहट (panic selling ) के कारण हुआ था। रिवर्सल पैटर्न
भारत में 1992 में जब हर्षद मेहता स्कैम हुआ था, जिसके ऊपर स्कैम 1992 नामक वेब सीरीज भी बन चुकी है। तब भारतीय शेयर मार्केट crash कर गया था और उस एक वर्ष में भारतीय शेयर मार्केट में करीब 50% की गिरावट आई थी।
इसी तरह 2008 में अमेरिकी बैंकों के होम लोन डूबने की वजह से अमेरिका का रियल एस्टेट मार्केट डूब गया था। जिसकी वजह से उस समय भी Stock market crash हो गया था। इसके परिणामस्वरूप पूरा विश्व अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया था।
High-frequency trading को मई 2010 में अचानक हुए मार्केट crash का कारण माना गया था। जिसकी वजह से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर्स को खरबों डॉलर का नुकसान हो गया था। मार्च 2020 में, COVID-19 कोरोनावायरस की महामारी के कारण भी भारत सहित पूरी दुनिया के Stock Market Crash हो गए थे।
Stock market crash से बचाव
स्टॉक मार्केट क्रैश होने के कारण शेयरधारकों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा समय-समय इन्वेस्टर्स की वेल्थ सुरक्षा उपाय किए जाते हैं। इस तरह के सुरक्षा उपायों में ट्रेडिंग रोक देना या सर्किट लगाना आदि शामिल हैं। Stock market को स्थिर करने और गिरने से रोकने के लिए ऐसा किया जाता है। शेयरों की प्राइस में तेज गिरावट के बाद एक निश्चित अवधि के लिए सभी तरह की ट्रेडिंग गतिविधि को रोक दिया जाता हैं।
शेयर बाज़ार में गिरावट से इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो की वैल्यू खत्म या बहुत कम हो जाती है। यह उन लोगों के लिए सबसे अधिक हानिकारक है जो सेवानिवृत्ति के लिए निवेश के रिटर्न पर भरोसा करते हैं। इससे stocks के प्राइस में गिरावट एक दिन या एक साल से अधिक समय तक हो सकती है। ऐसी गिरावट के बाद अक्सर लम्बी मंदी आती है। जिसे बियर मार्केट भी कहा जाता है।
स्टॉक मार्केट क्रैश के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQs
कैसे पता करें कि शेयर बाज़ार कब गिर सकता हैं?
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), बेरोजगारी दर और उपभोक्ता विश्वास जैसे आर्थिक संकेतकों पर नज़र रखें। इन संकेतकों में लगातार गिरावट मंदी या आर्थिक मंदी का पूर्वाभास करा सकती है, जो अक्सर Stock Market Crash का कारण बनती है।
स्टॉक मार्केट क्रैश के इंडीकेटर्स कौन से हैं?
नकारात्मक आर्थिक इंडीकेटर्स का संयोजन, जैसे बढ़ती बेरोजगारी, धीमी जीडीपी वृद्धि, या उपभोक्ता खर्च में गिरावट, निवेशकों के बीच अनिश्चितता और भय पैदा कर सकता है। जिससे शेयर मार्केट बिकवाली हावी हो सकती है और मार्केट क्रैश भी हो सकता है। जो बाद में बाजार में लंबी गिरावट का कारण बन सकती है।
स्टॉक मार्केट क्रैश होने का पहले से अनुमान कैसे लगाए?
अनुभव जन्य रिसर्च और एकेडेमिक रिसर्च ने शेयर मार्केट की भविष्यवाणी के संदर्भ में कुछ उपयोगी मेट्रिक्स ढूंढे हैं। उदाहरण के लिए, यह पाया गया है कि बुल मार्केट में लोन में बेतहाशा वृद्धि होना और इंस्टीटूशन द्वारा डिफॉल्ट करना शेयर मार्केट क्रैश का एक प्रासंगिक कारण हो सकता है। मजबूत इक्विटी मार्केट, मजबूत क्रेडिट वृद्धि के साथ मिलकर, बैंकिंग संकट की आशंका का संकेत देता है।
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