Share Bazar: शेयर बाजार क्या है? जानिए शेयर मार्केट की पूरी जानकारी सरल भाषा में

By: Manju chaudhary  Publish may, 2025

क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग घर बैठे कैसे करोड़ों रूपये कमा लेते हैं। वे ऐसा कैसे कर पाते हैं? क्या वे कोई जादू करते हैं या किस्मत की बात होती है? नहीं। इनमें से अधिकतर लोग "शेयर बाजार" के ज़रिए समझदारी से निवेश करके अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करते हैं। लेकिन अगर आप शेयर बाजार को समझे बिना उसमें उतरते हैं तो यह फायदा नहीं बल्कि भारी नुकसान भी दे सकता है। जानते हैं- शेयर मार्केट की पूरी जानकारी सरल भाषा में। Share bazar kya hai?
                                                                                   
Share market


अगर आप शेयर मार्केट से पैसे कामना चाहते हैं तो आपको पीटर लिंच द्वारा लिखित वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

शेयर बाजार क्या है? 

शेयर बाजार, जिसे स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है। एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि यह बिजनेसों को पूंजी जुटाने और निवेशकों को लाभ कमाने का अवसर प्रदान करता है। 

इस आर्टिकल में आप सरल भाषा में समझेंगे कि शेयर बाजार क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके विभिन्न प्रकार, निवेश के तरीके, और इससे जुड़े जोखिम एवं लाभ। “शेयर बाजार” जब भी ये शब्द सुनते हैं। आपके मन में कई सवाल आते होंगे। क्या ये सिर्फ अमीरों के लिए है? क्या इसमें पैसा डूब सकता है? क्या मैं भी इसमें निवेश करके पैसे कमा सकता हूँ?

सच कहूं, तो शेयर बाजार न तो कोई जादू है, न जुआ। यह एक ऐसी जगह है जहाँ समझदारी और धैर्य से आप भविष्य की आर्थिक नींव मजबूत कर सकते हैं। मैं भी कभी सोचती थी कि ये मेरे बस की बात नहीं। लेकिन जैसे-जैसे समझ बढ़ी, मैंने महसूस किया कि अगर आप सही समय पर, सही जानकारी के साथ निवेश करते हैं, तो शेयर बाजार आपको आर्थिक आज़ादी तक पहुँचा सकता है।

शेयर बाजार वह स्थान है जहां कंपनियां अपने शेयर जारी करके पूंजी जुटाती हैं और निवेशक इन शेयरों को खरीदकर कंपनी में भागीदार बनते हैं। जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जारी करती है, तो उसे IPO (Initial Public Offering) कहा जाता है। इसके बाद, इन शेयरों की स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है। 

निवेशक डिविडेंड के रूप में रेग्युलर इनकम जैनरेट करने भी शेयरों को लॉन्ग-टर्म के लिए होल्ड करते हैं। लोग शार्ट-टर्म व लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट से प्रॉफिट कमाने और कॉर्पोरेट चुनावों में वोट का अधिकार प्राप्त करने के लिए शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं। 

शेयर बाजार निम्नलिखित दो प्रमुख घटकों से बना होता है-
  1. प्राथमिक बाजार (Primary Market): जहां कंपनियां पहली बार आईपीओ के द्वारा अपने शेयर निवेशकों को बेचती हैं।
  2. द्वितीयक बाजार (Secondary Market): जहां निवेशक पहले से जारी किए गए शेयरों को खरीदते और बेचते हैं।
शेयर बाजार में कारोबार शेयर एक्सचेंज के माध्यम से होता है, जैसे भारत में बीएसई (BSE - Bombay Stock Exchange) और एनएसई (NSE - National Stock Exchange)। निवेशकों को इन शेयरों की खरीद-बिक्री करने के लिए स्टॉक ब्रोकर की आवश्यकता होती है। एनएसई का बेंचमार्क इंडेक्स निफ़्टी 50 है और बीएसई का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स है। 

शेयर बाजार मुख्य रूप से निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
  1. इक्विटी बाजार (Equity Market): जहां कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग होती है।
  2. डेरिवेटिव बाजार (Derivative Market): जहां फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) जैसे वित्तीय साधनों का लेन-देन होता है। वर्तमान समय में हमारे देश भारत में कैश से ज्यादा F&O में ट्रेडिंग होती है। 

शेयर बाजार कैसे काम करता है? 

जब भी लीग शेयर बाजार की बात करते हैं। तब वे NSE & BSE स्टॉक एक्सचेंजों की बात करते हैं। लेकिन शेयर बाजार एक्सचेंजों, ब्रोकरेज और ओवर-द-काउंटर बाजारों की एक बड़ी प्रणाली है। जहाँ भी आप किसी कंपनी का हिस्सा खरीद सकते हैं और ये भी शेयर बाजार का ही हिस्सा हैं। 

रिटेल ट्रेडर्स स्टॉकब्रोकर्स के माध्यम से शेयर खरीदते और बेचते हैं। लोग कई कारणों से Stock खरीदते हैं, बहुत से लोग कम प्राइस वाले शेयर खरीदते हैं. जिनकी प्राइस बढ़ने पर वे उन्हें बेचकर प्रॉफिट कमा सकें। बहुत से लोग डिविडेंड देने वाली कंपनियों के शेयर लॉन्ग-टर्म के लिए खरीदते हैं जिससे उन्हें लगातार इनकम होती रहे। 

बहुत से लोग लोग इस बात में रुचि रख सकते हैं कि विशेष कंपनियों को कैसे चलाया जाए। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप अपने पास मौजूद शेयरों की संख्या के आधार पर शेयरधारक बैठकों में वोट कर सकते हैं। शेयरों के मालिक होने से आपको कंपनी के मुनाफे के हिस्से पर अधिकार मिलता है, जिसे अक्सर डिविडेंड के रूप में भुगतान किया जाता है। कभी-कभी इन्वेस्टर्स को कंपनी मामलों पर वोट देने का अधिकार मिलता है। 

शेयर कैसे खरीदे और बेचे जाते हैं? 

जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के छोटे से हिस्से के मालिक बन जाते हैं। कंपनी के कितने हिस्से के आप मालिक हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी के कितने शेयर जारी किये हैं और आपके के पास उस कम्पनी के कितने शेयर हैं।  

अगर आपने स्मॉलकैप कंपनी के शेयरों में इन्वेस्ट किया है तो आप ठीक-ठाक हिस्से के मालिक बन सकते हैं। लेकिन अगर आपने लार्ज-कैप कंपनी के शेयर खरीदे हैं तो आपके पास बहुत छोटा हिस्सा होगा। लार्ज-कैप कंपनियां करोड़ों अरबों की संख्या में शेयर जारी करती हैं। अतः 100-200 शेयर बहुत छोटा हिस्सा होते हैं। 

Share price नए इन्वेस्टर्स द्वारा शेयरों की डिमांड के आधार पर बदलती रहती है। साथ ही यह उन इन्वेस्टर्स की सप्लाई पर भी निर्भर करती है जो उसे बेचना चाहते हैं। प्रत्येक इन्वेस्टर के शेयर को buy & sell करने के मानदंड अलग-अलग होते हैं। 

किसी को शेयर प्राइस कम लग सकता है और किसी इन्वेस्टर को ज्यादा लग सकता है। इसी वजह से शेयर प्राइस लगातार बदलते रहते हैं और उनकी भविष्य की कीमत का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। 

स्टॉक एक्सचेंज 

एक बार जब शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाते हैं। उसके बाद उसके शायरों स्वतंत्र रूप से ट्रेडिंग शुरू हो जाती यह। इसके बाद इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स इन्हें स्वतंत्र रूप से buy & sell कर सकते हैं। ज्यादातर ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर होती है हालाँकि ट्रेडिंग के लिए अन्य स्थान भी होते हैं। 

भारत में मुख्य स्टॉक एक्सचेंज NSE और BSE हैं। एनएसई का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है और इसका मुख्यालय मुम्बई में है। बीएसई का पूरा नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है हुए इसका भी मुख्यालय मुम्बई में हैं। स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का एक बड़ा लाभ लिक्विडिटी का बनना होता है। 

जिसकी वजह से शेयरों को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। शेयरों के हजारों-लाखों खरीदार और विक्रेता एक साथ सौदे कर रहे होते हैं। हमेशा कोई न कोई ऐसा व्यक्ति होता है जो सही कीमत पर शेयर खरीदने या बेचने के लिए तैयार रहता है। 

ओवर-द-काउंटर मार्केट

स्टॉक ट्रेडिंग "ओवर द काउंटर" (OTC) पर भी किया जा सकता है। ये OTC मार्केट हैं, यहाँ आप किसी दूसरे इन्वेस्टर के साथ सीधे स्टॉक खरीदते या बेचते हैं। आमतौर पर बिना किसी रेग्युलेशन के या सार्वजनिक जाँच के बिना OTC ट्रेडिंग में ब्रोकर और डीलर का एक नेटवर्क शामिल होते हैं। 

वे कंप्यूटर नेटवर्क और फ़ोन के ज़रिए सीधे आपस में बातचीत करते हैं। चूँकि इस तरह की इन्वेस्टिंग सेबी के दायरे से बाहर होती है इसलिए इसमें जोखिम बहुत होता है। जिन कंपनियों में इन्वेस्टर इन्वेस्ट करना चाहते हैं उनके बारे में विश्वसनीय जानकरी जुटाना बहुत मुश्किल होता है। अतः प्रॉफिट होने के बावजूद आपका पैसा OTC में डूब सकता है।   

इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स 

Share market में शामिल लोगों में म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, हैज फंड और बिमा कंपनियां जैसे इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स शामिल होते हैं। जो बड़ी मात्रा में धन का मैनेज करते हैं और यह धन शेयर मार्केट पर बहुत प्रभाव डालता है। इनकी वजह से लार्ज ट्रेडिंग वॉल्यूम जैनरेट होता है। जिससे मार्केट में लिक्विडिटी बनती है। रिटेल ट्रेडर्स किसी ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से शेयर खरीदते और बेचते नहीं हैं। 

वे अपने डीमैट अकाउंट से शेयर buy & sell करते हैं। बहुत से रिटेल ट्रेडर्स नए होते हैं और बहुत से अनुभवी होते हैं जो लम्बे समय से ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कर रहे होते हैं। ज्यादातर ट्रेडर्स ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से शेयरों की बाइंग हुए सेलिंग करते हैं। रिटेल ट्रेडर्स का दूसरा ग्रुप हाई नेटवर्थ इंडीविजुवल ट्रेडर्स का भी होता है। जिनके पास ज्यादा पैसा कर अनुभव भी होता है। 

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