Stocks Buy and Sell: शेयर खरीदने और बेचने का सबसे अच्छा तरीका

डिजिटल तकनीक और इंटरनेट के फैलाव के बाद, बहुत सारे ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स ऑनलाइन शेयर खरीदना और बेचना पसंद करने लगे हैं। इसके पहले स्टॉक्स खरीदने और बेचने के लिए स्टॉक मार्केट के सलाहकारों को भारी कमीशन देना पड़ता था और ब्रोकरेज फीस भी ज्यादा लगती थी। 

विस्तार से जानते हैं- शेयर खरीदने और बेचने का सबसे अच्छा तरीका। Best way buy and sell stocks in Hindi. 
                                                                                   
Buy and sell stocks
शेयर खरीदने और बेचने का तरीका 

यदि आप शेयर मार्केट से पैसे कमाकर अमीर बनना चाहते हैं तो आप प्रांजल कमरा द्वारा लिखित इंवेस्टोनोमी बुक जरूर पढ़नी चाहिए।  

शेयर कैसे खरीदे और बेचें 

हालाँकि जब आप शेयर खरीदना और बेचना शुरू करें। उससे पहले आपको शेयर खरीदने और बेचने के सभी प्रकार (Types) पता होने चाहिए। जिससे आप Buy and sell Stocks करने का सबसे अच्छा तरीका सीख सकें। जिससे शेयर मार्केट में आपके प्रॉफिट कमाने की संभावनाएं बढ़ जायेगीं। 

इस आर्टिकल में शेयर खरीदने और बेचने के कई सबसे अच्छे तरीके बताये गए हैं। इससे आपकी ट्रेडिंग/इन्वेस्टिंग शैली में सुधार होगा।आपके निवेश करने के तरीके के अनुसार आप अपना शेयर खरीदने या बेचने का ऑर्डर दे सकते हैं। 

जिससे आप प्रभावी ढंग से ट्रेडिंग कर सकें, यानि प्रॉफिट कमा सकें। मार्केट ऑर्डर (Market Order) के द्वारा आप करंट मार्केट प्राइस पर शेयर खरीद और बेच सकते हैं। 

इसी तरह लिमिट ऑर्डर (Limit Order) में आप अपनी पसंद का प्राइस भर सकते हैं। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप के भरे हुए प्राइस पर आप शेयर खरीद या बेच पाएंगे। यदि आपने सिक्युरिटीज खरीदने के लिए उसकी प्राइस बहुत कम और बेचने के लिए प्राइस बहुत अधिक भरी है। तो हो सकता है की आपका ऑर्डर पूरा न हो पाए। 

स्टॉप लॉस ऑर्डर एक प्रकार से मार्केट ऑर्डर के ही समान होता है क्योंकि यह तब ट्रिगर्ड होता है। जब सिक्युरिटीज के प्राइस आपके द्वारा निश्चित लेवल से ऊपर या नीचे चले जाते हैं। अकसर बड़े नुकसान से बचने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर को बीमा की तरह लगाया जाता है। प्रॉफिट को लॉक करने के लिए भी स्टॉप-लॉस आर्डर लगाया जाता है। 

मार्केट ऑर्डर Vs लिमिट 

शेयर खरीदने और बेचने के लिए दो प्रकार के मुख्य ऑर्डर लगाए जाते हैं, मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर। इन दोनों प्रकार के ऑर्डर के बारे में शेयर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को पता हो ना चाहिए। इन दोनों की विशेषताएं और अंतर निम्नलिखित हैं। राकेश झुनझुनवाला की बायोग्राफी    

मार्केट ऑर्डर 

Market order शेयर खरीदने का सबसे आम तरीका है। इस ऑर्डर में करंट मार्केट प्राइस पर तुरंत शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। यदि आप शेयर खरीदने जा रहे हैं, तो आपको शेयर खरीदने के लिए बिड प्राइस में सबसे पहले शेयर बेचने के लिए दिए गए। प्राइस या उसके आस-पास के प्राइस का आपको भुगतान करना पड़ेगा। 

इसी तरह यदि आप मार्केट प्राइस पर अपने शेयर बेचने जा रहे हैं। तो भी शेयर खरीदने के लिए दिए गए सबसे पहले बिड प्राइस या उसके आस-पास का प्राइस पर ही आपको मिलेगा। जिस प्राइस पर मार्केट ऑर्डर एक्सीक्यूट हुआ जरूरी नहीं है कि वह लास्ट ट्रेडेड प्राइस हो।  

फ़ास्ट मूविंग और वोलेटाइल शेयर मार्केट में जिस प्राइस पर आप ट्रेडिंग करते हैं। शेयर के प्राइस बहुत जल्दी उससे ऊपर या नीचे हो सकते हैं। Market Order मूल्य की गारंटी नहीं देते हैं लेकिन वे ऑर्डर एक्जिक्यूट होने की गारंटी देते हैं। मार्केट ऑर्डर उन रिटेल ट्रेडर्स के बीच लोकप्रिय है, जो बिना किसी देरी के तुरंत शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं। 

मार्केट ऑर्डर का उपयोग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आपका ऑर्डर एक्जिक्यूट होने की गारंटी दी जाती है। साथ ही मार्केट ऑर्डर को जल्दी से जल्दी पूरा करने की गारंटी भी दी जाती है। हालाँकि ट्रेडर्स को यह पता नहीं होता कि उनका ऑर्डर किस प्राइस पर एक्जिक्यूट होगा। मार्केट ऑर्डर पर प्रतिदिन हजारों-लाखों ऑर्डर Bid-Ask प्राइस पर एक्जिक्यूट किये जाते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग  

लिमिट ऑर्डर 

Limit order जिसे कभी-कभी पेंडिंग ऑर्डर भी कहा जाता है, यह ऑर्डर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को सिक्युरिटीज को एक निश्चित प्राइस पर खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। इस प्रकार के ऑर्डर का उपयोग सिक्युरिटीज को  पूर्व-निर्धारित प्राइस पर खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है। 

जब प्राइस ऑर्डर में दिए गए निश्चित प्राइस पर पहुँचता है, तब ही लिमिट ऑर्डर एक्जिक्यूट होता है। अन्यथा लिमिट ऑर्डर पेंडिंग में ही पड़ा रहता है और सेशन समाप्त होने पर केन्सिल हो जाता है। उदाहरण स्वरूप यदि आप 100 रूपये प्रति शेयर के प्राइस पर कोई शेयर खरीदना चाहते हैं। एक्टिव ट्रेडिंग

आप इसके लिए लिमिट ऑर्डर लगा सकते हैं। इसका मतलब है आप उस विशेष शेयर के लिए 100 रूपये प्रति शेयर से एक पैसा भी ज्यादा भुगतान नहीं करेंगे। हालाँकि यह अभी भी संभव है कि यह शेयर आपको 100 रूपये के कम पर मिल जाये। 

लिमिट ऑर्डर चार प्रकार के होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-  
  1. Buy Limit Order: बाय लिमिट ऑर्डर में Stocks Buy करने के लिए करंट मार्केट प्राइस से कम पर या एक निर्दिष्ट प्राइस पर ऑर्डर लगाया जाता है। इसमें ट्रेडर्स को उम्मीद होती है कि शेयर का प्राइस कुछ समय पश्चात उनके ऑर्डर में लगाए प्राइस को टच कर लेगा और उनका सौदा पूरा हो जायेगा। बाय लिमिट ऑर्डर का अर्थ हे करंट मार्केट बिड पर या उससे कम पर ऑर्डर प्लेस करना। 
  2. Sell Limit Order: सेल लिमिट ऑर्डर में Stocks Sell करने के लिए करंट मार्केट प्राइस से ज्यादा पर या एक निर्दिष्ट प्राइस पर आर्डर लगाया जाता है। इसमें ट्रेडर्स को उम्मीद होती है कि शेयर का प्राइस कुछ समय पश्चात उनके ऑर्डर में लगाए गए प्राइस को टच कर लेगा और उनका सौदा पूरा हो जायेगा। सेल लिमिट ऑर्डर का अर्थ है करंट मार्केट बिड पर व उससे ज्यादा पर ऑर्डर प्लेस करना। 
  3. Buy Stop Order: बाय स्टॉप ऑर्डर में सिक्युरिटी खरीदने का ऑर्डर करंट मार्केट बिड से ऊपर होता है। Buy stop order केवल तब एक्टिव होता है, जब प्राइस निर्दिष्ट लेवल तक पहुँच जाते हैं। (इसे स्टॉप-लॉस लेवल के नाम से जाना जाता है)। बाय स्टॉप ऑर्डर मार्केट के ऊपर रखे गए ऑर्डर हैं। इसी तरह सेल स्टॉप ऑर्डर मार्केट के नीचे रखे गए ऑर्डर हैं। (क्रमशः Buy and sell के लिमिट ऑर्डर के विपरीत) शेयर के प्राइस के एक बार स्टॉप लेवल पर के तुरंत बाद उसे मार्केट या लिमिट ऑर्डर में बदल दिया जाता है। 
  4. Sell Stop Order: सेल स्टॉप ऑर्डर में सिक्युरिटी को मार्केट की मौजूदा माँग से कम प्राइस पर बेचाने का स्टॉप ऑर्डर लगाया जाता है। Buy stop order की तरह ही Sell stop order भी तब एक्टिव होता है जब प्राइस के निर्दिष्ट लेवल तक पहुँच जाते हैं।  
उपर्युक्त स्टॉक ऑर्डर के आलावा अन्य प्रकार के ऑर्डर भी आप अपनी जरूरत के हिसाब से लगा सकते हैं। जो कि निम्नलिखित हैं- 

Take Profit Order: टेक प्रॉफिट ऑर्डर का उद्देश्य जब ट्रेड  प्रॉफिट में होता है। तब उसके एक निश्चित प्राइस लेवल पर पहुँचने पर प्रॉफिट को लॉक करना होता है। इसे ओपन पोजीशन में एक निश्चित लेवल सेट करके लगाया जाता है।  इसे ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी कहते हैं। ऑप्शन ग्रीक्स

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक बार आपकी पोजीशन प्रॉफिट में आ जाती है। अगर आप उसमें टेक प्रॉफिट ऑर्डर लगा देते हैं तो उसमे नुकसान होने की आशंका खत्म हो जाती है। भले ही प्रॉफिट कम हो पर आपकी पोजीशन प्रॉफिट में ही बंद होगी।  

सारांश एक इन्वेस्टर को मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर के बीच का अंतर जानना बेहद जरूरी है। अलग-अलग टाइम पर अपनी जरूरत के हिसाब से दोनों तरह के ऑर्डर का यूज करना आना चाहिए। प्रत्येक ट्रेडर अपने द्रष्टिकोण के हिसाब से शेयर खरीदने और बेचने के लिए ऑर्डर लगता है।

जब ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स ऑर्डर के बारे में पर्याप्त जानकारी होगी। तभी वे अपनी जरूरत के हिसाब से सही ऑर्डर लगा पाएंगे। लॉन्ग-टर्म ज्यादातर मार्केट ऑर्डर पर शेयर खरीदते और बेचते हैं क्योंकि उनके डिसीजन फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर होते हैं। इन्वेस्टर्स महीनों में या साल में एक दो ट्रेड करते हैं। इसलिए वर्तमान मार्केट प्राइस इनके लिए कोई मुद्दा नहीं होता है। 

स्टॉक ट्रेडर्स जो चार्ट पर होने वाले शार्ट-टर्म उतार-चढ़ाव से पैसे कामना चाहते हैं। इसलिए वे जो मार्केट प्राइस पे करते हैं, उसके प्रति ज्यादा सचेत रहते हैं। इस तरह के ट्रेडर्स Stocks sell करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर और खरीदने के लिए लिमिट ऑर्डर का उपयोग करते हैं। जिससे सौदा मिनिमम प्राइस पर हो सके। 

उम्मीद है अब आप यह जानकर की प्रत्येक आर्डर क्या करता है? यह आपकी ट्रेडिंग को कैसे प्रभावित कर सकता है। सही निर्णय कर सकते हैं कि Share Buy करने और sell करने के लिए कौन सा ऑर्डर आपके लिए सही रहेगा? इसके द्वारा आप अपना समय बचा सकते हैं, जोखिम कम कर सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण पैसे बचा सकते हैं। ब्रेकआउट ट्रेडिंग

उम्मीद है, आपको यह शेयर खरीदने और बेचने का सबसे अच्छा तरीका आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह Best way buy and sell stocks in Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। 

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