Bull Trap and Bear Trap: ऑप्शन ट्रेडिंग में बुल ट्रैप और बेयर ट्रैप क्या है?
एक बुल ट्रैप (bull trap ) ट्रेडर्स को नुकसान वाले ट्रेड में फंसाता है। बुल ट्रैप ( तेजी का जाल ) आमतौर पर ओवरऑल अपट्रेंड के दौरान आता है। इसी तरह बियर ट्रैप ( bear trap ) सेलर और शार्ट-सेलर को नुकसान वाले ट्रेड में फंसाता है। बियर ट्रैप (मंदी का जाल ) आमतौर पर ओवरऑल अपट्रेंड के दौरान आता है। आइए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शन ट्रेडिंग में बुल ट्रैप और बियर ट्रैप क्या है? Bull Trap and Bear Trap in Options Trading in Hindi.
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आप महेशचंद्र कौशिक द्वारा लिखित बुक साइकोलॉजी ऑफ़ ऑप्शन ट्रेडिंग जरूर पढ़नी चाहिए।
Bull and Bear Trap क्या है?
ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी एक वित्तीय साधन है, जिसमे ट्रेडर्स अंडरलाइंग एसेट के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को खरीदकर उसके प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमा सकते है। सफल Options Trading में, ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज महत्वपूर्ण रोल अदा करती हैं क्योंकि ये ट्रेडर्स को रिस्क मैनेजमेंट और सूचित निर्णय लेने में मदद करती हैं।
बुल और बियर ट्रैप ऑप्शंस ट्रेडिंग में उपयोग की जाने वाली सामान्य रणनीति है। जहां Traders मार्केट में अचानक होने वाले प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते रहते हैं। Bull trap तब होता है, जब ट्रेडर्स को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन अंडरलाइंग एसेट का प्राइस अचानक से गिर जाता है।
इसी तरह Bear trap तब होता है, जब traders को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस गिर रहा है। लेकिन एसेट का प्राइस अचानक बढ़ने लगता है। options contracts ट्रेडर्स की अंडरलाइंग एसेट के प्राइस मूवमेंट पर दांव लगाने की अनुमति देता है। ट्रेडर्स Bull and Bear मार्केट स्थितियों में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी हो बनाकर उसके अनुसार ट्रेड ले सकते हैं।
Bull Trap को समझें
बुल ट्रैप संकेत देता है कि शेयर का प्राइस बढ़ेगा। लेकिन वास्तव में stock price गिर जाता है। Stock market में शेयर के प्राइस को मेनुपुलेट करने वाले ट्रेडर्स अक्सर यह जाल बिछाते हैं। और स्टॉक की कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए विभिन्न ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी का उपयोग करते हैं।
Option trading में, बुल ट्रैप तब बनाया जाता है, जब ट्रेडर्स वर्तमान मार्केट ट्रेन्ड के आधार पर सोचते हैं कि किसी शेयर की कीमत में वृद्धि जारी रहेगी। लेकिन मार्केट में मैनिपुलेट करने वाले ट्रेडर्स बहुत सारे शेयर खरीदकर, खरीदारी का दबाव बनाने की झूठा बाइंग सेंटीमेंट पैदा करते हैं। जिससे Stocks price कुछ समय के लिए बढ़ जाते हैं और भोले-भले रिटेल ट्रेडर्स Bull trap में फंस जाते हैं।
फाल्स प्राइस मूवमेंट ट्रेडर्स को बिना सोचे-समझे स्टॉक खरीदने के लिए प्रेरित करता है। यह सोचकर कि उन्हें अच्छा सौदा मिल रहा है। बुल ट्रैप का एक उदाहरण 1990 के दशक के अंत में डॉट-कॉम बबल के दौरान हुआ था। मार्केट में इन्वेस्ट कैसे करें?
डॉट-कॉम बबल 1990 के दशक के अंत में एक ऐसी अवधि थी जिसमें इंटरनेट-आधारित कंपनियों में अत्यधिक स्पेक्युलेटिव इन्वेस्ट हुआ था। जिससे share market में बबल ( बबल में शेयरों के प्राइस उनकी रियल वैल्यू से बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं ) पैदा हुआ जो अंततः investors के लिए बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान का कारण बना यह।
इस दौरान इंटरनेट आधारित बहुत सी कंपनियों के शेयर प्राइस में बेतहाशा वृद्धि हुई। जिससे ट्रेडर्स ने उन्हें हाई प्राइस पर खरीदा। उन्हें लगा कि यह अपट्रेंड आगे भी जारी रहेगा लेकिन इन शेयरों की प्राइस कृत्रिम रूप से बढ़ा दी गईं थी। जिससे अंततः बबल फूट गया, बहुत सारे ट्रेडर्स को बहुत सारा पैसा खोना पड़ा। Bull trap की पहचान करने के लिए ट्रेडर्स को market trend की पहचान करनी चाहिए। और शेयरों के प्राइस में अचानक होने वाली बढ़ोतरी से सावधान रहना चाहिए।
इसके अतिरिक्त यह देखने के लिए कि क्या शेयर मार्केट की वास्तविक परिस्थितियाँ प्राइस मूवमेंट का समर्थन करती हैं। इसके लिए शेयरों के फंडामेंटल जैसे अर्निग्स रिपोर्ट, P/E रेश्यो, रेवेन्यू और ग्रोथ की संभावनाओं आदि का विश्लेषण करना चाहिए। Bull trap की पहचान करने के लिए ट्रेडर्स को मार्केट के टेक्निकल इंडीकेटर्स को भी देखना चाहिए। जैसे शेयर बाजार का समग्र प्रदर्शन, आर्थिक संकेतक और राजनीतिक घटनाएं जो स्टॉक की कीमत को प्रभावित कर सकती हैं।
वोलेटाइल मार्केट में Bull trap से बचने के लिए Options Trading Strategies
बुल ट्रैप की संभावना का मूल्यांकन करते समय ट्रेडर्स को बाजार की वोलेटिलिटी पर भी विचार करना चाहिए। यदि बाजार अत्यधिक वोलेटाइल है, तो इससे फाल्स प्राइस मूवमेंट की आशंका बढ़ जाती है। जिससे फाल्स ब्रेकआउट होते हैं, इस फाल्स प्राइस मूवमेंट के कारण Bull trap में फंसने से बचने के लिए आपको ओवरट्रेडिंग से बचना चाहिए।
बुल ट्रैप से बचने के लिए आपको एक अच्छी तरह से परिभाषित ट्रेडिंग प्लान पर टिके रहना जरूरी है। इसमें यथार्थवादी प्रॉफिट टार्गेट तय करना, स्टॉप-लॉस ऑर्डर और संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए नियमित अंतराल पर प्रॉफिट बुक करना चाहिए।
ट्रेडर्स को इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने से पहले किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से मार्गदर्शन लेने पर भी विचार करना चाहिए। एक अनुभवी वित्तीय सलाहकार market trend के बारे मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है और traders को एक अच्छी trading strategy विकसित करने में मदद कर सकता है।
Bear Trap को समझें
बियर ट्रैप एक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसे share market में गिरावट से प्रॉफिट कमाने के लिए बनाया गया है। बियर ट्रैप नाम उस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को संदर्भित करता है। जिसमें प्रॉफिट कमाने के लिए ट्रेडर्स को डाउनवर्ड ट्रेंड में ट्रैप करके प्रॉफिट कमाया जाता है। Bear trap फाल्स सिग्नल देता है, जो कहता है कि प्राइस रिवर्सल आने वाला है। लेकिन प्राइस नीचे की तरफ जा रहा होता है।
Bull trap तब बनता है जब मार्केट पार्टिसिपेंट को लगता है। किसी अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में बड़ी गिरावट आने वाली है। ऐसा अक्सर तब होता है, जब मार्केट में लम्बे समय तक bearish sentiment चलता है। ऐसा अक्सर लम्बे बियर मार्केट के दौरान होता है, जिसमें रिटेल ट्रेडर्स अक्सर फंस जाते हैं।
इस दौरान stocks को शार्ट-सेल किया जाता है या कॉल ऑप्शन बेचे जाते हैं। यह अनुमान लगाते हुए कि कीमत गिर जाएगी। लेकिन अगर कीमत उम्मीद के मुताबिक कम नहीं होती है, तो ट्रेडर्स "फंस" सकते हैं और बहुत सारा पैसा खो सकते हैं।
Bear Trap को कैसे पहचाने?
बियर ट्रैप की पहचान करने के लिए ट्रेडर्स को निम्नलिखित कारको का ध्यान रखना चाहिए।
- मार्केट सेंटीमेंट: ट्रेडर्स को ओवरऑल मार्केट सेंटीमेंट के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि बियर सेंटीमेंट संभावित Bear trap का संकेत दे सकती है।
- प्राइस एक्शन: ट्रेडर्स को किसी शेयर के प्राइस में ट्रेंड रिवर्सल के संकेतों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि शेयरों के प्राइस में लगातार गिरावट होने के बाद अचानक वृद्धि होना भी एक बुल ट्रैप का संकेत हो सकता है।
- ट्रेडिंग वॉल्यूम: Stock market में ट्रेडिंग वॉल्यूम की मात्रा का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी शेयर के प्राइस में बढ़े हुए वॉल्यूम के साथ वृद्धि होना प्राइस रिवर्सल का संकेत हो सकता है।
- टेक्निकल एनालिसिस: ट्रेडर्स को Bear trap को पहचानने के लिए चार्ट पैटर्न्स और टेक्निकल इंडीकेटर्स का यूज भी करना चाहिए।
निम्नलिखित कुछ बिंदु हैं, जिनका ध्यान प्रत्येक ट्रेडर को ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान रखना चाहिए।
- Bear trap से जुड़े रिस्क: बियर ट्रैप शेयर मार्केट ट्रेडर्स के लिए बहुत रिस्की हो सकता है। अगर अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में उम्मीद के मुताबिक गिरावट नहीं होती है। तो ट्रेडर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी कारण से कहा जाता है कि ट्रेडर्स को अपनी रिस्क उठाने की क्षमता से ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहिए। केवल उतना ही पैसा मार्केट में लगाना चाहिए, जितने का वे आसानी से रिस्क उठा सकें।
- स्टॉप-लॉस का महत्व: बियर ट्रैप से जुड़े रिस्क को कम करने के लिए ट्रेडर्स को स्टॉप-लॉस ऑर्डर ट्रेड लेने के बारे में विचार करना चाहिए। यदि कीमत एक निश्चित सीमा से नीचे गिरती है तो स्टॉक या options बेचने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर स्वचालित रूप से रखे जाते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाकर ट्रेडर्स अपने नुकसान को सीमित कर सकते हैं और अपने पैसे को बचा सकते हैं।
- ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कॉम्बिनेशन: सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए बियर ट्रैप को अन्य option trading स्ट्रेटेजी के साथ मिलकर उपयोग करना चाहिए। जैसे लॉन्ग पोजीशन बनाना, बुलिश कॉल ऑप्शन पोजीशन बनाना आदि। उदाहरण के लिए यदि आपने किसी कंपनी के stocks होल्ड कर रखे हैं और आपको लगता है कि इस शेयर के प्राइस में गिरावट आ सकती है। तो आप उस शेयर का पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं। इस तरह आप लॉन्ग और शार्ट करके दोनों तरफ प्रॉफिट कमा सकते हैं।
Bull and Bear Trap की व्याख्या
बुल ट्रैप एक गलत संकेत है जो दर्शाता है कि बाजार में बुलिश ट्रेंड जारी रहेगा। जबकि सच्चाई यह होती है कि मार्केट या शेयर के प्राइस में रिवर्सल आ रहा होता है। जो इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स इन गलत संकेत पर काम करते हैं। वे हाई प्रीमियम पर अंडरलाइंग एसेट खरीदकर फंस जाते हैं क्योंकि जल्दी ही अंडरलाइंग एसेट का प्रीमियम गिरने लगता है। सेबी के नए नियम?
इसी तरह बियर ट्रैप भी गलत संकेत है, जो दर्शाता है कि बाजार में बुलिश ट्रेंड जारी रहेगा। जबकि सच्चाई यह होती है कि मार्केट या शेयर के प्राइस में रिवर्सल आ रहा होता है। जो इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स इन गलत संकेत पर काम करते हैं। वे कम प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट बेच देते हैं या Put option खरीद लेते हैं। लेकिन जल्दी ही अंडरलाइंग एसेट का प्राइस बढ़ने लगता है, जिससे उन्हें नुकसान होता है।
बुल ट्रैप में मार्केट बढ़ते प्राइस और हाई वॉल्यूम के साथ अपट्रेंड दिखाते हैं। इससे गलत इम्प्रेशन बनता है कि underlying asset के प्राइस बढ़ना जारी रखेंगे। Beartrap में ऑप्शन मार्केट में गिरावट के संकेत मिलते हैं। जिसमें कम वॉल्यूम के साथ अंडरलाइंग एसेट के प्राइस गिरते हैं। जिससे गलत इम्प्रेशन जाता है कि आगे भी प्राइस गिरना जारी रहेंगे।
जो इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स Bull trap के दौरान Options market में खरीदारी करते हैं। यह मानते हुए कि अंडरलाइंग एसेट के प्राइस बढ़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता और ट्रेडर्स बुल ट्रैप में फंसकर नुकसान उठाते हैं। इसी तरह जो ट्रेडर्स Bear trap में फंसकर ऑप्शन मार्केट में बिकवाली करते हैं। वे संभावित प्रॉफिट से चूक जाते हैं और शार्ट-सेल की पोजीशन बनाने पर नुकसान भी उठाते हैं।
Bull trap का परिणाम यह होता है कि स्टॉक्स की कीमत गिर जाती है। जिससे निवेशकों को पैसा खोना पड़ता है। यह उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा शेयरों में निवेश किया होता है।
Bear trap का परिणाम यह होता है कि Stocks के प्राइस बढ़ जाते हैं। जिससे निवेशक संभावित प्रॉफिट से चूक जाते हैं। उदाहरण किसी कंपनी के बारे में अच्छी खबर से या बाजार की अटकलों के कारण शार्ट-टर्म में एक शेयर की कीमत तेजी से बढ़ सकती है। हालाँकि, यदि कंपनी के फंडामेंटल मजबूत नहीं होंगे, तो ऐसे शेयर के प्राइस जल्दी ही गिर भी जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बुल ट्रैप हो सकता है।
इसी तरह किसी कंपनी के बारे में ख़राब खबरें आने से या बाजार की अटकलों के कारण शार्ट-टर्म में शेयर की कीमत तेजी से गिर सकती है। हालाँकि, यदि कंपनी के फंडामेंटल मजबूत हैं, तो शेयर के प्राइस जल्द ही बढ़ भी सकते हैं।जिसके परिणामस्वरूप बियर ट्रैप बन सकता है।
उम्मीद है, आपको यह ऑप्शन ट्रेडिंग में बुल ट्रैप और बेयर ट्रैप ( Bull Trap and Bear Trap ) क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आपको यह Bull Trap and Bear Trap in Options Trading in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें।
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