Invest in US Stocks: क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपने 10 साल पहले Apple, Amazon, या Google के शेयर खरीदे होते तो आज आपका पोर्टफोलियो कहाँ होता? भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करना बहुत अच्छा है लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे इनोवेटिव और सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली कंपनियों को अनदेखा करना, बड़ी गलती हो सकती है। आइए जानते हैं- 100 डॉलर से बनें ग्लोबल इन्वेस्टर! US स्टॉक्स में निवेश का सीक्रेट तरीका। How to Invest in US Stocks in Hindi.
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| क्या आप सिर्फ भारतीय बाजार तक सीमित हैं? अमेरिकी शेयरों में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को ग्लोबल बनाएं और ज़बरदस्त रिटर्न पाएं! |
US Stock Market वैश्विक निवेश और ज़बरदस्त रिटर्न का सबसे बड़ा ज़रिया है। अच्छी खबर यह है कि अब भारत से अमेरिकी शेयरों में निवेश करना पहले से कहीं ज़्यादा आसान हो गया है! इस आर्टिकल में, आप जानेंगे कि आप कैसे $100 जितनी कम रकम से भी ग्लोबल इन्वेस्टर बन सकते हैं।
सही ब्रोकर कैसे चुनें, और US स्टॉक मार्केट में सुरक्षित रूप से पैसे कैसे लगाएँ? अगर आप अपने पोर्टफोलियो को मज़बूती देना चाहते हैं और डॉलर में कमाई करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपकी पहली सीढ़ी है!
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US Stocks में इन्वेस्ट करने का तरीका
- स्टॉक्स में डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट।
- म्यूचुअल फंड या ETF के ज़रिए स्टॉक्स में इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट।
- इंटरनेशनल ब्रोकर: ये आमतौर पर कम ब्रोकरेज फीस लेते हैं और निवेश विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला (जैसे US ऑप्शंस, बॉन्ड्स) प्रदान करते हैं। हालाँकि, फंड ट्रांसफर करना और भारतीय नियमों (जैसे LRS) का अनुपालन करना थोड़ा कठिन हो सकता है।
- भारतीय ब्रोकर जिनके पास इंटरनेशनल टाई-अप है: जैसे Zerodha, Groww, Upstox, ये ब्रोकर अक्सर यूजर-फ्रेंडली इंटरफ़ेस और रुपये (INR) में आसान फंड ट्रांसफर की सुविधा देते हैं। ये नए लोगों के लिए बेहतरीन होते हैं।
आपको W-8BEN फॉर्म भरना होगा। यह एक US टैक्स फॉर्म है जो इस बात की पुष्टि करता है कि आप अमेरिका के नागरिक नहीं हैं। जिससे US में डिविडेंड पर टैक्स कटौती 30% से घटकर 25% या 15% (भारत-US टैक्स संधि के अनुसार) हो जाती है।
3. फंड ट्रांसफर करें: एक बार जब आपका डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाए, तो आपको अपने भारतीय बैंक खाते से अपने ब्रोकरेज खाते में पैसा भेजना होगा। इसके दो तरीके हैं-
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के लिबरलाइज़्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत, एक भारतीय निवासी एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में अधिकतम $2,50,000 (लगभग ₹2 करोड़) तक विदेशी निवेश के लिए भेज सकता है।
- ट्रांसफर का तरीका: फ़ॉरेक्स ट्रांसफर सीधे अपने बैंक के माध्यम से USD में फंड ट्रांसफर करन चाहिए क्योंकि इसमें शुल्क लग सकता है।
- ब्रोकर का इंटरफ़ेस: कुछ भारतीय ब्रोकर रुपये में पेमेंट स्वीकार करते हैं, और वे स्वयं इसे डॉलर में बदलकर आपके खाते में जमा कर देते हैं।
क्या खरीदें?
- ब्लू-चिप स्टॉक्स चुने, Apple, Microsoft, Amazon जैसी स्थापित, बड़ी कंपनियों के शेयर। इन्हें लार्जकैप स्टॉक्स के नाम से भी जाना जाता है।
- लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के लिए ग्रोथ स्टॉक्स को बेस्ट माना जाता है। Tesla, Nvidia जैसी तेज़ी से बढ़ने वाली कंपनियों के शेयर।
- ETF (Exchange-Traded Funds): अगर आप किसी एक स्टॉक में जोखिम नहीं लेना चाहते, तो S&P 500 या NASDAQ 100 को ट्रैक करने वाले ETF (जैसे VOO, QQQ) में निवेश करें। यह आपको पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन देता है।
- फ़्रैक्शनल शेयर (Fractional Shares): कई US ब्रोकर आपको फ़्रैक्शनल शेयर खरीदने की अनुमति देते हैं। इसका मतलब है कि आप पूरे शेयर की कीमत दिए बिना, केवल $100 या $500 में भी Tesla का एक हिस्सा खरीद सकते हैं।
US स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट के फायदे
अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने से भारतीय निवेशकों को निम्नलिखित कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं, जो केवल घरेलू मार्केट में निवेश करने से नहीं मिल सकते।1. पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन: यूएस शेयरों में इन्वेस्टमेंट करने से Portfolio Diversification का फायदा मिलता है। जिससे मार्केट रिस्क कम होता है। इन्वेस्टर किसी एक देश या अर्थव्यवस्था पर निर्भरता कम हो जाती है। जब भारतीय बाज़ार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा होता है तो US बाज़ार से मिला रिटर्न आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकता है। आप दुनिया की सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्था के विकास का हिस्सा बन जाते हैं।
2. इनोवेटिव कंपनियों तक पहुँच: US स्टॉक मार्केट ही वह जगह है, जहाँ आप Amazon, Meta (Facebook), Netflix, Tesla, और NVIDIA जैसी तकनीकी दिग्गज सूचीबद्ध (Listed) हैं। आप भी इनमें इन्वेस्टमेंट करके ग्लोबल कंपनियों में हिस्सेदार बन सकते हैं।
इससे आपको भारतीय साथ ही आपको भारतीय स्टॉक मार्केट में अनुपलब्ध, भविष्य की तकनीकों पर काम कर रही कंपनियों में निवेश करने का मौका मिलता है।
3. बेहतर रिटर्न और लिक्विडिटी: ऐतिहासिक रूप से, अमेरिकी स्टॉक मार्केट ने लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर लगातार मज़बूत रिटर्न दिया है। US बाज़ार दुनिया में सबसे अधिक लिक्विड (तरल) बाज़ार है। जिसका अर्थ है कि आप आसानी से और तेज़ी से शेयर खरीद और बेच सकते हैं।
4. रुपये के अवमूल्यन का फायदा: आप अमेरिकी डॉलर ($) में निवेश करते हैं। समय के साथ भारतीय रुपया (₹) डॉलर के मुकाबले कमज़ोर होता रहा है। जैसे की अभी हो रहा है। यदि आपके स्टॉक का मूल्य स्थिर भी रहता है, तो रुपये के कमज़ोर होने पर भी आपका निवेश रुपये के संदर्भ में बढ़ जाता है। (उदाहरण: $100 का निवेश $8000 से बढ़कर $8300 हो सकता है, भले ही स्टॉक प्राइस न बढ़े)
US स्टॉक्स इन्वेस्टमेंट के रिस्क और रूल्स
किसी भी विदेशी निवेश से पहले, निवेशकों को कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण जोखिमों और सरकारी नियमों की जानकारी होना ज़रूरी है-- डिविडेंड टैक्स: US कंपनियां आपको जो डिविडेंड देती हैं, उस पर 25% टैक्स अमेरिका में ही काट लिया जाता है (W-8BEN फॉर्म के कारण)। भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय, आप इस टैक्स के लिए क्रेडिट (छूट) का दावा कर सकते हैं।
- कैपिटल गेन्स टैक्स: शॉर्ट-टर्म (24 महीने से कम) प्रॉफिट को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जायेगा और आपपर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
- लॉन्ग-टर्म (24 महीने से ज़्यादा): इस पर 20% की दर से टैक्स लगता है, जिसके साथ इंडेक्सेशन (Indexation) का लाभ मिलता है।

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