NSE Option Chain: एनएसई ऑप्शन चैन की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में।
By: Manju Chaudhary Update Jun 24 2025
एनएसई ऑप्शन चैन पर सभी पुट और कॉल ऑप्शन उनके प्रीमियम, स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी डेट आदि के साथ भारतीय ऑप्शंस मार्केट की सभी जानकारी सूचीबद्ध होती हैं। आप एनएसई इंडिया की साइट पर निफ्टी, बैंक निफ्टी, फिननिफ्टी, मिडकैप निफ्टी व ऑप्शन ट्रेडिंग में शामिल शेयरों की ऑप्शन चैन देख सकते हैं। जानते हैं- एनएसई ऑप्शन चैन की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में। NSE Option Chain in Hindi.
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में महारत हांसिल करना चाहते हैं तो आपको फ्यूचर्स और ऑप्शन की पहचान बुक जरूर पढ़ना चाहिए।
Option Chain क्या है?
ऑप्शन चैन, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया का एक टूल है। जिसका उपयोग ऑप्शन ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट को देखने और उनका विश्लेषण करने के लिए करते हैं। जिसके अंतर्गत वे अंडरलेइंग स्टॉक (stocks, Indices) जो एनएसई पर ट्रेड करते हैं, उनका विश्लेषण करते हैं। ऑप्शन चैन विभिन्न स्ट्राइक प्राइस पर उपलब्ध पुट और कॉल उनका प्रीमियम तथा ट्रेडिंग वॉल्यूम आदि को विस्तार से बताता है।
एनएसई ऑप्शन चैन के मुख्य निम्नलिखित बिंदुओं को जरूर समझना चाहिए-
NSE option chain ऑप्शन चैन में कई सारे कॉलम होते हैं। सबसे बीच में स्ट्राइक प्राइस का कॉलम होता है। स्ट्राइक प्राइस के बांयी तरफ CALLS और स्ट्राइक प्राइस के दांयी तरफ PUTS के कॉलम होते हैं। जैसे ASK QTY, ASK, BID, BID QTY, LTP, IV, VOLUME, CHANG IN OI, OI आदि। इन्हीं कॉलमों के बारे में आगे इस आर्टिकल में विस्तार से समझाया गया है।
आप ऑप्शन चैन के ऊपर दिए गए सर्च बॉक्सों में इंडेक्स, स्टॉक्स,एक्सपायरी डेट और स्ट्राइक प्राइस सलेक्ट कर सकते हैं। जिसमें आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं। उसे आप ऑप्शन चैन में देखकर उसका विश्लेषण करके अपनी ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते हैं।
ऑप्शन चैन का विश्लेषण
NSE Option Chain के निम्नलिखित महत्वपूर्ण शब्द होते हैं, जिन्हें आप ऑप्शन चैन में देखकर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं-
- अंडरलेइंग एसेट: जो स्टॉक्स और इंडेक्स, ऑप्शंस मार्केट में उपलब्ध होते हैं। ऑप्शन चैन में उन अंडरलेइंग एसेट (stock) का विस्तृत वर्णन किया जाता है। अंडरलेइंग एसेट वे फाइनेंसियल इंस्टूमेंट होते हैं, जिनका प्राइस डेरिवेटिव प्राइस पर आधारित होता है। ऑप्शंस डेरिवेटिव का ही एक प्रकार हैं इसलिए डेरिवेटिव को ऑप्शन मार्केट भी कहा जाता है। डेरिवेटिव भी एक फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट हैं, जिनका प्राइस एक अलग एसेट पर आधारित होता है।
- एक्सपायरी डेट: ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के समाप्त होने की तिथियाँ (एक्सपायरी डेट) होती हैं। NSE Option Chain आपके द्वारा सलेक्ट, ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की उपलब्ध एक्सपायरी डेट को बताती है। प्रत्येक कॉन्ट्रेक्ट एक पूर्वनिर्धारित तारीख होती है, जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट समाप्त (expire) हो जाता है। फ्यूचर्स एंड ऑप्शन की मासिक एक्सपायरी डेट प्रत्येक महीने के अंतिम बुधवार को होती है। 4 सितंबर 2025 से ऑप्शंस की वीकली एक्सपायरी प्रत्येक सोमवार को होती है।
- स्ट्राइक प्राइस: वह प्राइस होता है, जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट उपलब्ध होते हैं। साथ ही जिन पर ऑप्शंस होल्डर अंडरलाइंग स्टॉक के कॉल या पुट ऑप्शन को खरीदने और बेचने का अधिकार देता है। सरल शब्दों में कहें तो स्ट्राइक प्राइस वह पूर्वनिर्धारित प्राइस होता है। जिस पर ऑप्शन का ख़रीददार और बेचने वाला दोनों अनएक्सपायर ऑप्शन का सौदा करने के लिए सहमत होते हैं।
- कॉल एंड पुट ऑप्शंस: ऑप्शन चैन में कॉल ऑप्शंस को बांयी तरफ प्रदर्शित किया जाता है। पुट ऑप्शंस को ऑप्शन चैन में दांयी तरफ प्रदर्शित किया जाता है। कॉल ऑप्शन एक अंडरलाइंग स्टॉक को भविष्य की तारीख में एक निश्चित कीमत पर खरीदने का अधिकार देता है। लेकिन उस कीमत पर जो आज तय की गई है। दूसरी ओर, पुट ऑप्शन किसी अंडरलाइंग स्टॉक को भविष्य की तारीख में एक निश्चित कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। लेकिन उस कीमत पर जो आज तय की गई है।
- ओपन इंट्रेस्ट: प्रत्येक स्ट्राइक प्राइस पर कुल ओपन, कॉल और पुट के सौदों की संख्या को ओपन इंट्रेस्ट (OI) कहा जाता है। ऑप्शन चैन में पुट ऑप्शंस और कॉल ऑप्शंस दोनों का ओपन इंट्रेस्ट अलग-अलग दर्शाया जाता है। ओपन इंट्रेस्ट यह बताता है कि ऑप्शन मार्केट में कितने सौदे अभी भी ओपन हैं। जब नए सौदे बनते हैं तो ओपन इंट्रेस्ट बढ़ता है। जब सौदे बंद होते हैं तो ओपन इंट्रेस्ट घटता है। जब ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक व्यक्ति से दूसरे के पास पहुंचता है। तब इसमें कोई बदलाव नहीं होता है।
- लास्ट ट्रेड प्राइस ( LTP ): ट्रेडिंग के दौरन पल-पल पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की प्राइस बदलती रहती है। कॉल और पुट ऑप्शन के खरीदने वाले और बेचने वाले जिस प्राइस पर सौदे करते हैं। वह प्राइस यानि ऑप्शन प्रीमियम NSE Option Chain में लगातार अपडेट होता रहता है। उसी को लास्ट ट्रेड प्राइस कहा जाता है। ऑप्शन चैन में कॉल एंड पुट का प्रीमियम अलग-अलग उनके कॉलम में दर्शाया जाता है।
- वॉल्यूम: NSE Option Chain के अंतर्गत ट्रेड किये गए पुट्स और कॉल्स के लॉट्स की संख्या को Volume के कॉलम में दर्शाया जाता है। PUTS के कॉलम में पुट्स के ट्रेडेड लॉट्स की संख्या और कॉल्स के कॉलम में कॉल्स के ट्रेडेड लॉट्स की संख्या को वॉल्यूम के अंतर्गत दर्शाया जाता है।
- बिड एंड आस्क प्राइस: ऑप्शन चैन में बिड प्राइस वह होता है, जिस पर ट्रेडर्स अपने कॉन्ट्रेक्ट को बेचना चाहते हैं। आस्क प्राइस वह होता है, जिस पर ट्रेडर्स ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट खरीदना चाहते हैं। इस तरह ट्रेडर्स ऑप्शन मार्केट में बार्गेनिंग करके अपने मनपसंद प्राइस पर सौदे करने की कोशिश करते हैं। ऑप्शन चैन में यह, पुट और कॉल दोनों के कॉलम में बिड-आस्क प्राइस के नाम से लिखा होता है। यहाँ से आप अपने लिए सही प्राइस चुन सकते हैं।
- IV इम्प्लॉइड वोलेटिलिटी: ऑप्शंस की इम्प्लॉइड वोलेटिलिटी प्रत्येक स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में संभावित वोलेटिलिटी को दर्शाती है। इसके द्वारा ट्रेडर्स अंडरलाइंग स्टॉक के भविष्य के प्राइस का अनुमान लगा सकते हैं।
- ऑप्शन ग्रीक्स: कुछ ऑप्शन चैन में आपको ऑप्शन ग्रीक्स भी मिल सकते हैं लेकिन NSE Option Chain में ऑप्शन ग्रीक को नहीं दर्शाया जाता है। ऑप्शन ग्रीक जैसे कि डेल्टा, गामा, थीटा, रे, वेगा आदि। ऑप्शन ग्रीक्स से आप अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में बदलाव, टाइम डिके, वोलेटिलिटी आदि के बारे में जान सकते हैं।
वॉल्यूम और ओपन इंट्रेस्ट का सम्बन्ध
NSE Option Chain में आप वॉल्यूम और ओपन इंट्रेस्ट के सम्बन्ध को आप बहुत आसानी से समझ सकते हैं। क्योंकि कंपनियों के शेयरों की संख्या फिक्स होती है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग में बन रहे कॉन्ट्रेक्ट्स की संख्या फिक्स नहीं होती है। जाहिर से बात है, जिस स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा वॉल्यूम होता है। वहां पर ज्यादा नए कॉन्ट्रेक्ट बन रहे होते हैं। इस तरह बन रहे कॉन्ट्रेक्ट की संख्या को ही ओपन इंट्रेस्ट कहते हैं।
NSE Option Chain ऑप्शंस ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए बहुत उपयोगी टूल है। जिसके आधार पर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपनी ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते हैं। यह अपने उपयोगकर्ताओं को उनके द्वारा सलेक्ट अंडरलाइंग स्टॉक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जैसे उसका ओपन इंट्रेस्ट, स्ट्राइक प्राइस, वॉल्यूम, ट्रेडिंग एक्टिविटी, प्रीमियम आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है।
यह रिस्क मैनेज करने और ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजीज को प्रभावी तरीके से एक्जिक्यूट करने में मदद करती है। ट्रेडिंग डिसीजन लेने के दौरान ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स NSE Option Chain का टेक्निकल और फंडामेंटल टूल्स के साथ बार-बार उपयोग करते हैं।
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