एनएसई ऑप्शन चैन क्या है? NSE Option Chain का विश्लेषण कैसे करें?

जो लोग ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं या करना चाहते हैं उन्होंने एनएसई ऑप्शन चैन के बारे में जरूर सुन होगा। सभी ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की सारणी को ऑप्शन चैन कहा जाता है। पुट और कॉल, इसके दो अलग-अलग सेक्शन होते हैं। कॉल ऑप्शन आपको अंडरलेइंग एसेट खरीदने का अधिकार देता है, इसी तरह पुट ऑप्शन आपको अंडरलेइंग एसेट बेचने का अधिकार देता है। लेकिन एक निश्चित प्राइस पर एक्सपायरी डेट पर खरीदने या बेचने के लिए बाध्य नहीं करता है। 

इस आर्टिकल में एनएसई ऑप्शन चैन क्या है? NSE Option Chain का विश्लेषण कैसे करें? What is NSE Option Chain in Hindi के बारे में विस्तार से बताया गया है। 
                                                                              
Option Chain


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एनएसई ऑप्शन चैन का उदाहरण माना ट्रेडर 'क' ने ट्रेडर 'ख' को सौ ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट बेचे हैं। इसलिए ट्रेडर 'क' के पास अब सौ ओपन बाय पोजीशन हैं। इसी तरह ट्रेडर 'ख' ने पचास ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट खरीदे इसलिए 'ख' के पास पचास ओपन सेल पोजीशन हैं। इसी तरह  ट्रेडर 'ग' ने भी पचास ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट खरीदे अतः 'ग' के पास भी पचास सेल पोजीशन हैं। इस स्थिति में ओपन इंट्रेस्ट सौ लॉट होगा। ओपन इंटरेस्ट 

NSE Option Chain क्या है? 

एनएसई एक ऑप्शन चैन में उपलब्ध किसी एसेट जैसे स्टॉक्स, इंडेक्स, कमोडिटी, करेंसी, आदि के ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट्स की डिटेल में सारणी होती है। जो सभी वर्तमान पुट और कॉल ऑप्शंस की क्विक पिक्चर उपलब्ध करवाता है। साथ ही इनके ओपन इंटरेस्ट (OI) कॉल प्राइस, पुट प्राइस, स्ट्राइक प्राइस, वॉल्यूम आदि को डिटेल में बताता है। ये सूचनाएं प्रत्येक इन्वेस्टर और ट्रेडर के लिए मार्केट का विश्लेषण करने के लिए अति आवश्यक और फायदेमंद होती हैं। ट्रेंड और ट्रेंडलाइन

NSE Option Chain के मुख्य बिंदु 

एनएसई ऑप्शन चैन एक टेबल होती है जिस पर अंडरलेइंग सिक्युरिटीज के ऑप्शंस की सारणी होती हैं। जिसे रियल टाइम के हिसाब से अपडेट किया जाता है। ऑप्शन चैन सारणी में लास्ट प्राइस, ट्रेडिंग वॉल्यूम और बेस्ट बिड प्राइस Puts & Calls के ऑप्शन सीरीज को एक्सपायरी डेट के हिसाब से विभाजित करके अपडेट किया जाता है। 

ऑप्शंस के स्ट्राइक प्राइस भी ऑप्शन सारणी में लिस्ट होते हैं। ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वह प्राइस होता है जिस पर अंडरलेइंग एसेट को खरीदा और बेचा जाता है। स्ट्राइक प्राइस को स्पॉट प्राइस के रेफरेंस में सेट किया जाता है। स्ट्राइक प्राइस अंडरलेइंग एसेट का मार्केट प्राइस होता है। पुट-कॉल रेश्यो 

NSE Option Chain रिटेल निवेशकों को बहुत ही सामान्य तरीके से सूचनाएँ उपलब्ध करवाती है जिसे ऑप्शन ट्रेडर बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं। ट्रेडर्स एक्सपायरी डेट और स्ट्राइक प्राइस के हिसाब से ऑप्शन प्रीमियम देख सकते हैं। ऑप्शन चैन में bid-ask price भी प्रदर्शित किये जाते हैं। 

अधिकांश ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर, स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के रियल टाइम और पिछले डेटा का उपयोग करके ऑप्शन चैन के रूप में प्रदर्शित करते हैं। ऑप्शन चैन डिस्प्ले ओपन इंट्रेस्ट और प्राइस में चेंज की क्विक स्कैनिंग के प्रदर्शन अनुमति देता है। पुट-कॉल ऑप्शन 

इसकी वजह से ट्रेडर्स किसी भी विशिष्ट ऑप्शन के लिए विशेष Option Strategy बना सकते हैं। साथ ही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी वह बहुत कम समय में ट्रेडिंग एक्टिविटी को पूरा कर सकते हैं। जिसमे स्ट्राइक प्राइस, फ्रीक्वेंसी, वॉल्यूम ऑफ़ ट्रेडिंग, आदि बहुत जल्दी अपडेट होते हैं। NSE Option Chain के द्वारा एक्सपायरी डेट के अनुसार इस क्रिटिकल डेटा को बहुत आसानी से छांटा जा सकता है। फिर स्ट्राइक प्राइस के द्वारा निम्नतम से उचचतम स्तर तक रिफाइन किया जा सकता है। 

NSE Option Chain सारणी को डिकोड कैसे करें?

एक ऑप्शन सारणी की  व्याख्या बहुत आसानी से की जा सकती है। एनएसई ऑप्शन चैन के जानकर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव को बहुत जल्दी समझ सकते हैं। साथ ही मार्केट लिक्विडिटी के हाई और लो लेवल का पता लगा सकते हैं। 

सही ट्रेड execution और मुनाफे के लिए यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्तमान मार्केट परिस्थितियों यानि ट्रेंड को जानने के लिए ट्रेडर्स सूचनाओं के चार कॉलम पर फोकस करते हैं। ये चार कॉलम निम्नलिखित हैं-  
  1. Last Price, 
  2. Net Change, 
  3. Bid Price  
  4. Ask Price 
  • लास्ट प्राइस (Last Price) कॉलम लेटेस्ट ट्रेड प्राइस को कैप्चर करके प्रदर्शित करता है। 
  • नेट चेंज (Net Change) कॉलम अंडरलेइंग एसेट की दिशा (Up, Down or Flat) की जानकारी देता है। इसके साथ कॉलम पिछले ट्रेड से प्राइस की भिन्नता को दर्शाता है।  
  • Bid Price कॉलम में यह दर्शाया जाता है कि रियल टाइम फ्रेम में ट्रेडर्स किस प्राइस पर ऑप्शन को बेचना चाहते हैं। 
  • Ask Price कॉलम में यह दर्शाया जाता है कि ट्रेडर्स किस प्राइस पर ऑप्शन को खरीदना चाहते हैं। 
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में मास्टर बनना चाहते हैं तो आप इस बुक ऑप्शन ट्रेडिंग में पैसों का पेड़ कैसे लगायें को पढ़ सकते हैं। चारों कॉलमों में आपको मार्केट के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी जिसके द्वारा आप यह जान सकते हैं कि प्रत्येक लेवल पर ट्रेडर्स कितने प्रतिबद्ध हैं। 

ट्रेडिंग वॉल्यूम और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की संख्या के आधार पर यह पता चलता है कि किस ऑप्शन में कितनी लिक्विडिटी है। साथ ही ओपन इंटरेस्ट के द्वारा आप मार्केट ट्रेंड और सेंटीमेंट का अनुमान लगा सकते हैं। इंट्राडे में ओपन इंटरेस्ट बदलता रहता है। मार्केट मेकर्स प्रत्येक ट्रेडिंग डे के एंड में NSE Option Chain को अपडेट करते हैं। अगले दिन की ट्रेडिंग के लिए ऑप्शन चैन बहुत उपयोगी होती है। 

NSE Option Chain कैसे काम करती है? 


एनएसई ऑप्शन चैन में दो सेक्शन होते हैं: कॉल और पुट, कॉल ऑप्शन आपको स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है। जबकि पुट ऑप्शन आपको ऑप्शन स्टॉक बेचने का अधिकार देता है। ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के प्राइस को प्रीमियम कहा जाता है। जो कि ट्रेडर्स के द्वारा ऑप्शन खरीदने के लिए अग्रिम शुल्क के रूप में भुगतान किया जाता है।  फ्री में अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोले   

 Nifty Option Chain क्या है? 

इसी को NSE ऑप्शन चैन भी कहा जाता है, एनएसई ऑप्शन चैन एक सारणी है। जिसमे पुट और कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस उसके प्रीमियम और एक्सपायरी डेट के साथ दिए गए होते हैं। आप इसमें इंडेक्स, स्टॉक्स और करेंसी के ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट को देख सकते हैं। 

एनएसई ऑप्शन चैन का विश्लेषण कैसे करें? 

आप इसमें एक्सपायरी सीरीज देख सकते हैं। इसमें साप्ताहिक और मासिक एक्सपायरी भी उपलब्ध होती है। इसमें नीचे की तरफ ऑप्शन चैन टेबल पर कॉल हुए पुट लिखा होता है। कॉल और पुट के खरीदार के पास कॉन्ट्रेक्ट खरीदने का अधिकार होता है लेकिन वह इसके लिए बाध्य नहीं होता है। NSE, BSE हॉलीडेज लिस्ट 2023 

क्या ऑप्शन स्टॉक्स से ज्यादा सुरक्षित है? 

ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए कम जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इसमें स्टॉक्स की तुलना में कम कमिटमेंट की जरूरत होती है। ये गेपअप या गेपडाउन ओपनिंग के संभावित जोखिम से बचाते हैं इसलिए ऑप्शंस हेज का एक भरोसेमंद रूप हैं। अतः ये स्टॉक्स की तुलना में सुरक्षित होते हैं। लेकिन ऑप्शंस सीमित अवधि (एक्सपायरी डेट) के लिए होते हैं और अवधि पूरी होने पर प्रीमियम का नुकसान होता है। 

Option Trading में लोग पैसा क्यों गँवाते हैं? 

ट्रेडर्स इसलिए ज्यादा लॉस करते हैं क्योंकि वे ऑप्शन को एक्सपायरी डेट के बहुत नजदीक तक होल्ड रखते हैं। इसमें टाइम वैल्यू की वजह से नुकसान बहुत तेजी से बढ़ता है। ऑप्शन ट्रेड में यदि आपको अच्छा पैसा मिल रहा है और आपके ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में टाइम वैल्यू बची है तो आपको प्रॉफिट लेकर निकल जाना चाहिए। नैस्डेक इंडेक्स


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