High-Frequency Trading Secrets: (HFT) हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग की स्ट्रैटेजी और रहस्य
हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) आज के स्टॉक मार्केट की सबसे चर्चित और रहस्यमयी ट्रेडिंग टेक्निक में से एक है। यह टेक्निक अपनी तेज़ गति और सटीकता के लिए जानी जाती है। HFT ने स्मार्ट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के बीच एक क्रांति ला दी है।
इस आर्टिकल में, हम HFT की प्रमुख स्ट्रेटेजीज और गुप्त पहलुओं पर चर्चा करेंगे। आइए विस्तार से जानते हैं- "हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग की स्ट्रैटेजी और रहस्य"। Secrets of High-Frequency Trading (HFT) in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको स्वामीनाथन अन्नामलाई द्वारा लिखित शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग के सीक्रेटस कम निवेश और मुनाफा ज्यादा बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
High-Frequency Trading (HFT) क्या है?
HFT शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने की एक टेक्निक है। जिसमें अत्यधिक तेज़ी और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बड़ी मात्रा में ट्रेड किए जाते हैं। इसमें सेकंड के भीतर या मिलिसेकंड में सौदे पूरे किए जाते हैं।
HFT ट्रेडिंग के लिए फार्म्स बनी हुई हैं जो अत्याधुनिक कंप्यूटर एल्गोरिदम और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए करती हैं। HFT फ़र्म पर अक्सर अनुचित लाभ उठाने और मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ाने का आरोप लगाया जाता है। हालाँकि, इसके समर्थकों का कहना है कि इससे मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ती है।
हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फ़र्म को आमतौर पर आर्बिट्रेजर्स, प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग और मार्केट मेकर में विभाजित किया जा सकता है। इनकी trading strategies में आर्बिट्रेज, लॉन्ग एंड शॉर्ट इक्विटी और मार्केट मेकिंग के विभिन्न रूप शामिल हैं।
High-Frequency Trading (HFT) फर्म्स क्या हैं?
HFT firms, शेयर मार्केट के स्मार्ट फाइनेंशियल प्लेयर्स द्वारा ट्रेडिंग से पैसे कमाने के लिए बनाई गयी वित्तीय स्नस्थाएँ हैं। जिनमें आईटी एक्सपर्ट को बड़ा पैकेज देकर सैलरी पर अपॉइंट किया जाता है। ये संस्थाएं अत्यधिक तेज़ गति से ट्रेड एजीक्यूट करने के लिए उन्नत एल्गोरिदम और मॉर्डन टेक्निक्स का उपयोग करती हैं। Algo trading भी इसी का एक पार्ट है।
ये फ़र्म Stock market में स्टॉक्स प्राइस की छोटी-छोटी प्राइस विसंगतियों का फ़ायदा उठाती हैं। High-Frequency Trading के अक्सर प्रतिदिन हज़ारों से लेकर लाखों ट्रेड पूरे किये जाते हैं। इनकी वजह से शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलैटिलिटी भी बढ़ती है।
साथ ही मार्केट की दक्षता में भी सुधार होता है। हालाँकि HFT इसके संचालन ने Share market की स्टेबिल्टी और निष्पक्षता के बारे में भी चिंताएँ पैदा की हैं। HFT firms प्रॉफिट कमाने के लिए आमतौर पर अपने निजी पैसे का उपयोग करते हैं।
High-Frequency Trading फर्म्स आमतौर पर निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं-
- स्वतंत्र HFT फर्म: स्वतंत्र यानि इंडिपेंड HFT फर्म्स अपने ग्राहकों के पैसे के बजाय, अपने पैसे का उपयोग करती हैं। इससे होने वाला प्रॉफिट भी फर्म्स का अपना होता है न कि उसके ग्राहकों का।
- हेज फंड्स: एचएफटी फर्म हेज फंड के रूप में भी काम करती हैं। वे आर्बिट्रेज का उपयोग करके Stocks और अन्य एसेट क्लास के मूल्य निर्धारण में अक्षमताओं से प्रॉफिट कमाती हैं।
- ब्रोकर-डीलर फ़र्म की सहायक कंपनियां: कुछ HTF फ़र्म ब्रोकर-डीलर फ़र्म की सहायक कंपनियाँ होती हैं। कई के पास मालिकाना ट्रेडिंग डेस्क होती हैं, जहाँ HFT किया जाता है। फर्म्स के ये काम ब्रांच के अपने नियमित कार्यों से अलग होते हैं। अतः इससे होने वाला प्रॉफिट भी ब्रोकरेज फर्म्स का अपना होता है। इसलिए इसे ब्रोकरेज फर्म्स अपने ग्राहकों के साथ शेयर नहीं करती हैं।
High-Frequency Trading strategies
स्वतंत्र ट्रेडर अपनी फ़र्म के लिए पैसे कमाने के लिए कई तरह की HFT स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। इनमें कुछ विवादस्पद स्ट्रेटेजीज भी शामिल होती हैं। लेकिन ये सभी वेरी शार्ट टर्म ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती हैं। ये trading strategies स्टेटिक्स मेथड्स का यूज करके ऑटोमेटिकली एक्जिक्यूट होती हैं। लेकिन इनमें सफलता ही मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग की प्रमुख स्ट्रेटेजी निम्नलिखित हैं-
- आर्बिट्रेज (Arbitrage): इस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अलग-अलग स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों के प्राइस के अंतर का लाभ उठाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी स्टॉक का प्राइस NSE स्टॉक एक्सचेंज पर कम है और बीएसई पर अधिक है, तो एचएफटी कंपनियां एक एक्सचेंज पर शेयर कम प्राइस में खरीदकर दूसरे दूसरे स्टॉक एक्सचेंज पर ज्यादा प्राइस में बेच देती हैं और इसी अंतर से प्रॉफिट कमाती हैं।
- लिक्विडिटी डिटेक्शन (Liquidity Detection): यह ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी मार्केट में लिक्विडिटी का पता लगाने और उससे लाभ उठाने पर आधारित है। HFT सिस्टम इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के शेयरों की खरीद और बिक्री के बड़े ऑर्डर का पता लगाते हैं और उनसे पहले ट्रेड करके प्रॉफिट कमाते हैं। यह भी अवैध ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है।
- मार्केट मेकिंग (Market Making): यह स्ट्रेटेजी शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए बिड और आस्क प्राइस (Bid-Ask Spread) का उपयोग करती है। मार्केट मेकर्स कम प्राइस पर शेयर खरीदते हैं और अधिक प्राइस पर बेचते हैं। जिससे उन्हें हर ट्रेड पर प्रॉफिट होता है।
- न्यूज़-बेस्ड ट्रेडिंग (News-Based Trading): HFT एल्गोरिदम न्यूज को तुरंत स्कैन करके निर्णय लेते हैं। जैसे ही कोई बड़ी खबर आती है, HFT सिस्टम उस पर आधारित ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं।
- स्पूफिंग और लेयरिंग (Spoofing and Layering): इसमें फर्जी ऑर्डर डालकर मार्केट को भ्रमित किया जाता है। हालांकि, यह ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अवैध है और मार्केट रेगुलेटर्स SEBI द्वारा इस स्ट्रेटेजी पर रोक लगाई गयी है।
- HFT सिस्टम ट्रेडिंग के लिए नैनोसेकंड्स में निर्णय लेते हैं।
- डेटा की रीयल-टाइम प्रोसेसिंग इसकी रीढ़ है।
- इससे शेयर मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ती है।
- HFT में ट्रेडर्स को छोटा प्रॉफिट होता है लेकिन उनका पोजीशन साइजिंग बहुत बड़ा होता है।
- HFT की वजह से शेयरों के प्राइस का सटीक निर्धारण होता है।
- इससे शेयर मार्केट मे बिड - आस्क प्राइस के बीच का अन्तर भी कम होता है।
- इससे शेयर मार्केट मे वोलैटिलिटी बढ़ती है जो कभी-कभी मार्केट के फ्लैश क्रैश का कारण बन सकती है।
- इससे शेयर मार्किट के रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को नुकसान हो सकता है।
- HFT की कुछ ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज से अन्य ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है।
- इसकी कुछ ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी जैसे "स्पूफिंग" अवैध हैं।
- प्रत्येक trade पर रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो को सही से मैनेज करना चाहिए।
- डेटा पर आधारित निर्णय लें, रीयल-टाइम डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग मॉडल्स को अपनाएं।
- सर्वश्रेष्ठ तकनीक में इन्वेस्ट करें, साथ ही लो - लेटेंसी नेटवर्क और एडवांस कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करें।
- सेबी के रेगुलेशन का पालन करें, यानि नियामक ढांचे के भीतर रहकर काम करें।
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