शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो ( Risk-Reward Ratio ) क्या है?

स्टॉक मार्केट में रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में संभावित नुकसान और संभावित प्रॉफिट का माप है। हाई रिस्क-रिवार्ड रेश्यो सामान्यतः अच्छा होता है क्योंकि यह अनुचित जोखिम लिए बिना ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पर अधिक रिटर्न की संभावना प्रदान करता है। अधिकांश अनुभवी स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स मार्केट में पोजीशन बनाते समय 1:3 का रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का टार्गेट रखते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो क्या है? What is Risk-Reward Ratio in Stock Market Trading in Hindi.

                                                                                           
रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो


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मान लीजिये आप 150 रूपये प्रति शेयर XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीदने का निर्णय लेते हैं। यदि आप इस पोजीशन में 145 रूपये पर स्टॉप-लॉस लगाते हैं और 165 रूपये पर टार्गेट सेट करते हैं। इस पोजीशन में आपका अधिकतम संभावित जोखिम ( रिस्क ) पाँच रूपये प्रति शेयर होगा और आपका अधिकतम संभावित प्रॉफिट पंद्रह रूपये प्रति शेयर होगा। जो आपको 5:15 का अनुपात यानि 1:3 प्रति शेयर का Risk-Reward Ratio देता है। 

Risk-Reward Ratio क्या है? 

रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो उस संभावित इनाम को दर्शाता है जो एक ट्रेडर और इन्वेस्टर अपने ट्रैड या इन्वेस्ट पर जोखिम वाले प्रत्येक रूपये के लिए कमा सकता है। कई निवेशक किसी निवेश के अपेक्षित रिटर्न की तुलना इन रिटर्न अर्जित करने के लिए किए जाने वाले जोखिम की मात्रा से करने के लिए risk-reward ratio  का उपयोग करते हैं। कम रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो हमेशा बेहतर होता है क्योंकि यह समतुल्य संभावित लाभ के लिए कम जोखिम का संकेत देता है। 

इस उदाहरण पर विचार करें, 1:6 वाले रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो वाला ट्रेड बताता है। कि एक ट्रेडर 6 रूपये कमाने के लिए एक ( 1 ) रुपये का जोखिम लेने के लिए तैयार है। वैकल्पिक रूप से, 1:3 का रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो यह संकेत देता है। कि एक Stock Market Trader तीन रूपये कमाने के लिए अपने इन्वेस्टमेंट पर एक रूपये का जोखिम ले रहा है। 

रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का उपयोग ट्रेडर्स ट्रेडिंग प्लान करने के लिए करते हैं कि कौन सा ट्रेड लेना है। Risk-Reward Ratio की गणना उस राशि को विभाजित करके की जाती है जिसे ट्रेडर खो सकता है। यदि किसी ट्रेड में शेयर का प्राइस ट्रेड की  विपरीत दिशा ( जोखिम की दिशा में ) में चलने लगता है। तो ट्रेडर को सही रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो की वजह से कम नुकसान होने की उम्मीद रहती है। 

रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो की वजह से कम नुकसान पर पोजीशन बंद होने पर (इनाम) बनाया है। यानि स्टॉप-लॉस हिट होने पर ज्यादा नुकसान से बचाव भी एक तरह से प्रॉफिट ही है क्योंकि स्टॉप-लॉस हिट होने की वजह से आपको कम नुकसान होता है। जिसकी वजह से आपके पास दूसरी पोजीशन बनांने के लिए पैसा बच जाता है। 

Risk-Reward Ratio का उपयोग शेयर मार्केट ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स द्वारा अपनी पूँजी और हानि के जोखिम को मैनेज करने के लिए किया जाता है। रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का उपयोग Stock Trading से अपेक्षित रिटर्न और जोखिम का आँकलन करने के लिए किया जाता है। सामान्यतौर पर शेयर ट्रेडिंग में जितना अधिक रिस्क होगा, अपेक्षित रिटर्न भी उतना ही अधिक हो सकता है। एक उचित रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो 1:3 से अधिक कुछ भी हो सकता है। 1:3 से कम का रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो सही नहीं रहता है क्योंकि इसमें रिस्क ज्यादा और रिवॉर्ड कम रहता है। 

Risk-Reward Ratio कैसे Calculate करें? 

रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो निकलने के लिए आपको अपने संभावित नेट प्रॉफिट ( reward ) को अपने संभावित जोखिम ( Risk ) से डिवाइड करना चाहिए। ऊपर दिए गए XYZ कंपनी के शेयर के उदाहरण का उपयोग करते हुए यदि आपका शेयर 165 रूपये तक चला जाता है। तो आप अपने 100 शेयरों में से प्रत्येक के लिए 15 रूपये कमायेंगे और आपको कुल 1500 रूपये का प्रॉफिट होगा। 

आपने XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीदने के लिए कुल 15,000 हजार रूपये का भुगतान किया था। इसलिए आपको 15000 को 1500 से डिवाइड करना चाहिए जिससे आपको 0.10 प्राप्त होगा। इस ट्रेड में आपका Risk-Reward Ratio 1:3 हुआ जोकि एक सही ट्रेडिंग रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो है। राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न

अनुभवी ट्रेडर्स इसे करीब इतना ही रखते हैं। यदि आप अपने ट्रेडिंग प्लान में इससे कम रिस्क यानि एक से कम और इससे रिवॉर्ड ज्यादा यानि तीन से ज्यादा रिवॉर्ड रेश्यो रखते हैं तो आपका स्टॉप-लॉस जल्दी ट्रिगर होगा और आप विपशॉ का शिकार भी हो सकते हैं। 

Risk-Reward Ratio का उपयोग कैसे करें? 

ट्रेड प्लान करने के लिए अपने रिसर्च में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो केलकुलेशन को शामिल करें। जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल होने चाहिए- 
  • शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के लिए रिसर्च करके शेयरों का चयन करना चाहिए। 
  • शेयर के करंट मार्केट प्राइस के आधार पर रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो केलकुलेट करके अपसाइड और डाउनसाइड टर्गेट सेट करने चाहिए। 
  • यदि आप सही रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो हाँसिल नहीं कर पाते हैं तो आपको उस ट्रेडिंग प्लान को छोड़ देना चाहिए। और दूसरा अलग ट्रेडिंग प्लान बनाना चाहिए। ट्राईएंगल चार्ट पैटर्न
  • एक बार जब आप अपने ट्रेडिंग प्लान में Risk-Reward Ratio को शामिल कर लेते हैं तो आप देखेंगे कि अच्छे ट्रेडिंग आईडिया और इन्वेस्टमेंट प्लान ढूढ़ना कितना मुश्किल है। 
  • शेयर मार्केट के पेशेवर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स कभी-कभी प्रति दिन सैकड़ों चार्ट खंगालते हैं और ऐसे शेयर के चार्ट की तलाश करते हैं। जिसमें रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो उनके अनुपात के अनुकूल हो। 
  • आपको मेहनत करने से बचना नहीं चाहिए आप ट्रेड प्लान करने में जितनी अधिक मेहनत करेंगे। आपकी सफलता की दर उतनी ही ज्यादा होगी। 

Stop-Loss लगाकर रिस्क कम करें 

यदि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 3,0000 रूपये हैं और आप एक अनुभवहीन ट्रेडर या इन्वेस्टर नहीं हैं तो आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट के बैलेंस को नुकसान करके जीरो तक नहीं जाने देंगे। आप कभी भी वास्तविक जोखिम 30,000 रूपये खत्म होने तक का नहीं उठाएंगे। क्योंकि एक अच्छा ट्रेडर स्टॉप-लॉस जरूर रखता है। जो उसके जोखिम को कम करता है। 

जब आपका स्टॉप-लॉस हिट हो जाता है तो आप उस पोजीशन को बंद कर देते हैं। और अगले अवसर की तलाश करते हैं। एक बार जब आपका ट्रेड प्रॉफिट में आ जाता है तो आप ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का पालन कर सकते हैं। इसमें आप अपना स्टॉप-लॉस प्राइस और प्रॉफिट टार्गेट प्राइस बढ़कर ऊपर कर सकते हैं। 

उपर्युक्त उदाहरण में 145 का स्टॉप-लॉस लगाया गया था। जैसे ही आपके स्टॉक का प्राइस 160 रूपये के ऊपर आता है। तो आप ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस 155 पर कर सकते हैं और प्रॉफिट टार्गेट को 165 से बढ़कर 170 कर सकते हैं। इस तरह आप अपने प्रॉफिट को और बढ़ा सकते हैं।  

कुछ ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपना पैसा ऐसे किसी भी ट्रेडिंग प्लान में नहीं लगाना चाहेंगे। जो कम से कम 1:4 न हो, लेकिन अधिकांश लोगों द्वारा 1:2 को न्यूनतम Risk Reward Ratio माना जाता है। निःसंदेह, आपको स्वयं निर्णय लेना होगा कि आपके लिए स्वीकार्य अनुपात क्या है। 

 Risk-Reward Ratio के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs 

एक अच्छा रिस्- रिवार्ड रेश्यो कितना होना चाहिए?  

अधिकांश अनुभवी ट्रेडर्स 1:3 या उससे अधिक का रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का लक्ष्य रखते हैं। 
 
स्केल्पिंग के लिए सर्वोत्तम रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो कितना होना चाहिए?

मूल रूप से, 1:1 रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के करीब प्रॉफिट लेकर किसी भी ट्रेड को स्केलप में बदला जा सकता है। इसका मतलब यह है कि लिए गए प्रॉफिट का आकार सेटअप द्वारा निर्धारित स्टॉप-लॉस के आकार के बराबर होता है। 

स्केल्पिंग के लिए सबसे तेज इंडिकेटर कौन सा है? 

EMA इंडिकेटर को स्केल्पिंग के लिए सबसे अच्छे इंडीकेटर्स में से एक माना जाता है। क्योंकि यह पुराने प्राइस चेंज की तुलना में नए प्राइस चेंज पर जल्दी प्रतिक्रिया देता है। ट्रेडर्स इस टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग बाइंग और सेलिंग के संकेत प्राप्त करने के लिए करते हैं। जो कि स्टॉक्स प्राइस के ऐतिहासिक एवरेज और क्रॉसओवर से प्राप्त होते हैं। 
  
ट्रेडिंग व्यू में अच्छा Risk-Reward Ratio क्या है? 

अधिकांश शेयर मार्केट एक्सपर्ट इस बात से सहमत रहते हैं कि उनके ट्रेड के लिए रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो 1.3 से कम नहीं होना चाहिए। 

उम्मीद है, आपको यह शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो ( Risk-Reward Ratio ) क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह What is Risk-Reward Ratio in Stock Market Trading in Hindi.आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।

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