सेबी द्वारा लागू ऑप्शन ट्रेडिंग के नए नियम SEBI New rules for F&O

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट ने शेयर मार्केट ट्रेडर्स को कम समय में अधिक प्रॉफिट कमाने के लिए आकर्षित किया है। लेकिन इसकी कड़वी सच्चाई यह है कि अधिकांश ट्रेडर्स ने ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान ही किया है। सेबी के आंकड़ों के अनुसार फ़िलहाल 90% ऑप्शन ट्रेडर्स नुकसान में हैं। 

अतः सेबी ने रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान से बचाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नए रूल्स लागू किये हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- सेबी द्वारा लागू एफएंडओ या ऑप्शन ट्रेडिंग के नए नियम क्या हैं? SEBI New rules for F&O or option trading in Hindi. 
                                                                               
SEBI New rules for F&O option trading in Hindi

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनाना चाहते हैं तो आपको "आर्ट ऑफ ऑप्शन ट्रेडिंग" बुक जरूर पढ़नी चाहिए।

Futures & Options Trading के बारे में 

अब F&O के नए नियम बदल चुके हैं, जिन्होंने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के खेल को पूरी तरह बदल कर रख दिया है।  अगर आपको इन नियमों के बारे में पता नहीं है तो जान लीजिये। क्योंकि इनके बारे में पता नहीं होने की वजह से आपको नुकसान हो सकता है। इनका आपके ऊपर क्या असर होगा? यह आपको जरूर जानना चाहिए। 

F&O के नए नियम इसलिए लागू किये गए हैं क्योंकि रिटेल F&O ट्रेडर्स का सारा पैसा धीरे-धीरे कुछ बड़े प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स और विदेशी ट्रेडर्स के पास जा रहा है। आपने Jane Street trading कंपनी के बारे में तो सुना ही होगा। यह वह कंपनी है, जो भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग करके बिलियंस डॉलर्स कमा रही थी। 

यह कंपनी वह पैसा कमा रही थी। जिसे भारतीय रिटेल ट्रेडर्स ऑप्शन मार्केट में खो रहे थे। इसी तरह मिलेनियम कैपिटल और अन्य बहुत से कंपनियां है। जो एडवांस टेक्नोलॉजी और अपनी यूनिक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का इस्तेमाल करके बहुत सारा पैसा रोज भारतीय ऑप्शन मार्केट से बना रही हैं। 

Futures & options में ट्रेडिंग करने वाले रिटेल ट्रेडर्स पिछले तीन वर्षों में करीब दो लाख करोड़ का नुकसान कर चुके हैं। इसीलिए SEBI को F&O rules में बदलाव करना पड़ रहा है। 

OptionsTrading के नए नियम 

भारतीय स्टॉक मार्केट में रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के पैसे की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से SEBI ने F&O नियमों में बड़ा फेरबदल किया गया है। भारतीय शेयर बाजार और प्रतिभूति एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये नियम विशेष रूप से ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बनाए गए हैं। इनको बनाने का उद्देश्य युवाओं को जोखिम से बचाना और Share market को निर्देशित करना है। 

New F&O Rules निम्नलिखित हैं- 
  • ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लॉट साइज को बढ़ा दिया गया है। अतः अब ट्रेडर्स को F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग पोज़िशन बनाने के लिए high Margin जमा करना होगा। फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग को छोटे ट्रेडर्स की पहुंच से दूर करने के लिए यह नियम बनाया गया है। अगर आप पुट-कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते हैं तो अब आपको पहले से ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा। 
  • अब options contracts की वीकली एक्सपायरी कम कर दी गई हैं। पहले निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों की वीकली एक्सपायरी होती थी। अब Bank Nifty की वीकली एक्सपायरी को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल NIFTY की वीकली एक्सपायरी होगी। 
  • इसी तरह BSE Stock Exchange पर भी अब केवल एक वीकली एक्सपायरी होगी। यानि एक स्टॉक एक्सचेंज केवल एक वीकली एक्सपायरी कर सकता है। वीकली एक्सपायरी पर ऑप्शन ट्रेडिंग का 70% वॉल्यूम होता है। उसमें भी सबसे ज्यादा रिटेल ट्रेडर्स पार्टिसिपेट करते थे। और उनको सबसे ज्यादा नुकसान भी होता था। रिटेल ट्रेडर्स के इसी नुकसान को रोकने के लिए F&O market के लिए नए रूल्स सेबी द्वारा लागू किये गए हैं। 
  • Expairy के दिन ऑप्शन सेलिंग यानि राइट कर रहे हैं तो आपसे इसके के लिए 2% एक्स्ट्रा मार्जिन लिया जायेगा। यह ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए तीसरा सबसे बड़ा नियम है। इस मार्जिन को एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ELM) कहा जाता है। यह एक्क्सपयरी के दिन होने वाली एक्सट्रीम वोलेटिलिटी को कम करने के लिए लगाया जायेगा। 

अब Options trading किस तरह बदल जाएगी 

ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के प्रीमियम बढ़ने से रिटेल ट्रेडर्स (कम पैसे वाले ट्रेडर्स) के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग करना बहुत मुश्किल हो जायेगा। साथ ही रिटेल ट्रेडर्स के लिए डेरिवेटिव में बड़ी trading position बनाना काफी मुश्किल हो जायेगा। साथ ही एक्स्ट्रा मार्जिन बढ़ने से ऑप्शन सेलिंग भी ज्यादा मुश्किल हो जायेगा। 

बड़े-बड़े लॉट साइज होने से उनके लिए ज्यादा मार्जिन देना पड़ेगा जो रिटेल ट्रेडर्स को जुटाना मुश्किल होगा। अतः ज्यादातर रिटेल ट्रेडर्स डेरिवेटिव मार्केट से बाहर हो जायेंगे। ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट यानि कॉल और पुट खरीदने के बारे में तो फिर भी रिटेल ट्रेडर्स सोच पाएंगे। लेकिन ऑप्शन सेल करना उनके लिए असंभव हो जायेगा। 

ऑप्शन ट्रेडिंग का एक कड़वा सत्य तो यह भी है कि ऑप्शन बाइंग में ही ज्यादातर रिटेल ट्रेडर्स नुकसान करते हैं। ऑप्शन सेलिंग करने वाले ज्यादातर ट्रेडर्स प्रॉफिट कमाने में सफल होते हैं। मुझे लगता है कि इस नए नियम का ज्यादा  भी नुकसान रिटेल ट्रेडर्स को ही होगा। 

Futures & options के नए नियमों से कुछ समय के लिए डेरिवेटिव मार्केट के ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी आएगी। कुछ पोजिशंस भी अनबाइंड होंगी। उसका असर फ़िलहाल ऑप्शन मार्केट पर दिख भी रहा है। लेकिन धीरे-धीरे इसका असर कम होने लगेगा क्योंकि इंस्टीयूशनल ट्रेडर्स यानि FII & DII इनकी जगह ले लेंगे। बहुत बड़े स्तर पर विदेशी इंस्टीयूशनल इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स भारत में आ रहे हैं। 

साथ ही बड़े ट्रेडर्स और बड़े ट्रेडिंग हाउस भी अब भारत में सक्रिय हो रहे हैं। धीरे-धीरे करके वह रिटेल ट्रेडर्स की जगह भर देंगे। इस तरह NewF &O rules का तात्कालिक असर ही पड़ेगा। धीरे-धीरे ऑप्शन ट्रेडिंग के वॉल्यूम बढ़ते ही जायेंगे। बढ़े हुए लॉट साइज के मद्देनजर आपको सोचसमझकर ऑप्शन ट्रेडिंग करनी चाहिए। 

आपको यह यद् रखना चाहिए कि अब डेरिवेटिव में पहाड़ जैसा लॉट साइज हो गया है। अगर आप इतनी बड़ी पोजीशन नहीं संभाल सकते और उसके रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो को नहीं समझ सकते तो आपको F&O ट्रेडिंग से बचना चाहिए। छोटी से गलती ऑप्शन ट्रेडिंग में बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। 

आपको यह बात अब समझ लेनी चाहिए कि ऑप्शन ट्रेडिंग करना आपके लिए अब ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। ऑप्शन एक्सपायरी में जो चेंज ह्या है। उसका कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन BSE Stock Exchange पर वीकली एक्सपायरी अब केवल 'निफ्टी' की होगी। 

अतः ऑप्शन ट्रेडर्स के पास ऑप्शन एक्सपायरी के दिन trade करने के कम मौक़े हो गए हैं। इससे बैंक निफ्टी में ट्रेडर्स का इंट्रेस्ट थोड़ा कम हो जायेगा। अतः बैंक निफ्टी पर आपको इसका तुरंत असर देखने को मिलेगा। एक्सट्रीम लॉस मार्जिन उन ऑप्शन सेलर्स यानि ऑप्शन राइटर्स पर असर डालेगा। जो एक्सपायरी से सम्बन्धित ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी बनाते हैं। 

बहुत सारे ट्रेडर्स एक्सपपयरी के दिन बड़ी-बड़ी पोजिशंस इस उम्मीद में बनाया करते थे कि इस लेवल से निफ्टी ऊपर क्या जाएगी या इस लेवल से नीचे क्या जाएगी। उन पर इस अतिरिक्त मार्जिन का असर पड़ेगा। कुल मिलाकर F&O के नए नियमों का असर होगा भी और होना भी चाहिए। लेकिन जिस प्रकार की हमारे फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट की ग्रोथ है। 

उसके हिसाब से इन बदले हुए नियमों को भी मार्केट पचा लेगा। और डेरिवेटिव मार्केट का कारोबार भविष्य में खूब बढ़ेगा। लेकिन आपको यह भी यद् रखना चाहिए कि डेरिवेटिव एक प्रोफेशनल इंस्ट्रूमेंट हैं। इसकी परिकल्पना ही प्रोफेशनल फाइनेंशियल एक्सपर्ट लोगों के लिए की गई है। 

अतः अगर आपको खुद को प्रोफेशनल नहीं समझते हैं या अभी मार्केट में नए हैं और धीरे-धीरे सीख रहे हैं। तो आपको इसका मतलब यह है कि अभी आप डेरिवेटिव ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के लिए तैयार नहीं हैं। अतः आप पहले सीखें और उसके बाद F&O ट्रेडिंग स्टार्ट करें। 

शेयर मार्केट में केवल फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग ही नहीं होती है। इससे पैसे कमाने के अन्य बहुत सारे तरीके भी हैं। आप उनका उपयोग करके शेयर मार्केट से पैसे कमा सकते हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन बदले हुए नियमों के बावजूद भी आप शेयर मार्केट में अपनी जगह सुनिश्चित करेंगे। 

Share market एक ऐसी जगह है जहाँ हमेशा कुछ ना कुछ बदलाव अक्सर होते रहते हैं। अतः आपको भी समयानुसार अपने आपको और अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटजीज को भी बदलना चाहिए। 

आपको आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइयेगा। उम्मीद है, आपको यह सेबी द्वारा लागू ऑप्शन ट्रेडिंग के नए नियम आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह SEBI New rules for F&O option trading in Hindi पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। 

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