Futures & Options Trading में 90% ट्रेडर्स नुकसान क्यों करते हैं?
बड़ी संख्या में रिटेल ट्रेडर्स फ्यूचर्स एंड ऑप्शन में सोकॉल्ड एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए, टिप्स पर भरोसा करके ट्रेड लेते हैं। यह इंडियन ऑप्शन ट्रेडर्स के ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान करने का सबसे बड़ा कारण है। बहुत से ऑप्शन ट्रेडर्स अपने ट्रेडिंग के निर्णय अपने दोस्तों, सोशल मीडिया और टीवी एक्सपर्ट की सलाह पर लेते हैं।
जिसकी वजह से उन्हें ज्यादातर नुकसान ही होता है। आइए विस्तार से जानते हैं- फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में 90% लोगों को नुकसान होता है तो कमाता कौन है? Why do 90% of traders lose money in futures & options trading?
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में लॉस करने वाले 90% ट्रेडर्स की लिस्ट में शामिल नहीं होना चाहते तो आपको सौरव मुखर्जी द्वारा लिखित शेयर मार्केट के सक्सेस मंत्र बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Options trading के बारे में
भारतीय शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग, ट्रेडर्स के लिए शेयर ट्रेडिंग का एक आकर्षक विकल्प रही है। इसमें लिमिटेड नुकसान के साथ अनलिमिटेड प्रॉफिट कमाने की संभावना जो रहती है और इसमें जल्दी रिटर्न देने की क्षमता भी है।
हालाँकि डाटा से पता चलता है कि futures & options trading में 90% लोग नुकसान उठाते हैं। अधिकांश ऑप्शन ट्रेडर्स एक से तीन साल में फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग बंद कर देते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में कुछ गलतियाँ ऐसी भी होती हैं। जिनसे बचा जा सकता है।
इसे लेकर SEBI चेयरपर्सन माधुरी पूरी बुच भी बहुत चिंतित्त हैं। उन्होंने इस पर बोलते हुए कहा भी है- कैपिटल मार्केट इकोसिस्टम में ही रिस्क शामिल है। लेकिन रिटेल ऑप्शन ट्रेडर्स के नुकसान को देखते हुए ऑप्शन ट्रेडिंग रूल्स में सुधार करने की सख्त जरूर है।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग का एक सच यह भी है कि ऑप्शन सेलर लगातार प्रॉफिट कमाते हैं। यदि आप भी options trading में उन गलतियों से बचना चाहते हैं। जिनकी वजह से नुकसान होता है।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में अपने दुश्मन को जानना बहुत आवश्यक हो जाता है। अधिकांश गलतियाँ और नुकसान इसी से उत्पन्न होते हैं। जब options premium तय करने की बात आती है तो ये बहुत मैथमैटिकल तय होते हैं। इसमें अभी भी एक मानवीय तत्व शामिल है, इसका एक कारण यह है।
आप में से कई लोग शुरुआत में खुद को Nifty, Bank Nifty और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स से जोड़ते हैं। जैसे ही हम ट्रेडिंग गेम में गहराई से उतरते हैं, हम स्टॉक ऑप्शन में भी उतरना शुरू कर देते हैं।
ट्रेडिंग में 90% ट्रेडर नुकसान क्यो करते हैं?
F&O मार्केट एक कठिन और रिस्की मार्केट है और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इसमें 90% ट्रेडर्स नुकसान उठाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें से हमने कुछ निम्नलिखित कारणों का वर्णन किया है-
- ज्ञान की कमी: बहुत से ट्रेडर्स Futures & Options मार्केट में बिना सीखे ही ट्रेडिंग शुर कर देते हैं। वे इसमें शामिल जोखिम को नहीं समझ पाते हैं। बहुत से लोग तो इस कहावत पर भी भरोसा करते हैं कि "रिस्क है इश्क है" ऐसे traders के पास को ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी भी नहीं होती है।
- थीटा डिके: ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का टाइम सीमित होता है। जैसे-जैसे एक्सपायरी डेट नजदीक आती है, वैसे-वैसे ऑप्शन की टाइम वैल्यू तेजी से कम होने लगती है। यदि आपके ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस वांक्षित दिशा में नहीं चलता है। तो आपका प्रीमियम बिल्कुल खत्म हो सकता है।
- "इन द मनी" स्ट्राइक प्राइस को प्राप्त करने में विफल होना: ऑप्शन ट्रेडिंग में पैसा तभी बनता है, जब अंडरलाइंग एसेट का प्राइस अपक्षित दिशा में बढ़ता करता है। और "इन द मनी" स्ट्राइक प्राइस को पार कर जाता है। यदि प्राइस ऐसा करने में विफल हो जाता है तो आपका प्रीमियम बेकार हो जाता है यानि खत्म हो जाता है।
- लो वैलेटिलिटी: ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन बायर का पैसा तभी बनता है। जब अंडरलाइंग एसेट के प्राइस तेजी से ऊपर नीचे होते हैं। स्थिर मार्केट में ऑप्शन सेलर का पैसा बनता है क्योंकि एक्सपायरी डेट के पास आने पर options के प्रीमियम बहुत तेजी से गलने लगते हैं।
- इमोशनल ट्रेडिंग: स्टॉक मार्केट रिटेल ट्रेडर्स अक्सर तर्क के बजाय भावनाओं में बहकर ट्रेडिंग के डिसीजन ले लेते हैं। जिसमें गलतियाँ होने की अधिक आशंका रहती है। वोलेटाइल मार्केट में अक्सर इस तरह की गलतियाँ होती हैं।
- खराब रिस्क मैनेजमेंट: जो options traders ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क को सही तरीके से मैनेज नहीं करते हैं। उन्हें F& O ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा नुकसान होने की आशंका भी रहती है। ये वे ट्रेडर्स होते हैं जो stoploss नहीं लगाते हैं। साथ ही जब कभी उनकी पोजीशन प्रॉफिट में होती है तो वे सही समय पर प्रॉफिट भी बुक नहीं कर पाते हैं।
- हाई प्रीमियम: ऑप्शन प्रीमियम एक्सपायरी डेट, वोलैटिलिटी, स्टॉक का वर्तमान प्राइस और स्ट्राइक प्राइस के बीच की दूरी जैसे बहुत से कारणों से प्रभावित होते हैं। ऑप्शन ट्रेडर को प्रीमियम की भरपाई करने के साथ-साथ प्रॉफिट भी कमाने के लिए स्टॉक के प्राइस से भी ज्यादा प्रीमियम में मूवमेंट की जरूरत हो सकती है।
- लेनदेन की लागत: ज्यादातर स्टॉक ब्रोकर एक ट्रेड के लिए फिक्स चार्ज लेते हैं अगर आप ज्यादा ट्रेड लेंगे तो आपकी ऑप्शन ट्रेडिंग की लागत बढ़ जायेगी। खासकर तब जब आप छोटे प्राइस मूवमेंट से लाभ कमाना कहते हों।
- ओवरट्रेडिंग: जो ट्रेडर्स बहुत ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं। उनसे ज्यादा गलतियाँ होने की आशंका रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे खुद को मार्केट का विश्लेषण करने और trading strategy बनाने के लिए समय नहीं दे पाते हैं।
- एक्सपायरी डेट तक ऑप्शन पोजीशन को होल्ड करना: यदि आपकी पोजीशन आउट ऑफ द मनी की है और आप उसे एक्सपायरी डेट तक होल्ड करते हैं। फिर भी आपकी पोजीशन इन द मनी पोजीशन नहीं बन पति है तो एक्सपायरी के दिन आपका पूरा प्रीमियम गल जायेगा। आपके लगाए पैसे जीरो हो जायेंगे।
- नुकसान का पीछा करना: ट्रेडिंग में नुकसान होने पर जब ट्रेडर्स ओवरट्रेडिंग करके अपने नुकसान की भरपाई करने की कोशिश करते हैं तब उन्हें और ज्यादा नुकसान हो जाता है। इसे रिवेंज ट्रेडिंग भी कहते हैं।
- स्पष्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का अभाव: अगर आपके पास क्लियर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है तभी आपको Futures & Options Trading में ट्रेडिंग पोजीशन बनानी चाहिए। वर्ण आपको नुकसान होना निश्चित है।
Futures & Options Trading में नुकसान से कैसे बचें?
एफएंडओ सफल होने के लिए, केवल पैसा कमाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। यहाँ रिस्क मैनेजमेंट करने और स्मार्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में भी महारत हासिल करनी चाहिए। यदि आप F&O में ट्रेडिंग करने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको इसमें शामिल जोखिमों के बारे में भी पता होना चाहिए।
आपको बाजार के बारे में जानने और अपनी जोखिम सहनशीलता के अनुकूल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी विकसित करने के लिए भी समय निकालना चाहिए। और सबसे महत्वपूर्ण बात, आपको हमेशा अच्छे जोखिम प्रबंधन करना चाहिए। जैसे Stoploss का प्रयोग करना, ओवर-लेवरेजिंग से भी बचना चाहिए।
हालाँकि ट्रेडिंग में लॉस होना एक अनिवार्य हिस्सा है लेकिन निम्नलिखित बहुत सी ऐसी स्ट्रेटेजीज और टेक्निक्स हैं। जिनका उपयोग करके आप ट्रेडिंग में होने वाले संभावित नुकसान को कम कर सकते हैं-
- पोजीशन साइजिंग: आपको अपनी जोखिम सहनशीलता और सम्पूर्ण पोर्टफोलियो के आकार के हिसाब से पोजीशन का साइज उचित होना चाहिए।
- स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग करें: स्टॉपलॉस ऑर्डर ट्रेडिंग में संभावित नुकसान को कम करने के लिए ही बनाये गए हैं। जब प्राइस किसी विशेष लेवल पर पहुंच जाते तब स्टॉपलॉस ऑर्डर ऑटोमैटिक एक्जिक्यूट हो जाता है। जिससे ट्रेडर्स नुकसान वाले ट्रेड से अपने आप बाहर हो जाते हैं और अधिक नुकसान होने से बच जाते हैं।
- हैजिंग F&O ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अपनाएं: नुकसान से बचने के लिए आपको अपनी एफएंडओ की पोजीशन को हैज करना चाहिए। इससे आपको प्रॉफिट तो कम होगा लेकिन नुकसान बिल्कुल भी नहीं होगा।
- नेकेड पोजीशन बनाने से बचें: ऑप्शन पोजीशन में बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है। नुकसान होने पर आपका पूरा प्रीमियम बिल्कुल खत्म हो सकता है। इसलिए अपनी पोजीशन की विपरीत पोजीशन जरूर बनाकर रखें। जैसे आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो पुट ऑप्शन भी खरीदकर रखें। इस तरह अपनी पोजीशन को हैज करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।
- एप्लाइड वोलैटिलिटी को समझें: एम्प्लाएड वोलैटिलिटी के लेवल्स का ध्यान रखें क्योंकि वोलैटिलिटी बढ़ने पर ऑप्शन के प्रीमियम भी बढ़ जाते हैं। जिससे प्रॉफिट कामना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इंप्लाइड वोलैटिलिटी अधिक होने पर options sell करना चाहिए। जब इम्प्लाएड वोलैटिलिटी कम हो तब ऑप्शन खरीदना चाहिए।
- Time Decay को मैनेज करें: जब आप options में ट्रेडिंग करते हैं तो आपको टाइम डिके का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि आपने आउट ऑफ़ द मनी स्ट्राइक प्राइस की पोजीशन ली है। तो उसे एक्सपायरी डेट तक होल्ड करने से बचना चाहिए। क्योंकि एक्सपायरी डेट पास आने पर टाइम डिके बहुत तेजी से होता है।
- अटकल बाजी से बचें: बिना किसी तर्कपूर्ण स्ट्रेटेजी के ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। इसे सट्टेबाजी कहते हैं। टेक्निकल या फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर ट्रेडिंग पोजीशन बनाने के सूचित निर्णय लेने चाहिए। भावनाओं या अनुमानों के आधार पर ट्रेडिंग पोजीशन बनाने के निर्णय नहीं करने चाहिए।
Futures & Options Trading पर सेबी की सख्ती
SEBI, फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडर्स को नुकसान से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने जा रहा है। ट्रेडिंग को हतोत्साहित करने के लिए पहले ही जुलाई में आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एफएंओ सेगमेंट में STT को दोगुना बढ़ा दिया है। नई रेट एक अक्टूबर से लागू होंगे।
अब सेबी न्यूनतम लॉट साइज को बढ़ाने की सिफारिश की है। जिससे रिटेल options traders F&O ट्रेडिंग से बाहर हो जायेंगे। सेबी ने इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट साइज 15 से 20 लाख रूपये तक बढ़ाने की सिफारिश की है। ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि इससे डब्बा ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा।
DabbaTrading क्या है?
डब्बा ट्रेडिंग एक अवैध स्टॉक ट्रेडिंग गतिविधि है। इसमें ट्रेडर्स बिना एप या बिना डीमैट अकाउंट के इंडेक्स या स्टॉक्स पर दांव लगा सकते हैं। डब्बा ऑपरेटर्स सट्टेबाजों की तरह काम करते हैं। इसमें सरकार और स्टॉक एक्सचेंजों को टेक्स का नुकसान होता है।
इसमें कोई शक नहीं है कि Futures & Options Trading मार्केट से प्रॉफिट कमाने के बहुत अच्छे मौके देते हैं। लेकिन इसमें ट्रेडर्स थीटा टाइम डिके, प्राइस मूवमेंट में कमी, ट्रेडिंग लागत, सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की कमी, एक्सपायरी डेट तक ऑप्शन को होल्ड करना आदि। ऐसे ही और भी कारणों की वजह से ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान करते हैं।
F&O ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी को लागू करना बहुत जरूरी होता है। जैसे की उचित पोजीशन साइज और स्टॉपलॉस ऑर्डर का यूज करना, नेकेड पोजीशन से बचना, ओपन पोजीशन की निगरानी रखना और जरूर पड़ने पर पोजीशन को एडजस्ट करना आदि। आपको पोजीशन बनाते समय लिमिट ऑर्डर का उपयोग करना चाहिए। उपर्युक्त सावधानियाँ रखकर आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान से बच सकते हैं और प्रॉफिट भी कमा सकते हैं।
उम्मीद है, आपको यह Futures & Options Trading में 90% ट्रेडर्स नुकसान क्यो करते हैं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Why do 90% of traders lose money in futures & options trading? आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
अगर आप शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो प्लीज कमेंट जरूर करें। आप मुझे फेसबुक पर भी जरूर फॉलो जरूर करें क्योंकि मैं वहाँ शेयर मार्केट के बारे में इंट्रेस्टिंग जानकारी शेयर करती रहती हूँ।
कोई टिप्पणी नहीं