पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन करने की सम्पूर्ण कला Portfolio Diversification |

डायवर्सिफिकेशन अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के रिस्क को कम करने के लिए किया जाता है। डायवर्सिफिकेशन आपके इन्वेस्टमेंट को इस तरह फैलाने की प्रक्रिया भी है। जिससे किसी एक प्रकार की एसेट में आपका इन्वेस्टमेंट सीमित रहे। संक्षेप में कहें तो यह आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने का एक तरीका है। 

यह प्रक्रिया समय के साथ आपके पोर्टफोलियो में वोलैटिलिटी को कम करती है। आइए विस्तार से जानते हैं-पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन करने की सम्पूर्ण कला? Portfolio Diversification in Stock Market Hindi. 

                                                                                      
Portfolio Diversification


अगर आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको प्रसिद्ध अमेरिकी निवेशक वॉरेन बफे के गुरु बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर जरूर पढ़नी चाहिए। 

Portfolio Diversification क्या है?

डायवर्सिफिकेशन आपके इन्वेस्टमेंट को इस तरह फैलाने का एक तरीका है। जिससे एक एसेट या एक कंपनी के stocks में आपका इन्वेस्टमेंट सीमित रहे। सरल शब्दों में पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का मतलब है- इन्वेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग कंपनियों और उधोगों के स्टॉक्स चुनकर उनमें इन्वेस्ट करते हैं। 

Diversified portfolio पर एक एक पुरानी कहावत फिट बैठती है। जिसमें कहा गया है कि "अपने सभी अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखने चाहियें"। जब आप कई सेक्टर्स की कंपनियों के स्टॉक्स में invest करते हैं। तब यदि कोई एक स्टॉक नहीं चलता है तो अन्य स्टॉक्स उसकी भरपाई कर देते हैं। 

जिससे आप प्रॉफिट में रहते हैं क्योंकि एक स्टॉक के लॉस को दूसरे सेक्टर का स्टॉक कवर कर लेता है। डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो से मिलने वाली सुरक्षा को बढ़े हुए profit से मापा जा सकता है। साथ ही एक स्टॉक वाले पोर्टफोलियो से मिलने वाले प्रॉफिट की तुलना डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो से करके भी इसके फायदों को जाना जा सकता है। 

ये बात तो आपको मालूम होगी कि Share market इन्वेस्टमेंट के साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। सफल investment वही होता है, जिसमें आप समय के साथ आने वाले जोखिम को कम या बिल्कुल खत्म कर देते हैं। यदि कम उम्र के लोग बहुत ज्यादा परंपरागत तरीके से अपने रिटायरमेंट के लिए इन्वेस्टमेंट करेगें। तो वे निम्नलिखित दोहरा जोखिम उठाते हैं- 
  1. हो सकता है कि उनके इन्वेस्टमेंट की ग्रोथ की रफ्तार मुद्रास्फीति से कम रह जाय। 
  2. हो सकता है कि आपका investment उस स्पीड से ग्रो ना हो जितनी आपको रिटायरमेंट के समय जरूरत होगी। 
इसके विपरीत अगर आप बड़ी उम्र में बहुत आक्रामक तरीके से इन्वेस्ट करते हैं। तब market volatility की वजह से आपके इन्वेस्टमेंट की रकम बढ़ने के बजाय उल्टा घट भी सकती है। सीनियर सिटीजन के पास अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए कम अवसर होते हैं। 

अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो को संतुलित रखने का सबसे बेहतर तरीका  Diversification ही है। आप अलग-अलग टाइप की एसेट में अपने इन्वेस्टमेंट को डायवर्सिफाइड करके आप काफी हद तक अपने इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित कर सकते हैं। 

इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि डायवर्सिफिकेशन से प्रॉफिट जरूर होगा और नुकसान भी नहीं होगा। डायवर्सिफिकेशन आपके पोर्टफोलियो में risk & volatility को कम जरूर कर सकता है। पोर्टफोलियो को डायर्वर्सीफाइड करने के कई तरीके  निम्नलिखित हैं-

अलग-अलग Assets में Investment

यदि आप अपनी holdings को डायवर्सिफाइड करने पर विचार कर रहे हैं तो आप निम्नलिखित strategies को अपना सकते हैं-  
  1. Bonds: बॉन्ड एक निश्चित इनकम वाला साधन और निवेश उत्पाद है। जिसमें व्यक्ति किसी सरकार या प्राइवेट कंपनी को एक निश्चित ब्याज दर पर एक निश्चित अवधि के लिए पैसे उधार देते हैं। संस्था बॉन्ड के मूल अंकित मूल्य के अतिरिक्त ब्याज के साथ व्यक्तियों को भुगतान करती है। 
  2. Stocks: स्टॉक किसी कंपनी में मालिकाना हक का एक हिस्सा होता है। यह कंपनी की एसेट्स और इनकम का हक़दार होता है। जैसे आप किसी company के stocks की संख्या बढ़ाते जाते हैं। तो उसमें आपकी हिस्सेदारी भी बढ़ती जाती है। 
  3. रियल एस्टेट: रियल एस्टेट को भूमि और किसी भी स्थायी बिल्डिंग, जैसे कि घर, कृषि योग्य भूमि, चाहे प्राकृतिक या मानव निर्मित के रूप में परिभाषित किया जाता है। रियल एस्टेट वास्तविक संपत्ति का एक रूप है। 
  4. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF): बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि नाम से पता चलता है। ऐसे फंड जो स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करते हैं, आम तौर पर एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। जैसे कि Nifty50, BankNifty, BseSensex, FinNifty आदि ETF के कुछ उदाहरण हैं।  जब आप ईटीएफ में इन्वेस्ट करते हैं तो आपको एक विशेष प्रकार के एसेट्स का एक बंडल मिलता है। जिसे आप स्टॉक्स की तरह market session के दौरान खरीद और बेच सकते हैं। ETF आपके पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने में मदद करता है। 
  5. शार्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट: ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाणपत्र (CD), मनी मार्केट टूल्स, और अन्य शार्ट-टर्म, कम जोखिम वाले निवेश इसके अंतर्गत आते हैं। मनी मार्केट फंड एक परंपरागत निवेश हैं। जो आपके पैसे को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करते हैं। जो उन लोगों के लिए आदर्श हैं जो अपने मूलधन को सुरक्षित करना चाहते हैं। मनी मार्केट फंड आमतौर पर बॉन्ड फंड या व्यक्तिगत बॉन्ड की तुलना में कम रिटर्न देते हैं। 
  6. सेक्टर फंड्स: ये फंड्स स्टॉक में निवेश करते हैं, लेकिन सेक्टर फंड जैसा कि उनके नाम से पता चलता है। अर्थव्यवस्था के एक विशेष सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे इकोनॉमिक साइकल के विभिन्न चरणों में अवसरों की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए मूल्यवान टूल हो सकते हैं। ऑटोसेक्टर, FMCG sector, आईटी सेक्टर, फार्मासेक्टर आदि कुछ सेक्टर फंड्स के उदाहरण है। 
  7. कमोडिटी-फोक्स्ड फंड्स: Portfolio Diversification के लिए आप कमोडिटीज में इन्वेस्ट करने वाले इक्विटी फंड्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। ऑइल एंड गैस, माइनिंग और नैचुरल रिसोर्सेज वाले फंड्स को कमोडिटी फोकस्ड फंड्स में शामिल किया जाता है। ये मुद्रास्फीति से आपके पोर्टफोलियो का बचाव कर सकते हैं। गामा ब्लास्ट 
  8. एसेट एलोकेशन फंड्स: जिन investors के पास अपने portfolio को मैनेज करने का समय नहीं है। वे इन्वेस्टर्स एसेट एलोकेशन फंड्स में इन्वेस्ट करके अपने पोर्टफोलियो को diversified कर सकते हैं। इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स खरीदना निवेश मक डायवर्सिफाइड करने का एक सस्ता तरीका है। 

 Portfolio Diversification और रिटेल इन्वेस्टर्स 

समय और बजट की कमी के कारण गैर-संस्थागत निवेशकों का, यानि हम और आप जैसे इन्वेस्टर्स को डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाना मुश्किल होता है। इसी वजह से म्यूच्यूअल फंड्स रिटेल इन्वेस्टर्स के बीच इतने ज्यादा लोकप्रिय हैं। Mutual funds आपके पोर्टफोलियो को विभिन्न एसेट क्लास में डायवर्सिफाइड कर सकते हैं।

ETF के द्वारा रिटेल इन्वेस्टर्स कमोडिटी बेस्ड और इंटनेशनल एसेट क्लास में अपने पोर्टफोलियो को diversifaed कर सकते हैं। ETF के रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए फायदेमंद होने के कई कारण हैं- जैसे अलग-अलग मार्केट ऑर्डर देकर, विभिन्न एसेट क्लास में इन्वेस्ट करना बहुत महंगा पड़ सकता है। इनसाइडर ट्रेडिंग

Portfolio Diversification के लाभ 

डायवर्सिफिकेशन का प्राथमिक उद्देश्य मार्केट रिस्क को कम करना है। यह आपके निवेश को विभिन्न एसेट क्लास और उधोगों में फैलाकर मार्केट के झटकों से उसकी रक्षा करता है। डायवर्सिफिकेशन कुछ इन्वेस्टर्स को यूनिक और ऐनकरेजिंग लग सकता है। जो इन्वेस्टर्स इन्वेस्टिंग के लिए नए सेक्टर्स को एक्सप्लोर करना चाहते हैं। ऐसे इन्वेस्टर्स को पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन प्रोत्साहित कर सकता है। 

किसी एक कंपनी के अनुकूल समाचार से आपके share के प्राइस बढ़ेंगे। यह उम्मीद करने के बजाय, दर्जनों कंपनियों में से किसी एक की प्रभावित करने वाली सकारात्मक खबर आपके पोर्टफोलियो को लाभ पहुंचा सकती है। यानि यदि आपने कई कंपनियों में इन्वेस्ट किया है। ऑनलाइन इन्वेस्ट

तो उनमें से किसी एक में आने वाली पॉजिटिव न्यूज का प्रभाव आपके सम्पुर्ण पोर्टफोलियो के प्रदर्शन में सुधार करेगा। लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है क्योंकि आपके पोर्टफोलियो में शामिल किसी कंपनी की नेगेटिव न्यूज से आपके सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर नेगेटिव असर होगा। इस तरह पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन दोधारी तलवार की तरह भी काम कर सकता है। 

इसका एक लाभ स्टॉक ब्रोकरेज की बचत भी है। अगर आप अगर आप अलग-अलग कंपनियों के स्टॉक्स में इन्वेस्ट करेंगे तो आपको बार-बार शेयर खरीदने पड़ेंगे। जिससे आपको बार-बार ब्रोकरेज फीस और कमीशन देना होगा। इससे आपकी शेयर खरीदने की लागत बढ़ जाएगी। जिससे आपके प्रॉफिट में से घटाया जायेगा। 

उम्मीद है, आपको यह पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन कैसे करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह  Portfolio Diversification in Stock Market Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। 

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